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बजट 2023 में मध्यम वर्ग को रिझाने की कोशिश

१ फ़रवरी २०२३

2024 में होने वाले लोक सभा चुनावों से पहले आखिरी पूर्ण बजट में मोदी सरकार ने मध्यम वर्ग को रिझाने की कोशिश की है. जानिए क्या क्या लेकर आया है आने वाले वित्त वर्ष का आम बजट.

निर्मला सीतारमण
निर्मला सीतारमणतस्वीर: Adnan Abidi/REUTERS

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के आखिरी पूर्ण बजट में कई लक्ष्यों को साधने की कोशिश है. आयकर से छूट की सीमा को दो लाख रुपए और बढ़ा दिया गया है. अब से पांच लाख की जगह सात लाख की आय पर आयकर रिबेट मिलेगा.

नई छूट सीमा नई आयकर व्यवस्था के तहत मिलेगी. अब से नई आयकर व्यवस्था ही डिफॉल्ट व्यवस्था रहेगी. पुरानी व्यवस्था भी उपलब्ध रहेगी, लेकिन स्पष्ट रूप से कहने पर ही उसका इस्तेमाल किया जा सकेगा.

इसके अलावा टैक्स के स्लैबों में भी बदलाव किए गए हैं. पहले ढाई लाख तक की आय पर कोई कर नहीं लगता था, अब तीन लाख तक की आय पर नहीं लगेगा. पहले ढाई से पांच लाख तक की आय पर पांच प्रतिशत टैक्स लगता था, लेकिन अब तीन से छह लाख आय पर पांच प्रतिशत टैक्स लगेगा.

इसी तरह अन्य स्लैबों में भी बदलाव किए गए हैं. जानकारों का कहना है कि इन नए स्लैबों से सालाना हजारों रुपए की बचत की जा सकेगी. इसे चुनाव से ठीक पहले मध्यम वर्ग को लुभाने का कदम माना जा रहा है.

इसके अलावा सरकारी पूंजीगत खर्च या कैपिटल एक्सपेंडिचर को 33 प्रतिशत बढ़ा कर 10 लाख करोड़ करने की घोषणा की गई है. बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्रों में रेलवे के लिए 2.40 लाख करोड़ रुपयों का आबंटन किया गया है. सीतारमण के मुताबिक रेलवे के लिए इतना आबंटन आज से पहले कभी नहीं किया गया.

सरकार को इस साल भी भारी वित्तीय घाटा सहना पड़ेगा. बजट के पूर्वानुमान के मुताबिक मौजूदा वित्त वर्ष में वित्तीय घाटा 6.4 प्रतिशत रहेगा. अगले वित्त वर्ष के अंत तक इसे 5.9 प्रतिशत पर लाने की कोशिश की जाएगी.

जानकारों ने बजट पर अलग अलग राय दी है. एचडीएफसी बैंक की मुख्य अर्थशास्त्री साक्षी गुप्ता ने कहा है कि बजट ने पूंजीगत खर्च पर विकास के इंजन के रूप में ध्यान केंद्रित रखा है और साथ ही वित्तीय समेकन पर भी नजर रखी है.

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हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि वो वित्तीय घाटे के बोझ को उठाने के लिए आम लोगों की छोटी बचत पर सरकार की निर्भरता को लेकर अभी भी सतर्क हैं.

वहीं मूडीज इन्वेस्टर सर्विस के सीनियर वाइस प्रेजिडेंट क्रिस्चियन दे गुजमान ने कहा है कि सरकार पर कर्ज का बड़ा बोझ है और ऐसे में भारत की मूलभूत मजबूती औरविकास की क्षमता पर असर पड़ता है. हालांकि उन्होंने वित्तीय सस्टेनेबिलिटी के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता, कर से राजस्व की कमाई की संभावना और पूंजीगत खर्च पर दिए गए जोर की तारीफ की.

(रॉयटर्स से जानकारी के साथ)

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