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औरतों वाले काम में आदमी का क्या काम

२२ मार्च २०२२

आज भी मिडवाइफ के पेशे में बहुत कम आदमी हैं. जिसके नाम में ही 'वाइफ' हो, उससे जुड़ने में हिचक होना ही एक कारण है या कोई और अंतर होता है जब लेबर रूम में एक पुरुष बच्चा पैदा करवाए.

Als Mann im Frauen-Beruf Hebamme
तस्वीर: Friso Gentsch/dpa/picture alliance

17 घंटे तक दर्द झेलने के बाद एक स्वस्थ बच्चा पैदा हुआ. मां थक के चूर. पिता ने चैन की सांस ली. और बाकी सब खुश. यह दृश्य तो आम है, लेकिन ठहरिए. लेबर रूम में बच्चा पैदा करवाने वाला मिडवाइफ तो एक आदमी है. नाम है जोनास क्यूपर्स. उम्र 30 साल. जर्मनी जैसे विकसित यूरोपीय देश में आज भी जोनास जैसे पेशेवर गिने-चुने ही मिलते हैं. अनुमान है कि पूरे देश में 24,000 के आसपास मिडवाइफ हैं. इनमें से पुरुषों की संख्या सटीक तौर पर बताना मुश्किल है, लेकिन कुछ भरोसेमंद स्रोतों के हवाले से जर्मनी में पुरुष मिडवाइफों की संख्या छह से 30 के बीच मानी जा सकती है.

मिडवाइफ की क्लास में लड़के

जोनास ने जर्मनी के बीलेफेल्ड शहर के खास मिडवाइफरी के स्कूल में ट्रेनिंग ली है. उन्होंने महिलाओं के दबदबे वाले पेशे में आने का फैसला क्यों लिया? वह कहते हैं, "मिडवाइफ तो नहीं, लेकिन मेडिकल पेशे में मैं हमेशा से जाना चाहता था. मैंने अल्टरनेटिव प्रैक्टिशनर के तौर पर ट्रेनिंग भी ली." जोनास बताते हैं कि जब उनके दोस्त मिडवाइफ के पेशे में जाने लगे, तब उनकी भी दिलचस्पी जगी. जब खुद जोनस ने डिलीवरी रूम में इंटर्नशिप की, तो वह अनुभव यादगार रहा. वह कहते हैं, "जब मैंने पहले बच्चे का जन्म करवाया, तो मैं बहुत बहुत खुश था."

फिलहाल जर्मनी में मिडवाइफ की पढ़ाई को मानकीकृत किया जा रहा है. इसे बैचलर्स के डिग्री कोर्स में बदला जा रहा है. इसमें पढ़ाई के साथ साथ प्रैक्टिकल ट्रेनिंग को भी रखा गया है. जोनास के लिए यह सब 2020 में शुरू हुआ. एक मिडवाइफ के तौर पर उनका काम डिलीवरी रूम से लेकर पोस्टपार्टम वार्ड, जच्चा और बच्चा वॉर्ड में रहता है. जोनास ने एक फ्रीलांसर के तौर पर प्राइवेट मिडवाइफों के साथ काम भी किया है. वह बताते हैं कि हर जगह उन्हें अपनी सर्विस के लिए बहुत पॉजिटिव फीडबैक मिला. मां बनने जा रही महिलाएं, परिवार और खुद उनके सहकर्मी एक पुरुष मिडवाइफ के साथ काम करके खुश ही होते हैं.

जोनास ने बाकायदा मिडवाइफ बनने की ट्रेनिंग ली हैतस्वीर: Friso Gentsch/dpa/picture alliance

क्या आदमी यह काम औरतों से अलग करते हैं

प्रसूति-विज्ञान या आम भाषा में कहें तो दाई का काम अब जोनास को बहुत पसंद आता है. बच्चे को जन्म देने जा रही महिलाओं का साथ देना, उनकी चिंताएं और डर दूर करना, उनके सवालों के सही जवाब देना और जन्म देने की पूरी प्रक्रिया में उनका साथ देना. बच्चे के जन्म के बाद भी एक मिडवाइफ नए माता-पिता को शुरुआती जानकारी और तौर-तरीके सिखाकर अपनी सेवाएं देता है. इसमें शामिल है डायपर बदलने, नहलाने की ट्रेनिंग, ब्रेस्टफीडिंग का सही तरीका और समय वगैरह.

