यूनेस्को: पत्रकारों के अधिकांश हत्यारों को नहीं मिलती सजा
२ नवम्बर २०२२
यूनेस्को ने कहा है कि दुनियाभर में पत्रकारों की हत्या के ज्यादातर मामलों में अपराधियों को सजा नहीं मिलती है. यूएन एजेंसी के मुताबिक 2020 और 2021 में कम से कम 117 पत्रकार काम करते हुए मारे गए.
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संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) ने बुधवार को जारी एक रिपोर्ट में कहा कि दुनिया भर में अपने पेशे को निभाते हुए पत्रकारों की हत्या के ज्यादातर मामलों में अपराधियों को सजा नहीं मिलती है.
यूनेस्को का कहना है, "पत्रकारों की हत्याओं के लिए दंड से मुक्ति 86 प्रतिशत पर अस्वीकार्य रूप से उच्च बनी हुई है." यूनेस्को का कहना है कि पत्रकारों के हत्यारों के लिए सजा सुनिश्चित करने की जरूरत है.
यूनेस्को ने "पत्रकारों के खिलाफ अपराधों की उचित जांच और अपराधियों की पहचान और सजा सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक उपायों" का आह्वान किया है.
यूनेस्को की महानिदेशक ऑड्रे अजोले ने एक बयान में कहा, "तब तक अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा नहीं की जा सकती जब इतनी बड़ी संख्या में अनसुलझे मामले हों."
यूक्रेन युद्ध में मारे गए ये पत्रकार
यूक्रेन पर रूसी हमले के दौरान अब तक युद्ध को कवर कर रहे छह पत्रकारों और मीडियाकर्मियों की मौत हो गई है. मारे गए कुछ पत्रकार यूक्रेनी और कुछ विदेशी हैं.
तस्वीर: Oksana Baulina/REUTERS
येवहनी सकुन
यूक्रेन के 'लाइव' स्टेशन के लिए बतौर कैमरा ऑपरेटर काम करने वाली 49 वर्षीय येवहनी सकुन यूक्रेन युद्ध में मारी गई पहली मीडियाकर्मी थी. 1 मार्च को सकुन की मृत्यु तब हो गई जब रूस ने कीव में एक टीवी टावर पर हमला किया था. इस हमले में चार अन्य लोगों की भी मौत हुई थी.
तस्वीर: Yaghobzadeh Alfred/ABACA/picture alliance
ब्रेंट रेनॉड
50 साल के ब्रेंट रेनॉड की 13 मार्च को रूसी सैनिकों की फायरिंग में तब मौत हो गई जब वे कीव के बाहरी इलाके में अपनी गाड़ी से जा रहे थे. रेनॉड टाइम स्टूडियो के लिए काम कर रहे थे. वे यूक्रेन में शरणार्थी संकट पर एक प्रोजेक्ट पर काम कर रहे थे.
तस्वीर: Jemal Countess/Getty Images
ऑलेक्जांड्रा कुवशिनोवा
फॉक्स न्यूज के लिए एक काम करने वाली 24 वर्षीय यूक्रेनी ऑलेक्जांड्रा कुवशिनोवा की 14 मार्च को फायरिंग में मौत हो गई थी. वो एक वाहन में अपने सहकर्मियों के साथ यात्रा कर रही थीं.
तस्वीर: Yaghobzadeh Alfred/ABACA/picture alliance
पियरे जक्रजेवस्की
55 वर्षीय पियरे जक्रजेवस्की फॉक्स न्यूज के कैमरामैन थे और होरेनका शहर में कुवशिनोवा के साथ ही यात्रा कर रहे थे. उनकी गाड़ी पर फायरिंग होने से कुवशिनोवा के साथ उनकी भी मौत हो गई. हमले में फॉक्स न्यूज के एक और पत्रकार बेंजामिन हॉल गंभीर रूप से घायल हो गए थे.
तस्वीर: Pierre Zakrzewski/dpa/Fox News/AP/picture alliance
ओक्साना बाउलिना
रूस की खोजी साइट द इनसाइडर के लिए काम करने वाली पत्रकार ओक्साना बाउलिना की कीव में 23 मार्च को रूसी गोलाबारी के दौरान मौत हो गई थी. जिस वक्त रूसी हमला हुआ तब वे तबाही को फिल्मा रही थीं और उसी दौरान वे हमले की चपेट में आ गई.
