तालिबान के लौटने के बाद 200 पूर्व अधिकारी मारे गए
२४ अगस्त २०२३संयुक्त राष्ट्र की ओर से जारी ताजा रिपोर्ट के मुताबिक दो साल पहले तालिबान द्वारा काबुल पर कब्जा करने और सत्ता में लौटने के बाद से 200 से अधिक पूर्व सरकारी और सुरक्षा अधिकारियों को मौत के घाट उतार दिया गया.
अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र सहायता मिशन (यूएनएएमए) ने कहा कि सत्ता में आने के बाद तालिबान लड़ाकों ने पूर्व सैन्य कर्मी, पुलिस कर्मी, खुफिया विभाग से जुड़े और न्यायिक अधिकारियों को जमकर निशाना बनाया है और उनकी हत्याएं की.
धमकी और हत्याएं
रिपोर्ट में कहा गया है कि 15 अगस्त 2021 से इस साल के अंत जून 2023 तक पूर्व अफगान सरकार और सुरक्षा बलों के कर्मियों के खिलाफ 800 से अधिक मानवाधिकार उल्लंघन दर्ज किए गए हैं. अफगानिस्तान से अमेरिकी और नाटो सेनाओं की अंतिम वापसी के साथ तालिबान ने पूरे अफगानिस्तान पर नियंत्रण कर लिया.
अमेरिका द्वारा प्रशिक्षित और समर्थित अफगान सेनाएं नष्ट हो गईं और तालिबान की बढ़त ने पूर्व अफगान राष्ट्रपति अशरफ गनी को अपनी जान बचाने के लिए देश से भागने के लिए मजबूर कर दिया.
यूएन की इस रिपोर्ट में कहा गया है, "अफगानिस्तान में व्यक्तियों को वास्तव में तालिबान सुरक्षा बलों द्वारा मारे जाने से पहले हिरासत में लिया जाता था, अक्सर थोड़े समय के लिए और फिर हिरासत में मार दिया जाता था."
अज्ञात स्थान पर ले जाकर हत्याएं हुईं
रिपोर्ट कहती है कुछ मामलों में इन व्यक्तियों को किसी अज्ञात स्थान पर ले जाया गया और वहां उनकी हत्या कर दी गई, या तो उनके शवों को उनके परिवारों को सौंप दिया गया या शवों को किसी स्थान पर दफना दिया गया.
संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार उच्चायुक्त वोल्कर टर्क ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की जिसमें उन्होंने पूर्व अफगान सरकार से जुड़े लोगों के खिलाफ तालिबान के क्रूर व्यवहार की एक गंभीर तस्वीर पेश की.
वोल्कर टर्क के मुताबिक, "इससे भी अधिक क्रूर तथ्य यह था कि उन्हें आश्वासन दिया गया था कि वे ऐसा नहीं करेंगे. उन्हें निशाना नहीं बनाया जाएगा. यह लोगों के साथ विश्वासघात है."
टर्क ने अफगानिस्तान के मौजूदा तालिबान शासकों से अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानूनों का पालन करके आगे मानवाधिकारों के उल्लंघन को रोकने और अपराधियों को न्याय के कठघरे में रखकर अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करने का आग्रह किया.
तालिबान का इनकार
काबुल पर दोबारा कब्जा करने और सत्ता में आने के बाद से तालिबान को कोई महत्वपूर्ण विरोध का सामना नहीं करना पड़ा है. इस बीच तालिबान के नेतृत्व वाले अफगान विदेश मंत्रालय ने रिपोर्ट को खारिज कर दिया और कहा कि वह तालिबान अधिकारियों या कर्मचारियों द्वारा किसी भी मानवाधिकार उल्लंघन से अनजान है.
एक बयान में कहा गया, "इस्लामिक अमीरात संस्थानों के कर्मचारियों और सुरक्षा कर्मियों द्वारा पूर्व सरकारी कर्मचारियों और सुरक्षा बलों के कर्मियों के खिलाफ न्यायेतर या गैर-न्यायिक हत्याओं, हिरासत, यातना और अन्य मानवाधिकारों के उल्लंघन की रिपोर्टें नहीं दर्ज की गई है."
यूएनएएमए ने पूर्व सरकारी अधिकारियों और अफगान सुरक्षा बलों के सदस्यों के जबरन गायब होने के कम से कम 14 मामलों का दस्तावेजीकरण किया. रिपोर्ट में कहा गया है कि 2 अक्टूबर 2021 को पश्चिमी प्रांत हेरात में महिला जेल की प्रमुख आलिया अजीजी काम से घर नहीं लौटीं.
वो कहां हैं इसकी अभी भी कोई जानकारी नहीं है. कथित तौर पर जांच शुरू करने के बावजूद तालिबान ने उनके लापता होने की कोई जानकारी जारी नहीं की है, न ही उनके ठिकाने के बारे में कोई जानकारी है.
संयुक्त राष्ट्र ने पूर्व सरकारी अधिकारियों और अफगान सुरक्षा बलों के सदस्यों की 424 से अधिक मनमानी गिरफ्तारियों और हिरासत का दस्तावेजीकरण किया है. जबकि हिंसा और दुर्व्यवहार की 144 से अधिक घटनाएं दर्ज की गई हैं, जिनमें डंडे या पाइप से पिटाई, मौखिक धमकी और उत्पीड़न के अलावा अन्य दुर्व्यवहार भी शामिल हैं.
एए/सीके (एपी)