खिलाड़ियों की क्रोमोसोम जांच को लेकर आमने-सामने वैज्ञानिक
५ नवम्बर २०२४
विशेषज्ञों का कहना है कि खेलों में सेक्स क्रोमोसोम की अनिवार्य जांच को न तो नैतिक रूप से सही ठहराया जा सकता है और न ही यह व्यावहारिक है.
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महिला खेलों में सुरक्षा और निष्पक्षता इस साल के ओलंपिक खेलों में चर्चा का शायद सबसे बड़ा मुद्दा रहा. बॉक्सर ईमान खलीफ और लिन यू टिंग ने महिलाओं के वेल्टरवेट और फेदरवेट वर्ग में गोल्ड मेडल जीते, जिस पर काफी विवाद हुआ. पिछले साल अंतरराष्ट्रीय बॉक्सिंग संघ (आईबीए) ने इन खिलाड़ियों को वर्ल्ड चैंपियनशिप से अयोग्य करार दिया था, लेकिन संस्था ने इसके समर्थन में कोई ठोस सबूत नहीं दिया था.
प्रबंधन में खामियों के चलते अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) ने आईबीए की मान्यता रद्द कर दी थी, जिससे पेरिस में ओलंपिक बॉक्सिंग प्रतियोगिताएं आईओसी के प्रबंधन में हुईं और प्रतिबंध के बावजूद दोनों बॉक्सर हिस्सा ले सकीं.
खेलों के दौरान, वैज्ञानिकों के एक समूह ने स्कैंडिनेवियन जर्नल ऑफ मेडिसिन एंड साइंस इन स्पोर्ट्स में एक संपादकीय में सेक्स क्रोमोसोम परीक्षण का प्रस्ताव दिया. इन वैज्ञानिकों की दलील थी कि महिलाओं के खेलों में चिंताएं बढ़ रही हैं. लेकिन एक अन्य विशेषज्ञ समूह ने अब इस परीक्षण योजना पर सवाल उठाया है.
इस समूह में मैनचेस्टर मेट्रोपॉलिटन यूनिवर्सिटी इंस्टीट्यूट ऑफ स्पोर्ट्स के प्रोफेसर एल्यून विलियम्स भी शामिल हैं. उन्होंने कहा कि ऐसे कोई प्रत्यक्ष सबूत नहीं हैं कि एक्सवाई डीएसडी क्रोमोसोम से प्रभावित एथलीटों को प्रदर्शन में कोई बड़ा फायदा मिलता है. उन्होंने चेताया कि इस तरह की जांच नाबालिगों को भी शामिल करेगी, जो अनुचित है. उन्होंने कहा कि 1999 में जिस कारण से डीएनए परीक्षण बंद किया गया था, वही चिंता आज और बढ़ गई है. खेलों में ट्रांस महिलाओं पर प्रतिबंध का मुद्दा कई साल से चर्चा में है.
अनिवार्य परीक्षण की समस्याएं
स्कैंडिनेवियन जर्नल ऑफ मेडिसिन एंड साइंस इन स्पोर्ट्स (एसजेएमएसएस) के संपादकीय के बारे में उन्होंने लिखा, "यह संपादकीय ऐसा दिखाता है कि परीक्षण सरल है - 'व्यक्तिगत सहमति, गोपनीयता और गरिमा का ध्यान रखना आसान है,' लेकिन ये दावे उन बड़ी समस्याओं को नजरअंदाज करते हैं जो इस प्रकार के परीक्षणों से पैदा होंगी."
ओलंपिक में आज तक सबसे ज्यादा मेडल जीतने वाले खिलाड़ी
आधुनिक ओलंपिक खेलों के 128 साल के इतिहास में अमेरिकी तैराक माइकल फेल्प्स 28 पदकों के साथ सबसे सफल खिलाड़ी रहे हैं. 1896 में शुरू हुए आधुनिक ओलंपिक दौर में और कौन से खिलाड़ी सबसे ज्यादा मेडल जीतने में कामयाब रहे, जानिए.
तस्वीर: Lukas Schulze/dpa/picture alliance
माइकल फेल्प्स: 28 मेडल (अमेरिकी तैराक)
अमेरिकी तैराक माइकल फेल्प्स ओलंपिक के इतिहास में सबसे ज्यादा और बड़े पदक जीते हैं. 23 स्वर्ण, 3 रजत और 2 कांस्य पदक मिलकार कुल 28 मेडल जीतने वाले फेल्प्स ने 2000 से 2016 तक पांच ओलंपिक खेलों में हिस्सा लिया. 2008 के बीजिंग ओलंपिक में उन्होंने 8 स्वर्ण पदक जीतकर किसी भी एक ओलंपिक में किसी खिलाड़ी के सबसे ज्यादा स्वर्ण पदक जीतने का रिकॉर्ड बनाया था.
