कैदियों के लिए रिहाई के बाद तकनीक बदल देती है दुनिया
विवेक कुमार
२२ अप्रैल २०२४
कैदी जब जेल से बाहर आते हैं तो दुनिया उन्हें अजनबी लगती है. इसका एक बड़ा कारण तकनीकी विकास भी है जो इतनी तेजी से हो रहा है कि वे छूटने के बाद अलग-थलग पड़ जाते हैं.
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10 साल पहले, यानी 2014 में दुनिया कितनी अलग थी इसका अंदाजा स्मार्ट फोन के विकास को देखकर लगाया जा सकता है. फेसबुक ज्यादातर डेस्कटॉप पर देखा जाता था ना कि फोन पर. वॉट्सऐप मेसेजिंग का सबसे बड़ा जरिया था उसके बहुत कम विकल्प उपलब्ध थे. विकसित देशों में भी बसों में किराया देने के लिए कार्ड या कैश का इस्तेमाल होता था. अब ये सारे काम ऐप से हो रहे हैं और ऐसे दर्जनों ऐप हर फोन में मौजूद हैं.
सोचिए, 2014 में अगर किसी ने स्मार्ट फोन का इस्तेमाल बंद कर दिया हो, और अब उसे स्मार्ट फोन दिया जाए तो उसके लिए दुनिया के साथ तालमेल बनाने का अनुभव कैसा होगा. ऑस्ट्रेलिया के कुछ शोधकर्ताओं ने इसी मुद्दे को गहराई से समझने के लिए कैदियों पर शोध किया है.
किस देश में हैं सबसे ज्यादा कैदी
स्टैटिस्टा रिसर्च के जनवरी 2024 तक के आंकड़े बताते हैं कि अमेरिका की जेलों में दुनिया में सबसे ज्यादा, 18 लाख, लोग बंद हैं. लेकिन प्रति लाख कैदियों का हिसाब लगाया जाए तो कई देश अमेरिका से ऊपर हैं.
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अल सल्वाडोर सबसे ऊपर
दक्षिण अमेरिकी देश अल सल्वाडोर कैदियों की संख्या के मामले में सबसे ऊपर है. वहां हर एक लाख लोगों पर 1,086 कैदी हैं.
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क्यूबा
कम्यूनिस्ट देश क्यूबा सूची में दूसरे नंबर पर है, जहां हर एक लाख लोगों पर 794 कैदी हैं.
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रवांडा
अफ्रीकी देश रवांडा में हर एक लाख लोगों पर 637 कैदी हैं और सबसे ज्यादा कैदियों वाले देशों में यह तीसरे नंबर पर है.
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तुर्कमेनिस्तान
चौथे नंबर पर एशियाई देश तुर्कमेनिस्तान है जहां प्रति लाख 576 कैदी हैं.
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अमेरिकिन समोआ
पांचवें नंबर पर अमेरिकन समोआ है जहां हर एक लाख लोगों पर 538 लोग जेलों में बंद हैं.
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अमेरिका
सबसे ज्यादा कैदियों वाले देश अमेरिका में प्रति लाख 531 लोग जेलों में हैं. 2023 के आखिर तक अमेरिका में 18 लाख लोग जेलों में बंद थे.
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बड़े देश
बड़े देशों में तुर्की, ब्राजील और रूस प्रमुख हैं. सूची में तुर्की (400)13वें नंबर पर है. ब्राजील (390) 14वें नंबर पर है और रूस (300) 28वें नंबर पर है.
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ऑस्ट्रेलिया के न्यू साउथ वेल्स विश्वविद्यालय की ये इन वांग एक रिसर्च एसोसिएट हैं. उन्होंने और उनकी टीम ने कैदियों पर तकनीक से दूर रहने के असर पर शोध किया है. वह कहती हैं, "डिजिटल इन्क्लूजन यानी किसी व्यक्ति की तकनीक के साथ कदम से कदम मिलाने की क्षमता स्वास्थ्य और सामाजिक समानता का एक बहुत महत्वपूर्ण मुद्दा है, जो कोविड महामारी के बाद हुए तेज तकनीकी विकास के कारण और ज्यादा अहम हो गया है.”
जो लोग इस तकनीकी विकास के साथ नहीं चल पाए हैं, उनमें एक बड़ा समूह कैदियों का है. वे किसी एक समय पर जेल गए और उसके साथ ही स्मार्ट फोन से उनका नाता कट गया. उसके बाद जब वे रिहा होकर समाज में लौटते हैं तो तकनीक इतनी आगे जा चुकी होती है कि शोधकर्ताओं के मुताबिक वे अलग-थलग पड़ जाते हैं.
