कृषि कानूनों को वापस लेगी मोदी सरकार
१९ नवम्बर २०२१प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि तीनों कानूनों को किसानों के हित में ही लाया गया था, लेकिन सरकार की ही "तपस्या में कोई कमी रह गई होगी" जिसकी वजह से हम किसानों को इसके बारे में समझा नहीं पाए. उन्होंने यह भी कहा कि यह समय किसी पर दोष लगाने का नहीं है और संसद के आने वाले सत्र में इन कानूनों को वापस ले लिया जाएगा.
प्रधानमंत्री ने यह घोषणा गुरु नानक देव के जन्म दिवस पर की, जिसे सिख समुदाय के लोग गुरुपरब के रूप में मनाते हैं. उन्होंने इस पर्व का हवाला देते हुए धरने पर बैठे किसानों से कहा, "आज गुरुपरब के इस अच्छे दिन आप सब अच्छे मन से अपने अपने घर जाइए." कानूनों का विरोध कर रहे किसानों के संगठन 'किसान एकता मोर्चा' ने एक ट्वीट में इसे अपनी जीत बताया.
क्या हैं कानून?
इन तीनों कानूनों को मोदी सरकार सबसे पहले जून 2020 में अध्यादेशों के रूप में लाई थी. किसान तब से ही इनका विरोध कर रहे थे. तीनों अध्यादेशों को कानून के रूप में संसद ने 23 सितंबर को पारित कर दिया और उसके बाद इनके खिलाफ किसानों का प्रदर्शन और बढ़ गया.
ये तीनों कानून हैं आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम, कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) अधिनियम और कृषक (सशक्तिकरण और संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार अधिनियम. किसानों का कहना था कि इनसे न्यूनतम समर्थन मूल्य की व्यवस्था खत्म हो जाएगी, छोटे और मझौले किसानों को अपने उत्पाद के सही दाम नहीं मिल पाएंगे, और बिचौलियों और बड़े उद्योगपतियों का फायदा होगा.
एक साल चला आंदोलन
पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में इन कानून का विरोध कर रहे किसानों ने नवंबर 2020 में दिल्ली जा कर धरना देने का निर्णय लिया. कई राज्यों की पुलिस ने उन्हें दिल्ली पहुंचने से रोकने की कोशिश की और सर्दियों के मौसम में उन पर वॉटर कैनन चलाई. लेकिन किसान रुके नहीं और दिल्ली की तरफ बढ़ते गए.
जब वे दिल्ली की सीमा पर पहुंच गए तब पुलिस ने सीमा बिंदुओं पर बैरिकेड लगा कर उन्हें दिल्ली में प्रवेश करने से रोक दिया. तब किसान इन्हीं सीमा बिंदुओं पर ही बैठ गए और धीरे धीरे कई दिशाओं में सिंघु बॉर्डर, टिकरी बॉर्डर, गाजीपुर बॉर्डर और चिल्ला बॉर्डर व्यापक रूप से प्रदर्शन स्थल में बदल गए.
उसके बाद कोरोना, ठंड और अन्य कारणों से कई प्रदर्शनकारी किसानों की मौत भी हो गई. 26 नवंबर 2021 इन प्रदर्शनों को एक साल पूरा हो जाएगा. इस मौके पर किसानों ने तरह तरह की गतिविधियों की रूपरेखा भी तैयार की हुई है.