मॉडेर्ना ने वैक्सीन के आपात इस्तेमाल की मंजूरी मांगी
१ दिसम्बर २०२०
मॉडेर्ना ने नए शोध में पाया है कि उसकी वैक्सीन 94.1 फीसदी तक प्रभावी है, जिसके बाद कंपनी का कहना है कि अगर उसे नियामकों से मंजूरी मिल जाती है तो वैक्सीन की खुराक यूरोपीय संघ तक जल्द से जल्द पहुंचाई जा सकती है.
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अमेरिकी दवा कंपनी मॉडेर्ना का कहना है कि उसने अमेरिका में अपनी वैक्सीन के आपात इस्तेमाल के लिए नियामक से सोमवार को मंजूरी मांगी है. वैक्सीन के आखिरी चरण के ट्रायल के बाद कंपनी ने दावा किया कि यह कोरोना से लड़ने में 94.1% तक असरदार है. कंपनी ने यह भी कहा है कि वह यूरोपियन मेडिसिंस एजेंसी (ईएमए) के पास भी "सशर्त मार्केटिंग ऑथराइजेशन" के लिए भी आवेदन करेगी. कंपनी द्वारा किया गया यह ऐलान सीमित टीकाकरण शुरू करने की दौड़ में एक और कदम आगे बढ़ता साबित हो सकता है, क्योंकि दुनिया भर में संक्रमण दर में वृद्धि जारी है.
मॉडेर्ना का कहना है कि उसने पहले ही ईएमए के साथ रोलिंग रिव्यू प्रक्रिया शुरू कर दी है, साथ ही कनाडा, स्विट्जरलैंड, ब्रिटेन, इस्राएल और सिंगापुर में नियामक प्राधिकरणों के पास अनुमोदन करने का लक्ष्य तेज कर दिया है. इससे पहले कंपनी ने अंतरिम आंकड़े जारी कर अपनी वैक्सीन के 94.5 फीसदी कारगर होने की बात कही थी. कंपनी का कहना है कि टीका के परीक्षणों में अब तक कोई गंभीर सुरक्षा चिंता नहीं देखने को मिली है.
प्राधिकरण में आवेदन के साथ मॉडेर्ना ईयू में वैक्सीन के लिए आवेदन करने वाली पहली दवा कंपनी बन जाएगी. पिछले हफ्ते यूरोपीय आयोग की प्रमुख उर्सुला फॉन डेय लाएन ने घोषणा की थी कि ईयू ने मॉडेर्ना की 16 करोड़ वैक्सीन के लिए करार किया है. करार के मुताबिक वैक्सीन की आठ करोड़ खुराक की प्रारंभिक डिलीवरी होगी और बाद में आठ करोड़ अतिरिक्त खुराक की डिलीवरी की जाएगी. मॉडेर्ना का कहना है कि मंजूरी मिलने के साथ ही वह दिसंबर में डिलीवरी कर सकती है.
टीका सुरक्षित
इस बीच मॉडेर्ना का कहना है कि उसकी वैक्सीन असरदार है और सुरक्षा के लिहाज से उसका रिकॉर्ड अच्छा है. कंपनी का कहना है परीक्षण में सिर्फ फ्लू जैसे अस्थायी साइड इफेक्टस देखने को मिले, जिसका मतलब है कि वैक्सीन यूएस फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन द्वारा तय किए मानकों में फिट बैठती है और अंतरिम चरण के ट्रायल के पूरा होने से पहले इसका आपात इस्तेमाल किया जा सकता है.
मॉडेर्ना के अलावा फाइजर और उसकी जर्मन पार्टनर बायोएनटेक अमेरिका में दिसंबर में टीकाकरण शुरू करना चाहती हैं. गौरतलब है कि मॉडेर्ना के पहले फाइजर ने यूएस एफडीए के पास अपनी वैक्सीन के इमरेजेंसी इस्तेमाल के लिए आवदेन दिया था. मॉडेर्ना अब ऐसा करने वाली दूसरी कंपनी होगी. इसके अलावा चीन और रूस की वैक्सीन पर कई देशों में परीक्षण चल रहा है.
भारत समेत दुनिया के कई देशों में कोविड-19 की वैक्सीन पर काम चल रहा है. अब तक कुछ सफलता जरूर मिली है लेकिन वैक्सीन के साइड इफेक्ट को ले कर चिंता भी जताई जा रही है.
