संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी ने चेतावनी दी है कि पिछले पांच वर्षों में इराक में बारूदी सुरंगों और युद्ध में बचे हुए विस्फोटक अवशेष से कम से कम 519 बच्चे मारे गए हैं या घायल हुए हैं.
विज्ञापन
संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) और संयुक्त राष्ट्र माइन एक्शन सर्विस (यूएनएमएएस) ने साझा रिपोर्ट में कहा कि "प्रभावित बच्चों में 80 प्रतिशत लड़के हैं." रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि "लड़के बाल श्रम की घटनाओं से असमान रूप से प्रभावित हुए हैं क्योंकि ये लड़के हैं जो भेड़ और बकरियों को चराते हैं या धातु इकट्ठा कर उसे बेचते हैं."
हालांकि रिपोर्ट में कहा गया है कि इराक हाल के वर्षों में "खुले संघर्ष" का शिकार नहीं हुआ है, लेकिन विस्फोटक हथियारों के प्रभाव आने वाले वर्षों तक महसूस किए जाएंगे.
चैरिटी ह्यूमैनिटी एंड इंक्लूजन की एक रिपोर्ट के मुताबिक इराक "दुनिया के उन देशों में से एक है जो विस्फोटकों से सबसे ज्यादा ग्रस्त है." यह अनुमान लगाया गया है कि 3225 वर्ग किलोमीटर से अधिक के क्षेत्र बिना फटे हुए विस्फोटों से खतरनाक रूप से दूषित हैं.
विस्फोटक मुख्य रूप से ईरान, कुवैत और सऊदी अरब की सीमाओं के पास मौजूद हैं. ये सभी वह क्षेत्र हैं जहां इराक पिछले चार दशकों से सशस्त्र संघर्ष में उलझा हुआ है.
इराक का "होशियार" अली
होशियार अली अपने दोनों पैर खो चुके हैं. इसके बावजूद वह नकली पैरों के सहारे बारूदी सुरंगें नाकाम करते हैं. इराक का यह नागरिक नहीं चाहता कि कोई और इन सुरंगों की चपेट में आए.
तस्वीर: Reuters/A. Rasheed
बारूद के साथ जिंदगी
इराकी शहर हलब्जा के होशियार अली 53 साल के हैं. वह 35 साल से देश में बारूदी सुरंगों को नाकाम करने का काम कर रहे हैं.
तस्वीर: Reuters/A. Rasheed
धमाके में पैर खोए
1989 में बारूदी सुरंग नाकाम करते वक्त एक धमाका हुआ और अली अपना एक पैर खो बैठे. 1994 में इराक-ईरान बॉर्डर के पास काम करते हुए वह फिर बारूदी सुरंग की चपेट में आए और दूसरा पैर खो बैठे. लेकिन उन्होंने लोगों से वादा किया कि वह अपना काम नहीं छोड़ेंगे.
तस्वीर: Reuters/A. Rasheed
बारूदी सुरंगों का जाल
इराक के कुर्दिस्तान इलाके में बारूदी सुरंगों का जाल बिछा है. कुर्दों को विद्रोही मानने वाली इराकी, ईरानी और सीरियाई सत्ता ने इन बारूदी सुरंगों का काफी इस्तेमाल किया.
तस्वीर: Reuters/A. Rasheed
16,000 धमाके नाकाम
होशियार अली ने बारूदी सुरंगों को नाकाम करना अपनी जिंदगी का मकसद बना लिया है. बीते 35 साल में वे 16,000 बारूदी सुरंगें डिफ्यूज कर चुके हैं.
तस्वीर: Reuters/A. Rasheed
हर दिन ड्यूटी
1994 में दूसरा पैर खोने के बाद अली ने दो नकली पैरों का सहारा लिया. तब से वह करीब हर दिन फील्ड पर जाते हैं और लैंडमाइन नाकाम करते हैं. अली ने कुछ तरीके खुद इजाद किए हैं.
तस्वीर: Reuters/A. Rasheed
कुर्दों की पीड़ा
1930 के दशक में फ्रांस और ब्रिटेन ने अलग कुर्दिस्तान देश बनाने का वादा किया था, जो आज तक पूरा नहीं हुआ. इराक, ईरान और सीरिया कुर्दों को विद्रोही गुट मानते हैं और उन्हें दबाने की हर संभव कोशिश करते हैं. अली कुर्दिस्तान को आम लोगों के लिए महफूज बनाए रखना चाहते हैं.
तस्वीर: Reuters/A. Rasheed
कभी सद्दाम तो कभी आईएस
होशियार अली के मुताबिक पूर्व तानाशाह सद्दाम हुसैन के कार्यकाल में लगाई गई पैंथा सुरंगें, इस्लामिक स्टेट की बारूदी सुरंगों से ज्यादा ताकतवर हैं. पुरानी सुरंगों को नाकाम करने में वक्त भी ज्यादा लगता है.
तस्वीर: Reuters/A. Rasheed
सीधा फोन करो
1980 के दशक में कुर्दिस्तान आर्मी से रिटायर होने वाले होशियार अली का फोन नंबर आज भी मिलिट्री की हर डिवीजन के पास है. बारूदी सुरंग का शक होने पर सीधे होशियार अली को फोन किया जाता है.
तस्वीर: Reuters/A. Rasheed
माइन मैन
कुर्दिस्तान इलाके में होशियार अली बेहद मशहूर हैं, उन्हें "माइन मैन" के नाम से जाना जाता है. अली ने बारूदी सुरंगों के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए माइन म्यूजियम भी बनाया है. वह स्कूलों में जाकर बच्चों को भी सजग करते हैं.
तस्वीर: Reuters/A. Rasheed
एक बेहतर कल के लिए
होशियार अली कहते हैं कि वह जो कुछ भी कर रहे हैं वो आने वाली पीढ़ी के लिए है. वह नहीं चाहते कि कोई भी बच्चा बारूदी सुरंग की चपेट में आए.
तस्वीर: Reuters/A. Rasheed
10 तस्वीरें1 | 10
युद्ध के बाद बचे हुए विस्फोटक
बगदाद ने 1980 से 1988 तक ईरान के साथ युद्ध लड़ा, साथ ही पहला खाड़ी युद्ध, जो 1990 में कुवैत पर आक्रमण के साथ शुरू हुआ था. इसके बाद 2014 और 2017 के बीच एक अंतरराष्ट्रीय गठबंधन द्वारा समर्थित इराकी सेना ने इस्लामिक स्टेट जिहादी समूह के खिलाफ लड़ाई लड़ी.
यूनिसेफ और यूएनएमएएस के एक संयुक्त बयान में सभी पक्षों से बारूदी सुरंगों और युद्ध में बचे हुए विस्फोटक अवशेष को हटाने के प्रयासों में तेजी लाने में मदद करने का आह्वान किया गया. बयान के मुताबिक, "सभी पक्षों को बारूदी सुरंगों और विस्फोटकों को हटाने, पीड़ितों की मदद में सुधार लाने और बच्चों के सुरक्षित वातावरण में रहने के मूल अधिकार का समर्थन करने के लिए अपने प्रयासों को तेज करना चाहिए."
दुनिया भर के कम से कम 59 देशों में अभी भी बारूदी सुरंगें हैं. सूडान और अफगानिस्तान सबसे बुरी तरह प्रभावित हैं. यूएन हर साल 4 अप्रैल को इंटरनेशनल डे फॉर माइन एक्शन एंड अवेयरनेस डे के रूप में मनाता है.