प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि कोरोना महामारी 1.3 अरब भारतीयों की आकांक्षाओं और महत्वाकांक्षाओं को प्रभावित करने में नाकाम रही है. मोदी ने गुरुवार को यूएस-इंडिया स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप फोरम को संबोधित किया.
विज्ञापन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूएस-इंडिया स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप फोरम (यूएसआईएसपीएफ) के तीसरे लीडरशिप शिखर सम्मेलन को संबोधित किया. मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अपने संबोधन में वैश्विक महामारी कोरोना से बचाव के लिए भारत में किए गए उपायों के बारे में जानकारी दी. इस दौरान उन्होंने कहा कि महामारी से बचाव के लिए देश में रिकॉर्ड समय में स्वास्थ्य सुविधाएं बढ़ाई गईं. मोदी ने कहा कि कोरोना काल में सरकार का लक्ष्य गरीबों की देखरेख करने पर रहा. उन्होंने अपने संबोधन में प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना का जिक्र किया और बताया कि इससे 80 करोड़ लोगों को कोरोना काल में मुफ्त भोजन दिया जा रहा है.
कोरोना वायरस महामारी के बारे में बोलते हुए उन्होंने कहा, "महामारी ने कई चीजों को प्रभावित किया है लेकिन वह भारत के लोगों की आकांक्षाओं और महत्वाकांक्षाओं को प्रभावित नहीं कर सकी." उन्होंने हाल के महीनों में देश में सुधारों का जिक्र करते हुए कहा कि आगे का रास्ता निजी और सार्वजनिक क्षेत्र में निवेश के अवसरों से भरा है. उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत एक मजबूत लोकतांत्रिक और विविधता वाला देश है और इसमें हाल के महीनों में कारोबार को आसान करने और लालफीताशाही को कम करने के लिए दूरगामी सुधार किए गए हैं. देश में निवेश के अवसर पर बोलते हुए मोदी ने कहा, "भारत में चुनौतियों के लिए आपके पास एक सरकार है जो नतीजे देने में भरोसा रखती है, जिसके लिए जीवन में जीने में आसानी उतनी ही अहम है जितना बिजनेस करने में आसानी. आप एक युवा देश को देख रहे हैं जिसकी 65 फीसदी आबादी 35 साल से कम है."
कोरोना वायरस महामारी का प्रबंधन
मोदी ने कहा कि लॉकडाउन की एक उत्तरदायी प्रणाली बनाने में भारत पहले स्थान पर रहा साथ ही सार्वजनिक स्वास्थ्य उपाय के रूप में मास्क और फेस कवरिंग की वकालत करने वालों में भी भारत अग्रणी रहा. उन्होंने बताया कि सोशल डिस्टेंसिंग के बारे में जनजागरूकता अभियान चलाने वालों में भी देश आगे रहा.
वर्चुअल कॉन्फ्रेंस में बोलते हुए मोदी ने कहा कि कोरोना काल में रिकॉर्ड समय में मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ाया गया और कोविड अस्पताल, आईसीयू की सुविधाएं बढ़ाई गईं. उनके मुताबिक जनवरी में सिर्फ एक कोविड टेस्टिंग लैब थी, इस समय देश में करीब 1,600 लैब हैं. मोदी ने कहा, "मौजूदा स्थिति मानव केंद्रित विकास की जरूरत पर बल देती है. अब नए माइंड सेट की दरकार है. आगे की राह देखते हुए, हमें अपना ध्यान अपनी क्षमताओं को बनाए रखने पर केंद्रित रखना चाहिए, गरीबों को सुरक्षित करना चाहिए. इस रास्ते पर भारत चल रहा है."
यूएस-इंडिया स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप फोरम एक गैर-लाभकारी संगठन है, जो भारत और अमेरिका के बीच साझेदारी के लिए काम करता है.
जीएसटी के ढांचे की वजह से सरकारी खजाने पर तालाबंदी की मार
तालाबंदी लागू होने के बाद से जीएसटी के तहत होने वाली सरकार की कमाई में गिरावट आई है. जानिए काम-धंधे शुरू हो जाने के बाद भी क्यों गिर रही है जीएसटी वसूली से होनी वाली सरकारी आय.
तस्वीर: DW/S. Bandyopadhyay
वसूली में कमी
जीएसटी वसूली से होने वाली सरकारी कमाई में पिछले साल के मुताबिक लगातार गिरावट आ रही है. जहां पिछले साल अप्रैल के महीने में 1,13,865 करोड़ रुपयों की वसूली हुई थी, इस साल अप्रैल में सिर्फ 32,172 करोड़ रुपए आए.
तस्वीर: picture-alliance/NurPhoto/D. Talukdar
तालाबंदी का असर
मई में जीएसटी वसूली लगभग दोगुनी हो कर 62,151 करोड़ तक जरूर पहुंची, लेकिन यह संख्या भी मई 2019 के 1,00,289 करोड़ रुपयों के मुकाबले काफी कम रही. सरकार ने कहा है कि महामारी की वजह से 2020-21 वित्त वर्ष में जीएसटी वसूली से कमाई में 2.35 लाख करोड़ रुपए की कमी आई है.
