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धार्मिक या धर्म के रक्षक नेता पसंद कर रहे हैं लोगः सर्वे

विवेक कुमार
३० अगस्त २०२४

क्या एक नेता को धार्मिक होना चाहिए और धार्मिक विश्वास उसके लिए अहम होने चाहिए? प्यू रिसर्च सेंटर के एक सर्वे में इस सवाल के दिलचस्प जवाब मिले हैं.

अयोध्या में नरेंद्र मोदी के पुतले के साथ समर्थक
किसी नेता को अपने धर्म के रक्षक के रूप में देखना चाहते हैं लोगतस्वीर: Ab Rauoof Ganie/DW

जनवरी में जब अयोध्या के राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा हुई तो कई लोगों ने इस बात की आलोचना की कि एक लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष देश का नेता होने के नाते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपने हाथ से प्राण प्रतिष्ठा नहीं करनी चाहिए थी. उनका कहना था कि नरेंद्र मोदी किसी एक धर्म के नहीं बल्कि पूरे भारत के प्रधानमंत्री हैं. लेकिन अमेरिकी संस्था प्यू रिसर्च का ताजा सर्वे दिखाता है कि भारत में ही नहीं, बल्कि दुनियाभर में लोग ऐसे नेताओं को पसंद कर रहे हैं, जो खुद धार्मिक हैं या धर्म के समर्थन में खड़े होते हैं.

प्यू रिसर्च सेंटर के एक सर्वेक्षण ने यह दिखाया है कि विभिन्न देशों के लोग अपने नेताओं के धार्मिक गुणों के बारे में क्या सोचते हैं. यह सर्वेक्षण जनवरी से मई 2024 के बीच 35 देशों में 53,000 से अधिक लोगों के बीच किया गया.

सर्वेक्षण में जो बात उभरकर सामने आती है कि पूरी दुनिया में लोग ऐसे नेताओं को पसंद कर रहे हैं जो धार्मिक विश्वासों के लिए खड़े होते हैं, भले ही उनके अपने धार्मिक विश्वास मजबूत ना हों. ऐसा उन देशों में ज्यादा देखा गया है जहां धर्म का जनसंख्या पर गहरा प्रभाव है.

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उदाहरण के लिए, इंडोनेशिया में, 94 प्रतिशत वयस्कों के लिए धर्म उनके जीवन में बहुत महत्वपूर्ण है और 86 फीसदी इंडोनेशियाई लोगों का मानना है कि उनके राष्ट्रपति के पास मजबूत धार्मिक विश्वास होना चाहिए.

भारत में भी 81 फीसदी वयस्कों का मानना है कि उनके नेता का उनके धार्मिक विश्वासों से मेल खाना महत्वपूर्ण है. प्यू रिपोर्ट कहती है कि यह आंकड़ा इस बात पर जोर देता है कि सामाजिक सामंजस्य और राजनीतिक स्थिरता बनाए रखने के लिए नेताओं और जनसंख्या के बीच धार्मिक मेल महत्वपूर्ण हो गया है.

समान धार्मिक विश्वासों के लिए खड़े होने वाले नेताओं पर जोर केवल भारत और इंडोनेशिया तक ही सीमित नहीं है. बांग्लादेश और फिलीपींस में भी, लगभग 90 फीसदी वयस्क इस विचार का समर्थन करते हैं. इन देशों में, जहां जनसंख्या बहुत अधिक धार्मिक है, नेता को धार्मिक मूल्यों का रक्षक माना जाता है, भले ही उनके व्यक्तिगत विश्वास उनके मतदाताओं से अलग क्यों न हों.

नेतृत्व में मजबूत धार्मिक विश्वास

जहां कई लोग अपने धार्मिक विश्वासों के लिए खड़े होने वाले नेताओं को महत्व देते हैं, वहीं बहुत से लोग यह भी चाहते हैं कि नेताओं के पास मजबूत धार्मिक विश्वास होना चाहिए, भले ही वे जनसंख्या के विश्वासों से मेल न खाते हों.

यह दृष्टिकोण विशेष रूप से इंडोनेशिया और फिलीपींस में प्रचलित है, जहां 86 फीसदी कहते हैं कि उनके नेता को धार्मिक होना चाहिए. इसी तरह, सर्वेक्षण किए गए सभी चार अफ्रीकी देशों - घाना, केन्या, नाइजीरिया और दक्षिण अफ्रीका में 70 फीसदी या उससे ज्यादा उत्तरदाताओं का मानना है कि नेतृत्व में मजबूत धार्मिक विश्वास महत्वपूर्ण है.

हालांकि, नेतृत्व में मजबूत धार्मिक विश्वास का महत्व हर जगह एक सा नहीं है. उदाहरण के लिए, स्वीडन में केवल 6 फीसदी वयस्कों का मानना है कि उनके प्रधानमंत्री के पास मजबूत धार्मिक विश्वास होना चाहिए.

अपने धर्म का नेता

जब नेताओं के अपने मतदाताओं के धार्मिक विश्वासों के समान होने की बात आती है, तो सर्वेक्षण एक अधिक जटिल तस्वीर पेश करता है. भारत में, 81 फीसदी वयस्कों का मानना है कि उनका नेता उन्हीं के धर्म का होना चाहिए. इसी तरह बांग्लादेश में हर दस में से नौ लोग ऐसा मानते हैं.

