2018 के एक ट्वीट में धार्मिक भावनाएं आहत करने के आरोप में गिरफ्तार पत्रकार मोहम्मद जुबैर को सोमवार को यूपी के सीतापुर जिला अदालत में पेश किया गया. सीतापुर में जुबैर के खिलाफ दो धाराओं में मामला दर्ज किया गया था.
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ऑल्ट न्यूज के सह-संस्थापक और फैक्ट चेकर मोहम्मद जुबैर को सोमवार को उत्तर प्रदेश के सीतापुर की एक अदालत में एक ट्वीट पर दर्ज मामले में पेश किया गया, आरोप है कि जुबैर ने कथित ट्वीट में यति नरसिंहानंद सरस्वती, बजरंग मुनि और आनंद स्वरूप को "नफरत फैलाने वाले" कहा था.
जुबैर के ट्वीट को लेकर एक हिंदूवादी संगठन हिंदू शेर सेना के अध्यक्ष भगवान शरण ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी. उनके खिलाफ शिकायत 1 जून को दर्ज की गई थी. मामले में चार्जशीट दाखिल होने के बाद जुबैर को दिल्ली पुलिस सीतापुर ले गई. यूपी पुलिस ने सोमवार को कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की जिसके बाद उन्हें कोर्ट में पेश होना पड़ा.
जुबैर के खिलाफ आईपीसी की धारा 295ए और आईटी कानून 67 के तहत मामला दर्ज किया गया है.
जुबैर को पहली बार 27 जून को गिरफ्तार किया गया था, जब उनके खिलाफ एक ट्विटर पोस्ट के आधार पर एफआईआर दर्ज की गई थी, जिसमें एक अन्य ट्विटर हैंडल ने "हिंदू भावनाओं को आहत करने" का आरोप लगाया था. दिल्ली पुलिस ने उन्हें साल 2020 के मामले में पूछताछ के लिए बुलाया था लेकिन गिरफ्तारी इस मामले में हुई थी.
2 जुलाई को दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने जुबैर की जमानत याचिका रद्द करते हुए उन्हें 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया था. कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए कहा था कि दिल्ली पुलिस द्वारा की जा रही जांच के दौरान जमानत देने का कोई आधार नहीं है.
यूक्रेन युद्ध में मारे गए ये पत्रकार
यूक्रेन पर रूसी हमले के दौरान अब तक युद्ध को कवर कर रहे छह पत्रकारों और मीडियाकर्मियों की मौत हो गई है. मारे गए कुछ पत्रकार यूक्रेनी और कुछ विदेशी हैं.
तस्वीर: Oksana Baulina/REUTERS
येवहनी सकुन
यूक्रेन के 'लाइव' स्टेशन के लिए बतौर कैमरा ऑपरेटर काम करने वाली 49 वर्षीय येवहनी सकुन यूक्रेन युद्ध में मारी गई पहली मीडियाकर्मी थी. 1 मार्च को सकुन की मृत्यु तब हो गई जब रूस ने कीव में एक टीवी टावर पर हमला किया था. इस हमले में चार अन्य लोगों की भी मौत हुई थी.
तस्वीर: Yaghobzadeh Alfred/ABACA/picture alliance
ब्रेंट रेनॉड
50 साल के ब्रेंट रेनॉड की 13 मार्च को रूसी सैनिकों की फायरिंग में तब मौत हो गई जब वे कीव के बाहरी इलाके में अपनी गाड़ी से जा रहे थे. रेनॉड टाइम स्टूडियो के लिए काम कर रहे थे. वे यूक्रेन में शरणार्थी संकट पर एक प्रोजेक्ट पर काम कर रहे थे.
तस्वीर: Jemal Countess/Getty Images
ऑलेक्जांड्रा कुवशिनोवा
फॉक्स न्यूज के लिए एक काम करने वाली 24 वर्षीय यूक्रेनी ऑलेक्जांड्रा कुवशिनोवा की 14 मार्च को फायरिंग में मौत हो गई थी. वो एक वाहन में अपने सहकर्मियों के साथ यात्रा कर रही थीं.
