नहीं रहा सूअर का दिल पाने वाला मरीज
१० मार्च २०२२हार्ट ट्रांसप्लांट सर्जरी के दो महीने बाद 57 वर्षीय डेविड बेनेट की मौत हो गई है. 7 जनवरी को उनका हार्ट ट्रांसप्लांट हुआ था और उन्हें जेनेटिकली मॉडीफाइड दिल लगाया गया था, जो अपनी तरह का पहला मामला था.
मेरीलैंड मेडिकल यूनिवर्सिटी अस्पताल ने बुधवार को बताया कि 8 मार्च को डेविड बेनेट का निधन हो गया. अस्पताल के एक प्रवक्ता ने कहा, "मृत्यु के वक्त कोई जाहिर कारण दिखाई नहीं दिया. चिकित्सक इसकी समीक्षा कर रहे हैं, जिसे मेडकल जर्नल में प्रकाशित किया जाएगा.”
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डेविड बेनेट की सर्जरी ने विभिन्न प्रजातियों के अंगों के एक दूसरे में प्रत्यारोपण को लेकर उम्मीदें बढ़ा दी थीं. मानव अंगों की कमी लगातार बनी रहती है और चिकित्सकों की उम्मीद बढ़ गई थी कि अगर अन्य प्रजातियों के अंगों का इस्तेमाल हो सका तो यह कमी पूरी की जा सकती है.
दर्दरहित मौत
मेरिलैंड मेडिकल यूनिवर्सिटी के हृद्य प्रत्यारोपण विभाग के निदेशक मोहम्मद मोइनुद्दीन ने वीडियो के जरिए जारी एक बयान में कहा कि बेनेट को एक के बाद एक संक्रमण हो रहे थे. उन्होंने कहा, "हमें उनकी प्रतिरोधिक्षमता को बनाए रखने और संक्रमण को काबू करने में परेशानी हो रही थी.”
बेनेट की तबीयत कई दिन पहले ही खराब होना शुरू हो गई थी. जब यह स्पष्ट हो गया कि उनकी हालत में सुधार होना नामुमकिन है तब उन्हें दर्दरहित मौत दे दी गई. अस्पताल ने बताया कि अपने आखिरी घंटों में वह अपने परिजनों से बातचीत कर पाए थे.
अस्पताल ने कहा कि सर्जरी के बाद कई हफ्तों तक दिल ने सही तरीके से काम किया था. बेनेट ने अपने परिवार के साथ समय बिताया और फिजिकल थेरेपी में भी हिस्सा लिया. उन्होंने घर जाकर अपने कुत्ते से मिलने की इच्छा जताई थी और सुपर बॉल भी देखा था.
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डॉक्टर बार्टली ग्रिफिथ ने बेनेट की सर्जरी की थी. उन्होंने कहा, "वह एक आदर्श और बहादुर मरीज थे जो आखरी वक्त तक लड़ते रहे. हम उनके परिवार के प्रति अपनी दिली संवेदनाएं व्यक्त करते हैं.”
‘बहुत कुछ सीखा'
इस अस्पताल में बेनेट का इलाज पिछले साल अक्टूबर में शुरू हुआ था. जब उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था तब वह इमरजेंसी सपोर्ट मशीन पर जिंदा थे. उन्हें मानव हृद्य के लिए अनुपयुक्त माना गया था. ऐसा फैसला उन मरीजों के मामले में लिया जाता है जिनकी हालत बहुत नाजुक होती है.
बेनेट को एक व्यक्ति की हत्या का दोषी पाया गया था. 1988 में उन्होंने एक व्यक्ति पर चाकू से कई बार वार किया था जिसके बाद वह व्यक्ति लकवाग्रस्त हो गया था और 2005 तक व्हीलचेयर पर जीने के बाद उसकी मौत हो गई थी.
चिकीत्सीय विशेषज्ञों का कहना है कि मरीज के अपराधिक इतिहास का उसके इलाज पर कोई असर नहीं होना चाहिए. मोइनुद्दीन ने कहा कि इस अनुभव से डॉक्टरों ने बेशकीमती ज्ञान हासिल किया है. उन्होंने कहा, "हम आशावादी हैं और क्लीनिकल परीक्षणों के जरिए अपना काम जारी रखेंगे.”
वीके/एए (रॉयटर्स, एएफपी)