पाकिस्तान में बाढ़ से कैसे बढ़ी नाबालिग लड़कियों की शादियां?
४ सितम्बर २०२४
बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं के कारण पाकिस्तान में बाल विवाह के मामले बढ़े हैं. गरीब परिवारों में माता-पिता पैसे लेकर नाबालिग लड़कियों की शादी कर रहे हैं. 2022 की भीषण बाढ़ के बाद ऐसे मामलों में तेजी आई है.
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पाकिस्तान उन देशों में है, जहां बीते सालों में जलवायु संकट के कारण बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदा ज्यादा भीषण और नियमित हुई हैं. चरम मौसमी घटनाओं का एक बड़ा खामियाजा लड़कियों को उठाना पड़ रहा है. समाचार एजेंसी एएफपी के मुताबिक, मॉनसून की तेज बारिश के बाद बाढ़ के डर के कारण यहां बाल विवाह के मामले बढ़ गए हैं. ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जिनमें माता-पिता ने गरीबी की वजह से पैसे लेकर अपनी नाबालिग बेटियों की शादी कर दी.
खुशहाल जिंदगी की उम्मीद में दोगुनी उम्र के आदमी से शादी
सिंध प्रांत के दादू जिले में रहने वाली 14 साल की शमीला और उनकी 13 वर्षीय बहन अमीना के साथ यही हुआ. बाढ़ के डर के बीच बारिश का मौसम शुरू होने से पहले ही माता-पिता ने शमीला और अमीना की शादी कर दी. उन्होंने यह फैसला परिवार को बाढ़ के समय आने वाली किल्लत से बचाने के लिए लिया था. उन्हें उम्मीद थी कि शमीला को अच्छी जिंदगी मिल सकेगी.
60 साल में पाकिस्तान का सबसे अधिक भीगा अप्रैल
पाकिस्तान में इस साल 1961 के बाद सबसे अधिक बारिश वाला अप्रैल रहा. आमतौर पर जितनी बारिश यहां होती है, इस साल उससे दोगुनी हुई है. इसके नतीजे में 144 लोगों की मौत हो चुकी है.
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दोगुनी बारिश
अप्रैल के महीने में इस साल पाकिस्तान में 59.3 मिलीमीटर बारिश हुई है. यह 22.5 मिलीमीटर के औसत के दोगुने से भी ज्यादा है.
एशिया के ज्यादातर इलाके इस समय लू और ऊंचे तापमान से जूझ रहे हैं. दूसरी तरफ पाकिस्तान में अप्रैल महीने का औसत तापमान 23.67 डिग्री सेल्सियस था यह सामान्य से करीब 0.87 डिग्री कम है.
पाकिस्तान के बच्चे जलवायु परिवर्तन के कारण पहले से ही खतरा झेल रहे हैं. दिसंबर 2023 में देश के करीब 96 लाख बच्चों को जीवनरक्षा के लिए मानवीय सहायता की जरूरत थी. बारिश का संकट बच्चों के लिए और बुरा होगा.
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2022 का बाढ़ संकट
2022 में मानसून की बारिश के साथ आई बाढ़ में पाकिस्तान का करीब एक तिहाई हिस्सा डूब गया था. लाखों लोगों को अपना घर छोड़ कर अस्थायी ठिकानों पर शरण लेनी पड़ी. देश की अर्थव्यवस्था को इसकी वजह से करीब 30 अरब अमेरिकी डॉलर का नुकसान हुआ था.
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सबसे ज्यादा मौत केपीके में
भारी बारिश की वजह से पाकिस्तान में सबसे ज्यादा 84 लोगों की मौत खैबर पख्तूनख्वाह में हुई है. इनमें 38 बच्चे भी शामिल हैं. यहां के 3,500 घर बारिश में गिर गए हैं.
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सड़क कहीं टूट गई तो कईं डूब गई
पेशावर के खैबर एजेंसी में बारिश के पानी में एक ट्रक डूब गया. चार दिन की भयानक बारिश में यहां कई लोगों की मौत हुई और कई घर और सड़कें तबाह हुईं.
मौसम की चरम स्थिति के साथ पाकिस्तान को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है. पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति पहले से ही खराब है उस पर मौसम की मार ने उसकी हालत बिगाड़ दी है.
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जलवायु परिवर्तन का असर
दक्षिण एशियाई देश पाकिस्तान में दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी आबादी रहती है. पाकिस्तान ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में एक फीसदी से भी कम का योगदान देता है लेकिन ग्लोबल वार्मिंग से उभरे संकट उसे भारी नुकसान पहुंचा रहे हैं.
