चिंता उन 22 करोड़ औरतों की जो प्रेग्नेंट नहीं होना चाहतीं
१ नवम्बर २०१६
दुनिया में ऐसी करोड़ों औरतें हैं जो गलती से या ना चाहते हुए भी प्रेग्नेंट हो जाती हैं. ऐसी औरतें गरीबी बढ़ाती हैं. इस समस्या से निपटने की कोशिश हो रही है.
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दुनिया की ऐसी करोड़ों लड़कियां हैं जिन्हें गर्भनिरोध के साधन उपलब्ध नहीं हैं. इसका नतीजा यह होता है कि उन्हें अनचाहे गर्भ और असुरक्षित अबॉर्शन जैसे खतरे उठाने पड़ते हैं. इनमें से ज्यादातर महिलाएं विकासशील देशों की हैं और गरीब तबके से आती हैं. यानी यह एक दुष्चक्र है जिसके अंदर वे फंसती चली जाती हैं और उनमें से हजारों को इसकी कीमत जान देकर चुकानी पड़ती है.
2012 में लंदन में परिवार नियोजन पर एक सम्मेलन हुआ था. इस सम्मेलन में तय किया गया कि 2020 तक दुनिया की उन 12 करोड़ महिलाओं तक परिवार नियोजन के साधन पहुंचाने हैं जिन्हें इसकी जरूरत है. अब तक 3 करोड़ों महिलाओं तक ही ये सुविधाएं पहुंच पाई हैं. और अब एक रिपोर्ट बताती है कि यही रफ्तार रही तो 2020 का लक्ष्य हासिल नहीं हो पाएगा. रिपोर्ट कहती है, "अगर हम इस प्रक्रिया की रफ्तार नहीं बढ़ाते हैं तो हम 2020 तक का अपना वादा पूरा नहीं कर पाएंगे जो हमने लड़कियों और महिलाओं से किया था."
यह भी जानिए, गर्भावस्था के बारे में गलतफहमियां
गर्भावस्था से जुड़ी कुछ गलतफहमियां
प्रेग्नेंट महिलाओं को तो डॉक्टर से ज्यादा नसीहतें परिवार वाले देते हैं. अनुभव से सीखी दादी परदादी की बातें कई बार काम की होती हैं लेकिन हर नसीहत को मानने की जरूरत नहीं.
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अब से तुम्हें दो के लिए खाना है
यह सबसे आम धारणा है. जी नहीं, गर्भवती महिला को दो के लिए नहीं खाना होता क्योंकि बच्चे का आकर वयस्क जितना नहीं होता. गर्भावस्था में भूख हार्मोन के रिसाव के कारण लगती है, इसलिए नहीं कि बच्चा खाना मांग रहा होता है. कुल मिला कर प्रति दिन 300 कैलोरी ज्यादा लेना काफी होता है.
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दूध दही खाने से होगा गोरा बच्चा
भारत में गोरेपन के लिए लोग पागल हैं. बच्चे के पैदा होने से पहले ही उसके गोरा चिट्टा होने की बातें शुरू हो जाती हैं. दूध दही जैसी सफेद चीजें खा कर आपका बच्चा गोरा नहीं होगा और ना ही नारियल पानी पीने से. बच्चे का रंग माता पिता के जीन्स निर्धारित करते हैं.
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घी खाने से डिलीवरी में आसानी
यह समझना जरूरी है कि हमारा शरीर एक मशीन है जिसमें अलग अलग तरह के सिस्टम होते हैं. जब आप कुछ खाते हैं तो वह पाचन तंत्र में पहुंचता है, प्रजनन तंत्र में नहीं. इसलिए आप कितना भी घी खा लें, वह ल्यूब्रिकेंट का काम नहीं कर सकता.
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सेक्स करना सही नहीं
गर्भावस्था के दौरान महिला सेक्स का उतना ही आनंद ले सकती है जितना उससे पहले या बाद में. सेक्स करने से बच्चे को किसी भी तरह का नुकसान नहीं होता, बल्कि इसे योनि के लिए एक अच्छी कसरत के रूप में देखा जा सकता है.
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सुंदर बच्चे की तस्वीर देखो
जरूरत से ज्यादा तनाव से बचें, अच्छा सोचें, ये इसलिए जरूरी है ताकि सही प्रकार के हार्मोन शरीर में सक्रिय रहें लेकिन अपने सामने लड्डू गोपाल की तस्वीर लगा लेने से आपका बच्चा उनके जैसा नहीं दिखने लगेगा.
