भारत-चीन सीमा पर खासी हलचल है. वहां भारतीय टैंक पहुंच रहे हैं. 100 से ज्यादा टैंक पहुंच गए हैं. जवानों की तैनाती तेजी से बढ़ रही है. उत्तर में कराकोरम दर्रे से लेकर 826 किलोमीटर लंबी लाइन ऑफ ऐक्चुअल कंट्रोल पर भारतीय सेना के बढ़ते जमावड़े ने चीन को भी परेशान कर दिया है.
मीडिया में इस तरह की रिपोर्ट्स हैं कि सीमा पर भारतीय सैनिकों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हुई है. एनडीटीवी ने अपने सूत्रों के हवाले से लिखा है कि आने वाले महीनों में यह तादाद और ज्यादा बढ़ने वाली है. लद्दाख और उसके अगल-बगल के इलाकों में भारत और चीन का सीमा पर छिटफुट विवाद चलता रहता है. दोनों देश एक दूसरे के इलाकों पर दावे करते हैं और कोई तय सीमा नहीं है. जिसे फिलहाल सीमा कहा जाता है, वह सिर्फ नियंत्रण रेखा है. हालांकि हाल के सालों में दोनों के बीच किसी तरह का हिंसक विवाद नहीं हुआ है लेकिन ऐसा कई बार हो चुका है कि चीन के सैनिक भारतीय इलाके में घुस आए और वहां अपने कैंप तक बना लिए. भारत अब तक इस तरह की घटनाओं पर मौखिक आपत्ति ही जताता रहा है लेकिन पहली बार है कि भारत ने सैन्य आक्रामकता दिखाई है.
चीन की ओर से इस आक्रामकता पर तीखी प्रतिक्रिया आ रही है. चीन के सरकारी मीडिया ने कहा है कि इस हरकत का असर भारत में चीन के निवेश पर पड़ेगा. चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स में छपे एक लेख में कहा गया है, "चीन की और ज्यादा कंपनियां भारत में निवेश के बारे में विचार कर रही हैं. ऐसे में मीडिया में इस तरह की रिपोर्ट्स आ रही हैं कि भारत-चीन सीमा पर करीब 100 भारतीय टैंक तैनात हो गए हैं ताकि किसी भी तरह की कार्रवाई का जवाब दिया जा सके. इस तरह की हरकतें लोगों का ध्यान खींच रही हैं. लेकिन यह बात परेशान करने वाली है कि एक तरफ तो भारत सीमा पर टैंक तैनात कर रहा है और दूसरी ओर चीन से निवेश के लिए कंपनियों को लुभाना चाहता है."
ये हैं दुनिया की टॉप 10 अर्थव्यवस्थाएं
2025 तक दुनिया का आर्थिक नक्शा बदल जाएगा. चीन, जापान और भारत जैसी विशाल अर्थव्यवस्थाओं के चलते वह विकास की धुरी बन जाएगा. जानिए इस वक्त कौन सा देश कहां खड़ा है और बाद में कहां होगा.
तस्वीर: AFP/Getty Images/R. Miachael18,100 अरब डॉलर के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वाला अमेरिका आर्थिक रूप से दुनिया की महाशक्ति है. वैश्विक अर्थव्यवस्था में अमेरिका की हिस्सेदारी करीब 22.4 फीसदी है. अगले एक दशक तक अमेरिका के चोटी पर बने रहने का अनुमान है.
तस्वीर: Imago11,200 अरब डॉलर जीडीपी वाला चीन दुनिया की दूसरी और एशिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है. 1970 के दशक में औद्योगिकीकरण की शुरुआत के बाद चीन ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. चीनी अर्थव्यवस्था में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की हिस्सेदारी 45 फीसदी है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/L. Xiaofeiएशिया की दूसरी बड़ी अर्थव्यवस्था जापान का सकल घरेलू उत्पाद 4,200 अरब डॉलर है. लेकिन 2008 की वैश्विक मंदी के बाद से जापान की अर्थव्यवस्था संघर्ष कर रही है. इलेक्ट्रॉनिक और इलेक्ट्रो मैकेनिकल प्रोडक्ट्स के लिए विख्यात जापान को अमेरिका और दक्षिण कोरिया से कड़ी टक्कर मिल रही है.
तस्वीर: Getty Images/AFP/T. Ymanakaमशीन, वाहन, घरेलू मशीनरी और केमिकल उद्योग में धाक जमाने वाला जर्मनी चौथी बड़ी अर्थव्यवस्था है. जर्मनी की जीडीपी 3,400 अरब डॉलर है. जर्मनी के पास कुशल कामगार हैं लेकिन देश युवाओं की कमी से जूझ रहा है. 2022 तक जर्मनी के फिसलकर छठे नंबर पर आने का अनुमान है.