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लारिसा लातेनीना: 18 मेडल (जिमनास्ट, सोवियत संघ)
लारिसा लातेनीना ने 1956 से 1964 के बीच 3 ओलिंपिक खेलों में हिस्सा लिया और 9 गोल्ड समेत कुल 18 मेडल जीते. उनका यह रिकॉर्ड 2012 तक कायम रहा, जिसे माइकल फेल्प्स ने तोड़ा था. उन्होंने जिमनास्ट की ऑल अराउंड, वॉल्ट और फ्लोर एक्सरसाइज श्रेणी में लगातार पदक हासिल किए और सोवियत टीम को लगातार तीन ओलंपिक खेलों में विजयी बनाया.
ताकत और तकनीकी कौशल के लिए मशहूर निकोलाय आंद्रियानोव 1970 के दशक के सबसे प्रतिभाशाली जिमनास्ट माने जाते हैं. उन्होंने 1972 से 1980 के बीच हुए तीन ओलंपिक्स में 7 स्वर्ण समेत कुल 15 पदक जीते.
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बोरिस शाकलिन: 13 मेडल (जिमनास्ट, सोवियत रूस)
बोरिस शाकलिन 1950-60 के दौर में चर्चित जिमनास्ट थे. उन्होंने तीन ओलंपिक खेलों में हिस्सा लिया और सात स्वर्ण पदकों समेत कुल 13 मेडल जीते. उस दौर में वह होरिजोंटल बार और पोम्मल हॉर्स जैसे इवेंट में वह उम्दा प्रदर्शन कर रहे थे.
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ताकाशी ओनो: 13 मेडल (जापानी जिमनास्ट)
जापानी जिमनास्ट की दुनिया में ताकाशी ओनो का बड़ा योगदान रहा है. उन्होंने 4 ओलंपिक खेलों में हिस्सा लिया और जिमनास्टिक्स की कई ओलंपिक स्पर्धाओं में पांच स्वर्ण समेत कुल 13 मेडल जीते. उनकी जीत ने जापान का नाम खेलों की दुनिया में स्थापित करने में बड़ी भूमिका निभाई.
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एदोआर्दो मांज्यारोत्ती: 13 पदक (तलवारबाज, इटली)
मांज्यारोत्ती, ओलंपिक इतिहास के सबसे सफल तलवारबाजों में से हैं. 1936 से 1960 तक ओलंपिक खेलों में हिस्सा लेने वाले मांज्यारोत्ती ने टीम और व्यक्तिगत स्पर्धा, दोनों में 6 स्वर्ण समेत कुल 13 मेडल जीते. उनकी तकनीकी कुशलता और लंबे समय तक खेलते रहने को काफी सराहना मिलती है.
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शीतकालीन ओलंपिक में सबसे ज्यादा मेडल जीतने वाले
शीतकालीन ओलंपिक खेलों में भी कुछ नाम ऐसे हैं जिन्होंने अपनी स्पर्धाओं में एकतरफा श्रेष्ठता हासिल की है. चूंकि शीत ओलंपिक्स में कम देश और कम खिलाड़ी हिस्सा लेते हैं इसलिए इसकी चर्चा ग्रीष्म ओलंपिक जितनी नहीं होती. अगली स्लाइड में जानिए शीतकालीन ओलंपिक के धुरंधरों के बारे में.
मारित ब्योर्गेन विंटर ओलंपिक्स में 8 गोल्ड समेत कुल 15 मेडल जीतकर पदक विजेताओं की सूची में शीर्ष पर हैं. 2002 से 2028 तक शीतकालीन ओलंपिक खेलों में नॉर्वे का प्रतिनिधित्व करने वाली ब्योर्गेन को दुनिया के सर्वश्रेष्ठ क्रॉस-कंट्री स्की खिलाड़ियों में गिना जाता है.
ओले आइनार ब्योर्नडालने 1994 से 2004 तक कुल 6 शीतकालीन ओलंपिक खेलों में हिस्सा लिया और बायएथलॉन खेल में 8 स्वर्ण समेत कुल 13 पदक जीते. बायएथलॉन खेल में खिलाड़ी स्कीइंग और राइफल शूटिंग करता है. अपने जोरदार प्रदर्शन के लिए ब्योर्नडालन को 'किंग ऑफ बायएथलॉन' भी कहा जाता है.
