इस्राएल-फलस्तीनी विवाद: दो राष्ट्रों वाले हल के हक में यूएन
१३ सितम्बर २०२५
दो राष्ट्रों वाले प्रस्ताव के समर्थन में 142 वोट पड़े, जबकि विरोध में 10 वोट. इसका विरोध करने वालों में इस्राएल और उसका करीबी सहयोगी अमेरिका भी शामिल रहे. 12 देशों ने इस मतदान में हिस्सा नहीं लिया. प्रस्ताव में आतंकवादी संगठन हमास की साफ तौर पर निंदा की गई और उससे हथियार डालने की मांग भी की गई.
इस्राएल बीते दो साल से संयुक्त राष्ट्र की संस्थाओं की आलोचना कर रहा था कि उन्होंने इस्राएल पर 7 अक्टूबर 2023 के हमले की निंदा नहीं की है. लेकिन अब फ्रांस और सऊदी अरब की तरफ से पेश किए गए घोषणापत्र में पूरी स्पष्टता से इसका जिक्र किया गया है. हमास के इस हमले में 1200 से ज्यादा लोग मारे गए थे और 250 लोगों को बंधक बना लिया गया था. घोषणापत्र में हमास से कहा गया है कि वह सभी बंधकों को रिहा करे.
इस हमले के बाद इस्राएल ने गाजा में हमास के खिलाफ युद्ध छेड़ा जिसमें अब तक 60 हजार से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं और लाखों बेघर हो गए हैं. घोषणापत्र में गाजा युद्ध को खत्म करने के लिए सामूहिक कदमों पर जोर दिया गया है ताकि "दो राष्ट्रों वाले समाधान को प्रभावी तरीके से लागू कर इस्राएल-फलस्तीनी विवाद का न्यायसंगत, शांतिपूर्ण और स्थाई समाधान हासिल किया जा सके."
अरब लीग पहले ही इस घोषणापत्र का समर्थन कर चुका है और जुलाई में कई अरब देशों समेत संयुक्त राष्ट्र के 17 सदस्य देश इस पर हस्ताक्षर कर चुके हैं.
इस्राएल ने प्रस्ताव ठुकराया
इस्राएल ने संयुक्त राष्ट्र के दो राष्ट्रों वाले समाधान को खारिज किया है. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में इस्राएली विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ओरेन मारमोश्टाइन ने कहा कि यह घोषणापत्र दिखाता है कि संयुक्त राष्ट्र महासभा 'एक सर्कस है जिसका वास्तविकता से कोई लेना देना नहीं है.' उन्होंने कहा, "संयुक्त राष्ट्र समर्थित इस प्रस्ताव के दर्जनों प्रावधानों में कहीं भी इस बात का जिक्र नहीं है कि हमास एक आतंकवादी संगठन है."
इस्राएल, अमेरिका, यूरोपीय संघ, जर्मनी और कई अन्य देश हमास को आतंकवादी संगठन मानते हैं. मारमोश्टाइन ने आगे लिखा, "यह प्रस्ताव शांति के समाधान को आगे नहीं बढ़ाता है, बल्कि यह हमास को युद्ध जारी रखने के लिए उत्साहित करता है." इससे पहले, गुरुवार को इस्राएली प्रधानमंत्री बेन्यामिन नेतान्याहू ने कहा था कि वह फलस्तीनी राष्ट्र नहीं बनने देंगे.
रुबियो इस्राएल के दौरे पर
उधर अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो शनिवार को इस्राएल का दौरा करेंगे. अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता टॉमी पिगोट ने कहा कि इस दौरे का मकसद "इस्राएल विरोधी कदमों से लड़ने के लिए अमेरिकी प्रतिबद्धता को फिर से व्यक्त करना है. ऐसे कदमों में एकतरफा तौर पर फलस्तीनी राष्ट्र को मान्यता देना और आतंकवादी के आतंकवाद को पुरस्कृत करना भी शामिल है."
इस बीच, फलस्तीनी मेडिकल सूत्रों ने बताया है कि शुक्रवार को गाजा पट्टी में अलग-अलग जगहों पर इस्राएली हवाई हमलों में कम से कम 35 लोग मारे गए. इसमें ज्यादातर मौतें गाजा सिटी में हुई हैं. हालांकि इन रिपोर्टों की स्वतंत्र तौर पर पुष्टि नहीं की जा सकी है. गाजा सिटी में एक घर पर हुए हमले में कम से कम 14 लोगों के मरने की बात कही गई है जबकि इसके मलबे में कई अन्य लोगों के फंसे होने की आशंका है.