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जलवायु परिवर्तन रोकने के लिए 'पेड़ अधिक कार कम' का संकल्प

११ अक्टूबर २०१९

सभी महाद्वीप के दर्जनों शहर के मेयरों ने शहरी स्वास्थ्य व्यवस्था में सुधार और जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए हवा को स्वच्छ बनाने का संकल्प लिया. इसके लिए कारों पर जुर्माना लगाने से लेकर पेड़ लगाने तक की बात की गई.

Indien: Umweltbelastung und Luftverschmutzung in Neu-Delhi
तस्वीर: Getty Images/AFP/R. Schmidt

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार दुनिया के 90 प्रतिशत से ज्यादा लोग प्रदूषित हवा में सांस ले रहे हैं. इस वजह से उन्हें बीमारियां हो रही है और वे मर रहे हैं. डेनमार्क की राजधानी कोपेनहेगन में शुक्रवार को सी40 सम्मेलन का आयोजन किया गया. इसमें दुनिया के बड़े शहरों के मेयर शामिल हुए. सम्मेलन में संयुक्त राष्ट्र के महासचिव अटोनियो गुटेरेश ने कहा, "प्रदूषित वायु की वजह से हर साल दुनिया में 70 लाख लोगों की मौत होती है. सबसे ज्यादा प्रभावित शहरी आबादी है." सम्मेलन में 90 शहरों के मेयर 70 करोड़ से ज्यादा की आबादी का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं और जलवायु परिवर्तन को कम करने पर जोर दे रहे हैं.

स्वीडन की ग्रेटा थुनबर्ग द्वारा जलवायु परिवर्तन को लेकर चलाया जा रहा फ्राइडे फॉर फ्यूचर अभियान अब आधिकारिक रूप से जोर पकड़ता दिखाई दे रहा है.  मेयरों ने जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए बस किराया को सस्ता करने, अधिक कार्बन उत्सर्जन करने वाले वाहनों पर जुर्माना लगाने जैसे कदमों को प्रोत्साहित करने की पहल की. लॉस एंजेलस से लेकर टोक्यो तक 34 शहरों ने 2030 तक वायु की गुणवत्ता को डब्ल्यूएचओ के मानक तक लाने के लिए प्रतिबद्धता जताई. यदि ऐसा होता है तो प्रत्येक साल करीब 40 हजार लोगों की जान बचाई जा सकती है.

लंदन के मेयर सादिक खान ने कहा, "वायु प्रदूषण पूरी दुनिया के लिए संकट बन गया है. मेयर होने के नाते हमारी यह मौलिक जिम्मेदारी है कि हम अपने नागरिकों को दूषित हवा से प्रभावित होने से बचाएं." आधिकारिक डाटा के अनुसार 20 लाख से ज्यादा लोग लंदन के उस इलाके में रहते हैं जहां वायु प्रदूषण हानिकारक स्तर पर पहुंच गया है. खान कहते हैं,  "स्थिति को बदलने के लिए इस शहर ने दुनिया में पहली बार अल्ट्रा लो इमिशन जोन को लागू किया. इसके तहत वाहनों को या तो कार्बन उत्सर्जन के मानक स्तर को पूरा करना होता है या फिर जुर्माना देना होता है."

सी40 सम्मेलन में संयुक्त राष्ट्र के महासचिव अटोनियो गुटेरेशतस्वीर: picture-alliance/Ritzau Scanpix/I. Guldbaek Arentsen

लिस्बन के मेयर फर्नांडो मेदिना ने कहा, "पुर्तगाल की राजधानी में अप्रैल महीने में छूट वाले सिंगल फेयर टिकट सिस्टम को लागू किया गया. इससे सार्वजनिक परिवहन का इस्तेमाल करने वालों की संख्या 30 प्रतिशत तक बढ़ गई. इससे हरियाली वाले क्षेत्र में भी इजाफा हुआ. करीब 200 फुटबॉल मैदानों के बराबर जगह में नए पेड़ लगाए गए." इटली की राजधानी मिलान शहर के मेयर जूजेप्पे साला ने कहा, "हमारे शहर में एक बड़े क्षेत्र को लो-इमिशन जोन बनाया गया है. अगले सात सालों में सड़कों पर सिर्फ इलेक्ट्रिक बसें चलेंगी. राजनीतिक रूप से आम लोगों को यह कहना संभव नहीं है कि वे कार का इस्तेमाल न करें लेकिन अब यह जरूरी हो रहा है."

संयुक्त राष्ट्र के अनुसार यदि ग्लोबल वार्मिंग को कम करना है तो शहरों में ज्यादा काम करना होगा क्योंकि एक तिहाई कार्बन उत्सर्जन यहीं से होता है. दुनिया की दो तिहाई उर्जा का इस्तेमाल भी शहरवासी ही करते हैं. दुनिया की तापमान वृद्धि को 2 डिग्री सेल्सियस से नीचे बनाए रखने के लिए नई तकनीकों का इस्तेमाल जरूरी है. इलेक्ट्रित बसों जैसे उपायों से कार्बन उत्सर्जन की मात्रा आधी हो सकती है.

आरआर/एमजे (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन)

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