1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

पुतिन, ट्रंप और शरणार्थियों पर बहुत कुछ कहती है 'फ्रीडम'

२६ नवम्बर २०२४

पूर्व जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल ने अपने संस्मरणों पर किताब लिखी है. मैर्केल की किताब में पुतिन और ट्रंप समेत दुनिया के कई बड़े समकालीन राजनेताओं और उनके देशों से जर्मनी के संबंधों का जिक्र है.

मैर्केल की किताब एक साथ 30 भाषाओं में बाजार में उतरी है
अंगेला मैर्केल ने किताब में अपने फैसलों का बचाव किया हैतस्वीर: ROPI/picture alliance

जर्मन में 'फ्राइहाइट' नाम से और अंग्रेजी में 'फ्रीडम' के शीर्षक के साथ यह किताब इसी हफ्ते बाजार में उतरी है. इसे 30 भाषाओं में प्रकाशित किया गया है. लंबे समय से इसकी प्रतीक्षा हो रही थी. अंगेला मैर्केल यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था जर्मनी की 16 साल तक चांसलर रहीं. 736 पन्नों की किताब में मैर्केल ने अपनी नीतियों, फैसलों और अनुभवों का विस्तार से ब्यौरा देने के साथ ही अपना बचाव भी किया है.

फैसलों का बचाव

2021 में कुर्सी से उतरने के बाद से ही मैर्केल पर रूस को लेकर ज्यादा नर्म रुख अपनाने के आरोप लगते रहे हैं. आरोप है कि इसी वजह से जर्मनी सस्ती रूसी गैस पर खतरनाक रूप से निर्भर हो गया. इसके साथ ही प्रवासियों को लेकर उनके खुले द्वार की नीति ने देश में कई समस्याओं और धुर दक्षिणपंथी ताकतों के उभार का रास्ता बना दिया.

अंगेला मैर्केल ने अपनी किताब में जर्मन संविधान में कर्ज की सीमा को लेकर बनाई गई नीति का भी जिक्र किया हैतस्वीर: Kay Nietfeld/dpa/picture alliance

मैर्केल की आत्मकथा ऐसे वक्त में आई है जब यूक्रेन और मध्य पूर्व में जंग छिड़ी है. इसके साथ ही अमेरिका के व्हाइट हाउस में डॉनल्ड ट्रंप की वापसी होने जा रही है और जर्मनी में सत्ताधारी गठबंधन टूटने के बाद मध्यावधि चुनाव होने जा रहे हैं.

70 साल की मैर्केल को उनके शांत और स्थिर नेतृत्व शैली के लिए जाना जाता है. उन्होंने मौजूदा बखेड़ों को पूरी तरह से खारिज किया है. मैर्केल ने ये किताब लंबे समय तक उनकी सलाहकार रही बियाटे बाउमन के साथ लिखी है. कई सालों तक सार्वजनिक नजरों से दूर रहने के बाद मैर्केल ने कई मीडिया संस्थानों को इंटरव्यू दिए हैं. इसमें उन्होंने साम्यवादी पूर्वी जर्मनी के बचपन के दिनों के साथ ही रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और डॉनल्ड ट्रंप से तीखे टकरावों का भी जिक्र किया है. जो मैर्केल के मुताबिक, "ऐसे राजनेताओं के शिकंजे में था जिनकी प्रवृत्तियां निरंकुश और तानाशाही थीं."

शरणार्थियों का आना नहीं रोका

अपने संस्मरण में मैर्केल ने अपने विचारों और कामों के बारे में खुल कर बात की है. इनमें 2015 में बड़ी संख्या में शरणार्थियों को आने देना भी शामिल है. इस घटना ने उनके नेतृत्व के आखरी वर्षों को सबसे ज्यादा प्रभावित किया है.

