केरल के बहुचर्चित लव जिहाद मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अखिला से हदिया बनी युवती की बात को तवज्जो दी. अदालत को अहम बताते हुए शिवप्रसाद जोशी लिखते हैं कि इससे कई चीजें साफ हो गयी हैं.
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सुप्रीम कोर्ट ने हदिया को पिता की अघोषित हिरासत से मुक्त कर अपनी पढ़ाई पूरी करने की इजाजत दे दी है. हदिया ने इस्लाम धर्म कुबूल कर शफी जहां नामक एक युवक से विवाह कर लिया था जिसे केरल हाई कोर्ट ने खारिज कर हदिया को उसके मांबाप के पास भेजने का फैसला सुनाया था.
"क्या भविष्य के लिए तुम्हारा कोई सपना है?” सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ जज डीवाई चंद्रचूढ़ ने हदिया से अंग्रेजी में पूछा. 25 साल की हदिया ने अपनी मातृभाषा मलयालम में दिलेरी से जवाब दिया, "मुझे आजादी चाहिए. हिरासत से मुक्ति चाहिए!” सुनते ही सुप्रीम कोर्ट ने हदिया को अपने मातापिता से अलग करने का आदेश दे दिया. हदिया और उसके पति के लिए यह एक बड़ी नैतिक जीत थी.
कोर्ट ने कहा कि हदिया केरल के सालेम जिले के होम्योपैथी कॉलेज में 11 महीने की अपनी ट्रेनिंग और इंटर्नशिप पूरी करेगी. उसे पूरी सुरक्षा मुहैया होगी और कॉलेज के डीन उसके संरक्षक की हैसियत से उसका ख्याल रखेंगे. परिजनों को इस मामले में दखल न देने की हिदायत भी कोर्ट ने दी. इस सुनवाई पर पूरे देश की निगाहें थीं. केरल में अपने गांव से दिल्ली पहुंची हदिया मीडिया को बता चुकी थी कि वह अपनी मर्जी से मुसलमान बनी है और शफी जहां को उसने अपनी मर्जी से अपना शौहर चुना है.
भारत की मशहूर हिंदू-मुस्लिम जोड़ियां
लव जिहाद जैसे जुमले भी भले ही सियासत में उछाले जाते हों, लेकिन अंतर धार्मिक शादियां धर्मों के बीच बढ़ रही दूरी को पाटने का एक अच्छा तरीका है. चलिए डालते नजर कुछ ऐसी ही जोड़ियों पर.
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शाहरुख खान-गौरी खान
बॉलीवुड के किंग कहे जाने वाले शाहरुख खान ने पंजाबी परिवार में जन्मी गौरी छिब्बर से 1991 में शादी की, जिसके बाद वह गौरी खान बन गईं. दोनों के तीन बच्चे हैं.
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ऋतिक रोशन-सुजैन खान
अभिनेता ऋतिक रोशन और सुजैन खान ने 2000 में शादी की. लेकिन 2014 में दोनों नो अलग होने का फैसला किया. सुजैन खान अभिनेता संजय खान की बेटी हैं. यहां उन्हें अभिनेत्री पूजा हेगड़े के साथ देखा जा सकता है.
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सलमान खान का परिवार
सलमान खान ने तो अब तक शादी नहीं की है. लेकिन उनके परिवार में कई शादियां ऐसी हैं जिनमें अलग अलग धर्म के लोग मिले. इसमें सलीम खान-सुशीला चरक, हेलेन, अलवीरा-अतुल अग्निहोत्री, अरबाज-मलाइका, सोहेल खान-सीमा सचदेव जैसी कई जोड़ियां शामिल हैं.
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सैफ अली खान-अमृता सिंह-करीना कपूर
अभिनेता सैफ अली खान और अमृता सिंह की शादी लगभग 13 साल चली. 2004 में वे अलग हो गए. इसके बाद उन्होंने 2012 में करीना कपूर से शादी की.
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इमरान हाशमी-परवीन साहनी
बॉलीवुड में अपने किसिंग सीन के लिए मशहूर इमरान हाश्मी ने 2006 में परवीन साहनी से शादी की. यह तस्वीर "डर्टी पिक्चर" की प्रमोशन के वक्त है जिसमें वह अभिनेत्री विद्या बालन के साथ दिख रहे हैं.
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मुमताज-मयूर माधवानी
गुजरे जमाने की सबसे हिट अभिनेत्रियों में से एक मुमताज का संबंध एक मुस्लिम परिवार से रहा है. 1974 में उन्होंने कारोबारी मयूर माधवानी से शादी कर अपना घर बसाया.
