रूस तालिबान को आतंकवादी सूची से हटाने और अफगानिस्तान में उसकी सरकार को मान्यता देने पर गंभीरता से विचार कर रहा है.
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रूस के विदेश और न्याय मंत्रालय ने तालिबान को देश की आधिकारिक आतंकवादी सूची से हटाने का समर्थन किया है. सरकारी समाचार एजेंसी टैस (TASS) की खबर है कि इस बारे में इन दोनों मंत्रालयों ने एक संयुक्त प्रस्ताव तैयार किया है जिसे राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को सौंपा गया है.
एक वरिष्ठ कूटनीतिज्ञ जामिर काबुलोव ने टैस को बताया कि रूस अफगानिस्तान की तालिबान सरकार को मान्यता देने के काफी करीब है. तालिबान ने अगस्त 2021 में काबुल पर हमला कर वहां की लोकतांत्रिक रूप से चुनी हुई सरकार को अपदस्थ कर दिया था और देश की सत्ता हथिया ली थी. उस सरकार को किसी देश ने मान्यता नहीं दी है.
अफगानिस्तान को 30 साल पीछे ले कर जा रहा है तालिबान
बीते कुछ दिनों में तालिबान ने अफगानिस्तान में ऐसे आदेश जारी किए हैं जिनसे देश 30 साल पीछे की तरफ लौटने लगा है. तालिबान सत्ता हासिल करते समय किए गए अपने वादों से मुकर रहा है.
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लड़कियां नहीं जा सकती स्कूल
छठी कक्षा से ऊपर की लड़कियों के स्कूल जाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. शुरू में तालिबान ने वादा किया था कि लड़कियां स्कूल जाती रहेंगी लेकिन अब वो अपने वादे से पीछे हट गया है.
तस्वीर: Ahmad Sahel Arman/AFP/Getty Images
पुरुष का साथ जरूरी
महिलाओं के बिना किसी पुरुष रिश्तेदार (महरम) को साथ लिए हवाई जहाज में यात्रा करने पर भी प्रतिबंध लगा दिया है. महिलाओं के सड़क मार्ग से बिना किसी पुरुष रिश्तेदार को साथ लिए एक शहर से दूसरे शहर जाने पर पहले से प्रतिबंध था.
तस्वीर: Ali Khara/REUTERS
पार्कों में भी अलग अलग
पुरुषों और महिलाओं को एक साथ ही सार्वजनिक पार्कों में जाने की अनुमति नहीं है. दोनों अलग अलग दिन ही पार्कों में जा सकते हैं.
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टेलीफोन भी वर्जित
विश्वविद्यालयों में मोबाइल फोन के इस्तेमाल को वर्जित कर दिया गया है.
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मीडिया पर प्रतिबंध
अंतरराष्ट्रीय मीडिया प्रसारण पर रोक लगा दी गई है. इसमें बीबीसी की पश्तो और फारसी भाषाएं भी शामिल हैं. इसके अलावा विदेशी टीवी कार्यक्रमों पर भी रोक लगा दी गई है.
तालिबान के नैतिकता मंत्रालय के सदस्य पारंपरिक पगड़ी नहीं पहनने वाले और दाढ़ी नहीं रखने वाले सरकारी अधिकारियों को घर वापस भेज रहे हैं. ऐसे अधिकारियों का कहना है कि उन्हें पता नहीं है कि वो काम पर वापस लौट भी पाएंगे या नहीं.
तस्वीर: Ahmad Sahel Arman/AFP/Getty Images
हैबतुल्लाह अखुंदजादा का आदेश
माना जा रहा है कि ये सब फैसले हाल ही में कंधार में हुई तालिबान की एक तीन दिवसीय बैठक में लिए गए. बताया जा रहा है कि कंधार में रहने वाले तालिबान के सर्वोच्च नेता हैबतुल्लाह अखुंदजादा ने इन नए नियमों के पालन का आदेश दिया. (एपी से जानकारी के साथ)
तस्वीर: Social Media/REUTERS
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पश्चिमी देशों का कहना है कि तालिबान की सरकार ने मानवाधिकारों, खास तौर पर महिलाओं के अधिकारोंपर कड़ी पाबंदियां लगाई हैं और जब तक वे नहीं हटाई जातीं, तब तक सरकार को मान्यता नहीं दी जा सकती.