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शमीला का पति उससे दोगुनी उम्र का है. वह कहती हैं, "अपनी शादी की बात सुनकर मैं बहुत खुश थी. मुझे लगा, जिंदगी काफी आसान हो जाएगी." शमीला की यह उम्मीद पूरी नहीं हुई. वह बताती हैं, "मेरे पास कुछ बचा नहीं. और अब दोबारा बारिश का मौसम आ रहा है तो लग रहा है कि जितना है कहीं वो भी ना चला जाए."
शमीला की सास बीबी सचल ने बताया कि उन्होंने अपने बेटे की शादी के लिए शमीला के माता-पिता को दो लाख पाकिस्तानी रुपए दिए. यह बड़ी रकम है, खासकर ऐसे ग्रामीण क्षेत्र में जहां कई परिवार 80 रुपए के दैनिक खर्च में गुजारा करते हों.
2022 की भीषण बाढ़ का असर
यूनिसेफ के अनुसार, जलवायु संकट के कारण आ रही प्राकृतिक आपदाओं ने लड़कियों को भारी जोखिम में डाल दिया है. माशूक बरहमनी, गैर-सरकारी संगठन 'सजग संसार' के संस्थापक हैं. वह धार्मिक गुरुओं के साथ मिलकर बाल विवाह पर रोक लगाने और जागरूकता फैलाने का अभियान चलाते हैं. बरहमनी बताते हैं कि 2022 में आई भीषण बाढ़ के बाद दादू जिले के कई गांवों में बाल विवाह के मामले बढ़ गए हैं. एएएफपी से बातचीत में उन्होंने कहा, "इस वजह (कुदरती आपदा) से लोग अपनी नाबालिग बच्चियों की शादियां करा रहे हैं. परिवारों को बस जिंदा रहने का साधन चाहिए होता है और इसमें पिसती हैं लड़कियां, जिनकी पैसों के बदले शादी कर दी जाती है."
साल 2022 में आई ऐतिहासिक बाढ़ में पाकिस्तान का एक तिहाई हिस्सा डूब गया. तीन करोड़ से ज्यादा लोग प्रभावित हुए. हजारों स्कूल, अस्पताल का नुकसान हुआ. बुनियादी ढांचे को बड़ी चोट पहुंची. दो साल बाद भी इस भीषण बाढ़ का असर महसूस किया जा रहा है. जानकारों के मुताबिक, इस त्रासदी के बाद खासतौर पर वंचित वर्गों के बीच आपदाओं का डर काफी बढ़ गया है.
दक्षिण एशिया में भारत की ही तरह पाकिस्तान में भी किसानों के लिए मॉनसून की बारिश बहुत अहमियत रखती है. जुलाई से सितंबर के बीच होने यह बारिश फसल की बुआई और सिंचाई के लिए बेहद अहम है. वैज्ञानिकों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन के कारण बारिश का मौसम लंबा और अप्रत्याशित होता जा रहा है. बेमौसम बरसात और मूसलधार बारिशें ज्यादा नियमित हो गई हैं. इसके कारण भूस्खलन और बाढ़ की घटनाओं में भी वृद्धि हुई है. कहीं बारिश के इंतजार में फसल सूख रही है, तो कहीं अतिवृष्टि के कारण फसल बेकार हो जाती है.
पाकिस्तान: पिछले साल की बाढ़ से अब भी परेशान महिला किसान
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पाकिस्तान में बाल विवाह की क्या स्थिति
देश के अलग-अलग प्रांतों में शादी की न्यूनतम आयु से जुड़े नियम एक जैसे नहीं हैं. आमतौर पर यह आयुसीमा 16 से 18 साल के बीच है. जानकारों के मुताबिक, कानून को लागू करा पाना एक बड़ी चुनौती है. दिसंबर 2023 में आए सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, 18 साल से कम उम्र में शादी करने वाली लड़कियों की संख्या के मामले में पाकिस्तान दुनिया में छठे स्थान पर है.
पिछले कुछ समय से बाल विवाह के मामलों में गिरावट आई थी, लेकिन अब फिर से स्थितियां खराब हो रही हैं. मानवाधिकार समूहों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन की वजह से आ रही आपदाएं भी इस समस्या को बढ़ाने में योगदान दे रही हैं. नियाज अहमद चांडियो, दादू में बच्चों के अधिकारों से जुड़े एक गैर-सरकारी संगठन के संयोजक हैं. उन्होंने डीडबल्यू को बताया, "पिछले एक साल के दौरान दादू में बाल विवाह के 45 मामले दर्ज किए गए हैं. मेरा मानना है कि ऐसे और भी दर्जनों मामले हो सकते हैं, जिनका अभी तक पंजीकरण ही नहीं हुआ है." शमीला और अमीना के खान मोहम्मद मल्लाह गांव में ही पिछले मॉनसून के बाद से अब तक करीब 45 नाबालिग लड़कियों की शादी हो चुकी है.