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नरगिस दत्त-सुनील दत्त
नरगिस का नाम पहले फातिमा राशिद था. पर्दे पर तो उनकी जोड़ी राजकपूर के साथ हिट थी लेकिन असल जिंदगी में उन्होंने सुनील दत्त को अपना हमसफर बनाया.
हरफनमौला गायक और अभिनेता किशोर कुमार ने मशहूर अभिनेत्री मधुबाला से शादी की. मधुबाला का नाम पहले मुमताज जहान देहलवी था और उन्हें हिंदी सिनेमा की सबसे खूबसूरत अभिनेत्रियों में गिना जाता है. मुगले आजम में अनारकली के किरदार में उन्होंने बखूबी जान डाली.
साठ और सत्तर के दशक की ग्लैमरस अभिनेत्री शर्मिला टैगोर ने भी भारतीय क्रिकेट के कप्तान मंसूर अली खान पटौदी को अपने जीवन साथी के रूप में चुना. पटौदी ने 70 साल की उम्र में 2011 में दुनिया को अलविदा कह दिया.
अपनी मुस्कान और शानदार अभिनय के लिए मशहूर वहीदा रहमान ने 1974 में अभिनेता शशि रेखी से शादी की जो बतौर अभिनेता कमलजीत के नाम से जाने जाते थे. लंबी बीमारी के बाद 2000 में उनके पति का निधन हो गया.
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उस्ताद अमजद अली खान- शुभालक्ष्मी
सरोद के सुरों से जादू करने वाले उस्ताद अमजद अली खान ने 1976 में भारतनाट्यम नृत्यांगना शुभलक्ष्मी बरुआ से शादी की. उनके दो बेटे अमान और अयान भी सरोद बजाते हैं.
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जरीना वहाब-आदित्य पंचोली
1980 के दशक की एक जानी मानी अभिनेत्री जरीना वहाब ने फिल्म अभिनेता आदित्य पंचोली के साथ विवाह रचाया. उनके बेटे सूरज पंचोली ने हीरो के साथ बॉलीवुड में कदम रखा.
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फराह खान-शिरीष कुंदर
कोरियोग्राफर से निर्देशन में उतरीं फराह खान ने 2004 में शिरीष कुंदर से शादी की. अपने बयानों से कई विवादों में रहे कुंदर की मुलाकात फराह से उनकी फिल्म मैं हूं ना पर काम करने के दौरान हुई.
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सुनील शेट्टी-माना शेट्टी
अभिनेता सुनील शेट्टी की पत्नी माना शेट्टी मुस्लिम पिता और हिंदू मां की संतान हैं. शादी से पहले उनका नाम माना कादरी था. 1991 में दोनों एक दूसरे के हो गए.
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मनोज बाजपेयी-शबाना रजा
सत्या, शूल, कौन, वीर-जारा, अलीगढ़ और राजनीति जैसी फिल्मों में अपने जौहर दिखाने वाले अभिनेता मनोज बाजपेयी ने 2006 में शबाना रजा से शादी की, जिसके बाद उन्होंने अपना नाम नेहा रख लिया.
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सचिन पायलट-सारा पायलट
कांग्रेस के युवा नेता सचिन पायलट की पत्नी का नाम सारा पायलट हैं. सारा कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारुक अब्दुल्ला की बेटी हैं. दोनों के दो बेटे आरान और विहान हैं.
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उमर अब्दुल्ला-पायल नाथ
जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्लाह ने 1994 में पायल नाथ से शादी की. लेकिन 2011 में वे अलग हो गए.
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मुख्तार अब्बास नकवी-सीमा नकवी
मुख्तार अब्बास नकवी बीजेपी नेता और पार्टी का एक अहम मुस्लिम चेहरा हैं. उनकी पत्नी का नाम सीमा नकवी है, जिनका संबंध एक हिंदू परिवार से रहा है.
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जहीर खान-सागरिका घटके
मशहूर क्रिकेटर जहीर खान ने अभिनेत्री सागरिका घटके के साथ शादी की है. सागरिका घटके चक दे, रश और जी भर के जी ले जैसी कई फिल्मों में काम कर चुकी हैं.