तस्वीर: Yaghobzadeh Alfred/ABACA/picture alliance
पियरे जक्रजेवस्की
55 वर्षीय पियरे जक्रजेवस्की फॉक्स न्यूज के कैमरामैन थे और होरेनका शहर में कुवशिनोवा के साथ ही यात्रा कर रहे थे. उनकी गाड़ी पर फायरिंग होने से कुवशिनोवा के साथ उनकी भी मौत हो गई. हमले में फॉक्स न्यूज के एक और पत्रकार बेंजामिन हॉल गंभीर रूप से घायल हो गए थे.
तस्वीर: Pierre Zakrzewski/dpa/Fox News/AP/picture alliance
ओक्साना बाउलिना
रूस की खोजी साइट द इनसाइडर के लिए काम करने वाली पत्रकार ओक्साना बाउलिना की कीव में 23 मार्च को रूसी गोलाबारी के दौरान मौत हो गई थी. जिस वक्त रूसी हमला हुआ तब वे तबाही को फिल्मा रही थीं और उसी दौरान वे हमले की चपेट में आ गई.
तस्वीर: Oksana Baulina/REUTERS
माक्सिम लेविन
यूक्रेनी फोटो पत्रकार माक्सिम लेविन, जिन्हें उनके सहयोगी मैक्स कह कर पुकारते थे, वे राजधानी कीव के उत्तरी इलाके में मृत पाए गए थे. रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स ने कहा कि लेविन रॉयटर्स, एसोसिएटेड प्रेस, बीबीसी और यूक्रेनी आउटलेट होरोमाडस्के समेत संगठनों के लिए काम कर चुके थे. लेविन मार्च में कीव के पास विशोरोड के आसपास युद्ध कवर करते हुए गायब हुए थे.
दिल्ली पुलिस का आरोप है कि जुबैर को विदेशों जैसे पाकिस्तान, सीरिया, ऑस्ट्रेलिया और मध्य पूर्वी देशों से चंदा मिला था. पुलिस का कहना है कि इसकी जांच होनी है. इस संबंध में एफआईआर में फॉरेन कंट्रीब्यूशन रेगुलेशन एक्ट की धारा 35 जोड़ी गई है.
पुलिस ने यह भी आरोप लगाया है कि जुबैर ने फोन को फॉरमेट कर डाटा डिलीट कर सबूत मिटाए हैं. आरोप यह भी है कि जुबैर की ओर से साजिश की गई है. जमानत याचिका पर बहस के दौरान वकील वृंदा ग्रोवर ने न्यायिक हिरासत का विरोध किया था. ग्रोवर ने कहा था कि पुलिस उन्हें फंसाना चाहती है. और यह दुर्भावनापूर्ण इरादे से किया गया है. उन्होंने सवाल किया कि, "क्या सिम कार्ड बदलना अपराध है, क्या फोन को फॉरमेट करना अपराध है?"
साथ ही विदेशों से जुबैर को धन मिलने पर ग्रोवर ने अदालत में खंडन करते हुए कहा था कि कथित धन ऑल्ट न्यूज कंपनी द्वारा प्राप्त किया गया था, न कि यह धन जुबैर को व्यक्तिगत क्षमता में मिला था. उन्होंने कोर्ट को बताया था कि यह जुबैर के खाते में नहीं गया था. उन्होंने कहा ऑल्ट न्यूज, कंपनी अधिनियम की धारा 8 के तहत संचालित एक कंपनी है और धन कंपनी को मिला न कि जुबैर को.
विदेशों से चंदा लेने पर ऑल्ट न्यूज ने भी एक बयान जारी किया था और कहा था कि हम जिस मंच के जरिए चंदा लेते हैं वह हमें विदेशी स्रोतों से धन प्राप्त करने का विकल्प नहीं देता है. ऑल्ट न्यूज के मुताबिक उसने सिर्फ भारतीय खातों से पैसे लिए और पैसे कंपनी के बैंक अकाउंट में जमा हुए.
