आज से संसद के मानसून सत्र की शुरुआत होने जा रही है. इस सत्र में मोदी सरकार संसद में नए मंत्रिमंडल के साथ विपक्षी हमलों का सामना करने की कोशिश करेगी.
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संसद के मानसून सत्र के दौरान केंद्र सरकार द्वारा वित्त से संबंधित दो समेत 31 विधेयक पेश किए जा सकते हैं. संसदीय कार्य मंत्री प्रल्हाद जोशी ने रविवार को हुई सर्वदलीय बैठक के दौरान जानकारी दी कि इनमें से सरकार ने 29 विधेयक लाने का प्रस्ताव किया है. इनमें छह अध्यादेश हैं जो बजट सत्र के बाद पारित किए गए थे, और वित्त से संबंधित दो विधेयक हैं.
जोशी ने कहा कि संसद परिसर में सर्वदलीय बैठक की अध्यक्षता करने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कामकाज के सुचारू संचालन और इन कानूनों को पारित करने में सभी दलों का सहयोग मांगा. प्रधानमंत्री का हवाला देते हुए जोशी ने बताया कि उन्होंने 19 दिवसीय मानसून सत्र की शुरुआत में स्वस्थ और सार्थक चर्चा पर जोर दिया.
इस बात पर जोर देते हुए कि सांसदों को इसे शांतिपूर्ण सत्र बनाने का प्रयास करना चाहिए, प्रधानमंत्री ने कहा कि सभी मुद्दों पर लोकतांत्रिक तरीके से चर्चा की जानी चाहिए और सभी दलों को सदन चलाने में सहयोग करना चाहिए. जोशी ने कहा, "प्रधानमंत्री ने यह भी आश्वासन दिया कि सरकार प्रक्रिया के तहत प्रत्येक मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार है."
सर्वदलीय बैठक में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल, लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी, तृणमूल कांग्रेस के सांसद डेरेक ओ ब्रायन शामिल हुए.
विपक्ष के पास हैं कई मुद्दे
मानसून सत्र तूफानी होने की संभावना है, जिसमें विपक्ष कई मुद्दों पर सरकार को घेरने की रणनीति के साथ तैयार है, जिसमें पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतें और कोविड की दूसरी लहर के दौरान बुनियादी ढांचे का ढह जाना शामिल है.
कांग्रेस के सांसद राहुल गांधी ने सोमवार सुबह ही ट्वीट करके ही अपनी पार्टी के इरादे जाहिर कर दिए हैं कि वह जासूसी कांड के मुद्दे को संसद में उठा सकती है.
राहुल ने #Pegasus का इस्तेमाल करते हुए लिखा, "हम जानते हैं कि वह आपके फोन पर सबकुछ पढ़ रहा है."
सहकारिता मंत्रालय पर भी सवाल
विपक्ष इस आधार पर सहकारिता मंत्रालय के गठन पर आपत्ति जता सकता है कि सहकारिता राज्य का विषय है और यह कदम राज्यों के अधिकारों का उल्लंघन है. कांग्रेस और एनसीपी ने इस मुद्दे को उठाया है और इस मामले को सदन में उठाए जाने की संभावना है.
विपक्ष ने कोविड-19 की स्थिति और तीसरी लहर के खतरे, किसानों के विरोध, सहकारी संघवाद के लिए कथित खतरे, अफगानिस्तान और चीन के साथ संबंधों सहित कई मुद्दों पर चर्चा की मांग की है.
राज्यसभा और लोकसभा दोनों सदन सुबह 11 बजे से शाम 6 बजे तक काम करेंगे. इस सत्र के लिए 19 बैठकें निर्धारित हैं. यह सत्र 13 अगस्त तक चलेगा.
कोरोनो वायरस महामारी अभी भी जारी है. सत्र संसद के दोनों सदनों में आयोजित किया जाएगा, जिसमें सभी आवश्यक प्रोटोकॉल और सांसदों को सामाजिक दूरी के आधार पर समायोजित करने की व्यवस्था की जाएगी.