गंभीर है रूस
अफगानिस्तान के पड़ोसियों का रुख इससे थोड़ा अलग है. चीन, रूस, पाकिस्तान और ईरान के अलावा भारत ने भी तालिबान सरकार से संपर्क और संवाद बढ़ाया है. चीन, रूस, पाकिस्तान और ईरान में तो अफगानिस्तान के दूतावास भी सक्रिय हो गए हैं और वहां राजदूतों ने कामकाज संभाल लिया है.
तालिबान के सत्ता में लौटने के बाद से ही रूस उसके साथ बातचीत करता रहा है. उसने अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों से आग्रह भी किया था कि अफगानिस्तान की जब्त की गई संपत्तियों को जारी कर दिया जाए.
2019 में तालिबान के प्रतिनिधियों को रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने मॉस्को में बैठक में भी आमंत्रित किया था जबकि वे आतंकवादी सूची में शामिल एक संगठन के प्रतिनिधि थे. लावरोव और पुतिन दोनों ही ऐसे संकेत दे चुके हैं कि तालिबान को आतंकवादी सूची से हटाया जा सकता है.
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पड़ोसियों से नजदीकियां
तालिबान भी पड़ोसियों के साथ संबंधसुधारने की नीति पर चल रहा है. उसने हाल ही में ‘अफगानिस्तान क्षेत्रीय सहयोग पहल' नाम से एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के आयोजन की योजना बनाई, जिसमें 11 देशों ने सहभागिता का आमंत्रण भी स्वीकार कर लिया. इसमें कई दक्षिण एशियाई देशों जैसे भारत और चीन के अलावा रूस और ईरान जैसे देशों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया था.
चीन ने अफगानिस्तान के साथ नजदीकियां तेजी से बढ़ाई हैं. वहां के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने इसी साल तालिबान के देश में राजदूत नियुक्त किए गए मौलवी असदुल्ला बिलाल करीमी से मुलाकात की थी और उन्हें शासनाधिकारी के रूप में स्वीकार किया था. तब चीन ने कहा था कि कूटनीतिक स्वीकृति का यह अर्थ नहीं कि बीजिंग अफगानिस्तान के मौजूदा शासन को आधिकारिक रूप से मान्यता प्रदान करता है.
ईरान भी कई वर्षों से काबुल के साथ नजदीकियां बढ़ा रहा है. तेहरान ने तालिबान के काबुल की सत्ता पर काबिज होने के कुछ महीनों बाद अक्टूबर 2021 में अपने राजनयिक हसन काजमी कोमी को अफगानिस्तान में विशेष दूत नियुक्त किया था. मान्यता ना देने के बावजूद ईरान सरकार ने संकेत दिए कि तालिबान के साथ संबंध समूचे क्षेत्र के लिए लाभकारी हैं. राजनीतिक स्थिरता पर जोर देते हुए भारत का दृष्टिकोण भी कुछ ऐसा ही है.
पिछली बार तालिबान 1996 से 2001 के बीच अफगानिस्तान में सरकार पर काबिज रहा था. तब भी वे अपने लिए अंतरराष्ट्रीय मान्यता चाह रहा था.
भारत का रुख
भारत ने पिछले एक साल में ऐसे कई कदम उठाए हैं, जिनसे संकेत मिलता है कि भारत सरकार तालिबान के साथ संवाद और संपर्क बढ़ाने पर काम कर रही है. जून 2022 में भारत के वरिष्ठ राजनयिक जेपी सिंह काबुल के दौरे पर गए थे और वहां उन्होंने तालिबान के कार्यकारी विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी से मुलाकात की थी.