जलवायु से जुड़े संकटों का साल रहा 2022
भीषण गर्मी और सूखा, जंगल की भयानक आग, तीखे तूफान और विनाशकारी बाढ़ - साल 2022 में जलवायु ने ऐसे रंग दिखाये कि विशेषण कम पड़ गये. इन तस्वीरों में देखिये बदलते जलवायु और मौसम की मुसीबतों का हाल.
तस्वीर: Thomas Coex/AFP
यूरोपः सबसे ज्यादा गर्म और अत्यधिक सूखा
यूरोप की गर्मियों ने 500 साल के सबसे ज्यादा गर्म मौसम से रूबरू कराया. स्पेन में तो लू चलने और 45 डिग्री से ऊपर के तापमान के कारण 500 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई. ब्रिटेन में भी तापमान 40 डिग्री के ऊपर गया. यूरोप की ज्यादातर नदियों के पानी में भारी कमी हुई और कई जगहों पर तो घरों में पानी की सप्लाई का कोटा तय करना पड़ गया.
तस्वीर: Thomas Coex/AFP
जलते जंगलों से तपता रहा यूरोप
पश्चिम में पुर्तगाल, स्पेन और फ्रांस से लेकर पूरब में इटली, ग्रीस और साइप्रस और उत्तर में साइबेरिया तक के जंगलों से उठती लाल लपटों ने यूरोप की गर्मी बढ़ाये रखी. साल के मध्य तक तकरीबन 660,000 हेक्टेयर जमीन पर दावानल ने तबाही मचाई. 2006 में रिकॉर्ड रखना शुरू होने के बाद यह सबसे ज्यादा है.
मानसून की भीषण बरसात से पाकिस्तान के करीब एक तिहाई हिस्से में पानी भर गया. बाढ़ के कारण 1100 से ज्यादा लोगों की जान गई, 3 करोड़ से ज्यादा लोग बेघर हुए और यह संक्रामक रोगों के फैलने का बड़ा कारण बन गया है. भारी बारिश ने अफगानिस्तान में भी काफी नुकसान किया. हजारों हेक्टेयर में फैली फसलें तबाह हो गईं और पहले से ही गरीबी का सामना कर रहे देश में भूख की समस्या और बढ़ गई.
तस्वीर: Stringer/REUTERS
एशिया में अत्यधिक गर्मी और तूफान भी
बाढ़ से पहले अफगानिस्तान, पाकिस्तान और भारत ने अत्यधिक गर्मी और सूखे का सामना किया. इसी बीच चीन ने बीते 60 सालों का सबसे भयानक सूखा देखा और रिकॉर्ड रखना शुरू होने के बाद की सबसे भयानक लू. पतझड़ का मौसम आने से पहले ही 12 तूफानों ने यहां धावा बोला था. फिलिपींस, जापान, दक्षिण कोरिया और बांग्लादेश भी बड़े तूफानों की चपेट में आये. जलवायु परिवर्तन इन तूफानों की ताकत बढ़ा रहा है.
तस्वीर: Mark Schiefelbein/AP Photo/picture alliance
अफ्रीका की कमर तोड़ता जलवायु संकट
दुनिया के बाकी हिस्सों की तुलना में अफ्रीका ज्यादा और तेजी से गर्म हो रहा है. यही वजह है कि बारिश का बदलता चक्र यहां सूखा और गर्मी की ज्यादा मुश्किलें ला रहा है. सोमालिया बीते 40 सालों के सबसे भयानक सूखे का सामना कर रहा है. संकट की वजह से लाखों लोग अपना घर छोड़ कर कहीं और जा कर रहने को मजबूर हुए हैं.
तस्वीर: ZOHRA BENSEMRA/REUTERS
अफ्रीका में अकाल और पलायन
बाढ़ और भयानक सूखे ने कृषि और मवेशीपालन को अफ्रीका के कई हिस्सों में असंभव बना दिया है इसके नतीजे में लाखों लोगों के सामने पेट भरने का संकट है. इथियोपिया, सोमालिया और केन्या में तो भूख के कारण पहले ही बहुत से लोगों की जान जा चुकी है.