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साइड इफेक्ट
इस वक्त पूरे दुनिया की उम्मीदें कोविड-19 की वैक्सीन पर टिकी हैं. लेकिन यह टीका कोई जादू का घोल नहीं होगा. हर दवा की तरह इसके भी साइड इफेक्ट हो सकते हैं. जरूरी नहीं कि ये हर व्यक्ति पर बुरा असर करे. लेकिन कुछ खास किस्म की एलर्जी रखने वालों को इससे खतरा हो सकता है.
ब्राजील में चीन की कंपनी सिनोवैक की वैक्सीन पर ट्रायल चल रहे थे जिन्हें 9 नवंबर को रोकना पड़ा. ब्राजील के स्वास्थ्य मंत्रालय ने "एक बेहद गंभीर घटना" को इसके लिए जिम्मेदार बताया है लेकिन इस पर और जानकारी नहीं दी है. इन ट्रायल के दौरान एक व्यक्ति की मौत होने के बाद से इस पर विवाद खड़ा हुआ.
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जॉन्सन एंड जॉन्सन
11 अक्टूबर को जॉन्सन एंड जॉनसन को भी अपने ट्रायल रोकने पड़े. इस वैक्सीन पर चल रहे शोध में हिस्सा लेने वाले 60 हजार वॉलंटियर में से एक की तबियत बिगड़ने के बाद यह फैसला लिया गया. हालांकि जॉन्सन एंड जॉन्सन ने यह भी बयान दिया कि यह ब्रेक भी उनके शोध का ही हिस्सा है.
यह वही कंपनी है जिसकी एंटीबॉडी कॉकटेल अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप को उनके इलाज के दौरान दी गई थी. ट्रंप ने इसकी काफी तारीफ भी की थी लेकिन दूसरे चरण की टेस्टिंग के बाद इसे भी रोका गया. कंपनी ने "सुरक्षा कारणों" को इसकी वजह बताया था.
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ऑक्सफोर्ड एस्ट्रा जिनेका
इस वैक्सीन से काफी ज्यादा उम्मीदें लगाई गई थीं. भारत में भी इस पर ट्रायल चल रहे थे. लेकिन टेस्टिंग के दौरान एक वॉलंटियर ने कुछ अस्पष्ट लक्षणों के बारे में बताया, जिसके बाद ट्रायल को रोकना पड़ा.
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बायोनटेक+फाइजर
जर्मन कंपनी बायोनटेक और अमेरिकी कंपनी फाइजर ने दावा किया है कि उसने तीसरे चरण की टेस्टिंग को सफलतापूर्वक पूरा किया है और उन्हें 90 फीसदी से ज्यादा नतीजा मिला है. इस शोध में 43 हजार से ज्यादा लोगों ने हिस्सा लिया और 28 दिनों में 93 फीसदी लोग वायरस से सुरक्षित पाए गए.
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स्पुतनिक
रूस की वैक्सीन स्पुतनिक शुरू से ही विवादों में रही, लेकिन फाइजर की खबर आने के बाद राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा कि उनकी वैक्सीन ने भी 90 फीसदी का असर दिखाया. उन्होंने कहा कि रूस में बनी हर वैक्सीन विश्वसनीय है. स्पुतनिक वैक्सीन पर भारत में भी टेस्ट किया जा रही है.
कोरोना वायरस से निपटने के लिए सब कंपनियां आनन फानन में नतीजों तक पहुंचने की कोशिश में तो लगी हैं लेकिन कोई भी वैक्सीन कितनी कारगर है यह समझने में सालों लगता है. बायोनटेक और फाइजर के टीके को लेकर भी अभी यह पता नहीं है कि अलग अलग लोगों पर इसके क्या अलग अलग असर देखने को मिलेंगे.
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लैब से बाजार
यूरोपीय संघ में जनवरी 2021 से लोगों को वैक्सीन देने की बात की जा रही है. लेकिन पहले वैक्सीन किसे मिलेगी, इस पर नियम तय होना बाकी है. अगर जनवरी से टीका बाजार में आता भी है, तो भी पूरी जनता तक पहुंचने में साल भर लग सकता है.