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जी20 बैठक में भारत ने की ऋण व्यवस्था में सुधार की मांग

२४ फ़रवरी २०२३

बेंगलुरु में जी20 देशों के वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंकों के अध्यक्षों की महत्वपूर्ण बैठक हो रही है. बैठक में गरीब और मध्यम आय वाले देशों के ऋण को कम करने के तरीकों समेत कई मुद्दों पर चर्चा होनी है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीतस्वीर: Rafiq Maqbool/AP/picture alliance

भारत की जी20 की अध्यक्षता के तहत बेंगलुरु में जी20 देशों के वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंकों के अध्यक्षों की दो दिवसीय बैठक चल रही है. बैठक में अंतरराष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्था की प्रमुख चुनौतियों पर चर्चा होनी है.

शुरुआत में ही बैठक को एक वीडियो लिंक से संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विश्व बैंक जैसे वैश्विक ऋणदाताओं की व्यवस्था में सुधार की मांग की. उन्होंने कहा, "वित्तीय संस्थानों पर भरोसे में कमी आई है. आंशिक रूप से यह इसलिए भी है क्योंकि ये संस्थान खुद को बदलने में धीमे पड़ गए हैं."

ऋण माफ हो तो होगी बचत

मोदी ने आगे कहा, "दुनिया की आबादी आठ अरब से ज्यादा हो गई है, लेकिन सतत विकास के लक्ष्यों की तरफ बढ़ने की गति धीमी हो गई है. हमें बहुराष्ट्रीय विकास बैंकों को मजबूत करने के लिए मिल कर काम करने की जरूरत है ताकि हम जलवायु परिवर्तन और बढ़े हुए ऋण की वैश्विक चुनौतियों का सामना कर सकें."

G20 के साझा बयान में शामिल की गईं पीएम मोदी की ये बातें

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कम से कम 52 गरीब और मध्यम आय वाले देशों का ऋण एक बड़ी समस्या बन गया है. संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) का कहना है कि जो देश ऋण की वजह से संकट में आ चुके हैं या आने के कगार पर हैं उनमें दुनिया के सबसे गरीब लोगों में से 40 प्रतिशत से भी ज्यादा लोग रहते हैं.

ऋण अदायगी के खर्च की वजह से इन देशों को आवश्यक सेवाएं जारी रखने में भी दिक्कत हो रही है. इसके अलावा यूएनडीपी ने कहा कि इन्हीं देशों का कई और संकटों की वजह से बुरा हाल हो गया है. कोविड-19, गरीबी और बढ़ते हुए जलवायु आपातकाल का भी सबसे बुरा असर इन्हीं देशों पर पड़ा है.  

श्रीलंका, घाना, यूक्रेन, लेबनान और जाम्बिया अपने कर्जों का भुगतान करने से चूक चुके हैं और ट्यूनीशिया, पाकिस्तान और मिस्र जैसे देशों ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोश से मदद मांगी है.

यूक्रेन पर चर्चा की चुनौती

यूएनडीपी का कहना है कि ऋण का सामना कर रहे देशों के ऋण में अगर सीधे तौर पर 30 प्रतिशत की कटौती कर दी जाए तो ये देश आठ सालों में 148 अरब डॉलर से ज्यादा की बचत कर पाएंगे.

अमेरिकी वित्त मंत्री जेनेट येलेन ने जी20 सदस्य देशों से "युद्ध को जारी रखने की रूस की क्षमता को सीमित करने" की कोशिशों को तेज करने के लिए कहातस्वीर: Aijaz Rahi/AP Photo/picture alliance

यूएनडीपी ने यह भी स्पष्ट किया कि इन देशों के लिए समस्या विकास की कमी नहीं बल्कि विकास के धीमे रहने और 2023 और 2024 में ब्याज दरों के ऊंचा रहने से संकट को कम करने की वित्तीय गुंजाइश में आने वाली कमी है.

जी20 के पास ऋण को लेकर एक साझा फ्रेमवर्क है लेकिन चीन और दूसरे ऋणदाता देशों में असहमति की वजह से यह अभी तक ज्यादा सफल नहीं हुआ है. बेंगलुरु की बैठक में और भी विषयों पर चर्चा होनी है, जिन्हें महामारी के बाद से आर्थिक बेहतरी और यूक्रेन युद्ध के वैश्विक अर्थव्यवस्था पर असर शामिल हैं.

बैठक की शुरुआत में अमेरिकी वित्त मंत्री जेनेट येलेन ने रूस पर हमला करते हुए बैठक में मौजूद रूसी अधिकारियों पर रूस के अत्याचार और युद्ध की वजह से वैश्विक अर्थव्यवस्था को हुए नुकसान में शामिल होने का आरोप लगाया.

येलेन ने जी20 सदस्य देशों से यूक्रेन को समर्थन देने और "युद्ध को जारी रखने की रूस की क्षमता को सीमित करने" की कोशिशों को तेज करने के लिए कहा. 

सीके/एए (एएफपी/रोयटर्स)

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