इसके साथ साथ नवजात के जीवन के पहले महीने में मिडवाइफ घर जाकर बच्चे की सेहत और वजन बढ़ने पर नजर रखता है. क्या एक पुरुष मिडवाइफ किसी मामले में महिलाओं से अलग होता है? जोनास तो ऐसा नहीं मानते. लेकिन, उनके कुछ मरीजों ने ऐसा जरूर कहा कि वह बच्चों के साथ महिलाओं से भी ज्यादा सावधानी और सौम्यता से पेश आते हैं.

करियर बनाने और कमाई के मौके

विशेषज्ञ बताते हैं कि आने वाले समय में इस पेशे में पुरुषों की आमद और बढ़ने की उम्मीद है. पूरे यूरोप में कई जगहों पर उनकी सेवाओं की मांग है और यह करियर बनाने का एक अच्छा विकल्प है. जानकार यह भी कहते हैं कि ज्यादा से ज्यादा पुरुषों के आने से इस पेशे में आमदनी भी बढ़ेगी और पेशेवरों का सम्मान भी. हैनोवर के एफएचएम संस्थान में मिडवाइपरी साइंस विभाग के प्रमुख श्वेंगर फिंक के अनुसार जर्मनी में भी मिडवाइफों की कमी है, जिसके कारण छोटे अस्पतालों के कई डिलीवरी रूमों को अस्थाई और कहीं-कहीं स्थाई रूप से बंद करना पड़ा.

जोनास का मामला देखें, तो बीलेफेल्ड और हैनोवर दोनों शहरों के एफएचएम सेंटरों में वह एकलौते पुरुष मिडवाइफ हैं. लेकिन श्वेंगर फिंक की मानना है कि यह तस्वीर बदलेगी. जर्मनी के मुकाबले इटली जैसे दूसरे यूरोपीय देशों में माहौल थोड़ा अलग है. इटली जैसे कुछ और देशों में भी इस पेशे को केवल महिलाओं का काम नहीं माना जाता. जोनास को भी एक बार एक अनुभव हुआ था, जब डिलीवरी रूम में ज्यादा अनुभवी मिडवाइफ ने पूछा था कि वह कैसे महिलाओं की योनि की जांच कर सकते हैं. इसके जवाब में जोनास ने उन अनगिनत पुरुष गाइनेकोलॉजिस्ट की मिसाल दी, जिनसे कोई ऐसे सवाल नहीं पूछता.

जर्मनी के सबसे ज्यादा आबादी वाले राज्य नॉर्थ राइन वेस्टफेलिया में मिडवाइफों की राज्य स्तरीय एसोसिएशन की अध्यक्ष बारबरा ब्लोमायर कहती हैं, "पुरुष मिडवाइफों के साथ लोगों का अनुभव अच्छा रहा है. हालांकि, अंत में यह महिला का फैसला होना चाहिए अगर वह किसी महिला मिडवाइफ को ही लेना चाहे." जोनास भी चुनने का आजादी का समर्थन करते हैं और बताते हैं कि कई बार डिलीवरी रूम में पिता बनने जा रहे पुरुष उनको वहां पाकर ज्यादा राहत महसूस करते हैं. जोनास कहते हैं, "हालात ऐसे होते हैं कि गर्भवती महिला दर्द में है और उनके पार्टनर भी उसकी ज्यादा मदद नहीं कर पाते. ऐसे में वह माहौल पुरुषों के लिए काफी मुश्किल होता है और मेरे वहां रहने से उन्हें भी सहारा मिलता है."

ऋतिका पाण्डेय (डीपीए)

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