आलोचक मैर्केल पर शरणार्थियों का खुली बांहों से स्वागत करने का आरोप लगाते हुए जर्मनी में धुर दक्षिणपंथी पार्टी अल्टरनेटिव फॉर जर्मनी (एएफडी) के उभार का जिम्मेदार मानते हैं. उस समय सीरिया से आए शरणार्थियों के साथ मैर्केल ने सेल्फी ली थी. उनका कहना है, वह "अब भी नहीं समझती हैं कि कैसे लोगों ने यह मान लिया कि एक तस्वीर में नजर आ रहा दोस्ताना चेहरा लाखों लोगों को उनका घर छोड़ कर भागने के लिए प्रोत्साहित करेगा."

डॉनल्ड ट्रंप के पहले कार्यकाल में मैर्केल के साथ उनके रिश्तों में तनातनी रही हैतस्वीर: Kay Nietfeld/dpa/picture alliance

मैर्केल ने माना है, "यूरोप  को हमेशा अपनी बाहरी सीमाओं की रक्षा करनी चाहिए." हालांकि वह जोर दे कर कहती हैं, "समृद्धि और कानून का शासन हमेशा जर्मनी और यूरोप को ऐसी जगह बनाएंगे... जहां लोग जाना चाहते हैं."

इसके साथ ही उन्होंने किताब के फ्रेंच संस्करण में लिखा है कि जर्मनी की तेजी से बूढ़ी होती आबादी, "कामगारों की कमी पैदा कर रही है और कानूनी रूप से प्रवासन को जरूरी बना रही है." 

आप्रवासन पर अपने मंत्र पर कायम हैं मैर्केल

 उस वक्त मैर्केल ने बड़ी बुलंदी के साथ घोषणा की थी, "हम यह कर सकते हैं." मैर्केल की दलील है कि इस घिसे पिटे बयान में यह संदेश  छिपा था, "जब भी बाधाएं हो, हमें उन्हें दूर करने के लिए जरूर काम करना चाहिए."

पुतिन और रूस से संबंध

मैर्केल रूसी भाषा भी बोलती हैं और पुतिन जर्मन भाषा. उन्होंने पुतिन के साथ सालों तक चले संबंधों का भी बचाव किया है. पूर्व केजीबी एजेंट पुतिन ने एक बार मैर्केल के साथ बैठक के दौरान अपने लैब्राडोर कुत्ते को भी वहां आने दिया था और वो जानते थे कि मैर्केल को कुत्तों से डर लगता है.  

रूसी नेता के बारे में मैर्केल ने लिखा है, "एक आदमी जिसकी निरंतर तलाश रही, जो अपने साथ दुर्व्यवहार की आशंका से डरा हुआ है और हमेशा हमला करने के लिए तैयार रहता है, इसमें कुत्ते के साथ अपनी ताकत दिखाना और दूसरों को इंतजार कराना भी शामिल है." हालांकि उन्होंने यह भी लिखा है, "तमाम मुश्किलों के बावजूद" वह सही थीं कि उन्होंने, "रूस के साथ संबंधों को टूटने नहीं दिया... और कारोबारी रिश्तों के जरिए समझौतों को बचाने में सफल हुईं." मैर्केल ने दलील दी है कि यह सच्चाई है कि, "अमेरिका के साथ रूस दुनिया की दो सबसे प्रमुख परमाणु ताकतों में एक है."

पुतिन और मैर्केल के दौर में जर्मनी और रूस के बीच कारोबारी संबधों को बढ़ावा मिलातस्वीर: Matthias Hiekel/dpa/picture-alliance

मैर्केल ने यूक्रेन के नाटो में शामिल होने के विरोध को भी उचित ठहराया है. 2008 में बुखारा के सम्मेलन में मैर्केल ने इस प्रस्ताव का विरोध किया था. उनका कहना है कि नाटो की उम्मीदवारी यूक्रेन को पुतिन के हमले से बचाएगी, यह सोच अवास्तविक है. 

