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मंगल ग्रह पर मिले रंग बिरंगे चट्टान क्या जीवन के संकेत हैं

११ सितम्बर २०२५

मंगल की सतह पर मिले रंग बिरंगे छींटेदार चट्टानों से हमारे पड़ोसी ग्रह पर प्राचीन जीवन के सबूत मिल सकते हैं. बुधवार को नासा के वैज्ञानिकों ने इसकी जानकारी दी.

नासा रोवर की तस्वीर
मंगल की सतह पर कई प्राचीन नदियों और झीलों के संकेत हैं जिनसे यह पता चलता है कि इनमें कभी पानी बहता होगा. तस्वीर: NASA/JPL-Caltech/MSSS/REUTERS

मंगल पर प्राचीन जीवन के ये अब तक के सबसे बड़े सबूत हैं और वैज्ञानिकों ने इन्हें काफी उत्साहवर्धक बताया है. मंगल ग्रह पर मौजूद परसिवरेंस रोवर ने जुलाई 2024 में "सफायर कैनयान" चट्टान का नमूना इकट्ठा किया था. जिस जगह ये नमूने मिले उसे एक प्राचीन झील का तल समझा जाता है. इस चट्टान पर जो छींटे और धब्बे हैं वो संभावित रासायनिक प्रतिक्रियाओं का संकेत देते हैं. इसने रिसर्चरों की दिलचस्पी बढ़ा दी है.

अगर यह प्रतिक्रकियाएं किसी सूक्ष्मजीव की गतिविधि का नतीजा हैं जिसने पृथ्वी के समान ही वहां भी खनिजों की रचना में भूमिका निभाई होगी तो यह फिर मंगल पर जीवन का सबूत होगा. वैज्ञानिकों के लिए अभी दावे के साथ कुछ कहना मुश्किल है, लेकिन यह खोज जबरदस्त है. नेचर जर्नल ने इस बारे में विस्तृत रिपोर्ट छापी है.

संभावित जीवन का संकेत

नासा के साइंस मिशन महानिदेशालय की प्रशासक निकी फॉक्स ने पत्रकारों से कहा, "यह किसी छूटे हुए जीवाश्म को देखने जैसा है, जैसे कि बचा हुआ खाना और शायद वह खाना जो किसी सूक्ष्म जीव का मल हो." इस तरह के खनिज और ऐसी संरचना वाली तलछट जब पृथ्वी पर मिलती है तो आमतौर पर यह कीचड़ और कार्बनिक पदार्थ की प्रतिक्रिया से तैयार होती है. रिसर्च रिपोर्ट के प्रमुख लेखक जोएल हुरोवित्ज का कहना है कि यह एक संभावित जीवन का संकेत है.

मंगल ग्रह पर कई रोवर भटक रहे हैं. परसिवरेंस वहां 2021 से है.तस्वीर: NASA/JPL-CALTECH/MSSS/REUTERS

परसिवरेंस के उपकरणों ने खास तौर से विवियन और ग्रेफाइट खनिजों की पहचान की है. पृथ्वी पर अकसर विवियन तलछट, पीट बॉग और सड़ रहे कार्बनिक पदार्थों के पास मिलते हैं. इसी तरह पृथ्वी पर सूक्ष्म जीवों के जीवन के कुछ तरीके ग्रेफाइट को पैदा कर सकते हैं. हालांकि, हुरोवित्ज ने यह भी कहा, "इन गुणों को पैदा करने वाले कुछ अजैविक तरीके भी हैं जिन्हें हम अपने जुटाए आंकड़ों के आधार पर पूरी तरह से खारिज नहीं कर सकते." उन्होंने पत्रकारों से कहा कि इसके बाद भी यह खोज "उत्साहवर्धक" है. उन्होंने समझाया कि रिसर्चरों को इन नमूनों का विश्लेषण करने के लिए खुद परीक्षण करना होगा ताकि यह समझा जा सके कि क्या सचमुच इन नीले और हरे रंग की रचनाएं किसी सूक्ष्मजीव की गतिविधि का नतीजा हैं.

पृथ्वी पर वापसी

यह आसान नहीं है खासतौर से राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के मार्स सैम्पल रिटर्न प्रोग्राम को रद्द करने की योजना के बाद. परसिवरेंस के नमूनों को पृथ्वी पर 2030 में वापस लाने के लिए एक रोबोटिक मिशन की योजना बनी थी. पत्रकारों ने जब वैज्ञानिकों से इस योजना के बारे में पूछा तो नासा के कार्यवाहक निदेशक सीन डुफी ने इसकी पुष्टि नहीं की. उन्होंने संकेत दिए कि भविष्य के किसी मानव मिशन के जरिए इन नमूनों को पृथ्वी पर लाया जा सकता है.

डुफी ने कहा, "हम संसाधनों की चिंता करते हैं, हम समयसीमा की चिंता करते हैं, हमारा मानना है कि इसे करने का एक बेहतर तरीका है जिसमें तेजी से नमूनों को यहां लाया जा सकता है. तो इस समय हम यही विश्लेषण कर रहे हैं. क्या हम इसे तेजी से कर सकते हैं? क्या हम यह किफायती में कर सकते हैं? और हमें लगता है कि हम कर सकते हैं."

मंगल ग्रह पर कई रोवर भटक रहे हैं. परसिवरेंस वहां 2021 से है. यह मंगल ग्रह पर जीवन के संकेतों का पता लगाने की कोशिश कर रहा है जो वहां अरबों साल पहले मौजूद रहे हो सकते हैं. माना जाता है कि उस वक्त यह ग्रह जीव के ज्यादा उपयुक्त रहा होगा. मंगल की सतह पर कई प्राचीन नदियों और झीलों के संकेत हैं जिनसे यह पता चलता है कि इनमें कभी पानी बहता होगा. फॉक्स का कहना है कि नई खोज इस सवाल की दिशा में एक कदम और आगे ले जाता है "क्या हम सचमुच ब्रह्मांड में अकेले हैं?"

क्या किसी अन्य ग्रह पर जिंदगी संभव है?

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निखिल रंजन निखिल रंजन एक दशक से डॉयचे वेले के लिए काम कर रहे हैं और मुख्य रूप से राजनैतिक विषयों पर लिखते हैं.
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