नासा और हवाई विश्वविद्यालय के हाल ही में किए गए अध्ययन में कहा गया कि चांद की कक्षा में आगामी प्राकृतिक परिवर्तन और जलवायु बदलाव के कारण बढ़ते समुद्र के स्तर के साथ आने वाले वर्षों में पृथ्वी पर रिकॉर्ड बाढ़ आ सकती है.
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नासा ने निकट भविष्य में चांद के अपनी ही कक्षा पर "डगमगाने" की भी संभावना जताई है. अध्ययन के मुताबिक भीषण बाढ़ 2030 के दशक में शुरू होगी और अनुमान है कि अगले दस वर्षों तक विनाशकारी बाढ़ का सिलसिला जारी रहेगा. अध्ययन में अमेरिका पर पड़ने वाले प्रभाव को केंद्रित किया गया है.
विनाशकारी बाढ़ का अनुमान
नेशनल ओशियैनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन के मुताबिक 2019 में अमेरिका में हाई टाइड से 600 बाढ़ आई थी. नेचर क्लाइमेट पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन में कहा गया है 2030 के दशक में यह संख्या कई गुना बढ़ने की उम्मीद है. नासा के अध्ययन में कहा गया है कि चांद जब अपनी कक्षा से डगमगाएगा तो धरती पर एक दो बार नहीं बल्कि कई बार बाढ़ आएगी. अनुमान जताया गया है कि बाढ़ उन समूहों में आएगी जो एक महीने या उससे अधिक समय तक रह सकती है.
बार-बार आने वाली बाढ़ से समुद्र तट और निचले इलाकों के पास रहने वाले लोगों के लिए खतरा पैदा हो जाएगा. यूनिवर्सिटी ऑफ हवाई के एसिस्टेंट प्रोफेसर फिल थॉम्पसन का कहना है कि जलवायु परिवर्तन के बढ़ने के साथ-साथ धरती पर प्राकृतिक संकट भी बढ़ेंगे. थॉम्पसन के मुताबिक, "अगर यह महीने में 10 या 15 बार बाढ़ आती है तो कोई व्यवसाय पानी के नीचे काम नहीं कर सकता है. लोगों की नौकरी चली जाएगी क्योंकि वे काम पर नहीं जा सकेंगे."
छह शहर जिन पर 2050 तक निरंतर बाढ़ का खतरा
जलवायु परिवर्तन के परिणामस्वरूप 2050 तक दुनिया के कुछ बड़े तटीय शहर गंभीर रूप से जलमग्न हो सकते हैं. शोध से पता चलता है कि सदी में एक बार आने वाली अत्यधिक बाढ़ हर साल कुछ शहरों में दस्तक देने लगेगी.
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शंघाई (चीन)
स्वतंत्र यूएस-आधारित विज्ञान संगठन क्लाइमेट सेंट्रल के शोध के मुताबिक चीन में भूमि में रहने वाले करीब 9.3 करोड़ लोग स्थानीय औसत वार्षिक तटीय बाढ़ के कारण 2050 तक उसकी चपेट में आ सकते हैं. शंघाई, जो चीन का सबसे अधिक आबादी वाला शहर है, तटीय सुरक्षा के अभाव में समुद्र की बाढ़ के लिए विशेष रूप से संवेदनशील है.
तस्वीर: Reuters/A. Song
हनोई (विएतनाम)
क्लाइमेट सेंट्रल के मुताबिक वियतनाम में 3.1 करोड़ से अधिक लोग-लगभग एक चौथाई आबादी, वर्तमान में ऐसी जमीन पर रहती है जहां 2050 तक प्रति वर्ष कम से कम एक बार खारे पानी की बाढ़ आने का खतरा है. उस समय तक, सालाना समुद्री बाढ़ विशेष रूप से घनी आबादी वाले मेकोंग डेल्टा और विएतनाम की राजधानी हनोई के आसपास के उत्तरी तट को प्रभावित करने का अनुमान है.
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कोलकाता (भारत)
इस शोध के मुताबिक भारत में समुद्र का स्तर बढ़ने से 3.6 करोड़ लोग प्रभावित होंगे. पश्चिम बंगाल और ओडिशा के तटीय इलाकों पर इसका सबसे अधिक खतरा होगा. इन इलाकों के 2050 तक बाढ़ की चपेट में आने की आशंका जताई गई है.
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बैंकॉक (थाईलैंड)
थाईलैंड में 10 फीसदी से अधिक आबादी वर्तमान में उस भूमि पर रहती है जो 2050 तक बाढ़ की चपेट में आ सकती है. बैंकॉक की राजनीतिक और व्यावसायिक राजधानी समुद्र तल से सिर्फ डेढ़ मीटर ऊपर है और इसलिए विशेष रूप से जोखिम में है. हांगकांग स्थित पर्यावरण गैर-लाभकारी अर्थ डॉट ऑर्ग का सुझाव है कि 94 फीसदी आबादी 2100 तक बाढ़ से विस्थापित हो जाएगी.
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बसरा (इराक)
क्लाइमेट सेंट्रल मॉडलिंग के मुताबिक, इराक का दूसरा सबसे बड़ा शहर बसरा, तटीय बाढ़ के लिए भी बेहद संवेदनशील है और 2050 तक बड़े पैमाने पर जलमग्न हो सकता है. विशेषज्ञों का अनुमान है कि इसका इराक की सीमाओं से परे प्रभाव हो सकता है, क्योंकि समुद्र के बढ़ते स्तर के कारण लोगों के जाने से क्षेत्रीय और राजनीतिक संघर्ष तेज हो सकते हैं.
