अंतरराष्ट्रीय मेडिकल चैरिटी संस्था डॉक्टर्स विदआउट बॉर्डर्स का कहना है कि अवैध प्रवासियों पर कार्रवाई के चलते कई महिलाएं तस्करी कर मेक्सिको लाई जा रही हैं. उनके साथ बलात्कार और अपहरण जैसी घटनाएं हो रही हैं.
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सेंट्रल अमेरिकी देश की महिलाएं जो अमेरिका में अवैध रूप से दाखिल होना चाहती हैं, उनके साथ अपहरण, बलात्कार जैसी वारदातें हो रही हैं. महिलाओं को तस्करी कर मेक्सिको भी लाया जा रहा है. यह कहना है अंतरराष्ट्रीय मेडिकल चैरिटी संस्था डॉक्टर्स विदआउट बॉर्डर्स (एमएसएफ) का.
साल 2019 के पहले 9 महीने में मेक्सिको के न्यूवो लारेडो शहर में एमएसएफ ने जिन महिलाओं का इलाज किया उनमें से 80 फीसदी महिलाओं ने कहा कि वे हिंसा की पीड़ित हैं, जिसमें अपहरण भी शामिल है. एमएसएफ के मेक्सिको कोऑर्डिनेटर सर्गियो मार्टिन ने थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन से कहा, "उनके साथ ऐसा बर्ताव किया जाता है जैसे वे इंसान नहीं हैं, उन्हें हिंसा का सामना करना पड़ा है और उनकी यात्रा में हिंसा और बढ़ी है."
मेक्सिको ने सेंट्रल अमेरिकी प्रवासियों को रोकने के लिए प्रयास तेज कर दिए हैं. ये लोग अपने लोग अपने देश में अक्सर हिंसा और गरीबी से छुटकारा पाने के लिए अमेरिकी सीमा तक पहुंचने की कोशिश करते हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के दबाव के बाद मेक्सिको ने प्रवासियों को सीमा पार जाने से रोकने के लिए चाक चौबंद इंतजाम किए हैं.
मेक्सिको ने सीमा पर नेशनल गार्ड की तैनाती की है, साथ ही वह प्रवासियों को डिटेंशन सेंटर में रखने के अलावा उन्हें वापस लौटा रहा है. मेक्सिको के आप्रवासी प्राधिकरण और आंतरिक मंत्रालय ने इस मामले पर फिलहाल टिप्पणी नहीं दी है. मेक्सिको के राष्ट्रपति लोपेज ओब्राडोर का कहना है कि वह प्रवासियों के मानवाधिकारों का सम्मान करते हुए प्रवासी कानून लागू करना चाहते हैं. शरण चाहने वाले 57,000 गैर-मेक्सिको प्रवासी को अमेरिका ने सुनवाई पूरी होने तक मेक्सिको वापस भेज दिया है, साथ ही उसने शरण मापदंड को भी प्रतिबंधित करते हुए एंट्री प्वाइंट पर अर्जी की संख्या को सीमित कर दिया है.
तस्वीरों में मेक्सिको का शरणार्थी संकट
फोटो जर्नलिस्ट गिलेर्मो आरियास को प्रतिष्ठित "वीजा दे ओर" पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. देखिए उन तस्वीरों को जिनके कारण उन्हें यह पुरस्कार दिया गया.
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अमेरिका चलो
2018 और 2019 में लगातार लाखों की तादाद में लोग मध्य अमेरिकी देशों से संयुक्त राज्य अमेरिका का रुख करते रहे. इन लोगों को उम्मीद है कि सीमा पार ये एक बेहतर जीवन जी सकेंगे. इन्हीं शरणार्थियों वाली अपनी इस फोटो श्रृंखला को गिलेर्मो आरियास ने नाम दिया है "कारवां".
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बच्चों के साथ
आरियास फ्रांस की समचार एजेंसी एएफपी के लिए काम करते हैं. उनकी कई तस्वीरों में ऐसे परिवारों को देखा जा सकता है जो छोटे बच्चों के साथ सीमा पार करने जा रहे हैं. इन लोगों को उम्मीद होती है कि बच्चों के कारण अर्जी को आराम से स्वीकार कर लिया जाएगा. लेकिन अमेरिकी सीमा पर हकीकत इससे अलग है. वहां अकसर बच्चों को उनके माता पिता से अलग कर दिया जाता है.
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मीलों का सफर
अमेरिका तक पहुंचना आसान नहीं. मीलों के इस सफर में कई हफ्ते लग जाते हैं. मेक्सिको के अलावा होंडूरास, निकारागुआ, ग्वाटेमाला और एल साल्वाडोर के लोग भी अमेरिका जाना चाहते हैं. कई बार तो इन्हें 2,000 किलोमीटर का रास्ता पैदल ही तय करना होता है. ये लोग अपने देशों के बुरे हालात और आपराधिक माहौल से भाग कर एक बेहतर जीवन की कामना में अमेरिका जाना चाहते हैं.
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मेक्सिको पर बोझ
पिछले दो सालों में मेक्सिको पर हुई बेइंतहा चर्चा के बाद से वहां मध्य अमेरिकी देशों से आने वालों की संख्या और भी बढ़ गई है. लोगों को लगता है कि मेक्सिको के रास्ते अमेरिका पहुंचना शायद ज्यादा आसान है. इस तस्वीर में एक व्यक्ति मेक्सिको जाने वाले एक ट्रक पर बच्चे को चढ़ाने की कोशिश कर रहा है.
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शरणार्थियों की मदद
इस बीच मेक्सिको ने अपने नियमों में ढील दी है. अन्य देशों से आ रहे लोगों को मेक्सिको की सीमा पर चिकित्सीय सुविधाएं भी मिल रही हैं और बच्चों को शिक्षा भी. लेकिन इसके विपरीत अमेरिका दिन पर दिन और सख्त होता जा रहा है. बच्चों को अलग डिटेंशन सेंटर में रखा जाता है. कई जगह इन केंद्रों में रह रहे लोगों के पास साफ पानी और साबुन जैसी बुनियादी चीजें भी नहीं हैं.
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पिछले साल सितंबर में अमेरिका से मेक्सिको वापस भेजे गए 41 में से 18 मरीजों ने एमएसएफ को बताया कि उनका हाल ही में अपहरण हुआ था. वह फिलहाल न्यूवो लारेडो में हैं और उन्होंने शरण के लिए अर्जी लगाई हुई है, जिस पर सुनवाई होनी है. मार्टिन कहते हैं, "हमें लगता है कि इन नीतियों का प्रत्यक्ष परिणाम है कि लोग अधिक हिंसा का शिकार हो रहे हैं." मार्टिन बताते हैं, "मानव तस्करों के चंगुल में फंसना उनके लिए आसान है और उन्हें देखने वाला कोई नहीं है."
एमएसएफ ने पाया कि 2018 और 2019 में 3,700 लोगों में से 78 फीसदी लोगों ने मानसिक स्वास्थ्य का इलाज कराया है, जिनमें हिंसा, यौन हिंसा और यातना के संकेत मिले. कुछ मरीजों ने बताया कि उनका अपहरण मेक्सिको में हुआ और उन्हें लंबे समय के लिए मजदूरी, यौन शोषण या आपराधिक समूहों के लिए काम करने के लिए भर्ती किया गया. चार में से एक महिला ने एमएसएफ को बताया कि उन्होंने अपनी यात्रा के दौरान यौन हिंसा का सामना किया.