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भारत और मध्य एशियाई देशों के बीच शिखर सम्मेलन

चारु कार्तिकेय
२७ जनवरी २०२२

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले भारत-मध्य एशिया शिखर सम्मेलन की मेजबानी करने वाले हैं. वर्चुअल सम्मेलन में कजाकिस्तान, उज्बेकिस्तान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और किर्गिज गणराज्य के राष्ट्रपति हिस्सा लेंगे.

Indien | Tag der Republik | Premierminister Narendra Modi
तस्वीर: Adnan Abidi/REUTERS

उम्मीद की जा रही है कि सम्मेलन में भारत और मध्य एशियाई देशों के संबंधों को और गहरा बनाने पर चर्चा होगी. सम्मेलन में इस प्रांत के मौजूदा हालात पर भी बातचीत हो सकती है.

कजाखस्तान के राष्ट्रपति कासिम-जोमार्ट तोकायेव, उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपति शवकत मिर्जियोयेव, ताजिकिस्तान के राष्ट्रपति इमोमाली रहमोन, तुर्कमेनिस्तान के राष्ट्रपति गुरबांगुली बर्दीमुहामदो और किर्गिज गणराज्य के राष्ट्रपति सादिर जापारोव सम्मेलन में हिस्सा लेंगे.

'विस्तृत पड़ोस'

सम्मेलन के बारे में बताते हुए विदेश मंत्रालय ने कहा था कि यह भारत के मध्य एशियाई देशों के साथ बढ़ते रिश्तों की झलक है. मंत्रालय ने इन देशों को भारत के "विस्तृत पड़ोस" का हिस्सा बताया था.

यह भारत और इन देशों के नेताओं के बीच इस तरह की पहली बातचीत है. इससे पहले इन्हीं नेताओं को भारत के गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्य अतिथि बनने का निमंत्रण दिया जाने वाले था लेकिन ओमिक्रॉन और देश में आई कोविड-19 महामारी की तीसरी लहर की वजह से समारोह के लिए किसी को भी मुख्य अतिथि के रूप में नहीं बुलाया गया.

मोदी 2015 में सभी मध्य एशियाई देशों की यात्रा पर गए थे. उसके बाद कई द्विपक्षीय और बहुपक्षीय मंचों पर भारत और इन देशों के बीच बातचीत हुई है. नवंबर 2021 में भारत सरकार ने नई दिल्ली में अफगानिस्तान पर रीजनल सिक्योरिटी डायलॉग का आयोजन किया था जिसमें इन देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा परिषदों के सचिवों ने भी हिस्सा लिया था.

व्यापार बढ़ाने की जरूरत

सम्मेलन में अफगानिस्तान पर इस इलाके के देशों के एक साझा दृष्टिकोण पर सहमति हुई थी. 2020 में भारत ने केंद्रीय एशियाई देशों के लिए एक अरब डॉलर के लाइन ऑफ क्रेडिट की घोषणा की थी. इस धनराशि का उपयोग इन देशों में इंफ्रास्ट्रक्चर की कई परियोजनाओं को पूरा करने के लिए किया जाना है.

भारत और मध्य एशियाई देशों के बीच विदेश मंत्री स्तर पर नियमित बातचीत होती है. इस कड़ी में तीसरी बैठक नई दिल्ली में दिसंबर 2021 में हुई थी. अनुमान है कि भारत और मध्य एशियाई देशों के बीच दो अरब डॉलर मूल्य का व्यापार होता है.

इसके विपरीत एक रिपोर्ट के मुताबिक इन देशों का चीन के साथ व्यापार लगभग 100 अरब डॉलर का है. जाहिर है भारत को अगर इस इलाके में अपनी अहमियत बढ़ानी है तो उसे इन देशों से सामरिक और व्यापारिक रिश्ते दोनों ही बढ़ाने पड़ेंगे.

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