अफ्रीकी देश माली की एक युवा महिला के गर्भ में इस समय सात बच्चे पल रहे हैं. जच्चा और बच्चों के स्वास्थ्य के लिए गरीब देश माली की सरकार ने इसका जिम्मा उठाया है.
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सात शिशुओं को अपने गर्भ में पाल रही इस महिला को खास देखभाल और मेडिकल मदद मुहैया कराने के मकसद से माली की सरकार ने उसे मोरक्को भेजने की व्यवस्था की है. माली के स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि इस 25 वर्षीया महिला की सेहत की बेहतर देखभाल के लिए ऐसा कदम उठाया गया है.
प्रकृति में ऐसी दुर्लभ घटनाएं बहुत कम देखने को मिलती हैं. ऐसा और भी कम होता है कि कोई महिला सात शिशुओं वाली अपनी गर्भावस्था का टर्म पूरा कर पाए. माली की यह महिला बीते दो हफ्ते राजधानी बामाको के अस्पताल में बिता चुकी है और इसके बाद ही स्वास्थ्य मंत्रालय ने यह फैसला लिया है.
माली के डॉक्टरों की सलाह पर उसे मोरक्को भेजा जा रहा है. मंत्रालय ने एक बयान जारी करते हुए कहा कि "इस असाधारण गर्भावस्था की बेहतर मेडिकल मॉनीटरिंग के लिए" ऐसा कदम उठाया जा रहा है.
सालेह क्षेत्र के गरीबी और संकट-ग्रस्त देश माली के स्थानीय मीडिया में खबरें हैं कि महिला उत्तर में स्थित टिंबकटू शहर की रहने वाली है और उसे सरकारी खर्चे पर मोरक्को भेजा जाएगा. स्वास्थ्य मंत्रालय से मिली जानकारी के अनुसार माली के अंतरिम राष्ट्रपति बाह एनडॉ ने इसके खर्च में निजी रूप से कुछ धन दिया है.
मंत्रालय के बयान में लिखा है, "हर कोई समझ सकता है कि इस महिला की डिलीवरी के बाद भी सात शिशुओं की देखभाल करना उसके लिए एक दूसरी चुनौती होगी." साथ ही बयान में कहा गया है कि उस चुनौती का सामना "मददगार माली के लोग हमेशा की तरह बेशक मिल कर करेंगे."
इसके पहले सन 1997 में एक अमेरिकी महिला ने एक साथ सात बच्चों को जन्म दिया था. इसके अलावा, सन 1998 में भी सऊदी अरब की एक 40 वर्षीय महिला के भी सात बच्चे पैदा हुए. आखिरी बार सन 2008 में मिस्र की एक 27 वर्षीया महिला ने एक साथ सात स्वस्थ बच्चों को जन्म दिया था.
आरपी/आईबी (एएफपी)
सिजेरियन के बारे में ये बातें नहीं जानते होंगे आप
ऑपरेशन के जरिए बच्चा पैदा करने का चलन बढ़ता जा रहा है. जानिए, क्यों करना पड़ता है सिजेरियन, दुनिया में कहां होते हैं सबसे ज्यादा और सबसे कम सी सेक्शन और कैसे मिला इसे यह नाम.
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गिनती के देश
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कुल 137 देशों के आंकड़े जमा किए और पाया कि उनमें से केवल 14 ही संस्था द्वारा दिए गए मानकों पर खरे उतारते हैं. इनमें यूक्रेन, नामीबिया, गुआटेमाला और सऊदी अरब शामिल हैं.
छुरी पर जोर
बाकी सब देशों में छुरी का इस्तेमाल जरूरत से ज्यादा किया जाता है. डब्ल्यूएचओ के अनुसार सिजेरियन का इस्तेमाल तभी होना चाहिए जब बच्चे या मां की जान को खतरा हो. संस्था 10 से 15 फीसदी मामलों में ही इसके इस्तेमाल की हिदायत देती है.
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100 में सिर्फ 2
आंकड़े दिखाते हैं कि गरीब देशों में सिजेरियन के कम मामले सामने आते हैं. इथियोपिया, बुर्किना फासो और मैडागास्कर ऐसे देश हैं, जहां मांत्र दो फीसदी बच्चे ही सिजेरियन के जरिए पैदा होते हैं.
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समृद्ध देशों का हाल
इसके विपरीत यूरोप, एशिया और अमेरिका में हर चौथा बच्चा सिजेरियन के जरिए पैदा होता है. जर्मनी में डिलीवरी के एक तिहाई मामलों में सी सेक्शन का सहारा लिया जाता है.
सबसे ज्यादा
सबसे बुरा हाल है ब्राजील, मिस्र और तुर्की का. यहां हर दूसरा बच्चा सिजेरियन के जरिए होता है, यानि केवल 50 फीसदी महिलाओं की ही सामान्य रूप से डिलीवरी की जाती है.
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भारत में
देश भर का आधिकारिक आंकड़ा बुरा नहीं है. भारत में औसतन 18 फीसदी ही सिजेरियन किया जाता है. लेकिन अगर बात दिल्ली और मुंबई जैसे महानगरों की की जाए, तो आंकड़े चौकाने वाले हैं.
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दिल्ली बदनाम
एक रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली के प्राइवेट अस्पतालों में 65 फीसदी बच्चे सिजेरियन के जरिए पैदा होते हैं. कुछ महिलाएं अपनी मर्जी से ऐसा कराती हैं, तो ज्यादातर मामलों में डॉक्टर उन्हें इसके लिए मजबूर करते हैं.
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डॉक्टरों के बहाने
दिल्ली के ही अस्पतालों की बात की जाए, तो डिलीवरी से ठीक पहले डॉक्टर इन बहानों का सहारा लेते हैं: बच्चे के गले में नाभिरज्जु का फंसना, पानी का सूख जाना, मां और बच्चे को इंफेक्शन, पीलिया इत्यादि.
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मुनाफा
जहां सामान्य डिलीवरी में घंटों लग जाते हैं, वहीं ऑपरेशन कर बच्चा पैदा करवाने में महज कुछ मिनट. ऐसे में डॉक्टर कम वक्त में ज्यादा डिलीवरी कराना का लालच करते हैं.
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ट्रेनिंग की कमी
कई देशों में डॉक्टर इंफेक्शन के डर से प्रसव का दर्द शुरू कराने वाली दवा दे देते हैं. लेकिन दवा के बावजूद अधिकतर प्रसव सामान्य रूप से नहीं हो पाते और सिजेरियन का खतरा बन जाता है.
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बार बार
ऐसी भी आम धारणा है कि एक बार सिजेरियन होने के बाद हर बार यही कराना पड़ता है लेकिन ऐसा नहीं है. दो साल में शरीर दोबारा स्वस्थ हो जाता है और सामान्य रूप से डिलीवरी मुमकिन है. फिर भी कम ही डॉक्टर इसके लिए तैयार होते हैं.
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जोखिम भरा
सिजेरियन एक बहुत बड़ा ऑपरेशन है, जिसमें शरीर को चीर कर बच्चा बाहर निकाला जाता है. इसीलिए डिलीवरी के बाद पूरी तरह स्वस्थ होने में कई महीने लग जाते हैं. लेकिन मुनाफे के चक्कर में सेहत को नजरअंदाज किया जाता है.
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कहां से आया नाम
ऐसा माना जाता है कि जूलियस सीजर के जन्म के दौरान पहली बार रोमन साम्राज्य में किसी जिंदा महिला के पेट को चीर कर बच्चा बाहर निकाला गया और इसीलिए सीजर के नाम पर इसका नाम सिजेरियन पड़ा.