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सीढियां मत चढ़ो
आप सीढियां भी चढ़ सकती हैं, कसरत भी कर सकती हैं और जहां चाहे घूमने भी जा सकती हैं. आपके शरीर को जिस चीज की आदत है, उसे बनाए रखें. अगर पहले ये सब नहीं करती रही हैं, तो एक्सपेरिमेंट करने की जरूरत नहीं है.
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पेट का आकार बताता है लड़का या लड़की
पेट सामने की ओर निकला है तो बेटी, फैला हुआ है तो बेटा. जी नहीं, ऐसा कुछ भी नहीं होता. हां खेल खेल में मन बहलाने के लिए यह बुरा नहीं है.
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गोलू मोलू बच्चा यानी चंगी सेहत
अगर आप गर्भावस्था के दौरान बहुत ज्यादा घी और चीनी का सेवन करती हैं, तो उसका असर बच्चे की सेहत पर पड़ेगा. जी हां, बच्चा गोलमटोल पैदा होगा लेकिन यह खुश होने की बात नहीं है. सामान्य से ज्यादा वजन के बच्चे बड़े हो कर डायबटीज और दिल की बीमारियों का शिकार होते हैं.
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एफपी 2020 नाम की इस योजना के मुताबिक विकासशील दुनिया में 22.5 करोड़ महिलाएं और लड़कियां ऐसी हैं जो प्रेग्नेंट नहीं होना चाहतीं लेकिन उनके पास इससे बचने का कोई भरोसेमंद उपाय नहीं है. विकसित दुनिया में ऐसे बहुत से तरीके उपलब्ध हैं जिनके जरिए महिलाएं प्रेग्नेंसी को टाल सकती हैं. इस तरह वे पहले बच्चे से पहले अपने शरीर को समय दे सकती हैं. दो बच्चों के बीच जरूरी और उचित अंतर पैदा कर सकती हैं. इसका फायदा न सिर्फ उनके बल्कि बच्चों के स्वास्थ्य को भी पहुंचता है. इसलिए विशेषज्ञों का मानना है कि गर्भनिरोध के उपाय आर्थिक विकास में मददगार होते हैं. इन उपायों से महिलाओं की कार्यक्षमता बढ़ती है. वे अपने बच्चों के स्वास्थ्य और शिक्षा में ज्यादा वक्त और धन का निवेश कर सकती हैं. और ये सब चीजें कुल मिलाकर देश के विकास में ही मददगार साबित होती हैं.
देखिए, भारत में गर्भनिरोध कैसे करते हैं लोग
भारत में गर्भनिरोध कैसे करते हैं लोग
भारत के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार देश के ज्यादातर लोग परिवार नियोजन के लिए कंडोम या फिर अन्य पारंपरिक तरीकों का सहारा लेते हैं. देखिए, भारत में 2012-13 के आंकड़ों के हिसाब से कितने लोग कौन सा तरीका अपनाते हैं.
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पुरुष नसबंदी, 12 लाख (0.4%)
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महिला नसबंदी, 44 लाख 53 हजार (14%)
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कॉपर टी, 54 लाख 11 हजार (17.9%)
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गर्भ निरोधक गोली, 62 लाख 41 हजार (20.7%)
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पारंपरिक तरीके, एक करोड़ 39 लाख 31 हजार (46.2%)
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एफपी 2020 अभियान के समर्थकों का अनुमान है कि प्रेग्नेंसी में आई मुश्किलों के कारण रोजाना 800 महिलाओं की मौत होती है. किशोरियों के बीच तो यह मौत के मुख्य कारणों में से एक है. रिपोर्ट कहती है कि अब 69 सबसे गरीब देशों की 30 करोड़ औरतें गर्भनिरोध के आधुनिक तरीके इस्तेमाल कर रही हैं. 2003 से अब तक इस संख्या में 50 फीसदी का इजाफा हुआ है. इस मामले में सबसे तेजी से पूर्वी और दक्षिण अफ्रीकी देशों ने तरक्की की है. हालांकि एशिया और दक्षिण अमेरिका में स्थिति पहले से अच्छी थी लेकिन जितनी रफ्तार से इसे बढ़ना चाहिए था, वैसा नहीं हो पाया है.
अध्ययन बताते हैं कि परिवार नियोजन पर खर्च किया गया एक डॉलर स्वास्थ्य, घर, पानी और अन्य सुविधाओं पर छह डॉलर की बचत करवाता है.