इसके उलट, सिंगापुर में यह नजरिया कम आम है, जहां केवल 36 प्रतिशत वयस्क मानते हैं कि उनके प्रधानमंत्री को उन्हीं के धर्म का होना चाहिए. स्वीडन में तो केवल 12 प्रतिशत वयस्क ऐसी सोच रखते हैं.

सर्वेक्षण यह भी दिखाता है कि जो लोग अपने जीवन में धर्म को बहुत महत्वपूर्ण मानते हैं, वे अपने नेताओं में धार्मिक मूल्यों को अधिक महत्व देते हैं. उदाहरण के लिए, तुर्की में अत्यधिक धार्मिक लोगों में से 86 फीसदी वयस्क मानते हैं कि उनके राष्ट्रपति को उनके धार्मिक विश्वासों के लिए खड़ा होना चाहिए. इसकी तुलना में, उन तुर्कों के बीच यह आंकड़ा सिर्फ 45 फीसदी है जिनके लिए धर्म कम महत्वपूर्ण है.

इसी तरह, भारत में जहां धर्म बड़े पैमाने पर लोगों के जीवन में केंद्रीय भूमिका निभाता है, अधिकांश उत्तरदाताओं ने ऐसे नेताओं के प्रति मजबूत प्राथमिकता व्यक्त की जो उनके धार्मिक विश्वासों के साथ मेल खाते हैं. यह प्रवृत्ति अन्य अत्यधिक धार्मिक जनसंख्या में भी देखी गई है.

धार्मिक पहचान भी नेताओं के धार्मिक गुणों के बारे में राय को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. भारत में अधिकतर और बांग्लादेश 99 फीसदी हिंदू मानते हैं कि धार्मिक नेतृत्व के सभी तीन मापदंड - दूसरों के विश्वासों के लिए खड़े होना, मजबूत धार्मिक विश्वास रखना और समान धार्मिक विश्वास साझा करना - महत्वपूर्ण हैं.

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इसके उलट, सर्वेक्षण में पाया गया कि जापान और श्रीलंका जैसे देशों के बौद्धों के बीच, उनके नेताओं में इन धार्मिक गुणों पर कम जोर दिया गया. उदाहरण के लिए, केवल 32 फीसदी जापानी बौद्धों का मानना है कि उनके प्रधानमंत्री को उनके धार्मिक विश्वासों के लिए खड़ा होना चाहिए, जबकि 70 प्रतिशत थाई बौद्ध इस दृष्टिकोण का समर्थन करते हैं.

मुसलमानों में भी आमतौर पर अपने नेताओं में धार्मिक गुणों को प्राथमिकता दी जाती है, हालांकि कुछ महत्वपूर्ण अपवाद हैं. उदाहरण के लिए, केवल 30 फीसदी इस्राएली मुसलमान मानते हैं कि उनके प्रधानमंत्री के पास मजबूत धार्मिक विश्वास होना चाहिए, भले ही वह उनके अपने धर्म से अलग हो.

शिक्षा, विचारधारा और उम्र का असर

सर्वेक्षण में शिक्षा, विचारधारा और उम्र के आधार पर भी मतभेदों को उजागर किया गया. कई देशों में उच्च शिक्षा स्तर वाले वयस्क अपने नेताओं के धार्मिक गुणों को कम प्राथमिकता देते हैं. उदाहरण के लिए, ग्रीस में कम से कम माध्यमिक शिक्षा प्राप्त करने वाले 38 फीसदी वयस्क मानते हैं कि उनके प्रधानमंत्री को उनके धार्मिक विश्वासों के लिए खड़ा होना चाहिए, जबकि कम शिक्षित लोगों में इसका प्रतिशत 49 है.

विचारधारात्मक रूप से दक्षिणपंथी पक्ष वाले लोग अकसर वामपंथियों या मध्यमार्गी लोगों की तुलना में नेतृत्व में धार्मिक मेल को अधिक महत्वपूर्ण मानते हैं. उदाहरण के लिए, तुर्की में 92 फीसदी दक्षिणपंथियों ने कहा कि उनके नेता का उनके धार्मिक विश्वासों से मेल खाना महत्वपूर्ण है, जबकि वामपंथियों या उदारपंथियों में 46 फीसदी लोग ही ऐसा मानते हैं.

सर्वेक्षण में धार्मिक नेतृत्व के प्रति दृष्टिकोण में पीढ़ी का असर भी दिखता है. मसलन, लैटिन अमेरिका में युवा वयस्कों की तुलना में प्रौढ़ वयस्क धार्मिक गुणों को अपने नेताओं में प्राथमिकता देने की अधिक संभावना रखते हैं. चिली में, 40 साल से कम उम्र के 42 फीसदी वयस्क मानते हैं कि उनके राष्ट्रपति को उनके धार्मिक विश्वासों के लिए खड़ा होना चाहिए, जबकि 40 से ऊपर के लोगों में यह आंकड़ा 54 प्रतिशत है.

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