पाकिस्तान को लेकर मोदी इतने आक्रामक क्यों हैं?
२७ मई २०२५
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को गांधीनगर में एक रोड शो किया और इस दौरान उनका स्वागत करने के लिए भारी संख्या में लोग जमा हुए. गुजरात की दो दिवसीय यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री का यह चौथा रोड शो है. पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए हमले के जवाब में भारत की सैन्य कार्रवाई के तहत शुरू किए गए "ऑपरेशन सिंदूर" के बाद यह मोदी की अपने गृह राज्य की पहली यात्रा है.
गुजरात दौरे के दूसरे दिन मोदी गांधीनगर पहुंचे. वहां उन्होंने 'गुजरात शहरी विकास योजना' के 20वीं वर्षगांठ समारोह में हिस्सा लिया और एक जनसभा को संबोधित किया. मोदी ने अपने भाषण में "ऑपरेशन सिंदूर" का भी जिक्र किया और कहा, "यह वीरों की भूमि है. अब तक जिसे हम छद्म युद्ध कहते थे, 6 मई के बाद जो दृश्य देखने को मिले, उसके बाद हम अब इसे छद्म युद्ध कहने की गलती नहीं कर सकते. कारण साफ है, जब महज 22 मिनट के भीतर नौ आतंकवादी ठिकानों की पहचान कर उन्हें नष्ट कर दिया गया, तो यह एक निर्णायक कार्रवाई थी. और इस बार सब कुछ कैमरों के सामने किया गया, ताकि घर पर कोई सबूत न मांग सके."
मोदी: पाकिस्तान आतंकवाद को ही मानता है पर्यटन
एक दिन पहले मोदी ने भुज में कहा था कि भारत पर्यटन में विश्वास करता है, यह एक ऐसी शक्ति है, जो लोगों को एक साथ लाती है. लेकिन, पाकिस्तान जैसे देश हैं, जो आतंकवाद को अपने पर्यटन के रूप में देखते हैं, जो वैश्विक शांति और सुरक्षा के लिए एक गंभीर खतरा है. उन्होंने आगे कहा, "हमारी नीति बिल्कुल स्पष्ट है, आतंकवाद के लिए जीरो टॉलरेंस. ऑपरेशन सिंदूर ने इस प्रतिबद्धता को अडिग स्पष्टता के साथ मजबूत किया है."
साथ ही उन्होंने पाकिस्तान की जनता से कहा कि पाकिस्तान को आतंक की बीमारी से आजाद कराने के लिए वहां की जनता को आगे आना होगा. उन्होंने कहा, "पाकिस्तान के नौजवानों को आगे आना होगा, सुख-चैन की जिंदगी जियो, रोटी खाओ, वरना मेरी गोली तो है ही."
मोदी के बयान पर पाकिस्तान ने क्या कहा
पाकिस्तान ने मोदी के "गोली वाले" बयान पर सख्त आपत्ति जताई है. पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने एक्स पर एक बयान जारी कर कहा, मोदी का भाषण "गुजरात में एक चुनावी रैली की नाटकीय शैली में दिया गया है, परमाणु हथियार संपन्न देश के नेता को इस तरह के बयान नहीं देने चाहिए." विदेश मंत्रालय ने कहा, "ऐसी टिप्पणियां संयुक्त राष्ट्र चार्टर के सिद्धांतों का उल्लंघन करती हैं. सदस्य देशों की जिम्मेदारी है कि वे विवादों को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाएं और बल प्रयोग या धमकी से बचें."
ऑपरेशन सिंदूर के बाद से ही भारत ने साफ कर दिया कि भारत और पाकिस्तान के बीच कोई भी बातचीत केवल आतंकवाद के मुद्दे पर ही होगी. पिछले दिनों भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा था कि प्रधानमंत्री मोदी ने पहले ही यह स्पष्ट कर दिया है कि पाकिस्तान से बातचीत का विषय सिर्फ आतंकवाद होगा. उन्होंने कहा, "पाकिस्तान के पास आतंकवादियों की एक सूची है, जिन्हें सौंपने की आवश्यकता है. उन्हें आतंकवादी ढांचे को बंद करना होगा. उन्हें पता है कि क्या करना है. हम उनके साथ इस बात पर चर्चा करने के लिए तैयार हैं कि आतंकवाद पर क्या किया जाना चाहिए."
