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“नावाल्नी को मारने के लिए दिया गया सोवियत काल का जहर”

३ सितम्बर २०२०

जर्मन राजधानी बर्लिन के अस्पताल में इलाज करा रहे रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के आलोचक अलेक्सी नावाल्नी को जहर दिए जाने की पुष्टि हो गई है. जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल ने इस पर रूस से जवाब मांगा है.

Russland Moskau Nawalny
तस्वीर: Reuters/T. Makeyeva

चांसलर मैर्केल ने नावाल्नी को "नर्व एजेंट देकर हत्या की कोशिश" करार देते हुए इस पर रूस से अपनी स्थिति साफ करने को कहा है. जर्मनी में हुए टॉक्सिकोलॉजी टेस्ट से साबित हुआ है कि नावाल्नी को नोविचोक नामके जहर का निशाना बनाया गया. मैर्केल ने कहा कि नावाल्नी "उस अपराध का पीड़ित है जो उन्हें चुप कराने के मकसद से किया गया" और इसकी गंभीरता को देखते हुए उनके लिए इस पर अपनी "एक साफ स्थिति लेना" जरूरी है.

रूस से जवाब-तलब

चांसलर ने कहा कि इस मामले से कुछ ऐसे "बहुत गंभीर प्रश्न खड़े होते हैं जिनका जवाब केवल रूसी सरकार दे सकती है - और उसे देना भी होगा.” इससे पहले जर्मन सरकार के प्रवक्ता श्टेफेन जीबर्ट ने बयान दिया था कि जर्मनी के मिलिट्री अस्पताल में हुए टेस्ट से बिल्कुल साफ पुष्टि हुई है कि रूसी नेता नावाल्नी को नोविचोक नामका जहर दिया गया. जर्मनी के विदेश मंत्री हाइको मास ने इस पर चर्चा के लिए रूसी राजदूत को समन किया है. नोविचोक सैन्य इस्तेमाल में आने वाला एक ऐसा नर्व एजेंट है जिसे शीतकाल के अंत में सोवियत संघ ने विकसित किया था. आज तक इसके रूसी सेना से बाहर कहीं मौजूद होने की कोई जानकारी नहीं है.

जर्मनी अब यूरोपीय संघ और नाटो सहयोगियों से इसकी चर्चा कर उचित प्रतिक्रिया तय करेगा. नाटो प्रमुख ने भी एक ट्वीट में इस पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए लिखा: "नाटो किसी भी तरह के रासायनिक हथियारों के इस्तेमाल को अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए खतरा मानता है."

इसके अलावा नर्व एजेंट पाए जाने के कारण रासायनिक हथियारों पर प्रतिबंध लगाने वाले संगठन, ओपीसीडब्ल्यू, को भी इसकी जानकारी दी गई है. इस मामले पर सबके एक साथ आकर संयुक्त कूटनीतिक प्रतिक्रिया देने का आह्वान करते हुए चांसलर मैर्केल ने कहा कि "अलेक्सी नावाल्नी के खिलाफ हुए अपराध का निशाना वे बुनियादी मूल्य और अधिकार हैं, जिनका हम समर्थन करते हैं."    

छिड़ गई कूटनीतिक लड़ाई

रूस के विपक्षी नेता नावाल्नी राष्ट्रपति पुतिन के कुछ सबसे कड़े आलोचको में से एक हैं. वह और उनके साथी एक बार पहले भी उन्हें जहर दिए जाने का दावा कर चुके हैं. यह तब हुआ था जब उन्हें रूसी राजधानी मॉस्को की एक जेल में हिरासत में रखा गया था. इसके अलावा उन पर सार्वजनिक रूप से भी कई हमले हुए हैं.

नोविचोक नामक जो नर्व एजेंट जहर नावाल्नी को दिया गया, वही 2018 में एक पूर्व डबल एजेंट सर्गेई स्क्रीपाल को भी इंग्लैंड में दिया गया था. नावाल्नी 20 अगस्त को जब साइबेरिया से मॉस्को की उड़ान में थे, तभी विमान में अचानक उनकी तबीयत खराब हो गई. विमान को साइबेरिया के ही ओम्स्क में इमरजेंसी लैंडिंग करनी पड़ी और उन्हें अस्पताल पहुंचाया गया, जहां वह कोमा में चले गए. इसके बाद दो दिन तक चली तमाम अंतरराष्ट्रीय कोशिशों के बाद रूसी डॉक्टरों ने उन्हें बर्लिन ले जाने की अनुमति दी, जहां के शेरिटे अस्पताल में उनका इलाज चल रहा है. नावाल्नी अब भी मेडिकली-इंड्यूस्ड कोमा की हालत में हैं और वेंटिलेटर पर रखे गए हैं. शेरिटे के डॉक्टरों का कहना है कि वह अब खतरे से बाहर हैं लेकिन उनकी हालत बेहद गंभीर बनी हुई है.

 

अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया

लगभग सभी बड़े अंतरराष्ट्रीय संगठनों और देशों की ओर से इस घटना की कड़े शब्दों में निंदा की गई है. ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने रासायनिक हथियार के इस्तेमाल को "बेरहमी” बताते हुए रूसी सरकार से जवाब मांगा है. अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के प्रवक्ता जॉन उल्यट ने अमेरिका की आपत्ति जताते हुए ट्वीट किया: "रूसी लोगों को शांति से अपना मत रखने का हथिकार है और इसके लिए उन्हें इस तरह की कार्रवाई से डराना नहीं चाहिए, खासतौर पर केमिकल एजेंटों से."

इसके अलावा फ्रांस के विदेश मंत्री और पोलैंड के उप विदेश मंत्री की कड़ी निंदा के अलावा यूरोपीय परिषद की अध्यक्ष उर्सुला फॉन डेय लायन ने कहा: "एक बार और - यह एक घृणित और कायराना कृत्य है, दोषियों को इसकी सजा मिलनी ही चाहिए." ईयू के विदेश मामलों के प्रमुख योसेप बोरेन ने पूरे यूरोपीय ब्लॉक की ओर से "कठोरतम संभव रूप में” इस तरह से जहर दिए जाने की निंदा की है और "किसी भी स्थिति में रासायनिक हथियारों के इस्तेमाल को अस्वीकार्य और अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन बताया है."

क्रेमलिन के प्रवक्ता ने पहले कहा था कि  रूसी डॉक्टरों को तो नावाल्नी के शरीर में किसी जहर के सबूत नहीं मिले थे. इस तरह रूस ने जर्मनी पर ही संदेह खड़े किए हैं. रूस की ओर से इस आरोप पर प्रतिक्रिया देते हुए रूसी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया जाखारोवा ने रूसी सरकारी टेलिविजन पर बोलते हुए जर्मनी पर ही उल्टा आरोप लगाया था कि बर्लिन  "बिना कुछ साक्ष्य दिए यूं ही सार्वजनिक रूप से बयान दे रहा है."

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