पुल्लिंग संबोधन चाहती हैं इटली की पहली महिला प्रधानमंत्री
२५ अक्टूबर २०२२
जॉर्जिया मेलोनी इटली की पहली महिला प्रधानमंत्री हैं लेकिन उन्होंने अपने नाम का पुल्लिंग रूप चुना है. इसके बाद देश में महिला सशक्तिकरण के प्रतीकों को लेकर बहस छिड़ गई है.
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इटली की नई प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी चाहती हैं कि उन्हें उनके नाम के पुल्लिंग रूप से संबोधित किया जाए. इतालवी नामों में पुल्लिंग और स्त्रीलिंग दोनों ही रूप संभव होते हैं. मेलोनी की ओर से जारी पहले बयान में उनके औपचारिक संबोधन प्रेसीदेंते डेल कोंसिलियो (Presidente del Consiglio) के आगे स्त्रीलिंग संबोधन ला (la) की जगह पुल्लिंग संबोधन इल (il) लगा था. यह वैसा ही है, जैसे हिंदी में किसी महिला के नाम के आगे श्रीमती या सुश्री की जगह श्री लगाया जाए.
रविवार को जारी पहले बयान के बाद सोमवार को भी मेलोनी के दफ्तर से एक बयान जारी हुआ जिसमें ला की जगह इल दोहराया गया, तो लोगों की सवालिया निगाहें उठीं. मेलोनी ने इटली की राजनीति में महिलाओं के लिए एक नया मुकाम खड़ा किया है. वह धुर दक्षिणपंथी और नारीवादी नेता हैं.
यूरोप में सूखा: देखिए क्या राज दिखा रही हैं सूखती नदियां
यूरोप में कई हफ्तों से बारिश ना होने की वजह से भारी सूखा पड़ा हुआ है और कई नदियों में पानी का स्तर बेहद नीचे गिर गया है. लेकिन कई स्थानों पर नदियों के पेट में समाए अद्भुत अवशेष निकल कर आ रहे हैं.
तस्वीर: Universitäten Freiburg und Tübingen, KAO
स्पेन का 'स्टोनहेंज'
स्पेन में वाल्देकानास जलाशय में पानी के स्तर के गिरने की वजह से प्राचीन पत्थरों का यह समूह निकल कर आया है. गुआदलपेरल के डोलमेन के नाम से जाने जाने वाले इन पत्थरों को स्पेन का स्टोनहेंज भी कहा जा रहा है.
तस्वीर: Manu Fernandez/AP/picture alliance
इटली में बम
यह द्वितीय विश्व युद्ध के समय का एक हवाई बम है जो फटा नहीं था. यह उत्तरी इटली में सूख चुकी पो नदी के तल से निकला.
तस्वीर: Flavio Lo Scalzo /REUTERS
इटली में पत्थर
उत्तरी इटली में पिछले 70 सालों के सबसे भीषण सूखे की वजह से गार्दा झील में से कई ऐसे पत्थर निकल कर आए हैं जो अभी तक पानी के नीचे डूबे हुए थे.
तस्वीर: Flavio Lo Scalzo/REUTERS
सर्बिया में युद्धक जहाज
डेन्यूब नदी में पानी के स्तर के गिरने के बाद सर्बिया में यह डूबा हुआ युद्धक जहाज निकल कर आया. यह द्वितीय विश्व युद्ध के समय जर्मन नौसेना का जहाज हुआ करता था.
तस्वीर: Fedja Grulovic/REUTERS
जर्मनी में नाव
ये एक टूटी हुई नाव के अवशेष हैं जो जर्मनी में डच सीमा के करीब राइन के निचले इलाके में निकल कर आये हैं. लकड़ी की पाल वाली नाव 'द एलिजाबेथ' 1895 में यहां डूब गई थी. उसमें लदे सामान में जाने कैसे विस्फोट हो गया था, जिसकी वजह से एक दर्जन से भी ज्यादा लोग मारे गए थे.
तस्वीर: Vincent Jannink/ANP/picture alliance
एक पुरानी साइकिल, जर्मनी
नदियों के गर्भ से सिर्फ ऐतिहासिक चीजें ही नहीं बल्कि आम लोगों का सामान भी निकल रहा है. जर्मनी में राइन नदी में कुछ लोग बेकार हो चुकी चीजों को बहा देते हैं, जैसे यह पुरानी साइकिल जो नदी में जलस्तर के सूखने के बाद सामने आई.
तस्वीर: Vincent Jannink/ANP/picture alliance
स्पेन का डूबा हुआ गांव
फरवरी 2022 में तो स्पेन में एक डूबा हुआ पूरा का पूरा गांव ही निकल आया. अचेरेदो नाम का यह प्राचीन गांव 1990 के दशक में लिमिया नदी पर बांध बन जाने के बाद पूरी तरह से डूब गया था.