तस्वीर: Dong Jianghui/dpa/XinHua/picture alliance
उत्तर अमेरिका की आग और बाढ़ ca
आंधी और तूफान ने अमेरिका के कैलिफोर्निया, नेवाडा और एरिजोना में खूब तबाही मचाई. गर्मियों के आखिरी महीनों में 40 डिग्री से ज्यादा तापमान ने लोगों को पसीने पसीने कर दिया. इसके साथ ही शुरुआती गर्मी के मौसम में भारी बारिश ने येलोस्टोन नेशनल पार्क और केंटकी में बाढ़ का संकट पैदा किया.
तस्वीर: DAVID SWANSON/REUTERS
तूफानों की तबाही
सितंबर में ईयान तूफान ने अमेरिकी राज्य फ्लोरिडा का काफी नुकसान किया स्थानीय अधिकारियों ने इसकी तीव्रता के आधार पर इसे 'ऐतिहासिक' कहा. इससे पहले ईयान ने क्यूबा को भी खूब परेशान किया, जहां लोगों को कई दिन तक बिना बिजली के गुजारने पड़े. फियोना तूफान लातिन अमेरिका और कैरेबिया में भारी नुकसान करने के बाद कनाडा पहुंचा. यह सबसे भयानक उष्णकटिबंधीय तूफान साबित हुआ.
तस्वीर: Giorgio Viera/AFP/Getty Images
मध्य अमेरिका में उष्णकटिबंधीय तूफान
मध्य अमेरिका तक पहुंचने वाले उष्णकटिबंधीय तूफानों में फियोना अकेला नहीं था. अक्टूबर में तूफान जूलिया ने कोलंबिया, वेनेजुएला, निकारागुआ, होंडुरास और अल सल्वाडोर को सताया और भारी नुकसान किया. वैश्विक तापमान बढ़ रहा है, सागर की सतह का तापमान बढ़ रहा है जो तूफानों को भयानक बना रहा है.
लगभग पूरे दक्षिण अमेरिकी महादेश को लगातार सूखे ने अपनी चंगुल में जकड़े रखा. उदाहरण के लिए चिली तो 2007 से ही बारिश की अत्यधिक कमी से जूझ रहा है. कई इलाकों में धाराएं और नदियां 50 से 90 फीसदी तक सूख गई हैं. मेक्सिको भी कई साल से बारिश के लिए तरस रहा है. अर्जेंटीना, ब्राजील, उरुग्वे, बोलिविया, पनामा और इक्वाडोर और कोलंबिया के लोग भी सूखे के साथ जी रहे हैं.
तस्वीर: IVAN ALVARADO/REUTERS
न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया पानी पानी
तेज बारिश के कारण ऑस्ट्रेलिया के कई इलाके 2022 में कई बार बाढ़ की चपेट में आये. जनवरी और मार्च के बीच देश के पूर्वी तट वाले इलाके में लगभग उतनी ही बारिश हुई जितनी जर्मनी में पूरे साल में होती है. न्यूजीलैंड भी बाढ़ से नहीं बच सका. अल नीना मौसम के तीखे तेवरों के लिए जिम्मेदार है लेकिन जलवायु परिवर्तन इसे और बढ़ा रहा है. गर्म वातावरण ज्यादा पानी सोखता है और बारिश को भारी बनाता है.
तस्वीर: Jenny Evans/Getty Images
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बाल विवाह बना परिवारों के जीने का साधन
65 साल के बुजुर्ग मई हजानि भी खान मोहम्मद मल्लाह गांव के निवासी हैं. 2022 की बाढ़ के बाद हालात और मानसिकता में कैसा बदलाव आया है, इसे रेखांकित करते हुए वह बताते हैं, "2022 की भारी बरसात से पहले तक किसी को भी अपनी छोटी लड़कियों की शादी करने की जल्दी नहीं थी. लड़कियां यहां खेती करती थीं, लकड़ी के बिस्तरों के लिए रस्सियां बुनती थीं. आदमी भी मछली पकड़ने और खेती करने में व्यस्त रहते थे. कुछ ना कुछ काम हमेशा होता ही था."
लोगों का कहना है कि अब उन्हें बेटियों को ब्याहने की जल्दी है. कई ग्रामीणों ने एएफपी को बताया कि आमतौर पर वे पैसे लेकर बेटियों की शादी कर देते हैं. इससे परिवार की भी आमदनी होती है और उन्हें लगता है, बेटियां भी गरीबी से निकल जाएंगी. ऐसे भी मामले सामने आएं हैं, जहां लड़़के के परिवार ने शादी की रकम देने के लिए कर्ज लिया और फिर कर्ज चुकाने में नाकाम रहने पर लड़का पत्नी समेत अपनी ससुराल में रहने लगा.