तस्वीर: Oksana Baulina/REUTERS
माक्सिम लेविन
यूक्रेनी फोटो पत्रकार माक्सिम लेविन, जिन्हें उनके सहयोगी मैक्स कह कर पुकारते थे, वे राजधानी कीव के उत्तरी इलाके में मृत पाए गए थे. रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स ने कहा कि लेविन रॉयटर्स, एसोसिएटेड प्रेस, बीबीसी और यूक्रेनी आउटलेट होरोमाडस्के समेत संगठनों के लिए काम कर चुके थे. लेविन मार्च में कीव के पास विशोरोड के आसपास युद्ध कवर करते हुए गायब हुए थे.
यह रिपोर्ट ऐसे समय में जारी की गई है जब दो नवंबर को यूएन पत्रकारों के खिलाफ अपराध रोकने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय दिवस मनाता है. इस दिवस का नाम "इंटरनेशनल डे टू एंड इंप्युनिटी फॉर क्राइम अगेंस्ट जर्नलिस्ट" है.
अजोले ने कहा दंड से मुक्ति का खुफिया रिपोर्टिंग पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है.
यूनेस्को ने पिछले एक दशक में दंड से मुक्ति दरों में 9 प्रतिशत की गिरावट का स्वागत किया है, लेकिन साथ ही कहा कि यह "हिंसा के इस चक्र" को रोकने के लिए अपर्याप्त है.
यूनेस्को की रिपोर्ट के मुताबिक 2020 और 2021 में 117 पत्रकार अपना काम करते हुए मारे गए, जबकि 91 अन्य 'ऑफ द क्लॉक' यानी जब वे ड्यूटी पर नहीं थे, तब मारे गए. रिपोर्ट में कहा गया है, "कई पत्रकारों को उनके बच्चों समेत परिवार के सामने मारा गया."
यूनेस्को ने कहा कि वह राष्ट्रीय मीडिया कानूनों और नीतियों को विकसित करने और लागू करने के लिए सदस्य देशों के साथ काम कर रहा है.
यह न्यायाधीशों, अभियोजकों और सुरक्षा बलों को "पत्रकारों के अधिकारों को लागू करने और यह सुनिश्चित करने के लिए प्रशिक्षण दे रहा है कि उनके खिलाफ हमलों की जांच और मुकदमा चलाया जाए."
न्यूयॉर्क की कमेटी टू प्रोटेक्ट (सीपीजे) जर्नलिस्ट के मुताबिक साल 2020 में कम से कम 30 पत्रकारों की हत्या हुई. इनमें से 21 को तो साफ तौर पर बदला लेने के लिए मारा गया. 2019 में दुनिया भर में ऐसे 10 मामले सामने आए थे.
एए/सीके (एएफपी, एपी)
'DW फ्रीडम ऑफ स्पीच अवॉर्ड' से सम्मानित किए गए पत्रकार और एक्टिविस्ट
2015 से ही डॉयचे वेले मानवाधिकार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए मुहिम चला रहे लोगों को 'DW फ्रीडम ऑफ स्पीच अवॉर्ड' से सम्मानित करता आ रहा है. जानिए, अब तक के अवॉर्ड विजेताओं के बारे में.
तस्वीर: DW/P. Böll
2015: रईफ बदावी, सऊदी अरब
सऊदी ब्लॉगर रईफ बदावी ने सालों तक अपने देश में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए लड़ाई लड़ी. वह अपने ब्लॉग में राजनैतिक और समाजिक समस्याएं उठाते थे. 2012 में उन्हें इस्लाम, धार्मिक नेताओं और राजनेताओं का अपमान करने का आरोपी बनाया गया. इस जुर्म के लिए उन्हें 2014 में 10 साल की कैद और 1,000 कोड़ों की सजा सुनाई गई (आज तक 50 लग चुके) और भारी जुर्माना लगाया गया था. मार्च 2022 में उन्हें रिहा कर दिया गया.
तस्वीर: Patrick Seeger/dpa/picture alliance
2016: सेदात एरगिन, तुर्की
तुर्की के प्रमुख अखबार हुर्रियत के पूर्व मुख्य संपादक सेदात एरगिन को 2016 का फ्रीडम ऑफ स्पीच अवॉर्ड मिला था. उस वक्त उन पर राष्ट्रपति एर्दोवान के कथित अपमान के लिए मुकदमा चल रहा था. अवॉर्ड स्वीकार करते हुए एरगिन ने कहा था कि "अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता मानवता के सबसे आधारभूत मूल्यों में से है. यह समाज में हमारे अस्तित्व का अटूट हिस्सा है." (तस्वीर में 2019 की विजेता अनाबेल हेर्नाडेज के साथ)
तस्वीर: DW/F. Görner
2017: व्हाइट हाउस कॉरेसपॉन्डेंट्स एसोसिएशन
'व्हाइट हाउस कॉरेसपॉन्डेंट्स एसोसिएशन' को फ्रीडम ऑफ स्पीच अवार्ड 2017 से नवाजा गया था. डॉयचे वेले महानिदेशक पेटर लिम्बुर्ग ने एसोसिएशन के अध्यक्ष जेफ मेसन को यह पुरस्कार दिया था. इस मौके पर लिम्बुर्ग ने कहा, "हम इस अवॉर्ड को अमेरिका और दुनियाभर में आजाद प्रेस के सम्मान, समर्थन और प्रोत्साहन के निशान के तौर पर देखते हैं जो अमेरिकी राष्ट्रपति (डोनाल्ड ट्रंप) और उनकी नीतियों पर रिपोर्टिंग करते हैं."
