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अब भी अपने मंत्र पर कायम हैं मैर्केल

२ अक्टूबर २०२३

विरोधी यूरोप में दक्षिणपंथ के बढ़ते प्रभाव के लिए जर्मनी की पूर्व चांसलर अंगेला मैर्केल को जिम्मेदार ठहराते हैं. कभी यूरोप की आयरन लेडी कही जाने वाली मैर्केल अब भी अपने स्टैंड पर कायम हैं.

जर्मनी की पूर्व चांसलर अंगेला मैर्केल
तस्वीर: MATTHEW HEALEY/Upi/newscom/picture alliance

पूर्वी और पश्चिमी जर्मनी के एकीकरण की 33वीं वर्षगांठ पर पूर्व चांसलर अंगेला मैर्केल ने एक टेलीवजन इंटरव्यू दिया है. दिसंबर 2021 में चांसलर पद और राजनीति छोड़ने के बाद मैर्केल सार्वजनिक तौर पर बहुत कम सामने आई हैं. मंगलवार को जर्मनी में प्रसारित होने वाले इंटरव्यू में मैर्केल ने मौजूदा राजनीति और समाज पर बातचीत की.

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16 साल तक जर्मनी की कमान संभालने वाली और यूरोप का नेतृत्व करने वाली मैर्केल ने इंटरव्यू में कहा कि वह आधुनिक जर्मनी को एक मिश्रित नस्ल वाले देश के रूप में देखना चाहती हैं. मतदाता आप्रवासियों का विरोध करने वाली पार्टियों को क्यों वोट दे रहे हैं, इस पर पूर्व चांसलर ने हैरानी जताई. जर्मनी में बड़ी संख्या में रहने वाले तुर्क मूल के नागरिकों का जिक्र करते हुए 69 साल की मैर्केल कहा, "मैंने अक्सर इस बारे में तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोवान से बात की."

बातचीत में जब यह मुद्दा आया कि जर्मनी में रहने वाले तुर्क मूल के लोगों की दूसरी और तीसरी पीढ़ी की जिम्मेदारी कौन लेगा, तो मैर्केल ने एर्दोवान से कहा, "ध्यान रखिए, मैं उनकी चांसलर हूं."

जर्मनी में अगस्त 2023 तक दो लाख से ज्यादा लोगों ने शरण का आवेदन कियातस्वीर: Robert Nemeti/AA/picture alliance

मौजूदा जर्मन राजनीति पर मैर्केल के विचार

2023 में एक बार फिर बड़ी संख्या में आप्रवासी जर्मनी में पहुंचे हैं. कभी मैर्केल की कैबिनेट में रह चुके जर्मनी के मौजूदा राष्ट्रपति फ्रांक वाल्टर श्टाइनमायर और चांसलर ओलाफ शॉल्त्स अब कह रहे हैं कि जर्मनी में शरणार्थियों को जगह देने की और क्षमता नहीं बची है.

पोलैंड में वीजा धांधली मामले के बीच यूरोप में सीमा पर सख्ती की मांग

आर्थिक मंदी से गुजर रही यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था जर्मनी में धुर दक्षिणपंथी पार्टी अल्टरनेटिव फॉर जर्मनी (AFD) भी तेजी से उभर रही है. AFD के उभार पर पूर्व चांसलर मैर्केल ने कहा, "जो लोग अलग दिखते हैं और जिनकी जिंदगी की कहानी अलग है, अगर आप खुद को ऐसे लोगों के विकल्प के रूप में पेश कर रहे हैं, तो यह कुछ ऐसा है, जिसे मैं नहीं समझ सकती हूं."

पूर्व चांसलर के मुताबिक, "हो सकता है कि लोग दूसरों की कुछ चीजों को स्वीकार न करें, लेकिन इसके बावजूद असहिष्णुता को स्वीकार नहीं किया जा सकता. मैं हमेशा इसके विरोध में तर्क दूंगी और कहूंगी कि इस लोकतांत्रिक समाज में आप आलोचना या अपना गुस्सा दूसरे तरीके से भी जाहिर कर सकते हैं."

आप्रवासन पर कड़ा रुख अपना रहे हैं मैर्केल के पूर्व सहयोगीतस्वीर: Getty Images

यूरोप में पसरता दक्षिणपंथ का साया

2015 में शरणार्थियों का स्वागत करते हुए तत्कालीन चांसलर मैर्केल ने कहा, "हम यह मैनेज कर सकते हैं." इसके बाद जर्मनी समेत कई यूरोपीय देशों में बड़ी संख्या में आप्रवासी आने लगे. इस बयान के आठ साल बाद अब यूरोपीय संघ समेत यूरोप के करीबन सभी देश शरणार्थियों को रोकने के लिए तमाम जतन कर रहे हैं.

मैर्केल के शासन के दौरान ऑस्ट्रिया में लंबे समय बाद धुर-दक्षिणपंथी पार्टी की सरकार बनी. इसके बाद पोलैंड, हंगरी, स्विट्जरलैंड, इटली, स्वीडन, फिनलैंड और सर्बिया में भी दक्षिणपंथी पार्टियां सत्ता में आईं.

यूरोपीय संघ के ज्यादातर देशों में शरणार्थी बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन चुके हैं. इसके सहारे दक्षिणपंथी पार्टियां सत्ता में आ रही हैं. अब यूरोपीय संघ भी सख्त आप्रवासन नीति बना रहा है. ग्रीस, पोलैंड, हंगरी और इटली के बाद अब जर्मनी, ऑस्ट्रिया, और डेनमार्क जैसे देशों में भी सीमा पर कड़ी निगरानी की जा रही है.

जर्मनी में खुद मैर्केल की पार्टी क्रिस्चन डेमोक्रैटिक यूनियन (CDU) इस पर कड़ा रुख अपना रही है. उसे कड़े आप्रवासन कानूनों की मांग करने वाली AFD से कड़ी टक्कर मिल रही है. सितंबर में हुए सर्वे में AFD ने जर्मन सरकार में शामिल तीनों पार्टियों को पीछे छोड़ दिया. AFD फिलहाल CDU के बाद जर्मनी की दूसरी सबसे लोकप्रिय पार्टी बनी हुई है. AFD की इस कामयाबी ने उदार और सामाजिक सरोकारों की बात करने वाले दलों को भी कड़ा रुख अपनाने पर मजबूर किया है.

ओएसजे/वीएस (डीपीए)

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