जुबैर की गिरफ्तारी का कई पत्रकार संगठनों विरोध किया है. सोमवार को दिल्ली के प्रेस क्लब में कुछ वरिष्ठ पत्रकार इकट्ठा हुए और पत्रकारों पर पुलिस कार्रवाई का विरोध किया. प्रेस क्लब ऑफ इंडिया के अध्यक्ष उमाकांत लखेड़ा ने एक समाचार चैनल से कहा, "हमारा मानना है कि कोई पत्रकार जो पत्रकारिता कर रहा है वह कोई गैंग नहीं चला रहा है, कोई माफिया गैंग नहीं चला रहा है, कोई हथियार नहीं चला रहा है. उसके साथ आप एक खूंखार अपराधी की तरह बर्ताव कर रहे हैं, न केवल मोहम्मद जुबैर बल्कि बहुत सारे पत्रकार हैं देश में जिनपर इस तरह की तलवार लटकाई जा रही है. उनको झूठे केसों में फंसाकर ताकि पत्रकार सरकार से डरकर रहे और जो सच है जिसके लिए उनकी जिंदगी समर्पित है उसको दिखा न सके."
भारत की रैंकिंग और गिरी
वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स में भारत की रैंकिंग और गिर गई है. 180 देशों में भारत का 150वां नंबर है. क्या है दुनिया में प्रेस फ्रीडम की स्थिति, देखिए...
वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स में भारत की रैंकिंग 142 से आठ स्थान गिरकर 150 हो गई है. नेपाल और चीन को छोड़कर उसके बाकी सारे पड़ोसियों की रैंकिंग भी गिरी है.
तस्वीर: Charu Kartikeya/DW
सबसे अव्वल नॉर्वे
2022 के प्रेस फ्रीडम इंडेक्स में नॉर्डिक देश सबसे ऊपर हैं. नॉर्वे नंबर एक पर है. उसके बाद डेनमार्क (2) और स्वीडन (3) का नंबर है. एस्टोनिया चौथे और फिनलैंड पांचवें नंबर पर है.
तस्वीर: Matt Dunham/AP/picture alliance
सबसे नीचे कौन?
180 देशों की सूची में उत्तर कोरिया को सबसे नीचे रखा गया है. रूस 150 से गिरकर 155वें नंबर पर आ गया है, जबकि यूक्रेन 106 पर है.
तस्वीर: Yonhap/picture alliance
नेपाल का उछाल
इस साल रैंकिंग में नेपाल ने 30 स्थानों की छलांग लगाई है और वह 76वें नंबर पर आ गया है. पिछले साल यह 106वें नंबर पर था.
तस्वीर: PRAKASH MATHEMA/AFP
भारत के पड़ोसियों की हालत
पाकिस्तान 157वें नंबर पर है. श्रीलंका की रैंकिंग है 146, बांग्लादेश की 162 और म्यांमार की 176. चीन की हालत दो स्थान सुधरी है और वह 175वें नंबर पर आ गया है.
तस्वीर: Aamir Qureshi/AFP/Getty Images
ध्रुवीकरण का नया युग
रैंकिंग जारी करते हुए रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स ने कहा कि दुनिया में मीडिया ध्रुवीकरण का एक नया युग शुरू हो गया है यानी देशी मीडिया संस्थानों के बीच बंटवारा बहुत स्पष्ट और तीखा हो गया है.
तस्वीर: Salvatore Di Nolfi/dpa/picture alliance
विकसित देशों की स्थिति
अमेरिका को 42वीं रैंकिंग मिली है. ऑस्ट्रेलिया (39), फ्रांस (26), यूके (24), कनाडा, (19), जर्मनी (16) और न्यूजीलैंड (11) में मीडिया की स्थिति कमोबेश अच्छी मानी गई है.
रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स ने 28 देशों में स्थिति को ‘बेहद खराब’ बताया है. इनमें से सबसे खराब दस देशों में उत्तर कोरिया के अलावा इरिट्रिया, ईरान, तुर्कमेनिस्तान, चीन और म्यांमार शामिल हैं.