नजमा अली और उनके पति की आपबीती ऐसी ही है. 2022 की बाढ़ के बाद माता-पिता ने महज 14 साल की उम्र में नजमा की शादी कर दी. शादी के समय नजमा काफी खुश थीं. वह बताती हैं, "मेरे पति ने मेरे माता-पिता को ढाई लाख रुपए दिए, वो भी कर्ज लेकर. अब वह कर्ज नहीं चुका पा रहे हैं." अपने छह महीने के बच्चे का पालना झुलाते हुए नजमा आगे कहती हैं, "मैंने सोचा था कि मैं नए कपड़े लूंगी, लिपस्टिक लाऊंगी, नए बर्तन खरीदूंगी. लेकिन अब मैं वापस अपने माता-पिता के पास आ गई हूं, पति और बच्चे को लेकर."
जलवायु संकट के कारण रोजी-रोटी के लाले
नजमा, नैरा घाटी के एक गांव में रहती हैं. यह भी सिंध प्रांत का इलाका है. यहां पानी इतना प्रदूषित है कि सारी मछलियां मर चुकी हैं. नजमा की मां कहती हैं, "हमारे धान के खेत हुआ करते थे, जहां हमारी बेटियां भी काम करती थीं. वहां हम सब्जियां भी उगाते थे. अब पानी इतना जहरीला हो गया कि वहां सब कुछ खत्म हो चुका है. यह खासकर 2022 के बाद हुआ है." नजमा की मां कहती हैं, "पहले लड़कियां बोझ नहीं हुआ करती थीं, लेकिन अब ऐसा है कि जिस उम्र में लड़कियों की कायदे से शादी होनी चाहिए, उस उम्र में उनके 3-4 बच्चे हैं. और फिर वो वापस भी आ जाती हैं अपने माता-पिता के साथ रहने क्योंकि उनके पति काम नहीं करते."
2022 की बाढ़ का साफ पानी की आपूर्ति और जल स्रोतों पर बड़ा असर पड़ा. बड़ी संख्या में तालाब और कुएं प्रदूषित हो गए. उनका पानी पीने लायक नहीं बचा. 2023 में आई यूनिसेफ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, बाढ़ प्रभावित इलाकों में करीब 54 लाख लोग अब भी अपनी जरूरतों के लिए पूरी तरह प्रदूषित पानी पर निर्भर हैं.
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बाल विवाह के नुकसानों पर जागरूकता की जरूरत
मौसमी संकट तो है ही, लेकिन पाकिस्तान के पितृसत्तात्मक समाज ने भी इस संकट को बड़ा बनाने में अहम भूमिका निभाई है. पर्यावरण और लैंगिक मुद्दों पर काम कर रहीं पत्रकार आफिया सलाम ने डीडब्ल्यू को बताया, "यहां लड़कियों को बोझ समझा जाता है. जल्द-से-जल्द उनकी शादी करने की कोशिश की जाती है." वह मानती हैं कि इस मुद्दे पर व्यापक जागरूकता की जरूरत है.
बाल विवाह के कारण लड़कियां जल्दी मां भी बन जाती हैं और आगे चलकर उन्हें स्वास्थ्य संबंधी गंभीर समस्याएं भी झेलनी पड़ती हैं. शिक्षा और रोजगार की संभावनाएं भी कम हो जाती हैं, जिससे वे असुरक्षित महसूस करती हैं और पूरी तरह से अपने परिवारों पर निर्भर रहती हैं. ऐसे में सरकार, प्रशासन और सिविल सोसायटी की और से ज्यादा प्रयास करने की जरूरत है. समय रहते दखल दिया जाए तो कुछ बदलाव हासिल हो सकते हैं, जैसा कि महताब के साथ हुआ. महताब का परिवार भी 2022 की बाढ़ से प्रभावित हुआ. वे राहत शिविर में ही थे, जब उनके पिता दिलदार अली शेख ने महताब की शादी तय कर दी. उस समय महताब मात्र 10 साल की थीं.
गैर-सरकारी संगठन सुजग संसार के हस्तक्षेप के कारण महताब की ना केवल शादी टल गई, बल्कि संगठन ने एक सिलाई की वर्कशॉप में भी उनका दाखिला कराया. इसके कारण महताब की पढ़ाई भी जारी रही और वह थोड़ा-बहुत कमाने भी लगीं. लेकिन जब मॉनसून आता है, महताब को शादी का डर सताने लगता है. वह कहती हैं, "मैंने अपने पिता से कहा है कि मैं पढ़ना चाहती हूं. मैं अपने आस-पास शादीशुदा लड़कियां देखती हूं जिनकी जिंदगी बहुत मुश्किल है. मैं अपने लिए ऐसा नहीं चाहती."