तस्वीर: picture alliance/dpaफ्रांस दुनिया की पांचवीं और यूरोप की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था है. फ्रांस की जीडीपी 2,900 अरब डॉलर है. अनुमान है कि 2022 तक फ्रांस नौवें नबंर पर आ जाएगा. टैक्स नीति और यूरो संकट भी इसके लिए जिम्मेदार होंगे.
तस्वीर: AFP/Getty Images/F. Dufour2,850 अरब डॉलर जीडीपी वाला ग्रेट ब्रिटेन छठी बड़ी अर्थव्यवस्था है. सर्विस और बैंकिंग सेक्टर ब्रिटिश अर्थव्यवस्था का मजबूत हिस्सा है. लेकिन अगले 10 साल में दूसरे देश ब्रिटेन से आगे निकल जाएंगे. देश आठवें नंबर पर होगा.
तस्वीर: picture-alliance/ EPA/A. Rain2,300 अरब डॉलर के सकल घरेलू उत्पाद वाला भारत दुनिया की सातवीं बड़ी अर्थव्यवस्था है. 7.5 फीसदी विकास दर के साथ भारत इस वक्त दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था है. 2022 तक भारत ग्रेट ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी को पीछे छोड़कर चौथे नंबर पर आ सकता है.
तस्वीर: Getty Images/AFP/I. Mukherjeeकुछ साल पहले तक ब्रिटेन से आगे रहने वाला ब्राजील आंतरिक परेशानियों और धीमी विकास दर से जूझ रहा है. ब्राजील की जीडीपी 1,900 अरब डॉलर है. फिलहाल ब्राजील का आर्थिक विकास ठंडा पड़ा है.
तस्वीर: Reuters/P. Whitaker1,800 अरब डॉलर की जीडीपी वाले इटली के लिए बीते 10 साल बेहद दुश्वार रहे हैं. वित्तीय संकट के चलते इटली काफी नीचे आया है.
तस्वीर: Reuters/Alessandro Bianchiकनाडा की अर्थव्यवस्था 1,600 अरब डॉलर की है. पेट्रोलियम और खनिजों के लिए मशहूर कनाडा निवेशकों को नहीं लुभा पा रहा है.
तस्वीर: Reuters
चीनी मीडिया ने स्पष्ट तौर पर लिखा है कि भारत के इस कदम से निवेश प्रभावित हो सकता है. अखबार लिखता है, "भारत-चीन सीमा पर टैंकों की तैनाती चीन के व्यापारिक समुदाय को परेशान कर सकती है. निवेश के लिए फैसला करते वक्त वे लोग राजनीतिक अस्थिरता की आशंकाओं को भी ध्यान में रखेंगे."
भारत सीमा पर ना सिर्फ ज्यादा सैनिक और टैंक तैनात कर रहा है बल्कि हथियारबंद मशीनरी को सीमा के और नजदीक ले जाया गया है. एनडीटीवी की रिपोर्ट कहती है कि 1962 में इस सीमा पर जितनी फौज तैनात थी, मौजूदा संख्या उससे कई गुना है.
भारत और चीन के बीच इस सीमा पर विवाद करीब चार दशक पुराना है. 1962 में दोनों मुल्कों के बीच एक युद्ध हो चुका है जिसमें भारत हार गया था. लेकिन उसके बाद से भारत ने सीमा पर कोई खास निर्माण नहीं किया है. इसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी अब तक चंद बटालियनों के हाथ में ही रही है जिन्हें भारत-तिब्बत बॉर्डर पुलिस और लद्दाख स्काउट्स की मदद मिलती है. लेकिन 2005 के बाद से हालात बदले हैं. तब भारत के विदेश सचिव रहे श्याम सरन ने कहा था कि भारत-चीन सीमा पर सुरक्षा बढ़ाने के मद्देनजर निर्माण करना जरूरी है.