तस्वीर: DW/K. Danetzki
2018: सादेग जिबाकलाम, ईरान
डॉयचे वेले का 2018 का फ्रीडम ऑफ स्पीच अवॉर्ड ईरान के राजनीतिज्ञ सादेग जिबाकलाम को दिया गया था. उस वक्त अपने देश के राजनीतिक हालात के खिलाफ बोलने के लिए उन पर जेल की सजा की तलवार लटक रही थी. जिबाकलाम कट्टरपंथियों के साथ अपनी तीखी बहसों के लिए जाने जाते हैं और वे घरेलू और विदेश नीति से जुड़े मामलों पर सरकार के रुख की आलोचना करते रहे हैं.
तस्वीर: DW/U. Wagner
2019: अनाबेल हेर्नांडेज, मेक्सिको
मेक्सिको की खोजी पत्रकार अनाबेल हेर्नाडेज को 2019 का डीडब्ल्यू फ्रीडम ऑफ स्पीच अवॉर्ड दिया गया था. वह भ्रष्टाचार, सरकारी कर्मियों और ड्रग कार्टल्स के आपसी संबंधों की जांच-पड़ताल करती हैं. 2010 में आई उनकी किताब "लोस सेनेरेस डेल नारको"(नार्कोलैंड) में उन्होंने इन गैर-कानूनी संबंधों की पड़ताल की थी. इस वजह से उन पर हमलों की कोशिश भी हुई है. अनाबेल अब यूरोप में निर्वासित जीवन जी रही हैं.
तस्वीर: DW/V. Tellmann
2020: कोरोना महामारी कवरेज के लिए फैक्ट चेकर्स को
2020 में कोरोना वायरस के बारे में फैली फर्जी जानकारियों की सच दुनिया के सामने लाने के लिए 14 देशों के 17 पत्रकारों को फ्रीडम ऑफ स्पीच अवॉर्ड 2020 से नवाजा गया था. इसमें भारत के पत्रकार और 'द वायर' वेबसाइट के संपादक सिद्धार्थ वरदराजन भी थे.
तस्वीर: DW
2021: तोबोरे अवुरी, नाइजीरिया
नाइजीरिया की खोजी पत्रकार तोबोरे ओवुरी को 2021 का डीडब्ल्यू अवॉर्ड दिया गया था. ओवुरी करीब 11 साल से पेशेवर पत्रकार हैं. उन्होंने कई साल छानबीन के बाद एक सेक्स वर्कर का रूप धरा और नाइजीरिया में सेक्स ट्रैफिक रैकेट्स का पर्दाफाश करने के लिए अपनी पहचान छिपाकर काम किया. 2014 में उनकी सबसे मशहूर रिपोर्ट छपी थी. उनके खुलासे के बाद देश के अधिकारियों ने जांच शुरू की थी.
तस्वीर: Elvis Okhifo/DW
2022: एवगिनी मलोलेत्का और मिस्तेस्लाव चेर्नोव, यूक्रेन
डीडब्ल्यू फ्रीडम ऑफ स्पीच अवॉर्ड 2022, फ्रीलांस फोटोजर्नलिस्ट एवगिनी मलोलेत्का और एसोसिएटेड प्रेस के पत्रकार मिस्तेस्लाव चेर्नोव को दिया गया है. दोनों पत्रकारों ने यूक्रेन के दक्षिण-पूर्वी शहर मारियोपोल की तबाही और रूसी कब्जे की तस्वीरें और वीडियो दुनिया को दिखाए हैं. AP में प्रकाशित उनकी रिपोर्ट "मारियोपोल में 20 दिन" यूक्रेन युद्ध से तबाह हुए शहर को करीब से दिखाती है.
तस्वीर: AP Photo/picture alliance/Evgeniy Maloletka