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अजनबी हो जाती है दुनिया
अपने शोध के लिए इन शोधकर्ताओं ने 15 कैदियों के साक्षात्कार किए और जेल से लौटने के बाद तकनीक के साथ उनके अनुभवों का विश्लेषण किया. अपने शोध में ये इन वांग लिखती हैं कि अनजान तकनीक इन लोगों के आत्मविश्वास को नुकसान पहुंचाती है.
ये इन कहती हैं, "दुनियाभर में कैदियों की आबादी बूढ़ी हो रही है. इसके पीछे कई कारण हैं, मसलन आमतौर पर दुनिया की आबादी की औसत उम्र बढ़ रही है. इसके अलावा लोग ज्यादा उम्र में जेल जा रहे हैं या फिर ज्यादा समय तक जेल में रह रहे हैं."
ऑस्ट्रेलिया समेत दुनिया के अधिकतर देशों में सुरक्षा कारणों से जेल और कैदी तकनीक के लिहाज से बड़ी पाबंदियों में रहते हैं. इन शोधकर्ताओं ने 47 से 69 साल के 15 ऑस्ट्रेलियाई लोगों से बात की. इनमें से अधिकतर पुरुष थे. इन कैदियों ने बताया कि जब वे बाहर आए तो उन्होंने एक अजनबी दुनिया पाई, जहां जिंदा रहने के लिए हर कोई तकनीक पर निर्भर था.
किताबें पढ़कर इस देश में सजा कम करा सकते हैं कैदी
बोलीविया की भीड़भाड़ वाली जेलों में कैदी अब किताबें पढ़कर अपनी सजा कम करा सकते हैं. यह कार्यक्रम ब्राजील में चलाए गए ऐसे ही एक कार्यक्रम से प्रभावित है. कार्यक्रम का एक और उद्देश्य साक्षरता बढ़ाना भी है.
तस्वीर: Claudia Morales/REUTERS
ब्राजील से सीख
दक्षिण अमेरिकी देश ब्राजील में मुकदमे की लंबी अवधि के कारण कई कैदियों को दशकों तक जेल में ही अपना जीवन बिताना पड़ता है. देश की एक जेल ने उनके कारावास को 'सार्थक' बनाने के लिए किताबें पढ़ने की व्यवस्था की.
तस्वीर: Felipe Dana/AP Photo/picture-alliance
"सलाखों के पीछे किताबें"
बोलीविया सरकार का कार्यक्रम "बुक्स बिहाइंड बार्स" कैदियों को उनकी रिहाई की तारीख से कुछ दिन या सप्ताह पहले जेल से बाहर निकलने का मौका देता है. बोलीविया में आजीवन कारावास या मृत्युदंड नहीं है, लेकिन धीमी न्यायिक प्रणाली के कारण सुनवाई कई सालों तक चलती है.
तस्वीर: Claudia Morales/REUTERS
कार्यक्रम से आकर्षित हुए कैदी
बोलीविया के लोकपाल कार्यालय का कहना है कि यह कार्यक्रम 47 जेलों में शुरू किया गया है. ये जेल वैसे हैं जिनके पास कैदियों के लिए शिक्षा या सामाजिक सहायता कार्यक्रमों के लिए भुगतान करने के लिए संसाधन नहीं हैं. अब तक 865 कैदी पढ़ने और लिखने की अपनी आदत में सुधार ला चुके हैं.
तस्वीर: Claudia Morales/REUTERS
पढ़ने का इनाम
उन कैदियों में से एक जैकलीन ने इस कार्यक्रम के तहत एक साल के भीतर आठ किताबें पढ़ ली. उन्होंने पढ़ाई की चार परीक्षा भी पास कर ली. जैकलीन कहती हैं, "हमारे जैसे लोगों के लिए यह वास्तव में बहुत मुश्किल है जिनके पास कोई आय नहीं है और जिनका बाहर परिवार नहीं है."
तस्वीर: Claudia Morales/REUTERS
नई जिंदगी
लोकपाल कार्यालय की नादिया क्रूज कहती हैं इस कार्यक्रम का मकसद सुनवाई का इंतजार कर रहे कैदियों को पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करना है. क्रूज कहती हैं, "यह महत्वपूर्ण है क्योंकि सजा में जो कटौती की जाती वह अपेक्षाकृत कम होती है (कुछ घंटे या दिन). यह इस बात पर निर्भर करता है कि बोर्ड क्या फैसला करता है."
तस्वीर: Claudia Morales/REUTERS
भीड़ है जेलों की समस्या
मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि देश की जेलों में संख्या से अधिक कैदी बंद हैं और कई बार कैदी स्वच्छता की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन भी करते हैं. इन सब मुश्किलों के बीच पढ़ना लिखना कैदियों के लिए जेल से बाहर निकलने का आसान रास्ता हो सकता है.