ये हैं बिना सेना वाले देश
सेना सुरक्षा के लिए होती है. बहुत से देश अपनी सैनिक ताकत का प्रदर्शन करने में गर्व महसूस करते हैं लेकिन कुछ देशों के पास कोई सेना नहीं है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Z. Kurtsikidzeमध्य अमेरिकी देश कोस्टा रिका में सेना नहीं है. 1948 में राष्ट्रपति चुनावों में धांधली के खिलाफ हुए जनविद्रोह के साथ विद्रोहियों ने सत्ता पर कब्जा कर लिया और नया संविधान बनाया. नए संविधान में सेना को समाप्त कर दिया गया. 1953 से देश में 14 राष्ट्रपति चुनाव हो चुके हैं और सभी शांतिपूर्ण रहे हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpaकेंद्रीय यूरोप के इस छोटे से देश ने 1868 में अपनी सेना को भंग कर दिया. कारण आर्थिक थे. सेना बहुत महंगी हो गई थी. युद्ध के समय सेना बनाने की संभावना रही, लेकिन युद्ध कभी आया नहीं. लिष्टेनश्टाइन काले धन को लेकर चर्चा में रहता है. इस देश का प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद कतर के बाद दूसरे नंबर पर है.
तस्वीर: Fotolia/S.A.N.समोआ 1962 में न्यूजीलैंड की गुलामी से आजाद हुआ था. स्वतंत्रता के बाद से ही उसके पास कोई सेना नहीं है. 1962 की एक मैत्री संधि के अनुसार न्यूजीलैंड ने जरूरत पड़ने पर उसकी सुरक्षा का आश्वासन दिया है. पश्चिमी समोआ द्वीप समूह से बना देश पोलेनेशिया का हिस्सा है. भारत प्रशांत के द्वीप राज्यों के साथ निकट सहयोग करता है.
तस्वीर: picture-alliance/DUMONT Bildarchivयूरोप में स्थित यह देश 1278 में बना. अंडोरा के पास अपनी सेना नहीं है लेकिन स्पेन और फ्रांस ने उसे जरूरत पड़ने पर सुरक्षा देने की गारंटी ली है. 468 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला अंडोरा अपने स्की रिजॉर्ट और ड्यूटी-फ्री दुकानों के लिए जाना जाता है. इसे टैक्स बचाने वालों का स्वर्ग भी माना जाता है.
तस्वीर: picture-alliance/Thomas Muncke2014 में बने भारत प्रशांत द्वीप सहयोग संगठन में समोआ और तुवालू भी हैं. 2015 में जयपुर में संगठन के 14 सदस्य देशों का सम्मेलन हुआ. तुवालू का क्षेत्रफल सिर्फ 26 वर्ग किलोमीटर है और वहां की आबादी 10,000 है. यह राष्ट्रकुल का सदस्य है और यहां संसदीय राजतंत्र है.
तस्वीर: APइटली की राजधानी रोम में स्थित यह दुनिया का सबसे छोटा देश है. इस देश का क्षेत्रफल सिर्फ 0.44 वर्ग किलोमीटर है और आबादी है 840. इस तरह से सबसे कम आबादी वाला देश भी. यह कैथोलिक गिरजे का मुख्यालय है जहां गिरजे के प्रमुख पोप और चर्च के दूसरे अधिकारी रहते हैं.
तस्वीर: picture-alliance/Arco/Schoeningएक बड़े द्वीप और छह छोटे छोटे द्वीपों से बने ग्रेनेडा का क्षेत्रफल 344 वर्ग किलोमीटर है और उसकी आबादी 105,000 है. ग्रेनेडा कैरिबिक और अटलांटिक के बीच स्थित है और इसे मसालों के लिए भी जाना जाता है. 1983 में सैनिक विद्रोह और अमेरिकी हस्तक्षेप के बाद से यहां नियमित सेना नहीं.
तस्वीर: shaggyshoo/ndप्रशांत महासागर में स्थित द्वीप राष्ट्र 21.10 वर्ग किलोमीटर बडा़ है. इसकी आबादी करीब 10,000 है. नाउरू माइक्रोनेशिया के द्वीपों का हिस्सा है. ऑस्ट्रेलिया के साथ हुए एक समझौते के तहत नाउरू की सुरक्षा की जिम्मेदारी ऑस्ट्रेलिया ने ली है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
ताजा कदम पर चीन की आधिकारिक प्रतिक्रिया अभी नहीं आई है लेकिन सरकारी मीडिया ने आर्थिक कारणों का हवाला दिया है. ग्लोबल टाइम्स लिखता है, "भारत और चीन के बीच एक लंबे और सफल आर्थिक रिश्ते की बहुत संभावनाएं हैं. खासकर निर्माण के क्षेत्र में बड़ी साझेदारियां हो सकती हैं. इन संभावनाओं को हकीकत में बदलने के लिए दोनों देशों को गलतफहमियां दूर करने की ओर खासी मेहनत करनी होगी. तभी दोनों के बीच आर्थिक विकास की मजबूत नींव बन सकेगी."