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मामले की अगली सुनवाई जनवरी के तीसरे सप्ताह की किसी तारीख को होगी. कोर्ट को राष्ट्रीय जांच एजेंसी एनआईए के आतंकवाद और लव-जिहाद ऐंगल और हदिया की शादी की वैधानिकता पर भी फैसला देना है जिसे उसके परिजनों और एनआईए ने चुनौती दी है. आरोप है कि हदिया को बहलाफुसला कर उससे शादी की गयी और उसे आईएस के एजेंट सीरिया ले जाना चाहते हैं. एनआईए का दावा है कि वह केरल में ऐसे 11 मामलों की जांच कर रही है. हालांकि केरल सरकार और राज्य पुलिस इस मामले में पहले ही हदिया और उसके पति को क्लीन चिट दे चुकी है और अदालत में भी अपना रुख स्पष्ट कर चुकी है.
हदिया मामले की अदालती सुनवाइयों और नजरियों को टटोलें तो पाएंगे कि कोर्ट ने इस मामले में संविधान प्रदत मौलिक अधिकारों की पुष्टि और विभिन्न मानवाधिकारों की हिफाजत ही की है. सबसे पहले तो नागरिक के तौर पर हदिया का निजता और अपना जीवन जीने का, धार्मिक स्वतंत्रता का, अपनी इच्छा पर अमल कर सकने का और सबसे बढ़कर एक औरत के रूप में अपनी गरिमा की हिफाजत का, लैंगिक समानता का अधिकार है.
यह शादी जरा हटके है...
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इसी साल मई में जब केरल हाईकोर्ट की एक बेंच ने हदिया मामले में स्तब्ध करने वाला फैसला सुनाते हुए शादी को खारिज किया था और हदिया को नादान और मासूम करार देकर मातापिता के पास वापस भेज दिया था, तो लग रहा था कि अदालती फैसलों में एक नजरिया किस तरह चाहे अनचाहे मानवाधिकार और लैंगिक समानता पर अंकुश का बायस बन सकता है. उस दौरान तो मीडिया में इस तरह की दलीलें भी परिजनों के हवाले से तैर रही थीं कि हदिया पर जादू किया गया है, उसे सम्मोहित कर मुसलमान बनाया गया है, उसका ब्रेनवॉश किया गया है आदि आदि. एक युवा स्त्री की कामनाओं और सपनों को तोड़ने के लिए ऐसी अनर्गलताएं काफी थीं लेकिन दाद देनी पड़ेगी हदिया के साहस और विवेक की. वह दबाव में न टूटी न विचलित हुई. सुप्रीम कोर्ट के न्यायधीशों को उसने अपने सचेत और सयाने जवाबों से प्रभावित किया.
शादी के बंधन में बंधने की आजादी
30 जून 2017 को जर्मन संसद में समलैंगिक शादियों को वैधता देने का प्रस्ताव पास हुआ. दुनिया के करीब 20 देशों में अब तक सेम-सेक्स मैरिज को मान्यता मिल चुकी है, जिनमें से ज्यादातर यूरोप में ही हैं, देखिए.
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नया जर्मनी
जर्मन संसद के निचले सदन बुंडेसटाग में समलैंगिक शादियों को कानूनी मान्यता देने पर सहमति बन गयी. 2017 के अंत तक इस कानून के लागू हो जाने की उम्मीद है.
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अगुआ नीदरलैंड्स
अप्रैल 2001 में नीदरलैंड्स दुनिया का पहला देश बना, जहां गे और लेस्बियन जो़ड़ों को सिविल सेरेमनी में बंधने का अधिकार मिल गया. इसके बाद 12 अन्य यूरोपीय देशों में भी इसे मान्यता मिली.
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यूरोपीय देशों में प्रसार
नीदरलैंड्स के बाद यूरोप के अन्य देशों बेल्जियम, ब्रिटेन (उत्तरी आयरलैंड को छोड़कर), डेनमार्क, फिनलैंड, फ्रांस, आइसलैंड, आयरलैंड, लक्जेमबर्ग, नॉर्वे, पुर्तगाल, स्पेन और स्वीडन में भी सिविल सेरेमनी की अनुमति मिली.
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सिविल पार्टनरशिप
कुछ यूरोपीय देशों में समलैंगिक जोड़ों को सिविल पार्टनरशिप में रहने की व्यवस्था है. ये देश हैं ऑस्ट्रिया, क्रोएशिया, साइप्रस, चेक रिपब्लिक, ग्रीस, हंगरी, इटली, माल्टा और स्विट्जरलैंड. 2014 में एस्टोनिया भी इस सूची में जुड़ा.
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पूर्वी यूरोप
बुल्गारिया, लात्विया, लिथुआनिया, पोलैंड, रोमेनिया और स्लोवाकिया जैसे पूर्वी यूरोप के देशों में समलैंगिक लोगों को शादी करने का हक मिला हुआ है. दिसंबर 2015 में स्लोवेनिया ने जनमत संग्रह में गे मैरिज के खिलाफ फैसला लिया.
