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ला पाल्मा में और भड़केंगे ज्वालामुखी

१५ अक्टूबर २०२१

कुम्ब्रे विएखा ज्वालामुखी शांत होने का नाम नहीं ले रहा है. विशेषज्ञों का अंदाजा है कि ये अभी और भड़केगा. इस ज्वालामुखी से निकले लावा से भारी बर्बादी हुई है, लेकिन आगे चलकर एक नया जीवन भी उन्हीं की बदौलत मुमकिन होगा.

लगता नहीं कि ये ज्वालामुखी जल्द शांत होगीतस्वीर: Juan Medina/REUTERS

कैनरी द्वीपों जैसे ज्वालामुखी वाले द्वीपों में रहने वाले जानते हैं या उन्हें जानना चाहिए कि उनका गठन और उनकी अभूतपूर्व उर्वरता किस तरह धरती के नीचे सुसुप्त ज्वालामुखियों से जुड़ी हुई है. और उन्हें इससे जुड़े जोखिमों का भी अंदाजा होना चाहिए. ये ज्वालामुखी सदियों और सहस्त्राब्दियों तक सोए पड़े रह सकते हैं और फिर किसी दिन अचानक फट सकते हैं. 

अधिकारियों के मुताबिक ला पाल्मा में तीन सप्ताह से भड़के कुम्ब्रे विएखा ऋंखला का एक ज्वालामुखी और भी ज्यादा उग्र हो उठा है. आने वाले दिनों में जानकार और ज्वालामुखी फटने की आशंका जता रहे हैं. पहाड़ पर नये मुंह खुल गए हैं जिनसे लावा रिसता हुआ समन्दर की ओर बह रहा है. इसी दौरान द्वीप पर भूकंप के और झटके आते रहे हैं. ये भी संकेत है कि ज्वालामुखी अभी और सक्रिय रह सकता है.

प्रारंभिक विस्फोट के दस दिन बाद, ला पाल्मा का लावा समन्दर तक पहुंच गया था. छह किलोमीटर बहते हुए दहकता लावा 470 हेक्टेयर की जमीन पर फैलता चला गया. 1000 इमारतें और कई सड़कें नष्ट हो गई. छह हजार लोगों को सुरक्षित ठिकानों पर ले जाना पड़ा. विषैली गैसों के पनप जाने का खतरा भी था.

लावा से विनाशकारी नुकसान

ज्वालामुखी के हर विस्फोट से द्वीप की सूरतेहाल बदल जाती है. लावा और राख की परत विशाल इलाकों को ढांप लेती है. लावा के पसार के नीचे कुछ भी नहीं उगता. ला पाल्मा यूनिवर्सिटी में जैव विविधता और पर्यावरणीय सुरक्षा के विशेषज्ञ फर्नांडो टूया कहते हैं कि समुद्री पौधों और जानवरों पर लावा के शुरुआती असर विनाशकारी होते हैं. लावा के नीचे दफ्न हुए जीव तुरंत ही मर जाते हैं. और ठंडे पड़ चुके लावा पर खुद को पुनर्स्थापित करने में नये पौधों को सालों-साल या दशकों लग जाते हैं.

ला पाल्मा की अर्थव्यवस्था पर भी असर पड़ा है. 85 हजार रैबासियों वाले ला पाल्मा में ज्वालामुखी फटने का मतलब है भारी आर्थिक नुकसान. उदाहरण के लिए लावा से बहुत सारे केला बागान नष्ट हो चुके हैं. और वे कैनरी द्वीपों की आय के मुख्य स्रोतों में से एक हैं.

50 साल बाद फटा कैनेरी द्वीप का ज्वालामुखी

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इसके अलावा सैर सपाटे के लिए मशहूर द्वीप में, ज्वालामुखी की राख के चलते हवाई यातायात भी रोकना पड़ा था. गतिरोध के शुरुआती चार दिनों के बाद, पिछले सप्ताह ही द्वीप पर विमानों का फिर से उतरना शुरु हो पाया. द्वीप से मिल रही डरावनी तस्वीरों को देखते हुए लगता है कि पर्यटन की गतिविधियों को दोबारा शुरू करने में कुछ समय लग सकता है.

उभर रही है नयी जमीन

करीब 470 हेक्टेयर जमीन लावा के नीचे दब चुकी है. अक्सर की जाने वाली तुलना के हिसाब से ये फुटबॉल के 658 मैदानों जितनी जमीन है. इसी दौरान ये भी हुआ है कि ज्वालामुखी विस्फोट की बदौलत कैनरी द्वीप बढ़ने लगा है. पश्चिमी तट पर जहां लावा अटलांटिक में बह गया है, वहां गली हुई चट्टानों से निर्मित एक नया इलाका पहले  ही उभर आया है.

