अफगानिस्तान: भूकंप से मरने वालों में 90 प्रतिशत महिलाएं
१३ अक्टूबर २०२३
संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि अफगानिस्तान में हाल ही में आये भूकंप में मारे गए लोगों में 90 प्रतिशत से ज्यादा महिलाएं और बच्चे थे. तालिबान के मुताबिक इस भूकंप में 2,000 से ज्यादा लोग मारे गए थे.
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शनिवार सात अक्टूबर को हेरात प्रांत में आये भूकंप की तीव्रता 6.3 थी. इसका एपिसेंटर जेंदा जान जिला था, जहां 1,294 लोग मारे गए थे, 1,688 घायल हो गए थे और करीब हर घर टूट गया था. हेरात में यूनिसेफ के फील्ड दफ्तर के मुखिया सिद्दीक इब्राहिम ने बताया कि सुबह के समय जब भूकंप आया तब मुमकिन है महिलाएं और बच्चे ही ज्यादा संख्या में घर पर रहे होंगे.
उन्होंने कहा, "जब पहला भूकंप आया, लोगों को लगा की यह कोई धमाका है और वो अपने घरों के अंदर भाग गए." संयुक्त राष्ट्र आबादी कोष के अफगानिस्तान में प्रतिनिधि जैमे नडाल ने कहा कि भूकंप अगर रात में आया होता तो मरने वालों का कोई "लैंगिक आयाम" नहीं होता.
भूकंप का असर
नडाल ने समाचार एजेंसी एसोसिएटेड प्रेस से कहा, "दिन के उस वक्त पुरुष काम की तलाश में बाहर गए थे...कई पुरुष काम की तलाश में ईरान चले जाते हैं. महिलाएं घर पर घर के काम और बच्चों की देखभाल कर रही थीं. वो मलबे के नीचे दब गईं. स्पष्ट रूप से एक लैंगिक आयाम था."
पहले भूकंप, उसके बाद आये कई आफ्टरशॉक और बुधवार 11 अक्टूबर को आए 6.3 तीव्रता के दूसरे भूकंप ने कई गांवों को पूरी तरह समतल कर दिया. मिट्टी और ईंटों के सैकड़ों घर नष्ट हो गए. स्कूल, क्लिनिक और गांवों में दूसरी इमारतें भी ढह गईं.
नार्वेजियन रिफ्यूजी काउंसिल ने बर्बादी को असाधारण बताया. काउंसिल ने कहा, "हमारी टीमों द्वारा दी गई शुरुआती रिपोर्टें कह रही हैं कि मरने वालों में कई छोटे बच्चे थे, वे या तो टूटती इमारतों के नीचे दब गए या उनका दम घुट घुट गया."
हेरात के मैटरनिटी अस्पताल की दीवारों में ऐसी दरारें हैं जो उसे असुरक्षित बना रही हैं. नडाल ने बताया कि संयुक्त राष्ट्र ने टेंट मुहैया कराये हैं ताकि गर्भवती महिलाओं के पास रहने की कोई जगह हो जहां उनकी देखभाल की जा सके.
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बिन माओं के बच्चों का क्या होगा
संयुक्त राष्ट्र के प्रवक्ता स्टीफन डुजारिक ने कहा कि उनकी तरफ से भी एक प्रांतीय अस्पताल को एंबुलेंस दी गई हैं. साथ ही सैकड़ों विस्थापित परिवारों को सोलर लैंप, हाइजीन किट और मदद का दूसरा सामान उपलब्ध कराया गया है.
भूकंप के बाद दबे लोगों को खोजने का दौर
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डुजारिक ने संयुक्त राष्ट्र के मुख्यालय में बताया कि विश्व खाद्य कार्यक्रम भी 81 टन से ज्यादा भोजन भेज रहा है. हेरात की राजधानी के अंदर और बाहर अभी भी कई लोग खुले में सो रहे हैं, बावजूद इसके कि तापमान गिरता जा रहा है. भूकंप के अनुपातहीन असर की वजह से कई बच्चे के सिर से मांओं का साया उठ गया है, जो प्राथमिक रूप से उनकी देख-रेख करती थीं.
अब सवाल उठ रहे हैं कि इन बच्चों को कौन पालेगा या उन्हें उनके पिताओं से कैसे मिलवाया जाएगा जो प्रांत से या अफगानिस्तान से ही बाहर हों. मदद करने वाले अधिकारियों का कहना है कि अनाथालय या तो हैं ही नहीं या बहुत कम संख्या में हैं. इसका मतलब है कि जिन बच्चों के माता-पिता में से एक या दोनों मर गए हैं उनका ख्याल या तो रिश्तेदार या समुदाय के सदस्य रखेंगे.
सीके/एए (एपी)
अफगानिस्तान के अभूतपूर्व भूकंप में कई गांव मिट्टी में मिल गए
अफगानिस्तान के भूकंप ने कई गांवों को जमींदोज कर दिया. बहुत से लोग मलबे के नीचे दब गए. पश्चिमी हेरात प्रांत के 13 गांवों के 1300 से ज्यादा घर मलबे में बदल गए. कम से कम 2000 लोगों की मौत हुई.
