महिलाओं के खिलाफ नफरत को उग्रवाद मानने की तैयारी में ब्रिटेन
१९ अगस्त २०२४
ब्रिटेन की गृह मंत्री इवेट कूपर ने उन लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का संकल्प लिया है जो "हानिकारक और नफरत फैलाने वाले विचारों" को आगे बढ़ा रहे हैं. इनमें महिलाओं के खिलाफ नफरत फैलाने वाले भी शामिल होंगे.
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महिला अधिकारों की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए ब्रिटेन ने एक नए नजरिए से अतिवाद से लड़ने का फैसला किया है. ब्रिटेन की गृह मंत्री इवेट कूपर ने कहा है कि अतिवादी सोच से लड़ने के लिए एक रणनीति बनाए जाने की जरूरत है और इसमें महिलाओं के खिलाफ नफरती सोच को बढ़ावा देना भी शामिल है.
महिलाओं के लिए सबसे सुरक्षित देश
एक स्पैनिश महिला के साथ बलात्कार की घटना के बाद भारत में महिलाओं की सुरक्षा का मुद्दा एक बार फिर सुर्खियों में है.जॉर्जटाउन इंस्टिट्यूट के 2023 विमिन पीस एंड सिक्यॉरिटी इंडेक्स में भारत की रैंकिंग काफी नीचे है.
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कितनी सुरक्षित हैं महिलाएं
जॉर्जटाउन इंस्टिट्यूट के विमिन पीस एंड सिक्यॉरिटी इंडेक्स में महिलाओं की सुरक्षा और अन्य क्षेत्रों में स्थिति को लेकर 177 देशों की रैंकिंग जारी की गई. इस इंडेक्स के मुताबिक कहीं भी महिलाओं की स्थिति को बेहतरीन नहीं कहा जा सकता. लेकिन कुछ क्षेत्रों में स्थिति बाकी दुनिया के मुकाबले कहीं ज्यादा खराब है.
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सबसे सुरक्षित देश
इस इंडेक्स में जिन देशों को सबसे अच्छी रैंकिंग मिली उनमें डेनमार्क सबसे ऊपर था. पहले दस देशों में नौ यूरोप के देश हैं. ये हैं – डेनमार्क, स्विट्जरलैंड, स्वीडन, फिनलैंड, लग्जमबर्ग, आइसलैंड, नॉर्वे, ऑस्ट्रिया और नीदरलैंड्स. 10वें नंबर पर न्यूजीलैंड है, जबकि ऑस्ट्रेलिया 11वें नंबर पर है.
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सबसे असुरक्षित देश
इंडेक्स में सबसे खराब रैंकिंग अफगानिस्तान की है. वह 177 देशों में सबसे नीचे है. उसके बाद यमन, सेंट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक, डीआर कांगो, साउथ सूडान, बुरूंडी, सीरिया, एस्टाविनी, सोमालिया और इराक का नंबर है.
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भारत की रैंकिंग
इंडेक्स तैयार करने के लिए हर देश में महिलाओं की स्थिति को 13 पैमानों पर परखा गया. 177 देशों की इस सूची में भारत को 128वां स्थान मिला.
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कहां है भारत
विशेषज्ञों ने महिलाओं की स्थिति के हिसाब से दुनिया को पांच हिस्सों में बांटा है. इन पांच में भारत ठीक बीच में यानी तीसरे नंबर के देशों में आता है. यानी दुनिया के दो हिस्से ऐसे हैं जहां महिलाओं की स्थिति भारत से बेहतर है और दो में भारत से खराब है. लेकिन अधिकतर देश पिछले तीन हिस्सों में आते हैं.
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भारत के पड़ोसी
महिला सुरक्षा के मामले में भारत का पड़ोसी पाकिस्तान 158वें नंबर पर यानी भारत से काफी नीचे है जबकि चीन 82वें नंबर पर है. श्रीलंका की रैंकिंग 60वीं है जबकि नेपाल 112वें नंबर पर है. बांग्लादेश (131) और म्यांमार (165) भी भारत से नीचे हैं.
