दुनियाभर में छोटे व्यवसाय कोरोना वायरस महामारी से निपटने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. इस बीच यह सामने आया है कि भारत में छोटे और मध्यम व्यवसाय (एसएमबी) बड़े स्तर पर बंद हो रहे हैं.
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एसएमबी लीडर्स के बीच कम से कम छह महीने तक अपना व्यवसाय संचालित करने को लेकर आत्मविश्वास की भारी कमी है. यानी उन्हें नहीं लगता कि वह अगले छह महीने तक अपना कारोबार जारी रख पाएंगे. एक नई फेसबुक वैश्विक रिपोर्ट में यह दावा किया गया है. भारत और पाकिस्तान में एसएमबी के बंद होने की उच्च दर के साथ सूचना हासिल हुई है, जिसमें भारत में 32 प्रतिशत और पाकिस्तान में 28 प्रतिशत उद्योगों के बंद होने की बात सामने आई है.
फेसबुक की चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर शेरिल सैंडबर्ग ने एक बयान में कहा, "वैक्सीन का आना आशावादी होने का एक कारण जरूर है, ऐसे में हमारी नवीनतम ग्लोबल स्टेट ऑफ स्मॉल बिजनेस रिपोर्ट एक समयबद्ध ताकीद है कि अभी भी कई (उद्योग) कमजोर हैं और उन्हें समर्थन की जरूरत है."
उन्होंने आगे कहा, "जो लोग महामारी के प्रभाव को महसूस कर रहे हैं, वे सबसे अधिक महिलाएं और अल्पसंख्यक-स्वामित्व वाले व्यवसाय हैं. यह उस चीज की याद दिलाता है कि जब भी संकट आता है तो हमेशा सबसे कमजोर पर ही सबसे कठिन मार पड़ती है." सर्वे के मुताबिक मिस्र और भारत में 31 प्रतिशत और 39 प्रतिशत एसएमबी लीडर्स को कम से कम 6 महीने तक संचालन जारी रखने की उनकी क्षमता पर भरोसा है. इसके उलट, अमेरिका में एसएमबी (68 प्रतिशत), बेल्जियम (72 प्रतिशत), जर्मनी (74 प्रतिशत), और ऑस्ट्रेलिया (79 प्रतिशत) सबसे अधिक आश्वस्त हैं.
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में परिचालन में आने वाले आधे एसएमबी में रोजगार में कमी आई है. परिचालन एसएमबी ने माना है कि उन्होंने भारत में पिछले तीन महीनों के दौरान पूर्व कर्मचारियों को दोबारा से काम पर रखा है. ऐसे एसएमबी की संख्या 42 प्रतिशत बताई गई है. एशिया-प्रशांत क्षेत्र में अक्टूबर के बाद से औसत बंद होने की दर में सात प्रतिशत की तेजी देखी गई है. रिपोर्ट के लिए, फेसबुक ने फरवरी में 27 देशों और अन्य क्षेत्रों में 35,000 से अधिक छोटे व्यापारिक लीडर्स के बीच सर्वेक्षण किया.
सर्वे के दौरान लगभग एक चौथाई यानी 24 प्रतिशत ने बताया कि उनके व्यवसाय बंद हो गए हैं. चिंता की बात यह है कि सर्वेक्षण में शामिल आधे से अधिक लोगों को लगता है कि अगर मौजूदा हालात बने रहे तो कम से कम 6 महीने तक संचालन जारी रखना मुश्किल होगा. इस सर्वे में शामिल आधे से ज्यादा लोगों ने कहा कि उन्होंने ग्राहकों के साथ संवाद करने के लिए डिजिटल गैजेट्स का इस्तेमाल किया है.
एए/सीके (रॉयटर्स)
क्या रुकता है रात के कर्फ्यू से: कोरोना या काम?
भारत में कोरोना वायरस संक्रमण की इस खतरनाक लहर का मुकाबला करने के लिए कई शहरों में रात का कर्फ्यू लगा हुआ है. क्या रात का कर्फ्यू कोरोना को रोकने में प्रभावी है या इस से भी तालाबंदी की तरह आर्थिक नुकसान ज्यादा होता है?