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शोध के मुताबिक एक कैदी ने बताया, "जिस व्यक्ति ने जेल में पांच से सात साल भी बिताए हैं, उसके लिए भी बहुत बड़ा फर्क आ जाता है. चीजें इतनी तेजी से बदल रही हैं कि उन्हें पता ही नहीं होता कि दुनिया कैसी दिखने लगी है."
तकनीक, एक और बाधा
ये इन वांग कहती हैं कि इस बदलाव ने लोगों के आत्मविश्वास को गहराई तक प्रभावित किया और जेल से लौटने से जुड़ी यातना और गहरी हो गई.
शोध के मुताबिक इन कैदियों ने कहा, "आप समाज का हिस्सा बनना चाहते हैं या फिर आप अदृश्य हो जाना चाहते हैं. चाहे भीड़ का हिस्सा बन जाओ या किसी को नजर ना आओ. क्योंकि जेल से छूटने के बाद भी लोगों के कंधों पर उनके अपराधों का बोझ होता है. और अगर किसी भी वजह से वे अलग नजर आएं तो लोगों की फिक्र बढ़ जाती है.”
ये इन वांग कहती हैं कि जेल से छूटने के बाद समाज में दोबारा शामिल होना अपने आप में चुनौतीपूर्ण है. फिर से अपराध की दुनिया में चले जाना, छूटे कैदियों की मृत्युदर, सामाजिक निष्कासन, बेरोजगारी और बेघर होने के तमाम चिंताजनक सबूत उपलब्ध हैं. ऐसे में डिजिटल एक्सक्लूजन उम्रदराज लोगों के लिए एक नई बाधा पैदा करता है.
ऐसा नहीं है कि जेलों में किसी तरह की तकनीक उपलब्ध नहीं है लेकिन कैदी बताते हैं कि वहां जो चीजें उपलब्ध हैं वे पुरानी पड़ चुकी हैं और उनका इस्तेमाल बहुत ही साधारण कामों के लिए किया जाता है.
जेल से कैसे भागा ड्रग्स की दुनिया का "बेताज बादशाह"
कभी ड्रग्स की दुनिया पर राज करने वाले "एल चापो" के घर को मेक्सिको की सरकार लॉटरी में दे रही है. देखिए इस मशहूर ड्रग्स व्यापारी के जेल से फरार होने की ये अनूठी तस्वीरें.
तस्वीर: Adriana Gomez/AP/picture alliance
जेल से फरार
वोकिम गुजमान लोएरा को उसके छोटे कद की वजह से "अल चापो" (छोटू) के नाम से जाना जाता है. वो कुख्यात सिनालोआ ड्रग्स कार्टेल का नेता था और उसे पहली बार ग्वातेमाला में 1993 में गिरफ्तार किया गया था. वहां से प्रत्यर्पण कर उसे मेक्सिको भेज दिया गया, जहां उसे ड्रग्स की तस्करी और हत्या के लिए 20 साल जेल की सजा सुनाई गई. लेकिन जनवरी 2001 में वो मेक्सिको की अधिकतम सुरक्षा वाली जेल से भाग निकला.
तस्वीर: AFP
आजादी का रास्ता
उसके बाद "अल चापो" 2014 तक फरार ही रहा. दुनिया के सबसे वांछित ड्रग्स व्यापारी को अंत में मेक्सिको के शहर मजात्लान में 2014 में गिरफ्तार किया गया, लेकिन 2015 में वो फिर भाग निकला. इस बार उसने भागने के लिए अल्तीप्लानो जेल के स्नान घर के नीचे खोदी गई एक सुरंग का इस्तेमाल किया. कैमरा फुटेज में वो नहाने के लिए अंदर जाता हुआ दिखाई दिया, लेकिन फिर बाहर नहीं आया.
तस्वीर: YURI CORTEZ AFP via Getty Images
एक विस्तृत योजना
स्नान घर के नीचे लगभग 1.5 किलोमीटर लंबी सुरंग खोदी गई थी जिसके अंत में विशेष रूप से बिछाई गई पटरियों पर एक मोटरसाइकिल को फिट किया गया था. मोटरसाइकिल के आगे लोहे के दो ठेले लगाए गए थे. सिनालोआ कार्टेल पहले ही ड्रग्स को भेजने के लिए जमीन के नीचे निर्माण की कला में निपुण हो चुका था. इस तरह की सुरंगें बनाने में महीनों का समय और लाखों रुपए लगते हैं.