तालिबान की 'होली' में जलाये गए गिटार, हारमोनियम, तबला
तालिबान ने अफगानिस्तान में सत्ता में आते ही सार्वजनिक स्थानों पर संगीत बजाने पर पाबंदी लगा दी थी. अब वाद्य यंत्रों को जला कर तालिबान ने संगीत के प्रति अपनी नफरत का और भी वीभत्स चेहरा दिखाया है. देखिये तस्वीरों में.
तस्वीर: Afghanistan's Ministry for the Propagation of Virtue and the Prevention of Vice/AFP
वाद्य यंत्रों की 'होली'
तालिबान सरकार के नैतिकता मंत्रालय ने जब्त किये हुए वाद्य यंत्रों और उपकरणों की 'होली' जलाई है. यह 'होली' 30 जुलाई को को हेरात प्रांत में जलाई गई.
तस्वीर: Afghanistan's Ministry for the Propagation of Virtue and the Prevention of Vice/AFP
गिटार, हारमोनियम, तबला - सब खाक
जिन चीजों को आग लगाई गई उनमें एक गिटार, दो और तार वाले वाद्य यन्त्र, एक हारमोनियम, एक तबला, एम्पलीफायर और स्पीकर भी शामिल थे. इनमें से अधिकांश चीजों को हेरात के वेडिंग हॉलों से जब्त किया गया था.
तस्वीर: Afghanistan's Ministry for the Propagation of Virtue and the Prevention of Vice/AFP
सैकड़ों डॉलर का सामान
जला दिए गए समाना की कीमत सैकड़ों डॉलर थी, लेकिन संगीत प्रेमियों के लिए यह सब बेशकीमती सामान था. तालिबान संगीत को अनैतिक मानता है.
तस्वीर: Hussein Malla/AP Photo/picture alliance
क्या कहा तालिबान ने
'सदाचार को बढ़ावा देने और दुराचार को रोकने' के मंत्रालय के हेरात विभाग के मुखिया अजीज अल-रहमान अल-मुहाजिर ने कहा, "संगीत को बढ़ावा देने से नैतिक भ्रष्टाचार होता है और उसे बजाने से युवा भटक जाएंगे."
तस्वीर: Bernat Armangue/AP Photo/picture alliance
इस्लाम के बहाने
अगस्त 2021 में सत्ता हथियाने के बाद से तालिबान के अधिकारियों का इस्लाम के जिस कट्टर रूप में विश्वास है उसे लागू करने के लिए कई नियम और कानूनों की घोषणा की है. इनमें सार्वजनिक स्थानों पर संगीत बजाने पर बैन भी शामिल है.
तस्वीर: Bernat Armangue/AP/picture alliance
महिलाओं पर गिरी गाज
नए नियमों का सबसे बड़ा खामियाजा महिलाओं को भुगतना पड़ा है. वो बिना हिजाब पहने घर से बाहर नहीं का सकतीं. किशोर लड़कियों और महिलाओं को स्कूलों और विश्वविद्यालयों से प्रतिबंधित कर दिया है. देशभर में हजारों ब्यूटी पार्लरों को भी बहुत खर्चीली या गैर-इस्लामी बता कर बंद कर दिया गया है.
सीके/एए (एएफपी)
तस्वीर: ALI KHARA/REUTERS
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भारत ने हाल ही में ईरान के साथ चाबहार बंदरगाह समझौताकिया है, जिसमें अफगानिस्तान एक अहम कड़ी है क्योंकि वह व्यापार मार्ग का हिस्सा होगा. जेपी सिंह के काबुल दौरे पर भी इस बारे में चर्चा हुई थी. तालिबान के विदेश मंत्रालय की ओर से तब जारी एक बयान में कहा गया था कि चाबहार बंदरगाह समेत कई मुद्दों पर जेपी सिंह और मुत्ताकी के बीच चर्चा हुई.
इटली, जापान, नॉर्वे और तुर्की समेत 38 देशों में तालिबान के राजनयिक दूतावासों में काम कर रहे हैं. हालांकि इनमें से किसी भी देश ने तालिबान की सरकार को मान्यता नहीं दी है.