कोरोना महामारी ने पूरी दुनिया बदल दी है, आज से शुरू हुआ संसद का मानसून सत्र भी इस कारण बदला-बदला नजर आ रहा है. विपक्ष महामारी से निपटने, चीन से तनाव और अर्थव्यवस्था जैसे मुद्दे को पुरजोर तरीके से उठाने जा रहा है.
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कोरोना वायरस महामारी के बीच संसद का मानसून सत्र शुरू हो गया है. यह सत्र लगातार 18 दिन चलेगा और दिलचस्प बात यह है कि शनिवार और रविवार को भी काम होगा यानि कोई छुट्टी नहीं. एक अक्टूबर तक चलने वाले सत्र में सरकार 23 बिल लाएगी, जिसमें 11 अध्यादेश हैं. विपक्ष का कहना है कि वह कम से कम चार विधेयकों का विरोध करेगा. कांग्रेस का कहना है कि जिन चार विधेयकों के विरोध का फैसला लिया गया है, उनमें तीन कृषि और किसानों से जुड़े हं. एक विधेयक वित्त से जुड़ा है.
मानसून सत्र के पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मीडिया से बातचीत में कहा कि कोरोना भी है और कर्तव्य का पालन भी करना है. मोदी ने कहा सांसदों ने कर्तव्य का पथ चुना है और मैं उन्हें धन्यवाद देता हूं. उन्होंने कोरोना संकट पर कहा, "जब तक दवाई नहीं, तब तक ढिलाई नहीं." एलएसी पर चीन के साथ जारी तनाव पर मोदी ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि संसद से एक भाव, एक सुर से ये आवाज उठनी चाहिए कि देश और पूरा सदन उनके साथ है.
कोरोना वायरस को देखते हुए राज्यसभा और लोकसभा दो पारी में अलग-अलग चलेंगी. दोनों सदनों में प्रश्नकाल नहीं होगा और शून्यकाल भी सीमित रहेगा. प्रश्नकाल नहीं होने पर विपक्ष पहले ही आंखें तरेर चुका है.
इस सत्र के लिए सांसदों, उनके स्टाफ, संसद के कर्मचारी और सुरक्षा कर्मचारियों का कोविड टेस्ट कराया गया है. जिनकी रिपोर्ट नेगेटिव आई है उन्हें ही परिसर में प्रवेश की इजाजत है. सत्र के पहले दिन को छोड़ बाकी दिन राज्यसभा की कार्यवाही सुबह की पाली में नौ बजे से दोपहर एक बजे तक चलेगी. वहीं लोकसभा दोपहर तीन बजे से शाम सात बजे तक बैठेगी. दोनों सदनों के चैंबरों और गैलरी का इस्तेमाल दोनों पाली में सदस्यों के बैठने के लिए किया जाएगा.
संसद परिसर में आने वाले हर व्यक्ति के लिए मास्क जरूरी है. सांसदों को कोरोना वायरस से बचाव के लिए डीआरडीओ की किट मिली है. हर किट में इस्तेमाल के बाद फेंक दिए जाने वाले मास्क, हैंड सैनेटाइजर और दस्ताने भी हैं.सत्र से पहले कोरोना जांच में पांच सांसदों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है. रिपोर्ट पॉजिटिव आने के कारण वे बैठक में हिस्सा नहीं ले पाएंगे. सांसदों के बीच में प्लास्टिक की शीट भी लगाई गई है.
इसके अलावा दोनों सदनों के स्टाफ और मार्शल को मास्क और फेस शील्ड पहननी होगी. सत्र के पहले मीडिया कर्मियों का भी कोरोना टेस्ट कराया गया है.
भारत-चीन तनाव
भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा पर जारी तनाव के बीच संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने रविवार को कहा था कि भारत और चीन के गतिरोध पर संसद के दोनों सदनों के नेताओं की बैठक कल यानि मंगलवार होगी. पत्रकारों के एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा सरकार सभी मुद्दों पर चर्चा के लिए तैयार है. दोनों देशों के संबंधों की संवेदनशीलता और इसके रणनीतिक पहलुओं को देखते हुए सदनों के नेताओं की बैठक 15 सितंबर को बुलाई गई है. उनके मुताबिक इस बैठक में नेताओं को हालात की जानकारी दी जाएगी.