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निकलने का रास्ता
"अल चापो" इसी चोर दरवाजे से बाहर निकला जिसे एक आधे बने घर के अंदर छुपा दिया गया था. हालांकि उसकी आजादी क्षणभंगुर ही रही. वो एक तरह से अपने ही किंवदंतियों का शिकार हो गया.
तस्वीर: YURI CORTEZ AFP via Getty Images
फिर से गिरफ्तार
"अल चापो" को सिर्फ छह महीनों बाद ही सिनालोआ में ही उसके अंगरक्षकों और सेना के कमांडो दल के बीच हुई गोलीबारी के बाद गिरफ्तार कर लिया गया. हॉलीवुड अभिनेता शॉन पेन को एक इंटरव्यू दे कर संभव है उन्होंने अपने पतन में खुद ही योगदान दे दिया. मेक्सिको के विदेश मंत्रालय ने मई 2016 में उसे प्रत्यर्पण कर अमेरिका भेजने की अनुमति दे दी.
तस्वीर: Jose Mendez/dpa/picture alliance
अमेरिका में सजा
अमेरिका में एक लंबी सुनवाई की बाद फरवरी 2019 में उसे हत्या, ड्रग्स की तस्करी, धन शोधन के षड़यंत्र में शामिल होने समेत सभी आरोपों का दोषी पाया गया. उसे बिना पैरोल की संभावना के आजीवन कारावास और उसके ऊपर से 30 साल और कारावास की सजा सुनाई गई.
तस्वीर: TIMOTHY A. CLARY AFP via Getty Images
लोकप्रियता
धीरे धीरे ड्रग्स की दुनिया के इस कुख्यात बादशाह के नाम और जीवन के इर्द गिर्द एक "कल्ट" बन गया है. मेक्सिको के कार्टेल सरगनाओं के जीवन का जश्न मनाने वाली संगीत की एक उप विधा ही बन चुकी है. "अल चापो" को भी दर्जनों गीत समर्थित किए गए हैं, जिन्हें "नार्कोकोर्रिदोस" कहा जाता है. आप अल चापो टी-शर्ट और टोपियां भी खरीद सकते हैं.
तस्वीर: ULISES RUIZ AFP via Getty Images
कोड 701
2009 में फोर्ब्स पत्रिका ने "अल चापो" को दुनिया में सबसे अमीर लोगों की सूची में 701वां स्थान दिया. पत्रिका ने अनुमान लगाया कि उस समय उसकी संपत्ति एक अरब डॉलर थी. इसलिए उस से जुड़ी कई तरह की चीजों पर उसके प्रशंसकों ने 701 अंक लिखवा रखा है.
तस्वीर: ULISES RUIZ AFP via Getty Images
गुनाह हुए नजरअंदाज
आप "अल चापो" ब्रांडिंग की टेकीला बोतलें या मास्क भी खरीद सकते हैं. बहुत कम ही लोग इस बात से चिंतित लगते हैं कि वोकिम गुजमान एक खूनी ड्रग्स युद्ध के लिए जिम्मेदार था, जिसमें 2006 के बाद से 1,50,000 से भी ज्यादा लोग मारे गए. एक ब्रांड लाइन का पंजीकरण तो उसकी बेटी ने ही कराया हुआ है.
तस्वीर: ULISES RUIZ AFP via Getty Images
जीत सकते हैं उसका "सेफ हाउस"
कभी "अल चापो" द्वारा इस्तेमाल किया जाने वाले एक "सेफ हाउस" को राज्य सरकार की एक लॉटरी में दिया जा रहा है. दो कमरे और गहरे पीले रंग की टाइलों की रसोई वाले इस घर में कुछ भी असाधारण नहीं है, सिवाय नहाने के एक टब के. इसे उठाया जा सकता है और इसके नीचे सुरंगों की एक जाल में प्रवेश करने का रास्ता छुपा हुआ है. (क्लॉडिया डेन)
तस्वीर: Adriana Gomez/AP/picture alliance
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हाल ही में ऑस्ट्रेलिया के न्यू साउथ वेल्स राज्य में टच-स्क्रीन वाली डिवाइस लगाने का फैसला किया गया है लेकिन बहुत से कैदियों के लिए इन्हें इस्तेमाल करना आसान नहीं होता.
शोधकर्ता कहते हैं कि इस दिशा में निवेश किए जाने की जरूरत है. ये इन वांग लिखती हैं, "डिजिटल साक्षरता या आबादी के इस हिस्से को जेल की बाहर की जिंदगी के लिए तैयार करने के लिए तकनीकी शिक्षा उपलब्ध कराने में निवेश किया जाना चाहिए.”
वह कहती हैं कि उपलब्ध सबूतों के आधार पर इस निवेश से निश्चित तौर पर 95 फीसदी कैदियों को फायदा होगा.