बातचीत का रास्ता कितना जटिल
भविष्य में भारत-पाकिस्तान के बीच वार्ता के सवाल पर वरिष्ठ पत्रकार मीनू जैन कहती हैं कि अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के दबाव में भारत बातचीत की मेज पर आ सकता है. उन्होंने डीडब्ल्यू से कहा, "मोदी ने राष्ट्र के नाम संबोधन में कहा था कि पाकिस्तान से अगर से बात होगी तो आतंकवाद पर होगी, अगर पाकिस्तान से बात होगी तो पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर पर ही होगी. इसका मतलब है कि आप बातचीत के लिए तैयार तो हैं." साथ ही वह कहती हैं ट्रंप का दबाव भारत पर बहुत है और ऐसा लगता है कि पाकिस्तान की ओर उनका झुकाव नजर रहा है.
हालांकि भारतीय विदेश मंत्री जयशंकर अमेरिका की भूमिका के बारे में बार-बार साफ कर चुके हैं कि भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्षविराम समझौता द्विपक्षीय था. भारत-पाकिस्तान संघर्षविराम में अमेरिका की भूमिका को लेकर जयशंकर ने नीदरलैंड्स की अपनी यात्रा के दौरान एक इंटरव्यू में कहा था, "अमेरिका, संयुक्त राज्य अमेरिका में था. मेरा मतलब है, जाहिर है कि वहां थे… अमेरिकी विदेश मंत्री रुबियो और उपराष्ट्रपति वैंस ने फोन किया था. रुबियो ने मुझसे बात की थी. वैंस ने हमारे प्रधानमंत्री से बात की थी."
उन्होंने कहा था कि युद्धविराम और गोलीबारी व सैन्य कार्रवाई बंद करना कुछ ऐसा था जिस पर भारत-पाकिस्तान के बीच सीधे बातचीत हुई थी.
मीनू जैन का कहना है कि मोदी ने ऑपरेशन सिंदूर के बाद कई क्षेत्रों का दौरा किया, लेकिन वह किसी भी पहलगाम पीड़ित के परिवार से नहीं मिले. उनका कहना है कि मोदी को पहलगाम हमले के बाद वहां का दौरा करना चाहिए था, जिससे संदेश और साफ जाता. साथ ही वह कहती हैं कि मोदी इस तरह की बयानबाजी कर विदेश नीति को घरेलू राजनीति में इस्तेमाल कर रहे हैं.
पाकिस्तान और भारत के बीच "दुष्प्रचार युद्ध" जारी
वरिष्ठ पत्रकार और विदेश मामलों की जानकार स्मिता शर्मा भी मानती हैं कि मोदी अब पूरी तरह से कैंपेन मोड में हैं. मोदी के गोली वाले बयान को वह पूरी तरह से एक सियासी बयान के तौर पर देखती हैं. उन्होंने डीडब्ल्यू से कहा, "अभी सबकी नजर बिहार विधानसभा चुनाव पर है और गुजरात मोदी और अमित शाह का गृह राज्य है, जाहिर सी बात जब वो वहां गए हैं तो बयान ज्यादा नाटकीय भी है और राजनीतिक भी है."
भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय बातचीत के सवाल पर स्मिता कहती हैं कि दोनों देशों के बीच बात हुए लंबा वक्त बीत चुका है. उन्होंने कहा, "साल 2024 में जब जयशंकर इस्लामाबाद गए थे तो एससीओ शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए गए थे और उस दौरान कोई आपसी बातचीत पाकिस्तान के साथ नहीं हुई थी. 2016 के उरी हमला और पुलवामा हमला के बाद से ही भारत यह लगातार कहता आया है कि कि आतंकवाद और बातचीत साथ-साथ नहीं चल सकते हैं. भारत का अपना नजरिया है, जो द्विक्षीय बातचीत के दावे अमेरिका की तरफ से किए जा रहे हैं, वैसा नहीं होना है, अगर कोई बातचीत होती भी है तो सिर्फ और सिर्फ आतंक के मुद्दे पर ही होगी."
मोदी ने यह बयान ऐसे समय दिया है जब 22 अप्रैल को कश्मीर के पर्यटन क्षेत्र पहलगाम में हुए हमले में 26 लोग मारे गए थे. नई दिल्ली ने इस हमले के लिए पाकिस्तान को दोषी ठहराया, लेकिन इस्लामाबाद ने लगातार इससे इनकार किया है और हमले की अंतरराष्ट्रीय जांच की मांग की है. पहलगाम हमले के तुरंत बाद ही भारत ने सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया था.