भारत सरकार में किसे मिलता है कितना वेतन
राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री की खबरें पढ़ ध्यान ही नहीं रहता कि ये सब वेतन पाने वाले सरकारी मुलाजिम होते हैं. जानिए कितना वेतन पाते हैं राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, दूसरे मंत्री, राज्यपाल, सांसद, जज और वरिष्ठ नौकरशाह.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/A. Rahi
राष्ट्रपति
राष्ट्रपति को वेतन 'राष्ट्रपति उपलब्धि और पेंशन अधिनियम, 1951' नाम के कानून के तहत मिलता है. 2018 में राष्ट्रपति का प्रति माह वेतन 1,50,000 रुपए से बढ़ा कर 5,00,000 रुपए कर दिया गया था. इसके अलावा उन्हें सरकारी खर्च पर 340 कमरों के राष्ट्रपति भवन में आवास, गाड़ियों, रेल और हवाई यात्रा की सुविधा, सुरक्षा, टेलीफोन, चिकित्सा और बीमा जैसी सुविधाएं मिलती हैं.
तस्वीर: UNI
आजीवन सुविधाएं
राष्ट्रपति पद से सेवानिवृत्ती के बाद पद के तत्कालीन वेतन के 50 प्रतिशत के बराबर पेंशन और कई सुविधाएं आजीवन मिलती रहती हैं. इनमें शामिल हैं सरकारी खर्च पर आवास, एक गाड़ी, दो टेलीफोन, एक मोबाइल फोन, स्वास्थ्य सेवाएं, एक लाख रुपए प्रति वर्ष तक कार्यालय खर्च, एक निजी सचिव, एक अतिरिक्त निजी सचिव, एक निजी सहायक, दो चपरासी और भारत में कहीं भी एक व्यक्ति के साथ सबसे ऊंची श्रेणी में रेल या हवाई या यात्रा.
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उप-राष्ट्रपति
उप-राष्ट्रपति का वेतन 'संसद अधिकारी वेतन और भत्ता अधिनियम, 1953' के तहत निर्धारित होता है. 2018 में ही उप-राष्ट्रपति का प्रति माह वेतन भी 1,25,000 रुपए से बढ़ा कर 4,00,000 रुपए कर दिया गया था. इसके अलावा सरकारी खर्च पर आवास, यातायात और मेडिकल इलाज जैसी सुविधाएं मिलती हैं.
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प्रधानमंत्री
प्रधानमंत्री के वेतन के लिए अलग से कोई प्रावधान नहीं है. प्रधानमंत्री को एक सांसद का मूल वेतन, प्रति माह 1,00,000 रुपए, ही मिलता है. इसके अलावा प्रधानमंत्री को संसद के सत्र के दौरान प्रतिदिन 2,000 रुपए भत्ता, 3,000 रुपए प्रतिदिन आतिथ्य भत्ता, सरकारी खर्च पर आवास, यातायात और स्वास्थ्य सुविधाएं मिलती हैं. बस ये सब संसद से मिलने की जगह भारत सरकार के कंसॉलिडेटेड फंड से मिलता है.
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अन्य मंत्री
केंद्रीय मंत्रिमंडल के अन्य मंत्रियों को भी मूल वेतन प्रति माह 1,00,000 रुपए ही मिलता है. कैबिनेट मंत्रियों को आतिथ्य भत्ता प्रधानमंत्री से कम यानी 2,000 रुपए प्रतिदिन मिलता है, राज्य मंत्रियों को 1,000 रुपए प्रतिदिन और डिप्टी मंत्री को 600 रुपए प्रतिदिन मिलता है.
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राज्यपाल
2018 में ही राज्यपालों का मूल वेतन भी 1,10,000 रुपए से बढ़ा कर 3,50,000 रुपए कर दिया गया था.
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न्यायपालिका
सुप्रीम कोर्ट के जजों का वेतन 'सुप्रीम कोर्ट जज (वेतन और शर्त अधिनियम), 1958' और सभी हाई कोर्ट के जजों का वेतन 'हाई कोर्ट जज (वेतन और शर्त अधिनियम), 1954' के तहत तय होता है. जनवरी 2016 में इन कानूनों में संशोधन के बाद भारत के मुख्य न्यायाधीश को 2,80,000 रुपए, सुप्रीम कोर्ट के बाकी जजों को 2,50,000, हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीशों को 2,50,000 और बाकी जजों को 2,25,000 रुपए मूल मासिक वेतन मिलता है.
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कैबिनेट सचिव
कैबिनेट सचिव देश के शीर्ष नौकरशाह का पद होता है. इस पद पर वेतनमान के हिसाब से 2,25,000 से ले कर 2,50,000 रुपए प्रति माह तक मूल वेतन मिलता है.