पत्रकारों के लिए काम करने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्था कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स (CPJ) ने भारत सरकार से आग्रह किया है कि कश्मीरी पत्रकारों को जेल से रिहा किया जाए.
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न्यूयॉर्क स्थित कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स ने भारत सरकार से मांग की है कि पत्रकार सज्जाद गुल को फौरन रिहा किया जाए. गुल को पिछले दिनों तब गिरफ्तार कर लिया गया था जब उन्होंने सरकार विरोधी एक प्रदर्शन का वीडियो शेयर किया था.
मीडिया की निगहबानी करने वाली संस्था सीपीजे ने शनिवार को कहा कि एक छात्र और स्वतंत्र पत्रकार सज्जाद गुल की गिरफ्तारी बहुत परेशान करने वाली खबर है और अधिकारियों को उनकी पत्रकारिता के खिलाफ चल रही जांच फौरन रोकनी चाहिए.
देशद्रोह का केस
भारतीय सुरक्षाबलो ने गुल को बुधवार रात उत्तर पूर्वी कश्मीर में शाहगंद स्थित उनके घर से गिरफ्तार किया था. उनके परिवार के मुताबिक उन्हें सेना के जवानों ने गिरफ्तार किया और फिर पुलिस को सौंप दिया. उससे दो दिन पहले सोमवार को गुल ने एक वीडियो पोस्ट किया था जिसमें मुठभेड़ में मारे गए एक उग्रवादी के परिजनों को विरोध प्रदर्शन करते देखा जा सकता था.
पहले पुलिस ने कहा था कि गुल को रिहा कर दिया जाएगा लेकिन शुक्रवार को उनके परिजनों को बताया गया कि उन पर राष्ट्रीय एकता के खिलाफ काम करने के मामले में देशद्रोह का मुकदमा दर्ज हो गया है. इस मामले में दोषी पाए जाने पर उम्रकैद से लेकर मौत तक की सजा का प्रावधान है.
पत्रकारों पर पाबंदियां बढ़ीं
भारत में हाल के सालों में पत्रकारों के खिलाफ हिंसा और अधिकारियों द्वारा सख्ती के कई मामले में सामने आ चुके हैं. 2019 में भारत सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म किए जाने के बाद कश्मीरी पत्रकारों पर यातनाओं और प्रताड़ना के मामले भी बढ़े हैं. काफी पत्रकारों को गिरफ्तार कर लिया गया और उन आतंकवादी धाराओं में मामले दर्ज हुए.
चुने हुए पत्रकारों की संस्था कश्मीर प्रेस क्लब ने बार-बार भारत सरकार से आग्रह किया है कि उन्हें स्वतंत्र रूप से काम करने दिया जाए. उनका कहना है कि भारतीय सुरक्षाबलों द्वारा शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना प्रेस की आजादी पर हमला है.
वीके/एए (एपी, रॉयटर्स)
पत्रकारों के लिए बेहद खराब रहा 2021
न्यूयॉर्क स्थित मीडिया वॉचडॉग 'कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स' की नई रिपोर्ट के मुताबिक दुनियाभर में साल की शुरुआत से 1 दिसंबर 2021 तक 293 रिपोर्टरों को जेल में डाला गया. यह अब तक का सबसे ऊंचा आंकड़ा है.
तस्वीर: Maja Hitij/Getty Images
जोखिम में रिपोर्टर
कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स (CPJ) की रिपोर्ट कहती है कि दुनिया भर में सलाखों के पीछे पत्रकारों की संख्या 2021 में बढ़कर सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गई. रिपोर्ट में बताया गया है कि इस साल 1 दिसंबर तक 293 पत्रकारों को जेल में डाला जा चुका है.
तस्वीर: Brent Swails/CNN/AP/picture alliance
कवरेज के दौरान 24 पत्रकार मारे गए
सीपीजे ने 9 दिसंबर को प्रेस की स्वतंत्रता और मीडिया पर हमलों पर अपने वार्षिक सर्वेक्षण में कहा कि कम से कम 24 पत्रकार न्यूज कवरेज के दौरान मारे गए और 18 अन्य की मौत ऐसी परिस्थितियों में हुई, जिससे यह साफ तौर पर तय नहीं किया जा सका कि क्या उन्हें उनके काम के कारण निशाना बनाया गया था.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/S. Brogca
क्यों जेल में डाले जा रहे है पत्रकार
अमेरिका के न्यूयॉर्क में स्थित संस्था का कहना है कि पत्रकारों को जेल में डालने का कारण अलग-अलग देशों में भिन्न है. संस्था के मुताबिक यह रिकॉर्ड संख्या दुनिया भर में राजनीतिक उथल-पुथल और स्वतंत्र रिपोर्टिंग को लेकर बढ़ती असहिष्णुता को दर्शाती है.
तस्वीर: Getty Images/C. Court
सरकारों का कैसा दखल
सीपीजे के कार्यकारी निदेशक जोएल साइमन ने एक बयान में कहा, "यह लगातार छठा साल है जब सीपीजे ने दुनिया भर में कैद पत्रकारों की संख्या का लेखाजोखा तैयार किया है." उनके मुताबिक, "संख्या दो जटिल चुनौतियों को दर्शाती है - सरकारें सूचना को नियंत्रित और प्रबंधित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं और वे ऐसा करने की कोशिश बहुत बेशर्मी से कर रही हैं."
दानिश सिद्दीकी भी 2021 में मारे गए
भारतीय फोटो जर्नलिस्ट दानिश सिद्दीकी अफगान सुरक्षाबलों के साथ पाकिस्तान से सटी अहम सीमा चौकी के पास तालिबान लड़ाकों के साथ संघर्ष को कवर रहे थे. 16 जुलाई 2021 को तालिबान ने उनकी हत्या की थी. 2021 में ही मेक्सिको के पत्रकार गुस्तावो सांचेज कैबरेरा की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी.
सीपीजे की रिपोर्ट के मुताबिक चीन ने 50 पत्रकारों को कैद किया, जो किसी भी देश में सबसे अधिक है. इसके बाद म्यांमार (26) का स्थान आता है. म्यांमार में 1 फरवरी को सेना ने तख्तापलट किया था और इसकी रिपोर्टिंग करने वाले पत्रकारों पर कार्रवाई की गई. फिर मिस्र (25), वियतनाम (23) और बेलारूस (19) का नंबर आता है.
तस्वीर: Imago Images/S. Boness
मेक्सिको में बड़े जोखिम
सीपीजे के मुताबिक मेक्सिको में पत्रकारों को अक्सर निशाना बनाया जाता है. ऐसा तब होता है जब उनके काम से आपराधिक गिरोह या भ्रष्ट अधिकारी परेशान होते हैं. मेक्सिको पत्रकारों के लिए पश्चिमी गोलार्ध का सबसे घातक देश बना हुआ है.
तस्वीर: Getty Images/AFP/Y. Cortez
यूरोप में भी हमले के शिकार पत्रकार
छह जुलाई 2021 को नीदरलैंड्स की राजधानी एम्सटर्डम के बीचो बीच एक जाने माने क्राइम रिपोर्टर पेटर आर दे विरीज को एक टेलीविजन स्टूडियो के बाहर अज्ञात हमलावरों ने गोली मार दी. अंदेशा है कि हमले के पीछे संगठित अपराध की दुनिया का एक गिरोह शामिल है. गोली लगने के नौ दिन बाद उनकी मौत हो गई.