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अतिवाद का मुकाबला करने के लिए एक नया व्यावहारिक दृष्टिकोण अपनाने के वास्ते कूपर ने "रैपिड एक्शन" की शुरुआत की है. इस परियोजना का मकसद चरमपंथी विचारधाराओं से पैदा खतरे का मुकाबला करने के लिए उसे गहराई से समझना और उसे खत्म करने के लिए सिफारिशें देना होगा.
सरकार ने कहा है कि यह योजना विचारधाराओं के दायरे में फैले विभिन्न प्रकार के उग्रवाद पर ध्यान देगी और "मौजूदा प्रणाली में मौजूद खामियों" को दूर करेगी, ताकि देश के लोकतंत्र को कमजोर करने वाली नफरत बढ़ाने वाली गतिविधियों को कमजोर किया जा सके.
साउथपोर्ट के दंगों का प्रभाव
मैनचेस्टर के पास साउथपोर्ट में तीन लड़कियों को चाकू मारने की घटना के बाद इंग्लैंड में फैली हिंसा के कारण 15 अगस्त तक 460 लोगों को हिरासत में लिया गया था. इनमें से 72 से अधिक लोग 18 साल से कम उम्र के हैं.
इसके अलावा, कई लोगों पर दंगों को भड़काने के लिए लिखित सामग्री प्रकाशित करने या घोर आपत्तिजनक संदेश भेजने का आरोप भी लगाया गया है.
नई रणनीति का लक्ष्य लोगों को नफरत भरी विचारधाराओं की ओर आकर्षित होने से रोकने के लिए सरकार के घोषणापत्र की प्रतिबद्धता को पूरा करना है. गृह मंत्रालय ने कहा कि यह रणनीति ब्रिटेन में इस्लामवादी और धुर-दक्षिणपंथी उग्रवाद के साथ-साथ व्यापक विचारधारात्मक रुझानों, जैसे कि चरमपंथी पुरुषवादी विचारधारा या हिंसा पर अत्यधिक ध्यान देने वाली धारणाओं का भी अध्ययन करेगी.
किन देशों में महिला के बॉस बनने की संभावना सबसे ज्यादा
महिलाओं को निजी या सरकारी क्षेत्रों में नेतृत्व भूमिका नहीं मिलने को लेकर पूरी दुनिया में बहस जारी है. देखिए, वे देश जहां महिलाओं के बॉस बनने की संभावना सबसे ज्यादा है.
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विकसित देशों में नहीं
2022 और 2023 के आंकड़े दिखाते हैं कि महिलाओं के किसी भी विभाग में बॉस बनने की संभावना जिन देशों में सबसे ज्यादा है उनमें एक भी विकसित देश नहीं है.
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सबसे ऊपर अफ्रीका
अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के आंकड़े बताते हैं कि अफ्रीकी देशों बुरकीना फासो और नाइजीरिया में किसी महिला के बॉस होने की संभावना सबसे ज्यादा है. वहां मैनेजर पदों पर 67 से 70 फीसदी महिलाएं हैं.
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पुरुषों से ज्यादा महिलाएं
बुरीकीना फासो और नाइजीरिया के अलावा जमैका और बोट्सवाना ही ऐसे देश हैं जहां महिला मैनेजरों की संख्या पुरुषों से ज्यादा है. वहां 60 और 52 फीसदी महिलाएं मैनेजर की भूमिकाओं में हैं.
तस्वीर: DW
आधे से कम महिलाएं
सबसे ज्यादा महिला प्रबंधकों वाले दस देशों में पहले चार को छोड़कर बाकी सभी में पुरुष प्रबंधकों की संख्या महिलाओं से ज्यादा है. फिलीपींस सूची में पांचवें नंबर पर है, जहां आधे से कुछ कम, 48.6 फीसदी महिलाएं प्रबंधक की भूमिका में हैं.
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महिला-केंद्रित भूमिकाएं
जिन देशों में महिलाओं को अधिक भूमिकाएं मिली हैं, वहां भी वे उन्हीं पारंपरिक नौकरियों में सीमित हैं जिन्हें महिलाओं के हिसाब का माना जाता है. गैरपारंपरिक क्षेत्रों में आज भी पुरुषों की ही अधिकता है. छठे नंबर पर सेंट लूशिया है, जहां 47.7 फीसदी महिलाएं लीडरशिप रोल में हैं.
