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चिलीः संविधान बनाने की कमान आदिवासी महिला के हाथ

५ जुलाई २०२१

चिली में नया संविधान बनाने के लिए गठित संविधान सभा नेतृत्व करने के लिए एक आदिवासी महिला को चुना गया है. सबसे बड़े आदिवासी समुदाय मापुशे से जुड़ीं एलिसा लोंकन संविधान सभा की अध्यक्ष होंगी.

तस्वीर: Javier Torres/AFP/Getty Images

पिछले महीने चुने गए संविधान सभा के सदस्यों ने रविवार को 58 वर्षीय एलिसा लोंकन को चुना, जो मापुशे समुदाय से आती हैं. मापुशे समुदाय को फिलहाल देश की मौजूदा नियम पुस्तिका में मान्यता तक हासिल नहीं है.

एलिनास लोंकन किसी राजनीतिक दल की सदस्य नहीं हैं. वह सैनटिआगो यूनिवर्सिटी में एक प्रोफेसर हैं और मापुशे समुदाय के लोगों के अधिकारों के लिए काम करती हैं. 155 सदस्यों वाली संविधान सभा में उन्हें 96 लोगों के मत मिले. इस सभा में 17 सदस्य आदिवासी समुदाय के हैं.

लोंकोन ने इस पद को स्वीकार करते हुए कहा,”उत्तर से लेकर पैटागोनिया तक, पहाड़ों से लेकर समुद्र तक, द्वीपों तक और जो भी हमें आज देख रहे हैं, मैं चिली के उन लोगों को सलाम करती हूं. विभिन्न गठबंधनों ने मुझे जो समर्थन दिया है, और अपने सपनों को पूरा करने का जो भरोसा मापुशे राष्ट्र पर सौंपा है, जिन्होंने एक मापुशे को वोट किया, एक महिला को देश का इतिहास बदलने के लिए वोट दिया, मैं उनकी आभारी हूं.”

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हालांकि यह चुनाव इतना सुगम नहीं रहा. संविधान काउंसिल के सदस्यों के शपथ ग्रहण के वक्त वहां अंदर और बाहर विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए थे, जिस कारण शपथ ग्रहण को रोकना भी पड़ा. समस्या तब हुई जब काउंसिल में अपने सदस्यों के समर्थन में मार्च कर रहे लोगों की पुलिस से झड़पें हो गईं.

बड़े बदलावों पर नजर

काउंसिल में ज्यादातर सदस्य निर्दलीय और वामपंथी दलों के हैं. रूढ़िवादी और दक्षिणंपथी दलों को बहुत कम सीटें मिली हैं. कई लोगों ने आशंका जताई है कि संविधान में बड़े बदलाव दक्षिण अमेरिका में चिली एक स्थिर लोकतांत्रिक और धनी देश के दर्जे के लिए खतरनाक हो सकते हैं. जिन बदलावों को लेकर ज्यादा चर्चा है उनमें जमीन और पानी पर निजी अधिकार और रोजगार कानूनों में फेरबदल शामिल हैं.

काउंसिल के सदस्यों ने केंद्रीय बैंक की स्वतंत्रता और कामगार नीतियों पर बदलाव करने की बात भी कही है. चिली दुनिया का सबसे बड़ा कांसा उत्पादक देश है और खनन उद्योग काफी प्रभावशाली माना जाता है.

अब इस काउंसिल के पास नियमावली बनाने, समितियां स्थापित करने और नए संविधान का मसौदा तैयार करने के लिए एक साल का वक्त है. फिर अंतिम प्रस्तावों पर देश के लोग फिर से मतदान करेंगे. अगर ये प्रस्ताव पारित नहीं होते हैं तो मौजूदा संविधान ही लागू रहेगा.

लोगों ने मांगा था नया संविधान

नया संविधान बनाने वाली काउंसिल के लिए 155 उम्मीवारों का चुनाव मई में हुआ था. देशा का नया संविधान बनाने की मांग अक्टूबर 2019 में उठी जब जगह-जगह गैरबराबरी के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन हुए थे. मौजूदा संविधान 1973-1990 के बीच ऑगस्टो पिनोशे की तानाशाही के दौरान बनाया गया था और आमतौर पर इसे बड़े व्यापारियों के पक्ष में माना जाता है.

पिछले एक जनमत संग्रह में चिली की जनता ने इस संविधान को बदलने के लिए वोट दिया था. इसे पहले भी कई बार संशोधित किया जा चुका है. वामपंथी विश्लेषकों का कहना है कि वर्तमान संविधान में ऐसे प्रावधान हैं जो असमानता को बढ़ावा देते हैं. इनमें संपत्ति के अधिकारों को वरीयता, सेवा के क्षेत्र में निजी कंपनियों की मजबूत भूमिका और प्रमुख कानूनों को बदलने में मुश्किल प्रमुख रूप से शामिल है.

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ये लोग चाहते हैं कि नया संविधान सरकार की सामाजिक भूमिका को बढ़ाए. रोजगार, स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा का अधिकार मिले. इसके साथ ही देसी लोगों के सांस्कृतिक और भूमि अधिकार को मान्यता दी जाए. विरोध करने वाले लोग मुख्य रूप से रुढ़िवादी हैं. उनकी दलील है कि बदलावों से देश का आर्थिक मॉडल खतरे में पड़ जाएगा जिसने तेज विकास और तुलनात्मक रूप से स्थिरता दी है.

वीके/एए (रॉयटर्स)

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