प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 14 जुलाई को फ्रांस की राजधानी पेरिस में बैस्टिल डे परेड में मुख्य अतिथि के रूप में भाग लेंगे. मोदी के दौरे के दौरान सबमरीन डील का ऐलान संभव है.
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मोदी 13 और 14 जुलाई को फ्रांस की यात्रा पर जा रहे हैं. वो इस मौके पर फ्रांस के राष्ट्रीय वार्षिक कार्यक्रम बैस्टिल डे में विशिष्ट अतिथि के रूप में शामिल होंगे. मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक उनकी यात्रा के दौरान 90 हजार करोड़ रुपये की रक्षा डील को मंजूरी मिल सकती है.
मोदी का बैस्टिल डे परेड में बतौर विशिष्ट अतिथि के रूप में शामिल होना एक दुर्लभ मौका है क्योंकि फ्रांस हर साल बैस्टिल डे परेड में विदेशी गणमान्य व्यक्तियों को आमंत्रित करने के लिए नहीं जाना जाता है.
1789 की फ्रांस की क्रांति की याद में बैस्टिल दिवस के मौके पर पेरिस के राजपथ यानी शों-जे लीजे रोड पर परेड निकाली जाती है.
मोदी की यह यात्रा ऐसे समय में हो रही है, जब भारत और फ्रांस की रणनीतिक साझेदारी 25वें वर्ष में पहुंच गई है. पिछले दिनों भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों के राजनयिक सलाहकार इमानुएल बोन से मुलाकात की थी. इसके बाद दूतावास की ओर से ट्वीट में कहा गया था कि इस साझेदारी में रक्षा, ऊर्जा, स्पेस, नई तकनीक का एजेंडा शामिल है.
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रक्षा सौदों पर नजर
मीडिया रिपोर्टों में कहा जा रहा है कि मोदी के फ्रांस दौरे के दौरान भारत फ्रांस के साथ 26 राफाल एम लड़ाकू विमान और तीन स्कॉर्पीन क्लास पनडुब्बियों की खरीद को लेकर समझौता कर सकता है. यह सौदा करीब 90 हजार करोड़ रुपये का हो सकता है. रिपोर्टों के मुताबिक मोदी के फ्रांस दौरे के दौरान इन सौदों की घोषणा हो सकती है.
इस सौदे में 26 राफाल एम लड़ाकू विमान में 22 फाइटर जेट सिंगल सीटर होंगे, वहीं चार डबल सीटर ट्रेनिंग जेट होंगे. राफाल एम लड़ाकू विमानों को भारतीय नौसेना के एयरक्राफ्ट करियर्स पर तैनात किया जाएगा. रिपोर्ट्स के मुताबिक आईएनएस विक्रांत पर इन जेट्स को तैनात किया जा सकता है, फिलहाल इस पर रूसी मिग-29 तैनात है.
प्रधानमंत्री के ऐलान के पहले रक्षा अधिग्रहण समिति से इसकी मंजूरी जरूरी है. माना जा रहा है कि गुरूवार को इसकी मंजूरी मिल सकती है.
साल 2009 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह बैस्टिल डे कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए थे.
इस साल भारतीय वायुसेना के विमानों समेत भारत की तीनों सेनाओं की एक टुकड़ी बैस्टिल डे परेड में भाग लेगी. यात्रा के दौरान मोदी की राष्ट्रपति माक्रों, प्रधानमंत्री एलिजाबेथ बोर्न और सीनेट और नेशनल असेंबली के अध्यक्षों समेत फ्रांस के पूरे राजनीतिक नेतृत्व के साथ बातचीत करने की संभावना है. मोदी फ्रांस के उद्योगपतियों के साथ मुलाकात भी कर सकते हैं और उनके सम्मान में फ्रांस राजकीय भोज का भी आयोजन कर सकता है.
किन वजहों से चुना गया राफाल?
यह भारत के रक्षा इतिहास का यह सबसे बड़ा सौदा था लेकिन आठ साल तक अटका रहा. आखिर क्या खासियत है राफाल में जो इस पर इतनी मशक्कत हुई.
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फ्रांस में राजनाथ सिंह
भारत ने 2012 में फ्रांस से 126 राफाल लड़ाकू विमान खरीदने का फैसला किया. लेकिन सौदा तकनीकी मामलों में उलझकर फंस गया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दखल के बाद मामला आगे बढ़ा. अक्टूबर 2019 में राजनाथ सिंह पहली डिलीवरी के लिए फ्रांस पहुंचे.
