आबे की हत्या का हो सकता है एक धार्मिक समूह से संबंध
११ जुलाई २०२२
शिंजो आबे की हत्या के तार एक धार्मिक समूह से जुड़े होने का संदेह है. जापानी मीडिया रिपोर्टों के अनुसार संदिग्ध हत्यारे का मानना था कि आबे एक ऐसे धार्मिक समूह का समर्थन करते थे जिससे वो नफरत करता था.
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जापान में यूनीफिकेशन चर्च के प्रमुख ने कहा है कि पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे की हत्या के आरोप में गिरफ्तार किए गए व्यक्ति की मां इस चर्च की सदस्य हैं. जापान के कई मीडिया संस्थानों ने दावा किया है कि 41 साल का तेत्सुया यामागामी इस चर्च से नाराज था और उसका मानना था कि आबे इसका समर्थन करते थे.
क्योदो समाचार एजेंसी के अनुसार यामागामी की मां ने इस चर्च को चंदे में एक "बड़ी रकम" दी थी. योमिउरी अखबार और दूसरे मीडिया संस्थानों के मुताबिक यामागामी ने पुलिस को बताया कि उस चंदे के बाद उसकी मां दिवालिया हो गईं.
यूनिफिकेशन चर्च का पूरा नाम है फॅमिली फेडेरशन फॉर वर्ल्ड पीस एंड यूनिफिकेशन. चर्च की जापान शाखा के प्रमुख तोमिहिरो तनाका ने टोक्यो में पत्रकारों को बताया कि यामागामी की मां चर्च की सदस्य थीं.
तनाका ने उनका नाम नहीं बताया और उनके चंदे के बारे में भी पुलिस की जांच का हवाला देते हुए कोई टिप्पणी नहीं की. उन्होंने यह भी कहा कि ना तो आबे और ना यामागामी चर्च के सदस्य थे. उन्होंने यह भी बताया कि आबे चर्च के सलाहकार भी नहीं थे.
आबे के यूनीफिकेशन चर्च के साथ संबंध
चर्च की वेबसाइट के मुताबिक आबे पिछले साल सितंबर में चर्च से जुड़े एक संगठन के एक कार्यक्रम में गए थे. वहां आबे ने एक भाषण दिया था जिसमें उन्होंने कोरियाई प्रायद्वीप पर शांति के लिए संगठन के प्रयासों की सराहना की थी.
पुलिस ने इस बात की पुष्टि तो की है कि यामागामी को एक संगठन से शिकायत थी लेकिन संगठन का नाम नहीं बताया है. तनाका ने बताया कि यामागामी की मां चर्च से 1998 में जुड़ीं थी लेकिन 2009 से 2017 तक उन्होंने चर्च की किसी सभा में हिस्सा नहीं लिया.
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दो या तीन साल पहले उन्होंने फिर से चर्च के सदस्यों के साथ संपर्क स्थापित किया और पिछले करीब छह महीनों से वो हर महीने में एकाध बार चर्च के कार्यक्रमों में हिस्सा ले रही हैं.
इस चर्च की स्थापना सून म्युंग मून नाम के व्यक्ति ने 1954 में दक्षिण कोरिया में की थी. मून खुद को पक्का वामपंथ-विरोधी और एक मसीहा बताते थे. चर्च अपने सामूहिक विवाह कार्यक्रमों की वजह से सुर्खियों में रहता है जहां एक साथ हजारों शादियों कराई जाती हैं.
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बाइबल की नई विवेचना पर आधारित
चर्च द्वारा प्रकाशित साहित्य के अनुसार जापानी भाषा सहज रूप से बोल लेने वाले मून ने 1960 के दशक में जापान से ही एक वामपंथ विरोधी राजनीतिक अभियान शुरू किया और जापान के राजनेताओं के साथ संबंध स्थापित किए. 2012 में उनका निधन हो गया.
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तनाका ने बताया कि आज पूरी दुनिया में चर्च के एक करोड़ सदस्य हैं जिनमें से करीब छह लाख जापान में हैं. माना जाता है कि चर्च की शिक्षा बाइबल की शिक्षाओं की नई विवेचना पर आधारित है. तनाका ने बताया, "आबे ने हमारे नेता के विश्व शांति आंदोलन के प्रति अपना समर्थन व्यक्त किया था...लेकिन वो ना कभी हमारे सदस्य रहे और ना सलाहकार."