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ईरीन व्यूस्ट: 13 मेडल (स्पीड स्केटर, नीदरलैंड्स)
ईरीन व्यूस्ट, नीदरलैंड्स की सबसे ज्यादा मेडल जीतने वाली ओलंपियन हैं. 2006 से 2022 तक उन्होंने 6 ओलंपिक खेलों में हिस्सा लिया और 6 गोल्ड, 5 सिल्वर और 2 ब्रॉन्ज मेडल मिलाकर कुल 13 मेडल जीते.
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गिनती में मेडल भले कम, पर धाक पूरी
स्विमिंग और जिमनास्टिक्स जैसे खेलों में स्पर्धाएं ज्यादा होती हैं. ऐसे में जीतने के लिए गोल्ड मेडल भी ज्यादा होते हैं. लेकिन कुछ ऐसे ओलंपियन भी हुए, जिनके जीते पदक संख्या में भले कम हों, लेकिन अपने खेल में उनका पूरा दबदबा रहा. अगली स्लाइड्स में देखिए यूसेन बोल्ट और सरेना विलियम्स जैसे नाम.
तस्वीर: Frank Hoermann/SVEN SIMON/picture alliance
यूसेन बोल्ट: 8 गोल्ड (धावक, जमैका)
जमैका के धावक यूसेन बोल्ट ने ओलंपिक खेलों में वह कर दिखाया जो किसी भी ट्रैक एंड फील्ड एथलीट का सपना होता है. उन्होंने बीजिंग 2008, लंदन 2012 और रियो ओलंपिक 2016 में 100 मीटर, 200 मीटर फर्राटा और 400 मीटर रिले स्पर्धाओं में लगातार गोल्ड मेडल जीते और कुल 9 स्वर्ण पदक जीते. हालांकि टीम इवेंट का एक गोल्ड उनसे छिन गया (2016 में) जब उनकी टीम के एक खिलाड़ी का डोप टेस्ट पॉजिटिव पाया गया.
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पावो नुर्मी: 9 गोल्ड मेडल (लंबी दूरी के धावक, फिनलैंड)
'फ्लाइंग फिन' के नाम से मशहूर फिनलैंड के लंबी दूरी के धावक पावो नुर्मी ने 1920-1928 के बीच तीन ओलंपिक खेलों में 9 स्वर्ण पदक और 3 रजत पदक जीते. उन्होंने अपने दौर में 1500 मीटर से 10,000 मीटर की दूरी के बीच के 22 विश्व रिकॉर्ड बनाए. वह स्टॉपवॉच का इस्तेमाल कर अपने खेल को निखारने वाले शुरुआती खिलाड़ियों में से थे.
तस्वीर: TT/IMAGO
कार्ल लुइस: 9 गोल्ड (धावक और लॉन्ग जंप खिलाड़ी, अमेरिका)
अमेरिका के महानतम ट्रैक एंड फील्ड एथलीट माने जाने वाले कार्ल लुइस ने अपने करियर में 1984 से 1996 तक कुल 4 ओलंपिक खेलों में हिस्सा लिया और 9 गोल्ड मेडल समेत कुल 10 पदक जीते. उन्होंने स्प्रिंट के साथ-साथ लॉन्ग जंप में भी लगातार गोल्ड मेडल जीते. उन्हें ट्रैक एंड फील्ड स्पर्धाओं के सबसे संपूर्ण खिलाड़ियों में गिना जाता है.
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सरेना विलियम्स: 4 गोल्ड (टेनिस खिलाड़ी, अमेरिका)
टेनिस की महानतम खिलाड़ियों में शुमार अमेरिका की सरेना विलियम्स ने ओलंपिक के टेनिस मुकाबलों में 4 स्वर्ण पदक हासिल किए हैं. इनमें से 3 स्वर्ण उन्होंने अपनी बहन वीनस विलियम्स के साथ डबल्स स्पर्धा में जीते हैं. सर्वाधिक महिला ग्रैंड स्लैम जीतने का रिकॉर्ड भी सरेना के नाम है.
तस्वीर: Getty Images/AFP/L. Acosta
सिमोन बाइल्स: 7 मेडल (जिमनास्ट, संयुक्त राज्य अमेरिका)
अमेरिकी सनसनी सिमोन बाइल्स मौजूदा दौर की सबसे बेहतरीन जिमनास्ट खिलाड़ी मानी जाती हैं. वह पेरिस ओलंपिक में भी हिस्सा ले रही हैं. पेरिस से पहले वह रियो और टोक्यो ओलंपिक में 4 स्वर्ण समेत कुल 7 मेडल जीत चुकी हैं.
