जर्मनी को एक अजीब से मामले ने हैरान कर रखा है. एक मां पर अपने आठ बच्चों के कत्ल का इल्जाम लगा है. वह कत्ल की बात मान भी रही है लेकिन उसे याद ही नहीं कि उसने कितने बच्चों को मारा.
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मामला जर्मनी के दक्षिणी प्रांत बवेरिया का है, जहां नवंबर 2015 में पुलिस ने एक घर में छापा मार कर आठ नवजात शिशुओं के शव बरामद किये. पड़ोसियों को शक हुआ कि इस घर में कुछ अजीब चल रहा है और उन्होंने पुलिस को इत्तिलाह की. घर के एक कमरे को स्टोर की तरह इस्तेमाल किया जा रहा था. यहां पुलिस को तौलियों और प्लास्टिक के थैलों में लिपटे हुए आठ बच्चों के शव मिले.
पुलिस ने जांच की तो मां ने ही अपने बच्चों के कत्ल की बात मान ली. लेकिन उसका कहना है कि उसे ठीक से याद नहीं है कि उसने कितनों का कत्ल किया. कोई औरत नौ महीने बच्चे को अपनी कोख में रखे और फिर उसे मार दे. मामला अजीब लगता है. जर्मनी के लोग भी इस मामले से सकते में है.
दस साल तक चला सिलसिला
इस महिला का नाम है आंद्रेया जी. जर्मनी में गोपनीयता कानून के तहत आरोपी का पूरा नाम नहीं बताया जाता, बस उपनाम का पहला अक्षर ही सार्वजनिक किया जाता है. उसकी उम्र है 45 साल. पति योहान जी की उम्र है 55 साल. पुलिस का छापा पड़ने से करीब एक महीना पहले ही वह पत्नी से तंग आकर घर छोड़ कर चला गया था. इन दोनों के ही पिछली शादियों से दो दो बच्चे हैं. एक दूसरे से शादी करने के बाद आंद्रेया ने तीन बच्चों को जन्म दिया.
देखिए, एक मां यह भी है
50 उंगलियां और एक साथ धड़कते 6 दिल
ऑस्ट्रेलिया की एक महिला ने पांच बच्चों के साथ अपनी बेहद प्यारी तस्वीरें सोशल मीडिया पर पोस्ट कीं और देखते ही देखते ये तस्वीरें वायरल हो गईं. ये पांचों बच्चे इसी महिला के हैं.
तस्वीर: Erin Elizabeth Photography
ऑस्ट्रेलिया की किम टुची ने जनवरी में 5 बच्चों को एक साथ जन्म दिया. अब इनकी बहुत प्यारी तस्वीरें फेसबुक पर पोस्ट हुईं और दुनियाभर में फैल गईं. लेकिन टुसी को आपकी मदद चाहिए.
तस्वीर: Erin Elizabeth Photography
पर्थ की रहने वाली किम टुची ने जनवरी में पांच बच्चों को एक साथ जन्म दिया था. चार लड़कियां और एक लड़का. टुची 26 साल की हैं.
तस्वीर: Erin Elizabeth Photography
इस डिलीवीरी के लिए 50 डॉक्टरों और नर्सों की टीम ने खूब मेहनत की. साढ़े पांच करोड़ में एक बार ऐसा होता है कि पांच बच्चे एक साथ जन्म लें.
तस्वीर: Erin Elizabeth Photography
स्थानीय फोटोग्राफर एरिना एलिजाबेथ ने इन बच्चों को तस्वीरों में उतारा. टुची ने लिखा कि 50 उंगलियां, 6 दिल, धड़कते एक साथ. टुची के तीन बच्चे पहले से हैं. नौ साल का एक बेटा है और दो बेटियां हैं 2 और 4 साल कीं.
तस्वीर: Erin Elizabeth Photography
शुरू में टुची को डॉक्टरों ने कहा था कि पांच में से 2 ही बच्चों को बचाना चाहिए और बाकी तीन को टर्मिनेट कर देना चाहिए क्योंकि सेहत को खतरा है. लेकिन टुची राजी नहीं हुईं.
तस्वीर: Erin Elizabeth Photography
अब टुची को एक वैन चाहिए जिसमें ये सारे बच्चे एक साथ लाए-ले जाए जा सकें. इसी के लिए वह फंड जुटाने की कोशिश कर रही हैं. आप भी उनके फेसबुक पेज पर जाकर मदद कर सकते हैं.
तस्वीर: Erin Elizabeth Photography
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यहां तक सब ठीक था. लकिन इसके बाद जब वह गर्भवती हुई, तो पति ने कहा कि वह और बच्चे नहीं चाहता. पति ने बच्चा गिराने को कहा लेकिन आंद्रेया ने ऐसा नहीं किया, बल्कि वह अपनी गर्भावस्था को नजरअंदाज करती रही. उसने घर पर ही बच्चे को जन्म दिया और उसे तौलिये में लपेट कर प्लास्टिक के बैग में बांध दिया. यही सिलसिला आठ बार दोहराया गया. 2003 से 2013 के बीच वह लगातार गर्भवती रही.
आंद्रेया ने अदालत से कहा है कि उसे ठीक तरह यह भी नहीं पता कि कौन सा बच्चा जिंदा पैदा हुआ था और कौन सा मरा हुआ. अपने बयान में उसने कहा है, "शायद मैंने दो बच्चों को मारा, या शायद तीन या फिर चार." आंद्रेया का कहना है कि पैदा होने के बाद अगर कोई बच्चा हरकत करता, तो वह प्लास्टिक के थैले में बंद कर उसका दम घोंट देती.