तस्वीर: Miguel Vidal/REUTERS
यूरोप के बाहर भी
यूरोप के बाहर भी ऐसी घटनाएं सामने आई हैं. कुछ महीनों पहले इराक की टिगरिस नदी में सूखे की वजह से 3,400 साल पुराना एक शहर पानी से निकल आया. पुरातत्वविदों का मानना है कि यह जाखिकु नाम के प्राचीन शहर के अवशेष हैं जो सन 1400 ईसा पूर्व तक उत्तरी मेसोपोटामिया और सीरिया के बड़े हिस्से में राज करने वाले मित्तानी साम्राज्य का एक महत्वपूर्ण केंद्र था.
तस्वीर: Universitäten Freiburg und Tübingen, KAO
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वह महिलाओं के लिए संसद और कंपनियों के बोर्डरूम में आरक्षण की विरोधी हैं. उनका कहना है कि महिलाओं को इन जगहों पर अपनी क्षमताओं के आधार पर पहुंचना चाहिए. शुक्रवार को मेलोनी ने जब अपना मंत्रिमंडल घोषित किया तो 24 में से सिर्फ छह पद महिलाओं को दिए.
आलोचकों की राय
मेलोनी का पुल्लिंग संबोधन चुनना सभी को अच्छा नहीं लग रहा है. देश की मुख्य ट्रेड यूनियन उसीगराई ने सरकारी टीवी आरएआई पर इसकी आलोचना की. नारीवादी सांसद और संसद के निचले सदन की पूर्व स्पीकर लॉरा बोल्दरीनी ने भी इस बात की आलोचना की है. वह अपने लिए स्त्रीलिंग संबोधन ही प्रयोग करती थीं.
मेलोनी के कार्यालय ने इस बारे में कोई बयान या सफाई नहीं दी है. आरएआई की लैंगिक नीति के तहत जहां भी उपलब्ध हो, स्त्रीलिंग संबोधन का प्रयोग किया जाना चाहिए. उसीगराई ने कहा कि इस नीति के चलते प्रधानमंत्री का नाम लेते वक्त "कोई भी पुल्लिंग संबोधन के लिए बाध्य नहीं है.”
बोल्दरीनी ने कहा कि प्रधानमंत्री का यह चुनाव उनकी पार्टी की वजह से है, जिसका नाम है ब्रदर्स ऑफ इटली (एफडीआई). एक ट्वीट में उन्होंने कहा, "पहली महिला प्रधानमंत्री पुल्लिंग संबोधन प्रयोग कर रही हैं. जो पार्टी अपने नाम से ही बहनों को हटा चुकी है, क्या उस एफडीआई की नेता के लिए स्त्रीलिंग का इस्तेमाल इतना मुश्किल है?”
ईरान की महिलाओं के समर्थन में दुनिया भर में रैलियां और ग्राफीटी
ईरान में चल रहे महिलाओं के प्रदर्शनों के समर्थन में दुनिया भर में ग्राफीटी कलाकार कला का सृजन कर रहे हैं. साथ ही कई देशों में उनके समर्थन में रैलियों का आयोजन भी किया जा रहा है.
तस्वीर: Francois Mori/AP/picture alliance
ईरानी दूतावास, मेक्सिको सिटी
एक महिला मेक्सिको सिटी में ईरानी दूतावास की एक दीवार पर "माचो कंट्री" ईरान के खिलाफ सन्देश स्प्रे-पेंट कर रही हैं. ऐसा वो ईरानी महिलाओं के साथ एकजुटता में और ईरानी पुलिस की कार्रवाई में मारी गईं 22 साल की महसा अमीनी की याद में कर रही हैं. ईरान की नैतिकता पुलिस ने अमीनी को महिलाओं के लिए बने एक कड़े ड्रेस कोड के कथित उल्लंघन के लिए हिरासत में लिया था.
तस्वीर: Gerardo Vieyra/NurPhoto/picture alliance
फ्रैंकफुर्ट में प्रदर्शन
सितंबर में अमीनी की मौत के बाद पूरे देश में प्रदर्शन भड़क उड़े जिनमें वहां के इस्लामिक शासन की बर्खास्तगी की मांग की गई. ईरानी अधिकारियों ने अमीनी की मौत की जिम्मेदारी लेने से इनकार किया है लेकिन कम ही लोगों को उन पर विश्वास है. कथित नैतिकता पुलिस की बर्बरता से कई महिलाएं वाकिफ हैं. यह तस्वीर जर्मनी के फ्रैंकफुर्ट में ईरानी महिलाओं के समर्थन में आयोजित किए गए प्रदर्शन की है.
तस्वीर: picture alliance/dpa
मिलान में समर्थन में सिम्पसंस
ईरान में और ईरान से बाहर भी आंदोलन के समर्थन में कई महिलाओं ने अपने बाल काटे हैं. इटली के मिलान शहर में ईरानी कांसुलेट के ठीक सामने एक दीवार पर मशहूर टीवी शो सिम्पसंस की एक किरदार मार्ज सिम्पसन को भी अपने बाल काटते हुए दिखाया गया है. तस्वीर स्ट्रीट कलाकार अलेक्सांद्रो पलोम्बो ने ली थी.