तस्वीर: Reuters/S. Zivulovic
बच्चे गोद लेना
पश्चिमी यूरोप के 15 देशों में समलैंगिक जोड़े बच्चों को गोद ले सकते हैं, चाहे वे शादीशुदा हों या सिविल पार्टनरशिप में रह रहे हों. ऐसे देश हैं बेल्जियम, ब्रिटेन, डेनमार्क, फ्रांस, नीदरलैंड्स, स्पेन और स्वीडन. इसके अलावा फिनलैंड, जर्मनी और स्लोवेनिया में समलैंगिकों को अपने पार्टनर के बच्चों को गोद लेने का अधिकार देता है.
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उत्तरी अमेरिका में अगुआ
यहां सबसे पहले कनाडा ने समलैंगिक शादी और बच्चा गोद लेने को जून 2005 में ही मान्यता दे दी थी. अमेरिका में 2015 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद गे मैरिज को देशव्यापी वैधता मिली.
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लैटिन अमेरिका में
पहला देश रहा मेक्सिको, जहां 2007 में सिविल यूनियन और 2008 में पूर्ण विवाह की अनुमति मिल गयी. अर्जेंटीना, ब्राजील, कोलंबिया और उरुग्वे में भी समलैंगिक शादियां कानूनी रूप से वैध हैं.
तस्वीर: Imago
अफ्रीका का हाल
अफ्रीकी महाद्वीप के 30 देशों में समलैंगिकता पर ही प्रतिबंध है. केवल दक्षिण अफ्रीका में ही समलैंगिक लोगों को शादी करने और बच्चे गोद लेने का अधिकार है. ऋतिका पाण्डेय (एएफपी)
तस्वीर: Johann Hattingh/AFP/Getty Images
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प्रेम विवाह को लेकर भारतीय समाज अब भी वैचारिक पिछड़ेपन में घिरा है. अंतर्जातीय और अंतर्धामिक विवाहों पर वितंडा कायम है बल्कि अब तो लगता है और भीषण खुंखारी आ गयी है. इधर जिस तरह से कट्टरपंथी और हिंदूवादी ताकतें एक नयी उग्रता में सक्रिय हैं, उससे समाज में डर और अशांति का माहौल बना है. अदालतों को इस पर भी सख्त टिप्पणी या आदेश करना चाहिए कि हर कोई मुंह उठाये किसी भी रिश्ते को लांछित न करे. हर संबंध को हिंदू मुस्लिम तनाव से न जोड़े और हर प्रेम को लव जिहाद कहकर साम्प्रदायिकरण न करे. सुप्रीम कोर्ट ने हदिया मामले में एक शुरुआत तो की है और यह कहते हुए फटकार भी लगायी है कि हम निरंकुश समाज में नहीं रहते. कोर्ट की विवेचनाओं से इतर, आम भारतीय समाज में देखें तो दक्षिण से लेकर उत्तर तक, हालात चिंताजनक ही हैं.
अभी राजस्थान के जोधपुर में अंतर्धामिक विवाह करने वाले एक प्रेमी युगल को अदालती हस्तक्षेप से ही न्याय मिल पाया. पायल, आरिफा के रूप में फैज की पत्नी बनी तो उसके परिजनों ने अदालत में शिकायत कर दी. राजस्थान हाई कोर्ट ने फैज की गिरफ्तारी के आदेश जारी कर दिये. लेकिन रिश्ते की वैधानिकता और पायल की अपनी मर्जी के पहलू ने हाईकोर्ट को मजबूर किया और दोनों आखिरकार मिल पाये.
लव जिहाद और धर्मांतरण के मुद्दों की तीखी सामाजिक और कानूनी टकराहटों में जाहिर है अदालतों पर भी दबाव बढ़ा दिया है जबकि ये मामले समाज और समुदाय के स्तर पर ही सुलझ जाने चाहिए. केरल हाई कोर्ट की ही एक बेंच ने पिछले दिनों एक याचिका पर फटकार लगाते हुए कहा था कि हिंदू मुसलमान युवक युवतियों के प्रेम संबंधों को लव-जिहाद का नाम देने की फितरत से बाज आना चाहिए. कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के 2004 के एक आदेश का हवाला भी दिया था जिसमें समाज में अंतर्जातीय और अंतर्धामिक विवाहों को प्रोत्साहित किये जाने की जरूरत पर भी जोर दिया गया है.