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अलेक्जेंड्रिया (मिस्र)
भविष्य में सांस्कृतिक विरासत के लुप्त होने का कारण भी बाढ़ बन सकती है. अलेक्जेंड्रिया, मिस्र, की स्थापना सिकंदर महान ने 2,000 साल से भी पहले की थी. लेकिन भूमध्यसागर पर बसे पचास लाख से ज्यादा आबादी वाले इस शहर के बहुत से इलाके निचले क्षेत्र में पड़ते हैं. अर्थ डॉट ऑर्ग द्वारा मैपिंग इशारा करती है कि बाढ़ नियंत्रण या स्थानांतरण कार्यक्रमों के बिना, शहर का अधिकांश भाग 2100 तक जलमग्न हो सकता है.
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चांद का डगमगाना
नासा ने कहा कि चांद का डगमगाना कोई नई या खतरनाक चीज नहीं है और पहली बार 1728 में इसके बारे में रिपोर्ट की गई थी और यह 18.6 साल के प्राकृतिक चक्र का हिस्सा है. नासा के मुताबिक चक्र के पहले भाग के दौरान पृथ्वी के नियमित ज्वार को दबाता है और आधे समय में चांद लहरों को तेज कर देता है. नासा के मुताबिक चांद वर्तमान में अपने चक्र के आधे हिस्से में है, जिससे पहले से ही कई तटों पर बाढ़ बढ़ रही है.
यह जलवायु परिवर्तन के कारण समुद्र के उच्च स्तर का परिणाम है. 2030 तक दुनियाभर में समुद्र का जलस्तर काफी बढ़ चुका होगा और चांद के डगमगाने के कारण और तीव्र बाढ़ आने लगेगी. नासा के एडमिनिस्ट्रेटर बिल नेलसन के मुताबिक यह अध्ययन तटीय क्षेत्रों को अधिक बाढ़ वाले भविष्य के लिए तैयार रहने के लिए महत्वपूर्ण है.
रात के अंधेरे में बाढ़ का कहर
जर्मनी के दो राज्यों में अचानक आई बाढ़ दर्जनों लोगों को बहा ले गई. बाढ़ से घरों को भी नुकसान पहुंचा और रिहाइशी इलाकों में खड़ी गाड़ियां बह गईं.
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16 साल बाद ऐसी बाढ़
टूरिज्म और वाइन के लिए मशहूर जर्मनी के आरवाइलर इलाके में बाढ़ ने भारी तबाही मचाई है. 2005 के बाद आई ऐसी बाढ़ शुल्ड गांव में छह मकानों को बहा ले गई. रात में उफनाई नदी तटबंध तोड़ गांव में घुस गई. पुलिस के मुताबिक गांव में चार लोगों की मौत हुई और कई अब भी लापता हैं.
तस्वीर: Christoph Reichwein/TNN/dpa/picture alliance
मौत का बढ़ता आंकड़ा
जर्मन पुलिस के मुताबिक जर्मनी के सबसे ज्यादा आबादी वाले राज्य नॉर्थ राइन वेस्टफेलिया और उससे सटे राइनलैंड फाल्स में बाढ़ ने कम से कम 40 लोगों की जान ली है और 70 लोग लापता है.
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बह गई कारें
बुधवार को दोपहर बाद उफनती बाढ़ शहरी इलाकों में भी घुसी और कई कारों को बहा ले गई. जर्मनी के पांचवें बड़े शहर कोलोन में कई बहुमंजिला इमारतों के अंडरग्राउंड स्टोर रूम में पानी भर गया और बिजली गुल हो गई.
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इमरजेंसी सेवाएं ठप
बाढ़ प्रभावित इलाकों में कुछ जगहों पर सड़कों पर इतना पानी भर गया कि एंबुलेंसें भी बंद पड़ गईं. फायर ब्रिगेड के वाहनों को पानी के उतरने का इंतजार करना पड़ा.
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सेना की मदद
कीचड़ से सने इलाकों में लोगों को बचाने, रास्तों को खोलने और बिजली आपूर्ति बहाल करने के लिए जर्मन सेना की मदद ली जा रही है. सेना के पास ऐस वाहन है जो कीचड़ और मलबे में भी ऑपरेट कर सकते हैं.
तस्वीर: Roberto Pfeil/dpa/picture alliance
बेल्जियम में भी तबाही
जर्मनी की सीमा से लगे बेल्जियम के इलाके में भी वेस्द्रे तटबंध को लांघती हुई आबादी में घुस गई. रिपोर्टों के मुताबिक बेल्जियम में दो लोग मारे गए. लीगे शहर के पड़ोसी इलाकों में बिजली गुल हो गई.
तस्वीर: Roberto Pfeil/dpa/picture alliance
खत्म नहीं हुआ है संकट
बाढ़ प्रभावित इलाकों में अगले तीन दिन तक रुक रुककर बारिश होने का अनुमान है. इस बीच 25 घरों के ढहने की आशंका बनी हुई है. प्रशासन ने इन इमारतों को खाली करवा दिया है.