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पूर्वी यूरोप में ज्यादा महिलाएं
महिला मैनेजरों में पूर्वी यूरोप की स्थिति बाकी दुनिया से बेहतर है. वहां 42 फीसदी महिलाएं नेतृत्व कर रही हैं. उत्तर अमेरिका में 40 फीसदी और दक्षिण-पूर्व एशिया में 39 फीसदी महिलाएं मैनेजर की भूमिका में हैं.
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मध्य-पूर्व में सबसे खराब
मिडल-ईस्ट एंड नॉर्दर्न अफ्रीका (MENA) क्षेत्र में नेतृत्व की भूमिका में महिलाओं की संख्या पूरी दुनिया में सबसे कम (15 फीसदी) है. हालांकि इसी क्षेत्र का देश जॉर्डन सूची में सातवें नंबर पर है, जहां 47.5 फीसदी महिलाएं मैनेजर हैं.
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कूपर ने कहा, "कई सालों से सरकारें उग्रवाद के बढ़ते खतरे को नजरअंदाज करती रही हैं, चाहे वह ऑनलाइन हो या हमारी सड़कों पर. हमने देखा है कि कैसे ऑनलाइन कट्टरपंथी बन रहे युवाओं की संख्या बढ़ी है. हर प्रकार की नफरत भरी उत्तेजना हमारे समुदायों और हमारे लोकतंत्र के ताने-बाने को नुकसान पहुंचाती है.”
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अतिवादी सोच से जूझता ब्रिटेन
कूपर ने कहा कि अतिवाद के खिलाफ कार्रवाई हाल के वर्षों में बुरी तरह कमजोर हो गई है, जब इसकी सबसे ज्यादा जरूरत थी. उन्होंने कहा, "इसीलिए मैंने गृह मंत्रालय को उग्रवाद पर रैपिड एक्शन करने का निर्देश दिया है, ताकि उग्रवादी रुझानों को समझा जा सके और उन पर नजर रखी जा सके. साथ ही, नीतियों में कोई कमी हो तो उन्हें ठीक किया जा सके ताकि हानिकारक और नफरत भरे विचारों और हिंसा को फैलाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो सके."
यह काम सरकार की उग्रवाद के खिलाफ नई रणनीतिक योजना का आधार बनेगा, जिसमें समुदायों के साथ मिलकर काम किया जाएगा ताकि "लोगों को योजनाओं के समर्थन के लिए तैयार किया जा सके."
भारत में हैं सबसे ज्यादा फेमिनिस्टः सर्वे
सर्वेक्षण संस्था इप्सोस ने हाल ही में एक सर्वे किया जिसमें लोगों से पूछा गया कि वे फेमिनिस्ट यानी नारीवादी हैं या नहीं. देखिए, भारत और बाकी देशों में कितने लोग खुद को फेमिनिस्ट कहते हैं.
तस्वीर: SILVANA FLORES/AFP/Getty Images
सिर्फ 39 फीसदी फेमिनिस्ट
सर्वे में शामिल उच्च और उच्च-मध्यम आय वाले 31 देशों के केवल 39 प्रतिशत लोगों ने खुद को नारीवादी माना, जबकि 51 प्रतिशत ने स्पष्ट कहा कि वे नारीवादी नहीं हैं.
तस्वीर: Tejinder Singh
भारत सबसे ऊपर
31 देशों में से केवल दो, भारत और स्पेन, ऐसे थे जहां अधिकांश लोगों ने खुद को नारीवादी माना. यह तथ्य तब हैरतअंगेज हो जाता है जब भारत में महिलाओं की स्थिति से इसकी तुलना की जाए. भारत महिला अधिकारों के मामले में पिछड़े देशों में गिना जाता है. वहां 73 फीसदी लोगों ने खुद को फेमिनिस्ट बताया जबकि 9 फीसदी ने कहा कि वे फेमिनिस्ट नहीं हैं. 8 फीसदी हां या ना में जवाब नहीं दे पाए.