इस समय ये तीस हेक्टेयर इलाका है यानी फुटबॉल के 42 मैदानों के बराबर. और इसके साथ ही द्वीप भी वृद्धि करने लगा है. और टूया के मुताबिक प्रारंभिक नकारात्मक असर के बाद ये घटना आगे चलकर "संपन्नता लाने वाली” बन सकती है. "लावा से एक चट्टान बन जाएगी जहां पर बहुत सारी समुद्री प्रजातियों को पनपने का मौका मिलेगा और उसे ही वे तीन से पांच साल के लिए अपना ठिकाना भी बना लेंगी.”

वरदान बन गया उर्वर लावा

नया उभरता समन्दरी जीवन उन लोगों तो क्या ही सांत्वना दे पाएगा जिन्होंने अपना संपत्ति और आजीविका इस विस्फोट में गंवा दी है. लेकिन सक्रिय ज्वालामुखियों के नीचे और ढलानों पर लोग विस्फोट के जोखिम उठाकर भी बस ही रहे हैं और इसकी एक माकूल वजह है. वजह ये है कि लावा मिट्टी को असाधारण रूप से उर्वर बना देता है. उससे निकली राख में पौधों के लिए अहम पोषक तत्व मिलते हैं. लावा की राख में फॉस्फोरस, पोटेशियम और कैल्सियम भरपूर मात्रा में मिलता है और इसमें पानी भी जमा रहता है.

लावा फूटने के पहले फसल कटाईतस्वीर: Kike Rincón/EUROPA PRESS/picture alliance/dpa

पौधों को ये पोषक तत्व हासिल करने में वक्त नहीं लगता है. मिट्टी की एक पतली परत चट्टान की सतह पर जल्द ही बन जाती है. लावा ऐश, उर्वरक की तरह भी काम करती है जिसकी बदौलत फसल भी अच्छी होती है. इसीलिए ला पाल्मा में केले के विशाल बागान लगाए गए हैं. करीब 3000 हेक्टेयर में एक लाख मीट्रिक टन से ज्यादा केले हर साल पैदा होते हैं. इसी के चलते केले की पैदावार, ला पाल्मा की अर्थव्यवस्था में पर्यटन के साथ साथ, सबसे महत्त्वपूर्ण सेक्टरों में से एक है.

हॉटस्पॉट से उभरा जीवन

धरती की मेन्टल परत में एक हॉटस्पॉट यानी गर्मस्थल से कैनरी द्वीपों का प्रत्यक्षतः निर्माण हुआ था. इसका मतलब ये है कि क्रस्ट और कोर के बीच की ये परत इस बिंदु पर सबसे अधिक तापमान रहता है. अगर धरती की क्रस्ट लेयर यानी उसका आवरण यहां अफ्रीकी प्लेट से आशय है, जब इस हॉटस्पॉट से रगड़ खाती है, तो एक नया ज्वालामुखी इसे भेद देता है. अटलांटिक महासागर में करीब 4000 मीटर की गहराई में करीब बीस से चालीस लाख साल पहले ये घटना हुई थी.

लावा बहकर समुद्र को भर रहा हैतस्वीर: BORJA SUAREZ/REUTERS

करीब सत्रह लाख साल पहले उभरते हुए शील्ड ज्वालामुखी ने समुद्र की सतह तक पहुंचकर ला पाल्मा के द्वीप को जन्म दिया और दूसरा सबसे बड़ा कैनरी द्वीप बना दिया. आज भी आप ला पाल्मा पर दो अलग अलग ज्लावमुखी संरचनाएं देख सकते हैं. उत्तर में केलडेरा डि टाबुरिइन्टे का पुराना, विशालकाय शील्ड ज्वालामुखी है और दक्षिण में भूगर्भीय लिहाज से ज्यादा नयी कुम्ब्रे विएखा ज्वालामुखी ऋंखला है जो इस समय खासी सक्रिय है.

तेज और सघन विस्फोटों के चलते, अपने सबसे ऊंचे बिंदु पर ये ज्वालामुखी द्वीप 2436 मीटर ऊंचा है. अपने आप में यही एक आकर्षक बात है. लेकिन महासागर की सतह के नीचे, ला पाल्मा पश्चिम में 4000 मीटर नीचे गिरा हुआ है. इसलिए समूचा ज्वालामुखी समूह, 6400 मीटर से भी ज्यादा की कुल ऊंचाई के साथ दुनिया के सबसे ऊंचे ज्वालामुखियों में से एक है.

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