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भारत के नए-नए अमीरों पर है मर्सिडीज की नजर

१५ अप्रैल २०२२

भारत में मर्सिडीज के चार हजार से ज्यादा ऑर्डर का बैकलॉग हो गया है. लोग छह महीने से ज्यादा इंतजार कर रहे हैं. कंपनी को भारत के नए अमीरों को बड़ी उम्मीदें हैं.

मर्सीडीज
मर्सीडीजतस्वीर: Mercedes-Benz AG – Communication/dpapicture alliance

जर्मन कार कंपनी मर्सिडीज बेंज को भारत के उन युवाओं में अपने ग्राहक नजर आ रहे हैं जो नए नए करोड़पति और अरबपति बन रहे हैं. कंपनी इस कोशिश में है कि इन युवाओं को लुभाया जाए और लग्जरी कार के बाजार को नई ऊंचाई तक पहुंचाया जाए.

भारत में मर्सिडीज -बेंज के प्रमुख मार्टिन श्वेंक कहते हैं कि देश में नए करोड़पतियों में युवा उद्योगपति या बड़ा पैसा कमाने वाले पेशेवर लोग खूब हैं जो कारों की शान-ओ-शौकत और तकनीकी आधुनिकता की कद्र करते हैं. वह कहते हैं, "आधार बढ़ रहा है और धीरे धीरे हमारे पारंपरिक ग्राहकों से आगे फैल रहा है.”

भारत के पुणे में मर्सिडीज बेंज का मुख्यालय भी है और कारखाना भी. वहीं से बातचीत में श्वेंक ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया, "आने वाले दिनों में हम आम लोगों के बजाय लग्जरी बाजार में ज्यादा वृद्धि देखेंगे.” उन्होंने कहा कि पहले उनके ग्राहकों की औसत आयु 45 से ज्यादा थी जो अब गिरकर 40 से भी कम रह गई है.

मर्सिडीज सबसे ऊपर

लग्जरी कारों के मामले में मर्सिडीज भारत की सबसे ज्यादा बिकने वाली गाड़ी है. ऑटो बाजार का अध्ययन करने वाली कंपनी जाटो डायनमिक्स के मुताबिक भारत में लग्जरी कारों के बाजार के 40 फीसदी हिस्से पर मर्सिडीज का ही कब्जा है. उसका मुकाबला आउडी, बीएमडबल्यू और टाटा मोटर्स की जैगुआर लैंड रोवर से है.

इस वक्त दुनियाभर की कार निर्माता कंपनियां सेमीडकंडक्टरों की कमी से जूझ रही हैं. इसके अलावा रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण सप्लाई चेन भी प्रभावित हुई है. श्वेंक बताते हैं कि मर्सिडीज को भी इस युद्ध का असर झेलना पड़ा है और भारत में उसके चार हजार से ज्यादा ऑर्डर का बैकलॉग जमा हो गया है, जिस कारण कार खरीदने के लिए लोगों को छह महीने से भी ज्यादा इंतजार करना पड़ रहा है.

उन्होंने बताया, "हमारी बिक्री की रफ्तार तो बढ़िया जा रही है लेकिन चिंता सप्लाई की है. बंदरगाहों पर भीड़ लगी हुई है जिस कारण अत्याधिक देरी हो रही है. और इससे हमारा आउटपुट प्रभावित हो रहा है.'

कहां से आ रहे हैं नए ग्राहक?

भारत इस वक्त स्टार्टअप में उछाल के दौर से गुजर रहा है. इन छोटी और नई लेकिन धनी कंपनियों के जरिए नए धनी बन रहे हैं जो दुनिया की सबसे ज्यादा शान-ओ-शौकत वाली चीजों के खरीददार हैं. 2021 की हूरून इंडिया वेल्थ रिपोर्ट कहती है कि ये नए धनी लोग रोलैक्स, लुई वुटान और गूची जैसी लग्जरी ब्रैंड्स के बड़े उपभोक्ता हैं.

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इस रिपोर्ट के अनुसार बीते साल भारत में ऐसे परिवारों की संख्या 11 प्रतिशत बढ़कर 4 लाख 58 हजार पर पहुंच गई थी, जिनकी संपत्ति कम से कम एक मिलियन डॉलर यानी करीब साढ़े सात करोड़ रुपये है. रिपोर्ट कहती है कि आने वाले पांच साल में ऐसे परिवारों की संख्या में 30 प्रतिशत तक की वृद्धि होने की संभावना है.

कारों के मामले में अब तक भारत को कीमत-आधारित बाजार माना जाता है. यानी कहा जाता है कि भारत में छोटी और कम कीमत की कारें ज्यादा बिकती हैं. देश में एक साल में लगभग 30 लाख कारें बिकती हैं जिनमें से लग्जरी कारों की संख्या करीब एक प्रतिशत होती है. लेकिन अब हालात बदल रहे हैं. 2021 में मर्सिडीज की बिक्री में 40 फीसदी की वृद्धि हुई. उसने 11,242 कारें बेचीं. हालांकि इस वृद्धि की एक वजह 2020 की महामारी भी थी, जिस कारण उस साल 7,893 कारें ही बिकी थीं. 2018 में उसने 15,500 कारें बेची थीं.

सस्ती कारों का जमाना गया

मर्सिडीज के लिए खुशी की बात यह है कि उसकी सबसे महंगी कारों जैसे कि जीएलएस, एस-क्लास और जीएलएस मेबाख आदि की बिक्री 80 प्रतिशत बढ़ी है. ये सभी कारें एक करोड़ रुपये से ज्यादा की कीमत वाली हैं.

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श्वेंक कहते हैं कि महामारी के कारण उनकी बिक्री बढ़ी क्योंकि तब ज्यादा लोगों ने अपनी खुशी के लिए खर्च किया, लेकिन भारत के बाजार ने बड़ी संभावनाएं दिखाई हैं और पिछले छह-आठ साल से जो कमी देखी जा रही थी, उसके गुजर जाने का वक्त आ रहा है. इस लहर पर सवार होने के लिए मर्सिडीज भारत में इस साल दस नए मॉडल पेश कर रही है, जिनमें स्थानीय कारखाने में जोड़ी गई इलेक्ट्रिक कार ईक्यूज भी शामिल है.

जाटो के भारत में अध्यक्ष रवि भाटिया कहते हैं कि मर्सिडीज की सबसे महंगी कारों की बिक्री का बढ़ना देश के धन का प्रतीक है. वह बताते हैं, "अमीर और अमीर हो रहे हैं. उनमें से कुछ लोग अपना लाइफस्टाइल भी और बेहतर कर रहे हैं.”

वीके/एए (रॉयटर्स)

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