तस्वीर: Mashal/dpa/XinHua/picture alliance
मलबे में बदल गई बस्तियां
रिक्टर पैमाने पर 6.3 की तीव्रता वाले भूकंप और फिर 8 आफ्टरशॉक ने धूल भरे पठारी इलाके को झकझोर कर रख दिया. भूकंप के बाद अब तो जिधर नजर दौड़ाइए सिर्फ मलबा ही नजर आता है. संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक 11 गांवों में तो एक भी घर सलामत नहीं बचा. सैकड़ों लोग अब भी मलबे के नीचे दबे हैं.
तस्वीर: Omid Haqjoo/AP/dpa/picture alliance
राहत और बचाव
भूकंप के बाद पीड़ितों को बचाने के लिए राहत अभियान शुरू किए गए हैं. युद्ध की मार से बेहाल देश का बुनियादी ढांचा पहले से ही गरीबी और बदहाली की चपेट में है. बड़ी संख्या में लोग घायल हैं उनके इलाज में खासी दिक्कतें पेश आ रही हैं. सत्ता में तालिबान की वापसी के बाद अंतरराष्ट्रीय मदद में भी काफी कमी आई है.
राहतकर्मियों की दर्जन भर टीमें मलबे से जिंदा लोगों की तलाश कर रही हैं. संयुक्त राष्ट्र ने डॉक्टर सहित चार एंबुलेंस भी मुहैया कराए हैं जो घायलों को मदद पहुंचा रही हैं. क्षेत्रीय अस्पतालों में संयुक्त राष्ट्र की तरफ से काउंसलर और दूसरे लोग भी मदद के लिए भेजे गए हैं.
तस्वीर: Muhammad Balabuluki/Middle East Images/AFP/Getty Images
अंतरराष्ट्रीय मदद
संकट की इस घड़ी में अंतरराष्ट्रीय मदद भी पहुंच रही है. खाना, पानी, टेंट और मृत लोगों के लिए ताबूत भेजे गए हैं. अंतरराष्ट्रीय अलगाव झेल रहे अफगानिस्तान तक मदद पहुंचने में देर लगी, शुरुआत में कई घंटों तक यहां मदद के लिए कोई नहीं था. फिर चीन और पाकिस्तान से मदद आई. मदद के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय से गुहार लगाई गई है.
तस्वीर: Omid Haqjoo/AP/picture alliance
बिखरी जिंदगी
जहां कभी घर थे वहां अब मलबा है. लोग मलबे से जो कुछ सामान सही सलामत बचा है उसे बाहर निकाल रहे हैं. कहीं बर्तन और बैकपैक दिख रहे हैं तो कहीं गैस चूल्हे टूथब्रश जैसी छोटी मोटी चीजें. इन सब के बीच बच्चे इधर उधर घूम रहे हैं.
तस्वीर: Muhammad Balabuluki/Middle East Images/AFP/Getty Images
अंतिम संस्कार की दिक्कत
एक झटके में 2000 लोगों की मौत की वजह से उनके अंतिम संस्कार में भी काफी दिक्कत आ रही है क्योंकि पूरा गांव ही ढह गया है. कई जगह तो लोग हाथों से गड्ढे खोद कर मृतकों को दफना रहे हैं.
तस्वीर: Omid Haqjoo/AP/picture alliance
घायलों के इलाज की मुश्किल
अफगानिस्तान में अस्पतालों की हालत भी अच्छी नहीं है, ऐसे में घायलों के इलाज में भी काफी दिक्कत आ रही है. इंटरनेशनल रेस्क्यू कमेटी ने चेतावनी दी है कि अगर जरूरी उपाय नहीं किए गए तो घायलों को संभालना मुश्किल हो जाएगा और मरने वालों की तादाद काफी ज्यादा बढ़ जाएगी.
तस्वीर: Omid Haqjoo/AP/dpa/picture alliance
बेघर लोगों की परेशानी
पूरे के पूरे गांव ढह गए हैं ऐसे में जिंदा बचे लोगों के सामने सबसे बड़ी समस्या आवास की है. इसके अलावा जिन लोगों के घर बचे हैं वो उनमें डर की वजह से सोना नहीं चाहते. ऐसे में पार्कों, मैदानों और यहां तक कि सड़कों पर लोग खुले में सोने को मजबूर हैं. यहां इन दिनों रात में तापमान गिर कर 10 डिग्री तक चला जाता है.
तस्वीर: Muhammad Balabuluki/Middle East Images/AFP/Getty Images
भूकंप का केंद्र
भूकंप का केंद्र पश्चिमी हेरात के उत्तर पश्चिम में करीब 40 किलोमीटर दूर था. भूकंप के बाद आफ्टरशॉक की तीव्रता भी रिक्टर पैमाने पर 6.3, 5.9 और 5.5 तक मापी गई है.
तस्वीर: Omid Haqjoo/AP/dpa/picture alliance
अफगानिस्तान में भूकंप
अफगानिस्तान में बीते साल जून में भी भूकंप आया था और तब इसकी चपेट में पहाड़ी इलाके थे. उस दौरान करीब 1000 लोगों की मौत हुई थी. इस बार का भूकंप बीते कई दशकों में सबसे भयानक है.