तस्वीर: Anil Shakya/AFP via Getty Images
स्पेन में नारीवाद
दूसरे नंबर पर स्पेन रहा जहां 55 फीसदी लोगों ने कहा कि वे फेमिनिस्ट हैं. लेकिन 37 फीसदी ने कहा कि वे फेमिनिस्ट नहीं हैं.
तस्वीर: Europa Press/ABACA/picture alliance
महिलाओं की प्रतिक्रिया
सर्वे में शामिल महिलाओं के जवाबों को ध्यान में रखते हुए, सात देशों में अधिकतर यानी 50 फीसदी से ज्यादा महिलाओं ने खुद को नारीवादी माना, जबकि पुरुषों और महिलाओं को मिलाकर ऐसे देशों की संंख्या सिर्फ दो थी. यानी आज भी पुरुषों में नारीवाद को लेकर असहजता है.
तस्वीर: Wagner Vilas/ZUMA/picture alliance
जापान सबसे पीछे
आठवें नंबर पर जापान है, जहां केवल 15 प्रतिशत पुरुष और महिलाएं खुद को नारीवादी मानते हैं, जबकि 61 प्रतिशत ने इससे इनकार किया. दक्षिण कोरिया सातवें नंबर पर रहा जहां सिर्फ 21 फीसदी लोगों ने खुद को फेमिनिस्ट माना.
तस्वीर: Chris Gallagher/REUTERS
चीन तीसरे नंबर पर
इस सर्वे में चीन तीसरे नंबर पर रहा जहां 39 फीसदी लोगों ने खुद को फेमिनिस्ट बताया जबकि 51 फीसदी ने कहा कि वे फेमिनिस्ट नहीं हैं. ब्राजील में भी इतने ही लोगों ने हामी भरी लेकिन वह चौथे नंबर पर रहा क्योंकि वहां ना में जवाब देने वालों की संख्या (51 फीसदी) चीन से ज्यादा थी.
तस्वीर: Tatan Syuflana/AP/picture alliance
अमेरिका और जर्मनी
अमेरिका में 34 फीसदी लोगों ने खुद को फेमिनिस्ट बताया जबकि यूरोप में जर्मनी 32 फीसदी के साथ छठे नंबर पर रहा. लेकिन इन दोनों ही देशों में ना में जवाब देने वालों की संख्या 50 फीसदी से ज्यादा थी.
तस्वीर: Zero Creative/Image Source/IMAGO
कौन होता है फेमिनिस्ट?
फेमिनिस्ट वे व्यक्ति होते हैं जो नारीवाद (फेमिनिज्म) के सिद्धांतों का समर्थन करते हैं. नारीवाद एक सामाजिक और राजनीतिक आंदोलन है जो महिलाओं और पुरुषों के बीच पूर्ण समानता की वकालत करता है. इसमें लिंग आधारित असमानता, भेदभाव, और अन्याय का विरोध शामिल है. नारीवाद का उद्देश्य महिलाओं को सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक क्षेत्रों में समान अधिकार और अवसर दिलाना है.
तस्वीर: SILVANA FLORES/AFP/Getty Images
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गृह मंत्री कूपर ने पिछली सरकार की आलोचना की थी कि 2015 के बाद से कोई उग्रवाद विरोधी रणनीति नहीं थी, और व्यापक दृष्टिकोण या व्यावहारिक योजनाओं की कमी के कारण समुदायों की सुरक्षा खतरे में पड़ रही थी.
रैपिड एक्शन के तहत युवाओं के कट्टरपंथी बनने के कारणों और ऑनलाइन खतरनाक सामग्री के प्रसार की भी जांच की जाएगी.
साउथपोर्ट में जिन लोगों ने आप्रवासियों की रिहायश वाले होटलों को नुकसान पहुंचाया और पुलिसकर्मियों पर हमले किए, उनके धुर दक्षिणपंथी विचारधारा से प्रभावित होने की बात कही गई है. इन घटनाओं को हवा देने में सोशल मीडिया प्लेटफार्मों का जमकर इस्तेमाल हुआ. एक महीना पहले ही देश के प्रधानमंत्री बने किएर स्टार्मर के लिए यह हिंसा और उपद्रव एक बड़ी चुनौती के रूप में सामने आए हैं.