तस्वीर: picture-alliance/ZUMAPRESS/P. Kumar
करदाताओं की मेहरबानी
जून में इसमें और वृद्धि हुई और वसूली की राशि 90,917 करोड़ रुपयों पर पहुंच गई. लेकिन फिर भी यह एक साल पहले के 99,939 करोड़ रुपयों से कम ही रही. सरकार का कहना है कि जून में बड़ी संख्या में करदाताओं ने फरवरी, मार्च और अप्रैल का टैक्स भी जमा किया क्योंकि उन्हें जून तक कॉविड-19 की वजह से छूट मिली हुई थी.
तस्वीर: Reuters/J. Dey
असलियत
जुलाई में इसी वजह से जीएसटी वसूली की रकम में संशोधन हुआ और वो गिर कर 87,422 करोड़ पर आ गई. यह जुलाई 2019 की वसूली (10,2082 करोड़ रुपए) के मुकाबले 14 प्रतिशत कम है.
तस्वीर: DW/A. Ansari
स्वाभाविक कमी
जानकारों का कहना है कि जीएसटी की वसूली में कटौती होना स्वाभाविक है, क्योंकि एक तो कई काम-धंधे और खरीद-बिक्री अभी भी बंद हैं, दूसरे तालाबंदी में ढील के बाद से जो आर्थिक गतिविधि शुरू हुई है वो उन्हीं उत्पादों और सेवाओं में हो रही है जिन पर कम दर से जीएसटी लगता है.
तस्वीर: picture-alliance/Pacific Press/S. Pan
जीएसटी का ढांचा
जीएसटी का ढांचा ही ऐसा है कि जरूरी सेवाएं और खाने-पीने की चीजों को निचली कर श्रेणी में रखा गया है, विलास यानी लक्जरी सेवाओं और वस्तुओं को ऊंची कर श्रेणी में रखा गया है. तालाबंदी में ढील भी सिर्फ जरूरी सेवाओं और उत्पादों की बिक्री में दी गई है. लक्जरी श्रेणी की सेवाएं तो अब तक बंद हैं.
तस्वीर: DW/T. Godbole
जीएसटी से छूट
रोज की खपत के सामान जैसे फल, सब्जियां, दूध, आटा, नमक, किताबें, अखबार और 1,000 रुपए से कम किराए वाले होटलों पर जीएसटी लगता ही नहीं. तालाबंदी में भी इनमें से अधिकतर चीजें बिक ही रही थीं.
तस्वीर: Imago Images/ZUMA Wire
आवश्यक वस्तुएं
दवा, चाय, कॉफी, मसाले, पैकेज्ड खाने-पीने की चीजों, खाद, रेल टिकटों, इकोनॉमी श्रेणी की हवाई टिकटों और छोटे रेस्तरां इत्यादि पर पांच प्रतिशत जीएसटी लगता है. यह भी लगभग आवश्यक वस्तुएं ही हैं और इनकी भी खपत हो रही है.
तस्वीर: Reuters/R. De Chowdhuri
12 प्रतिशत जीएसटी
मक्खन, चीज, घी, ड्राई फ्रूट, मोबाइल फोन, ताश, शतरंज और कैरम जैसे खेल, 1,000 रुपये से ज्यादा महंगे कपड़े, बिना एसी वाले रेस्त्रां, बिजनेस श्रेणी के हवाई टिकट, काम के अनुबंधों जैसी चीजों पर 12 प्रतिशत जीएसटी लगता है. ये चीजें थोड़ी महंगी हैं और जिनके बजट सीमित हैं वो इन पर खर्च नहीं कर रहे हैं.
तस्वीर: picture-alliance/NurPhoto/H. Bhatt
लक्जरी की ओर
बिस्किट, कॉर्नफ्लेक्स, केक, पेस्ट्री, जैम, सूप, आइसक्रीम, कैमरा, स्पीकर, प्रिंटर, नोटबुक, स्टील का सामान, शराब परोसने वाले एसी रेस्त्रां, पांच-सितारा और लक्जरी होटलों के अंदर स्थित रेस्त्रां, टेलीकॉम सेवाएं, आईटी सेवाएं, ब्रांडेड कपड़े इत्यादि पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगता है. होटल, रेस्त्रां हाल तक बंद थे.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/M. Sharma
शुद्ध लक्जरी श्रेणी
बीड़ी, सिगरेट, गुटखा, डिओडरंट, शेविंग क्रीम, शैम्पू, वाटर हीटर, वॉशिंग मशीन, गाड़ियां, मोटरसाइकिलें, पांच-सितारा होटलों के किराए और 100 रुपए से महंगे सिनेमा-घर के टिकट इत्यादि पर 28 प्रतिशत जीएसटी लगता है. सिनेमाघर अभी भी बंद हैं और गाड़ियों की बिक्री पहले से काफी कम हो रही है.