फरवरी 2022 में यूक्रेन पर रूस के हमले और फिर नॉर्ड स्ट्रीम पाइपलानों में तोड़फोड़ के बाद जर्मनी को सस्ती रूसी गैस की सप्लाई बंद हो गई. इसकी वजह से यहां काफी आर्थिक मुश्किलें पैदा हुईं. हालांकि मैर्केल इस आलोचना को खारिज करती हैं कि उन्होंने बाल्टिक सागर से पाइपलाइनों को मंजूरी दी थी उनका कहना है कि नॉर्ड स्ट्रीम 1 पर उनके पूर्ववर्ती चांसलर गेरहार्ड श्रोएडर ने दस्तखत किए थे. श्रोएडर की पुतिन से पुरानी दोस्ती रही है.  

2014 में जब पुतिन ने क्रीमिया को रूस में मिला लिया. इसके बाद मैर्केल ने नॉर्ड स्ट्रीम 2 को मंजूरी दी थी. मैर्केल का कहना है कि "उस समय कंपनियों और गैस का इस्तेमाल करने वालों के लिए जर्मनी और कई यूरोपीय देशों में गैस हासिल करना मुश्किल था." यह नहीं होता तो दूसरे स्रोतों से ज्यादा महंगी लिक्विफाइड नेचुरल गैस खरीदनी पड़ती.

30 वर्षों में कितना बदल गईं मैर्केल

 कर्ज सीमा पर संविधान में सुधार

 अंगेला मैर्केल ने जर्मनी में सरकार के खर्च के लिए कर्ज की संवैधानिक सीमा में सुधार करने का बचाव किया है. पूर्व चांसलर ने लिखा है कि कर्ज सीमा बढ़ाने के पीछे जो नीति थी वो अब भी सही है, "सामाजिक अशांति से बचने और आबादी की आयु संरचना में बदलावों के साथ चलाने के लिए, डेब्ट ब्रेक में सुधार होना चाहिए जिससे कि भविष्य के निवेशों के लिए कर्ज लिया जा सके." जर्मनी में अगले चुनाव से पहले इस मुद्दे की बड़ी चर्चा हो रही है.

सत्ता के 16 सालों की सबसे बड़ी चुनौतियां

02:41

This browser does not support the video element.

जर्मनी के संविधान में डेब्ट ब्रेक यानी कर्ज सीमा को 2009 में शामिल किया गया. यह  संघीय और 16 राज्यों की सरकारों को अपने बजट के लिए और कर्ज लेने से मोटे तौर पर रोकता है. क्षेत्रीय सरकारों के जहां कर्ज लेने पर पूरी तरह से प्रतिबंध है, वहीं संघीय सरकार को कुछ आपातकालीन परिस्थितियों में जीडीपी का 0.35 फीसदी तक कर्ज लेने की अनुमति है.

मैर्केल की बातों ने उन्हें उनकी ही पार्टी सीडीयू के कई नेताओं के खिलाफ खड़ा कर दिया है. सीडीयू अपनी बवेरियाई सहयोगी पार्टी सीएसयू के साथ लंबे समय से इस नीति पर टिके रहने की मांग कर रही है. जर्मनी के चुनाव में सीडीयू/सीएसयू के शीर्ष उम्मीदवार फ्रीडरिष मैर्त्स बड़ी सावधानी के साथ डेब्ट ब्रेक में सुधारों की बात करते हैं. सर्वेक्षणों में उनके जर्मनी का अगला चांसलर बनने की उम्मीद जताई जा रही है. मैर्त्स का कहना है, "निश्चित रूप से इसमें सुधार हो सकता है. सवाल हैः क्यों? किस उद्देश्य के लिए? इस सुधार का नतीजा क्या है? क्या यह वो नतीजा है जिसके लिए हम और ज्यादा पैसा उपभोग और सामाजिक नीति पर खर्च करें? तो फिर जवाब है नहीं."

एनआर/ओएसजे (डीपीए, एएफपी)

डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी को स्किप करें

डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी

डीडब्ल्यू की और रिपोर्टें को स्किप करें

डीडब्ल्यू की और रिपोर्टें