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समूह ने कहा कि अनिवार्य परीक्षण के तहत, युवा एथलीटों को "वास्तविक विकल्प" नहीं मिलेगा और कुछ को अनचाहे तौर पर महिला रोग विशेषज्ञों द्वारा जांच का सामना करना पड़ सकता है. उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि इस तरह के परीक्षण कार्यक्रम के लिए जरूरी "सलाहकार विशेषज्ञों की विश्वव्यापी टीम" का खर्च कौन उठाएगा.
उन्होंने सवाल उठाया कि "जिन एथलीटों को क्लिनिकल जांच और जीनोम अनुक्रमण का सामना करना पड़ेगा, उनकी व्यक्तिगत पहचान और आत्मसम्मान की हानि और उनके परिवारों में पैदा होने वाली चिंता को कैसे कम किया जाएगा?"
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आमने-सामने वैज्ञानिक
नया संपादकीय निष्कर्ष देता है, "उचित नियमों को विकसित करने के लिए व्यापक चर्चा की आवश्यकता है. हालांकि, सभी युवा महिलाओं और लड़कियों का अनिवार्य परीक्षण वैज्ञानिक प्रमाणों द्वारा समर्थित नहीं है, यह नैतिक रूप से उचित नहीं है, और व्यावहारिक रूप से भी संभव नहीं है."
विलियम्स समूह के संपादकीय के जवाब में एसजेएमएसएस में एक प्रतिक्रिया भी प्रकाशित की गई. प्रतिक्रिया में कहा गया कि विलियम्स समूह ने एक्सवाई डीएसडी एथलीटों पर "कोई लाभ का अनुमान नहीं" सिद्धांत अपनाया है, यानी उनका आधार यह है कि क्रोमोसोम प्रभावित एथलीटों को कोई फायदा होने का सबूत नहीं है.
वे तर्क देते हैं कि ऐसे एथलीट, जिनके पास एक्सवाई डीएसडी है, उनके शरीर में टेस्टोस्टेरोन का स्तर पुरुष श्रेणी का होता है, जो उन्हें प्रदर्शन में लाभ देता है. उन्होंने यह भी खारिज किया कि इस तरह के परीक्षण नाबालिगों पर लागू होंगे.
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उनकी प्रतिक्रिया का निष्कर्ष था: "हम मानते हैं कि व्यापक परीक्षण प्रक्रिया वैज्ञानिक रूप से उचित, नैतिक रूप से न्यायसंगत और व्यावहारिक रूप से संभव है."
मुक्केबाजों की मुश्किल
ओलंपिक खेलों के दौरान ऑनलाइन दुर्व्यवहार और उत्पीड़न का सामना करने पर ईमान खलीफ ने फ्रांसीसी अधिकारियों से शिकायत की थी. अल्जीरिया की इस महिला मुक्केबाज को अपने लिंग की वजह से दुर्व्यवहार झेलना पड़ा था. जब खलीफ अपना पहला मुकाबला खेलने उतरीं तो उनकी प्रतिद्वन्द्वी इटली की एंजेला कारीनी ने मैच शुरू होने के 46 सेकेंड के भीतर ही मुकाबला छोड़ने का फैसला ले लिया. उनका कहना था कि वो जान बचाकर इस मुकाबले से बाहर आई थीं. ईमान खलीफ गोल्ड मेडल जीतकर घर लौटीं.
जन्म के समय 25 साल की ईमान खलीफ का रजिस्ट्रेशन एक महिला के तौर पर हुआ है और उनके पासपोर्ट में भी उन्हें महिला के तौर पर पहचान मिली है. अपने करियर में अब तक कुल 51 मुकाबले खेल चुकीं खलीफ को 42 मुकाबलों में जीत हासिल हुई और 9 मुकाबलों में हार का सामना करना पड़ा है.
2020 के टोक्यो ओलंपिक में वह मेडल नहीं जीत पाई थीं. 2022 में विश्व चैंपियनशिप और अफ्रीकन चैंपियनशिप में उन्होंने पदक हासिल किए. 2023 में अरब गेम्स और अफ्रीकन ओलंपिक में भी उन्होंने जीत हासिल की थी.
इसी तरह ताइवानी मुक्केबाज लिन यू टिंग का प्रदर्शन भी विवादों में घिरा रहा. पेरिस ओलंपिक में उन्होंने महिलाओं की फेदरवेट कैटेगरी में गोल्ड मेडल जीता. उनकी ताकतवर और रणनीतिक मुक्केबाजी ने उन्हें खूब प्रशंसा दिलाई और उन्हें दुनिया की शीर्ष महिला बॉक्सर्स में शामिल कर दिया. लेकिन ओलंपिक से पहले ही उन्हें जेंडर एलिजिबिलिटी को लेकर जांच का सामना करना पड़ा था.