कोरोना: भारत में 100 गुना ज्यादा हो सकते हैं असली आंकड़े!
मई से जून के बीच पूरे देश में कराए गए आईसीएमआर के सेरो-सर्वे में सामने आया है कि देश में कोरोना वायरस के संक्रमण के हर सामने आने वाले मामले के मुकाबले 100 ऐसे मामले हैं जिनके बारे में मालूम नहीं किया जा सका.
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असली आंकड़ा
सर्वे के अनुसार मई में ही भारत में 64 लाख से भी ज्यादा कुल मामले थे. उस समय आधिकारिक रूप से घोषित मामले सिर्फ 60 हजार के आस पास थे.
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चुपचाप फैलता कोरोना
सर्वे में पाया गया कि देश में संक्रमण के फैलने की दर 0.73 प्रतिशत है, जो किसी किसी इलाकों में 1.03 प्रतिक्षत तक भी चली जाती है. यह दर संक्रमण के खामोश प्रसार की ओर इशारा करती है.
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महामारी के शुरुआती चरण
शोधकर्ताओं का यह भी कहना है कि संक्रमण की दर इतनी कम होने का मतलब है कि भारत में महामारी उस समय अपने शुरूआती चरण में ही थी और इस वजह से देश में अधिकतर लोगों के लिए संक्रमण का खतरा अभी बना हुआ है.
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100 गुना बड़ी समस्या
आईसीएमआर ने कहा है कि प्रयोगशालाओं में जांच के द्वारा पाए गए हर मामले के मुकाबले देश में 82 से ले कर 130 तक ऐसे मामले हैं जो छिपे हुए हैं. इसका मतलब समस्या जितनी बड़ी दिखती है उस से करीब 100 गुना ज्यादा बड़ी है. यह संख्या अलग अलग स्थानों पर बदल जाती है.
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गलत जांच के नतीजे
जानकारों का मानना है कि बड़ी संख्या में संक्रमण के मामलों का ना पाया जाना जांच की गलत प्रक्रिया की वजह से हो सकता है. कई महीनों से विशेषज्ञ देश में रैपिड जांच में नेगेटिव पाए जाने वालों की आरटीपीसीआर जांच से पुष्टि ना करने को लेकर चिंता जता रहे हैं.
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शून्य मामले वाले जिले
कई जिले जिनमें या तो शून्य या काफी कम संक्रमण के मामले रिपोर्ट हुए हैं, सर्वे में उनमें भी संक्रमण की उंची दर मिली. यह भी गलत जांच की तरफ इशारा करता है.
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नया निर्देश
शायद इसी वजह से केंद्र ने राज्यों को दिए गए नए निर्देश में कहा है कि ऐसे लोग जिनमें संक्रमण के लक्षण थे लेकिन उनकी रैपिड जांच का नतीजा नेगेटिव आया था, उनकी आरटीपीसीआर जांच की जाए.
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मृत्यु दर पर भी संशय
सर्वे में पाया गया कि संक्रमण के मामलों और संक्रमण से मृत्यु का अनुपात मई में 0.0018 से 0.11 प्रतिशत के बीच था. जून में यह अनुपात 0.27 से 0.15 प्रतिशत हो गया था. आधिकारिक तौर पर दर्ज की गई दर 1.7 प्रतिशत है. अमेरिका में यह दर 0.12 प्रतिशत है और स्पेन और ब्राजील में एक प्रतिशत. लेकिन शोधकर्ताओं का कहना है कि भारत के आंकड़े और ज्यादा हो सकते हैं क्योंकि यहां मृत्यु की रिपोर्टिंग बहुत कम होती है.
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देशव्यापी सर्वे
सर्वे 11 मई से चार जून तक हुआ. इसके लिए 21 राज्यों से 28,000 संक्रमित लोगों के खून में एंटीबॉडीज की जांच की गई.
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गांवों में स्थिति खतरनाक
सर्वे के मुताबिक मई और जून तक ही संक्रमण गांवों में फैल चुका था. सेरो-पॉजिटिविटी सबसे ज्यादा (69.4 प्रतिशत) ग्रामीण इलाकों में ही पाई गई. शहरी झुग्गियों में 15.9 प्रतिशत और शहरी झुग्गी से बाहर वाले इलाकों में 14.6 प्रतिशत पाई गई. हालांकि सर्वे अधिकतर ग्रामीण इलाकों में ही किया गया था.