तस्वीर: Andrea Fasani/ANSA/EPA-EFE
महसा अमीनी को पेरिस की ऑनररी नागरिकता
पेरिस में अमीनी और ईरान के आंदोलन को भित्ति-चित्रों में ही श्रद्धांजलि नहीं दी जा रही है. पेरिस की महापौर ऐन हिडाल्गो ने कहा है कि अमीनी को मरणोपरांत शहर का ऑनररी नागरिक बनाया जाएगा. उन्होंने यह भी कहा कि शहर में एक स्थान का अमीनी के नाम पर नाम भी रख दिया जाएगा "ताकि उन्हें कोई भूल ना सके." उन्होंने यह भी कहा, "पेरिस हमेशा उनकी तरफ रहेगा जो अपने अधिकारों और अपनी आजादी के लिए लड़ते हैं."
तस्वीर: Francois Mori/AP/picture alliance
फ्रैंकफुर्ट में "महिलाएं, जिंदगी, आजादी"
फ्रैंकफुर्ट में एक खाली इमारत में एक संगठन के लोगों ने अमीनी का एक चित्र बनाया है. चित्र के आगे अमीनी की जबान कुर्दिश में लिखा है, "जिन, जियान, आजादी" - "महिलाएं, जिंदगी, आजादी." तेहरान में आंदोलनकारियों का शासन के खिलाफ यही नारा है. इसे सीरिया के कुर्द महिलावादी आंदोलन से लिया गया है.
तस्वीर: Boris Roessler/dpa/picture alliance
पोलैंड में एकजुटता
दुनिया भर में कई महिलाओं का कहना है कि लड़कियों और महिलाओं का उनके आतताइयों के खिलाफ छिड़े विद्रोह के साथ एकजुटता दिखाने की जरूरत है. और दुनिया भर में महिलाएं सड़कों पर उतर भी रही हैं - जैसे की पोलैंड के क्राकोव में ली गई इस तस्वीर में दिख रहा है.
तस्वीर: Beata Zawrzel/NurPhoto/picture alliance
तेहरान के कला के छात्रों का विरोध
तेहरान में आजाद विश्वविद्यालय के कला के छात्रों द्वारा कला विभाग के सामने विरोध प्रदर्शन आयोजित किया गे. उनके हाथों पर लगा लाल रंग सुरक्षाबलों द्वारा प्रदर्शनों के खूनी दमन का प्रतीक है.
तस्वीर: UGC/AFP
डोमिनो असर
ये प्रदर्शन महज लड़कियों और महिलाओं के कड़े ड्रेस कोड के खिलाफ नहीं हैं. पूरे देश में प्रदर्शनकारी इस्लामिक शासन की वैधता पर सवाल उठा रहे हैं और "मुल्लाओं को भगाओ" और सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खमेनेई के खिलाफ "तानाशाह को मार दो" जैसे नारे लगा रहे हैं.
तस्वीर: NNSRoj
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इतालवी भाषा पर काम करने वाली संस्था ‘एकेडेमिया डेला क्रुष्चा' ने कहा है कि जिन पदों पर महिलाएं बैठी हों, उनके लिए संबोधन में स्त्रीलिंग का प्रयोग करना वैयाकरणिक दृष्टि से सही है. हालांकि संस्था के अध्यक्ष क्लाउडियो मारात्सीनी ने समाचार एजेंसी एडंक्रोनोस से कहा कि वैचारिक या पीढ़ी आदि के कारण किसी को भी अन्य संबोधन प्रयोग करने का पूरा हक है.
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कौन हैं जॉर्जिया मेलोनी?
15 जनवरी 1977 को जन्मीं जॉर्जिया मेलोनी ने 2014 में ‘ब्रदर्स ऑफ इटली' पार्टी की अध्यक्ष पद संभाली थी. कट्टर दक्षिणपंथी नेता मेलोनी इससे पहले इटैलियन सोशल मूवमेंट की युवा शाखा में भी रह चुकी हैं. यह एक नियो-नात्सी आंदोलन है जिसकी स्थापना इटली के फासीवादी नेता बेनितो मुसोलिनी के समर्थकों ने 1946 में की थी.
2008 में मेलोनी को बैर्लुस्कोनी मंत्रिमंडल में युवा मामलों का मंत्री बनाया गया था. उस पद पर वह 2011 तक रहीं. 2012 में उन्होंने कुछ अन्य लोगों के साथ मिलकर एफडीआई की स्थापना की और 2014 में उसकी अध्यक्ष बन गईं.
उनकी पार्टी को कोविड महामारी के दौरान खासी लोकप्रियता मिली. चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने ‘एजेंडा ऑफ गॉड' के साथ मातृभूमि और ईसाई पहचान को मुद्दा बनाया था. 45 वर्षीय राष्ट्रवादी मेलोनी को इस बात के लिए आलोचना झेलनी पड़ी थी कि उन्होंने खुद को स्पष्ट तौर पर उस नव फासीवादी आंदोलन से अलग नहीं किया है जो तानाशाह बेनितो मुसोलिनी से हमदर्दी रखने वालों ने शुरू किया था. हालांकि प्रचार के दौरान उन्होंने फासीवादी होने के आरोपों को खारिज किया और कट्टर बयानबाजी से परहेज किया था.