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समाज

महानगरों में प्रवासियों की वापसी

१८ अगस्त २०२०

देश में जब लॉकडाउन लगा तो बड़े शहरों और महानगरों में काम करने वाले प्रवासी मजदूर जैसे-तैसे अपने गांव की ओर लौट गए लेकिन गांव में सीमित विकल्पों के कारण उन्हें वापस शहर की ओर लौटना पड़ रहा है.

तस्वीर: picture-alliance/Pacific Press/J. Chattopadhyay

भारत में कोरोना वायरस का कहर बढ़ता जा रहा है और इस महामारी से देश में अब तक 51,797 लोगों की मौत हो चुकी है. कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए देश में पांच महीने पहले लॉकडाउन लगाया गया था और जरूरी सेवाओं को छोड़कर सब कुछ बंद कर दिया गया था. शहर में रहकर काम करने वाले लोगों के सामने जब रोजगार का संकट पैदा हुआ तो वे अपने गांव की ओर लौट गए. उनके पैदल और ट्रक में लदकर जाने की तस्वीरों ने सभी का ध्यान खींचा लेकिन अब प्रवासी कामगार वापस बड़े शहरों की ओर लौट रहे हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि गांव में रोजगार के विकल्प सीमित हैं.

अनलॉक के बाद रोजगार की आस में प्रवासी मजदूर दिल्ली, मुंबई, चेन्नई और कोलकाता जैसे शहरों में वापस आ रहे हैं. ग्रामीण इलाकों से राजधानी दिल्ली में काम की तलाश में दोबारा लौटने वाले लोग बसों में भरकर पहुंच रहे हैं और बस अड्डे पर प्रवासियों के पहुंचने के बाद उन्हें लाइन में लगने को कहा जाता है जिसके बाद उनका रैपिड कोविड-19 टेस्ट होता है.

जो लोग कोरोना पॉजिटिव पाए जाते हैं उन्हें क्वारंटीन सेंटर भेज दिया जाता है. सोमवार को भी बड़ी संख्या में प्रवासी दिल्ली के अंतर-राज्यीय बस टर्मिनस पहुंचे. वे कुछ सामान के साथ दोबारा रोजगार की तलाश में पहुंचे हैं. ज्यादातर प्रवासियों ने चेहरे पर मास्क लगाया हुआ था या फिर गमछे से चेहरा ढंका हुआ था.

संक्रमण से लड़ने के उपायों को लागू करना कठिन हो गया है और संक्रमण की दर बढ़ी है. देश में कोरोना वायरस संक्रमितों की संख्या 27 लाख दो हजार के ऊपर पहुंच गई है. 20 लाख से अधिक संक्रमितों की संख्या के साथ भारत के ऊपर ब्राजील और अमेरिका है. हालांकि राहत की बात यह है कि मृत्यु दर घटकर 1.92 फीसदी रह गई है जबकि वैश्विक दर औसतन 3.5 फीसदी है.

आईसीएमआर के मुताबिक बीते 24 घंटे में देश में 7,30,000 से अधिक कोविड-19 टेस्ट किए गए हैं. सरकार का कहना है कि उसका लक्ष्य दस लाख टेस्ट प्रतिदिन करने का है. हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि 1.3 अरब की आबादी वाले देश के लिए यह कम है. चिंता इस बात को लेकर भी है कि रैपिड एंटीजेन टेस्ट पर निर्भरता बढ़ गई है. रैपिड एंटीजेन टेस्ट कई बार गलत नतीजे देता है.

एए/सीके (रॉयटर्स)

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