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जर्मनी में समलैंगिकों की याद में बना स्मारक जलाने की कोशिश

१६ अगस्त २०२३

बर्लिन में बने इस स्मारक पर समलैंगिक विरोधी बातें लिखी गईं. हालांकि जलाने की कोशिश सफल नहीं रही.

मध्य बर्लिन के टियरगार्टन पार्क में यह स्मारक
यह स्मारक मध्य बर्लिन के टियरगार्टन पार्क में है.तस्वीर: Rainer Jensen/dpa/picture alliance

 एक संदिग्ध व्यक्ति ने बर्लिन में नाजी हिंसा का शिकार हुए समलैंगिकों के स्मारक को तबाह करने की कोशिश की. समलैंगिकता विरोधी पोस्टर लगाने समेत उसमें आग लगाने की कोशिश भी की गयी. यह स्मारक मध्य बर्लिन के टियरगार्टन पार्क में है. एक पुलिस प्रवक्ता ने समाचार एजेंसी एएफपी को बताया कि एक सुरक्षाकर्मी ने एक व्यक्ति को बीते शनिवार की सुबह स्मारक पर एक जलती हुई चीज फेंकी. मगर उसमें आग नहीं लगी. फिलहाल, वह व्यक्ति फरार है. रिपोर्ट के अनुसार, उस व्यक्ति ने कंक्रीट स्लैब स्मारक पर  समलैंगिकता पर बाइबिल  में मौजूद मृत्युदंड के बारे लिखी बातों के पोस्टर को भी चिपकाया. इस पोस्टर में दो पुरुष एक दूसरे को चूम रहे हैं.

नाजी दौर में समलैंगिक पीड़ितों के स्मारक का 2008 में उद्घाटन किया गया था.तस्वीर: Markus C. Hurek/dpa/picture alliance

भड़काऊ  बातें

समलैंगिको के हक के लिए काम करने वाली एक संस्था एलएसवीडी ने एक बयान जारी करके कहा कि वह हिंसा भड़काने की इस घटना से सदमें में हैं. इस हमले के वक्त मौके पर मौजूद सुरक्षाकर्मी ने पुलिस को सतर्क किया लेकिन संदिग्ध भागने में सफल रहा. फिलहाल, मामले की जांच शुरू कर दी गई है. एलएसवीडी समलैंगिक अधिकार संगठन ने एक बयान में कहा कि वह इस घटना के पीछे "नफरत भड़काने" और उसी रात एक अलग होलोकॉस्ट स्मारक के खिलाफ बर्बरता की घटनाओं से हैरान हैं. पोस्टर पर लिखी हुई बातों को "अक्सर समलैंगिक-शत्रुतापूर्ण आंदोलन के लिए दुरुपयोग किया जाता है.'

नाजी दौर में समलैंगिक पीड़ितों के स्मारक का 2008 में उद्घाटन किया गया था. यह हजारों नाजी शासन में प्रताड़ित एलजीबीटी लोगों के लिए किया गया था. इन्हें 1933 और 1945 के बीच नाजी शासन द्वारा सताया, प्रताड़ित और हत्या कर दी गई थी.

'गे कन्वर्जन थेरेपी' के शिकार

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हिंसा का दौर

गौरतलब है कि नाजी जर्मनी ने यहूदियों, राजनीतिक विरोधियों, रोमा, यहोवा के गवाहों और अनचाहे लोग समझे जाने वाले अन्य लोगों के साथ 5,000 से 15,000 एलजीबीटी लोगों को कंसंट्रेशन शिविरों में भेजा था. जहां कुछ लोगों की मौत तुरंत हो गयी. कुछ लोग भूख, बीमारी से मर गए. इस दौरान कुछ ही लोग बच पाए.

पुलिस ने यह भी बताया कि संदिग्ध व्यक्ति ने नाजियों पर लिखी हुई किताब के बॉक्स में भी आग लगा दी. यह बर्लिन स्मारक में नाजियों द्वारा यहूदियों को शिविर ले जाने लोगों के लिए समर्पित थीं. यह ग्रुएनवाल्ड रेलवे स्टेशन पर "प्लेटफ़ॉर्म 17" के नाम से जाने जाने वाले स्मारक का हिस्सा था. प्लेटफ़ॉर्म 17 से 1941 की शुरुआत में 50,000 जर्मन यहूदियों को रीगा, वारसॉ, ऑशविट्ज़ और थेरेसिएन्स्टेड में नाजी एकाग्रता और मृत्यु शिविरों में भेज दिया गया था.

पीवाई/एसबी (एएफपी)

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