जारी रखी सेक्स लाइफ
फॉरेंसिक जांच में पता चला है कि एक बच्चा मरा हुआ ही पैदा हुआ था. तीन का शरीर इतनी बुरी हालत में था कि उनकी जांच करना भी मुमकिन नहीं था. आंद्रेया को बुधवार 20 जुलाई को सजा सुनाई जाएगी. जर्मनी में कत्ल के लिए 15 साल की सजा होती है और कत्ल में साथ देने के लिए कम से कम तीन साल की सजा का प्रावधान है.
तस्वीरेंः गत्ते के बक्से में क्यों सोते हैं बच्चे
गत्ते के बक्से में सोते हैं बच्चे
मां बाप अपने बच्चों के लिए बहुत शौक से कमरा सजाते हैं लेकिन फिनलैंड में तो नवजात शिशुओं को गत्ते के बक्सों में सुलाया जाता है. जानिए ऐसा क्यों..
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ऐसा है बक्सा
देखने में यह बक्सा कुछ कुछ वैसा है जिसमें आप अपने पुराने कपड़े या फाइलें भर कर स्टोर रूम में रख देंगे लेकिन यकीन मानिए इसी बक्से में बच्चों को सुलाया जाता है, वह भी उनकी अच्छी सेहत के लिए.
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अनोखा नियम
फिनलैंड की सरकार ने 1930 के दशक में यह नियम बनाया कि गर्भवती महिलाओं को बच्चों के सामान से भरी एक पूरी किट दी जाएगी. इस किट में नवजात शिशु के लिए जरूरी सब सामान मौजूद होता है.
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सरकार का उपहार
दरअसल उस जमाने में देश में नवजात शिशुओं की मृत्यु दर बहुत ज्यादा थी. इसी को काबू में लाने के लिए सरकार ने बेबी किट को उपहार के रूप में देने का फैसला किया.
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सब एक समान
और आइडिया काम भी आया. बच्चा गरीब परिवार का हो या अमीर, सबको वही सामान, वही कपड़े मिलते. इस तरह माता पिता का बोझ थोड़ा कम हुआ. लेकिन फिर सवाल उठा कि आखिर बक्से का क्या करें.
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सस्ता, सुंदर, टिकाऊ
पश्चिमी देशों में अक्सर बच्चों को शुरू से ही अलग बिस्तर में सुलाया जाता है. लेकिन इस तरह के 'क्रिब' खरीदना माता पिता की जेब पर भी भारी पड़ता है. ऐसे में बेबी किट वाले बक्से को ही बिस्तर बना लेने का आइडिया आया.
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और सुरक्षित भी
बक्से में नीचे एक पतला सा गद्दा लगा होता है जिस पर बच्चा आराम से सो सकता है. बिस्तर से बच्चे के गिरने का खतरा हो सकता है लेकिन बक्से की ऊंची दीवारें बच्चे को गिरने नहीं देतीं.
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बेहतरीन तोहफा
जो चलन सरकार ने कुछ 80 साल पहले चलाया, आज वह देश से बाहर भी फैलने लगा है. कई निजी कंपनियां फिनिश बेबी बॉक्स के नाम से इन्हें बेचने लगी हैं. विज्ञापनों में अक्सर इन्हें मां बाप के लिए एक बेहतरीन तोहफे के रूप में दर्शाया जाता है.
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कीमत..
लेकिन जो आपको महज बक्सा लग रहा है, उसकी कीमत भी जान लीजिए. अगर आप फिनलैंड में नहीं रहते हैं और किसी प्राइवेट कंपनी से इंटरनेट में इन्हें ऑर्डर करते हैं, तो एक बक्से के लिए आपको 25 से 50 हजार रुपये तक खर्चने पड़ सकते हैं.
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नैपी से कंडोम तक, सब
बच्चों के कपड़े, नैपी, दूध पिलाने की बोतल, मच्छरदानी वगैरह तो है ही, साथ ही माता पिता के इस्तेमाल के लिए कंडोम भी हैं, जिन्हें शायद वो बच्चे की जद्दोजहद में खरीदना भूल सकते हैं.
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सरकारी वकीलों ने अपनी चार्जशीट में आंद्रेया के बारे में लिखा है, "उसने बगैर परिणामों के बारे में या फिर नवजात शिशु की अहमियत के बारे में सोचे, अपनी सेक्स लाइफ जारी रखी." वहीं पति योहान के बारे में लिखा गया है, "कुछ ना कर के उसने इन सभी मामलों में अभियुक्त का हौसला बढ़ाने का काम किया."
जर्मनी के लिए यह अपनी तरह का पहला मामला नहीं है. मई 2016 में एक महिला को अपने दो बच्चों को मार कर फ्रीजर में उनकी लाश छिपाने के आरोप में 44 महीने की सजा सुनाई गयी. अक्टूबर 2013 में बवेरिया में ही मजदूरों को दो बच्चों की लाश मिली. जांच से पता चला कि वे 80 के दशक में मारे गए थे. इससे पहले 2008 में भी एक 42 वर्षीय महिला को अपने आठ बच्चों के कत्ल का दोषी पाया गया था. महिला ने शवों को बाल्टियों और गमलों में छिपा कर रखा था.
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