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ऊंचे इलाकों का मशीनी परिंदा
सैन्य क्षमता के मामले में भारत अपने परंपरागत प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान से बहुत आगे है. लेकिन नई दिल्ली का चीन के साथ भी सीमा विवाद है. भारत और चीन के बीच हिमालय का ऊंचा इलाका है. राफाल ऊंचे इलाकों में लड़ने में माहिर है.
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राफाल की क्षमता
किसी चपल बाज की तरह राफाल एक मिनट में 60,000 फुट की ऊंचाई तक जा सकता है. हालांकि यूरोफाइटर टायफून इस मामले में राफाल से आगे है, लेकिन टायफून राफाल से महंगा भी है.
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रफ्तार और बारीकी
भारतीय वायुसेना ने लंबे टेस्ट के बाद वित्तीय कारणों से राफाल को चुना. उड़ान भरते वक्त राफाल की उच्चतम रफ्तार 2130 किलोमीटर प्रति घंटा है. वायुसेना के मुताबिक हवा से जमीन में मार करने में राफाल टायफून से ज्यादा कारगर दिखा.
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राफाल बनाम टायफून
राफाल जहां हवा से जमीन पर मार करने में अचूक है. वहीं जबरदस्त रडार वाला यूरोफाइटर टायफून हवा से हवा में मार करने के मामले में अब तक सबसे उन्नत विमान है. एविशन क्षेत्र के जानकार दोनों विमान में 19-20 का ही फर्क करते हैं.
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भरोसेमंद राफाल
जर्मनी और ब्रिटेन ने लगातार यूरोफाइटर को बेचने की कोशिशें जारी रखी हैं. घातक दांव पेंचों के मामले में नए टायफून का कोई तोड़ नहीं है. लेकिन राफाल जांचा परखा और विश्वसनीय लड़ाकू विमान है.
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फ्रांस पर भरोसा
राफाल सौदे का आधार भारत और फ्रांस की दोस्ती भी है. 1998 में पोखरण परमाणु परीक्षण के बाद भारत पर पश्चिमी देशों ने आर्थिक प्रतिबंध लगाए. लेकिन यूरोपीय संघ और अमेरिका के निकटता के बावजूद फ्रांस ने भारत पर आर्थिक प्रतिबंध नहीं लगाए.
तस्वीर: Reuters
मिराज अपग्रेड
भारतीय वायुसेना राफाल बनाने वाली फ्रांसीसी कंपनी दासो के मिराज 2000 विमान पहले से इस्तेमाल कर रही है. कारगिल युद्ध में मिराज विमानों की काफी तारीफ हुई. बाद में दासो ने मिराज को अपग्रेड करने में भी आनाकानी नहीं की.
तस्वीर: Indian Air Force
परमाणु प्रतिरक्षा में सक्षम
राफाल हथियारों के एक अत्याधुनिक पैकेज के साथ आता है जिसमें मेटोर मिसाइलें भी शामिल हैं. इन्हें दुनिया की सबसे आधुनिक मिसाइलों में गिना जाता है. ये विमान वायु रक्षा, इंटरसेप्शन, ग्राउंड सपोर्ट, अंदर जाकर हमले, पैमाइश, एंटी-शिप स्ट्राइक और परमाणु प्रतिरक्षा में सक्षम है.
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किससे जीता राफाल
अमेरिका भारत को एफ-16 और एफ-18, रूस मिग-35, जर्मनी और ब्रिटेन यूरोफाइटर टायफून और स्वीडन ग्रिपन विमान बेचना चाह रहे थे. लेकिन बाजी राफाल ने मारी.
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10 अरब डॉलर का सौदा
राफाल एक ट्विन-जेट एयरक्राफ्ट होता है जो हर तरह के लड़ाकू अभियान को अंजाम दे सकता है. भारत को ये लड़ाकू विमान देने की प्रक्रिया के पूरा होने में लगभग साढ़े पांच साल लगेंगे. 2012 में दासो ने भारत से 126 लड़ाकू विमानों का कॉन्ट्रैक्ट हासिल किया था और ये सौदा लगभग 10 अरब डॉलर का था.
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36 पर सहमति
बीते बीस साल में भारत का यह सबसे बड़ा लड़ाकू विमान खरीद सौदा है. इसके पहले भारत ने 1996 में रूस के साथ सुखोई विमानों के लिए बड़ी डील की थी. लेकिन फिर कीमत और विमानों की एसेंबलिंग को लेकर विवाद हो गया और दोनों पक्ष राफाल जेट्स की संख्या घटाकर 36 करने पर सहमत हुए.