जर्मनीः दो तिहाई मांओं के पास है रोजगार
१७ अगस्त २०२३जर्मनी के संघीय कार्यालय डीस्टाटिस ने ताजा डाटा पब्लिश किया है. इसके मुताबिक छोटे बच्चों की देखभाल के लिए जिम्मेदार महिलाएं अपनी जिम्मेदारियों के बावजूद रोजगार में बनी रह पा रही हैं. साल 2005 के मुकाबले रोजगारशुदा माओं की संख्या में 9 फीसदी की बढ़त हुई है. अब 69 फीसदी मांएं रोजगार में हैं. काम कर पाने में सक्षम माताओं की संख्या ही नहीं बढ़ी है बल्कि कामकाजी पिता भी 88 फीसदी से बढ़कर 92 फीसदी हो गए हैं. लेकिन महिला और पुरुषों के बीच स्थितियां समान नहीं है. जहां ज्यादातर पुरुषों के पास फुल-टाइम काम है वहीं ज्यादातर मांएं पार्ट-टाइम काम ही कर रही हैं. डीस्टाटिस के मुताबिक सर्वे में शामिल परिवारों में 65 फीसदी जोड़ों की यही स्थिति है.
लैंगिक असमानता
लैंगिक असमानता सबसे बड़ा रूप उन परिवारों में देखने को मिला जहां नवजात बच्चे हैं. साल 2022 में, जिन घरों में एक साल से कम के बच्चे थे, वहां आठ में से केवल एक मांएं काम पर जा रही थी जबकि 87 फीसदी पुरुष रोजगार में थे. जर्मनी में यह बहुत सामान्य बात है कि बच्चे की पैदाइश के बाद मां को एक साल या उससे भी ज्यादा की छुट्टी लेनी पड़े. अवकाश के इस दौर में तनख्वाह का 65 फीसदी हिस्सा मिलता है. जिन परिवारों में बच्चों की उम्र तीन साल से कम है, वहां 64 प्रतिशत माएं काम पर जाती हैं जबकि 92 फीसदी पिता रोजगार पर जाते हैं.
औरतों के लिए यह स्थिति अचानक से बदल जाती है जब बच्चे बड़े हो जाते हैं लेकिन पिताओं के लिए तस्वीर में कोई बहुत बड़ा बदलाव नहीं होता. महिलाओं के लिए इस बड़े अंतर की एक वजह यह हो सकती है कि थोड़े बड़े बच्चों की देख-रेख के लिए मौजूद सेवाएं उपलब्ध हैं. साल 2007 में एक ऐसा कानून आया था जिसने पिताओं को बच्चों की देखभाल में ज्यादा हिस्सेदारी के लिए प्रोत्साहित करते हुए कुछ कदम उठाए लेकिन इसका बहुत ज्यादा असर नहीं दिखता क्योंकि काम पर जाने वाले पिताओं की संख्या बढ़ती गई है.
मांओ पर बोझ
आंकड़े इस बात की ओर इशारा करते हैं कि बच्चों की देखभाल करने से लेकर कमाई करने तक, काम का विभाजन लैंगिक तौर पर बेहद असमान है. नंबर यह भी बताते हैं कि मां-बाप दोनों के लिए बच्चों की देखभाल करने के साथ काम पर जाना एक बहुत ही मुश्किल संतुलन है. इसका नतीजा यह है कि मांओं पर ही सारा बोझ आता है जिसकी वजह से उन्हें अपनी कामकाजी जिंदगी को किनारे रखकर समझौता करना पड़ता है. औरतों और मर्दों के बीच असमानता एक रूप यह भी बना हुआ है कि जहां माएं काम पर भी जाती हैं, वहां भी पिता के मुकाबले घरेलू काम और बच्चों की देख-रेख करने में उनका ज्यादा वक्त लगता है.
इसी तरह का एक अन्य शोध यह बताता है कि 62 फीसदी महिलाएं यह महसूस करती हैं कि घर के काम पूरे करना उन्ही की जिम्मेदारी है जबकि केवल 20 फीसदी पुरुषों को ऐसा लगता है कि उन्हें घरेलू काम करना चाहिए. यही नहीं, अगर कामकाजी जोड़ों के साथ उनके बच्चे रहते हैं तो लैंगिक असमानता के और कई आयाम देखने को मिलते हैं जैसे बच्चों के स्वास्थ्य की जिम्मेदारी.
एसबी(डीपीए)