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रात का कर्फ्यू
दिल्ली में 30 अप्रैल तक रात 10 बजे से सुबह के पांच बजे तक कर्फ्यू लगा रहेगा. इस समय दिल्ली, महाराष्ट्र, ओडिशा, राजस्थान, गुजरात और पंजाब जैसे राज्यों के कई शहरों में रात का कर्फ्यू लगा हुआ है. आवश्यक उत्पाद और सेवाएं देने वाले क्षेत्रों के कई संस्थानों को खुले रहने की अनुमति है.
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व्यापारी मायूस
कई व्यापारियों का कहना है कि तालाबंदी की मार से वो अभी उबरे भी नहीं थे, और अब ये कर्फ्यू आ गया. 10 बजे तक सब घर पहुंच जाएं इसके लिए दुकानों को नौ बजे ही बंद करना होगा. इसका मतलब है कि ग्राहकों के लिए उससे भी पहले दुकान बंद करनी पड़ेगी क्योंकि ग्राहकों के जाने के बाद भी सारा सामान समेट कर दुकान बंद करने में आधा-एक घंटा लग जाता है.
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मौसम की मार
दुकानें, दफ्तर, फैक्ट्रियां आदि जल्दी बंद करने का मतलब है उत्पादन और बिक्री में कटौती, जिससे व्यापारियों को नुकसान होगा. इसके अलावा उत्तर भारत में गर्मियों का मौसम चल रहा है. दिन में तापमान ज्यादा होने की वजह से लोग सामान लेने बाजारों में शाम में ही जाते हैं. दुकानें अगर जल्दी बंद हो गईं तो खरीदारी दिन की ही तरह शाम में भी मंदी ही रहेगी.
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कारखानों का संकट
लोहा, स्टील के सामान बनाने वाले कारखानों में दिन-रात काम चलता है. भट्टियां दिन-रात जलती रहती हैं, मजदूर शिफ्टों में काम करते हैं और सामान की आवाजाही तो रात में ही होती है. फैक्टरी मालिकों को डर है कि रात के कर्फ्यू से इन सब चीजों पर असर पड़ेगा.
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रेस्तरां वालों को नुकसान
सभी खाने पीने वाले संस्थानों में भी लोग शाम के बाद ही आते हैं और देर रात भोजन कर के वापस लौटते हैं. जल्दी बंद करने से इन्हें भी कमाई करने के लिए ज्यादा वक्त नहीं मिलेगा.
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ऑटो/टैक्सी चलाने वालों को नुकसान
ऑटो/टैक्सी वालों को भी तालाबंदी में भारी नुकसान हुआ था. अभी भी उनकी कमाई महामारी के पहले जैसे स्तर से बहुत दूर थी, और अब फिर से रात को आवाजाही पर प्रतिबंध लगने से पिछले साल के नुकसान की भरपाई के रास्ते भी बंद हो गए हैं.
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शादी, अन्य कार्यक्रमों की दिक्कत
जिन लोगों ने पहले से शादी जैसे कार्यक्रमों की तारीख तय की हुई है और सभी इंजताम कर लिए हैं, वो सोच में हैं कि कहीं विवाह स्थल 10 बजे के बाद बंद तो नहीं कर दिए जाएंगे. मेहमानों के आने-जाने पर भी असर पड़ सकता है.
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अर्थव्यवस्था पर असर
उत्पादन, बिक्री और अन्य आर्थिक गतिविधियां अगर घटेंगी तो जीडीपी के बढ़ने की दर पर भी असर पड़ेगा. कर वसूली के जरिए होने वाली सरकार की कमाई को भी चोट पहुंचेगी.
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रमजान हो जाएगा फीका
13 अप्रैल से रमजान का महीना शुरू हो रहा है और मुस्लिम श्रद्धालुओं को चिंता है कि कर्फ्यू की वजह से वो फीका पड़ जाएगा. रमजान में तरावीह की खास नमाज मस्जिदों में रात में ही पढ़ी जाती है और दिन भर के रोजे के बाद इफ्तार, मिलना-जुलना और खरीदारी समेत सब कुछ शाम को ही होता है. कई लोग रोजा तोड़ने के लिए छोटे रेस्तरां जैसी जगहों पर भी निर्भर होते हैं.