जांचकर्ताओं ने स्थानीय मीडिया को बताया है कि यामागामी पहले इस समूह के नेता को ही मारना चाहता था, लेकिन उसने बाद में आबे को मारने का फैसला किया क्योंकि उसका मानना था कि वो संगठन से जुड़े हुए हैं.
सीके/एए (रॉयटर्स, एएफपी)
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राजीव गांधी
21 मई 1991 को प्रधानमंत्री राजीव गांधी चुनाव प्रचार के लिए चेन्नई के करीब श्रीपेरंबुदूर पहुंचे. वे भाषण देने के लिए मंच की ओर बढ़े, इस दौरान कई लोगों ने उनके गले में फूलों के हार डाले. तभी भीड़ में भानु नाम की एक महिला ने उनके पैर छूए और अपने शरीर पर लगी बारूद की बेल्ट से विस्फोट किया. इस आत्मघाती हमले में 14 अन्य लोगों की जान गयी.
तस्वीर: Imago/Sven Simon
इंदिरा गांधी
ऑपरेशन ब्लूस्टार के बाद इंदिरा गांधी देश भर में सिख समुदाय में काफी अलोकप्रिय हो गईं. लेकिन इसके बावजूद उन्होंने अपने सिख सुरक्षाकर्मियों को नहीं हटाया. 31 अक्टूबर 1984 को सतवंत सिंह और बेअंत सिंह नाम के उनके सुरक्षाकर्मियों ने उन पर गोलियां बरसाईं. सतवंत सिंह ने उन पर मशीन गन से गोलियों के 30 राउंड दागे.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
बेनजीर भुट्टो
वे पाकिस्तान पीपल्स पार्टी के संस्थापक और पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो की बेटी थीं. 1988 में वे देश की पहली महिला प्रधानमंत्री बनीं. दो साल बाद उन्हें भ्रष्टाचार के आरोप में बर्खास्त कर दिया गया. 1993 में एक बार फिर उन्होंने सत्ता संभाली और 1996 में फिर से बर्खास्ती हुई. 27 दिसंबर 2007 को एक चुनावी रैली के बाद आत्मघाती हमलें में उनकी जान गई.
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महात्मा गांधी
बापू ने भारत को आजादी तो दिलाई लेकिन आजाद भारत में वे बहुत लंबा समय नहीं बिता पाए. 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे से उनके सीने में तीन गोलियां दागी. गोडसे का आरोप था कि बापू ने मुसलमानों को हिन्दुओं की तुलना में ज्यादा तवज्जो दी.
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अब्राहम लिंकन
वे अमेरिका के 16वें राष्ट्रपति थे. अमेरिका में चल रहे गृह युद्ध के दौरान वे सत्ता में आए. उन्होंने देश में कई बड़े बदलाव किए और सबसे बढ़ कर गुलामी पर रोक लगाई. 15 अप्रैल 1865 को जॉन बूथ नाम के व्यक्ति ने गोली मार कर उनकी हत्या कर दी. वह अश्वेत लोगों को मताधिकार देने की बात पर लिंकन से नाराज था.
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मार्टिन लूथर किंग जूनियर
अमेरिका में नागरिक अधिकारों के लिए चले आंदोलन में वे सबसे अहम शख्स थे. अमेरिका में अश्वेत लोगों को मुख्य धारा में लाने में उनकी बड़ी भूमिका रही. 1963 का उनका भाषण "आय हैव अ ड्रीम" आज भी लोगों की जबान पर है. 4 अप्रैल 1968 को जेम्स अर्ल रे ने उन पर गोली चलाई. मार्टिन लूथर किंग जूनियर उस वक्त अपने होटल की बालकनी में खड़े थे.
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जॉन एफ केनेडी
वे अमेरिका के 35वें राष्ट्रपति थे. 22 नवंबर 1963 को वे टेक्सास राज्य में चुनाव प्रचार कर रहे थे. इस दौरान उनकी कार की छत खुली हुई थी. पास ही में मौजूद एक इमारत के छठे माले से गोलियां चलाई गयी थीं. हार्वे ऑस्वाल्ड नाम के शख्स को इस मामले में गिरफ्तार किया गया. दो दिन बाद जेल ले जाते वक्त ऑस्वाल्ड की भी गोली मार कर हत्या कर दी गयी.
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रॉबर्ट एफ केनेडी
वे जॉन एफ केनेडी के छोटे भाई थे और राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार. 5 जून 1968 को लॉस एंजेलेस के होटल एम्बैसेडर में उन पर गोली चलाई गयी. अगले दिन अस्पताल में उन्होंने दम तोड़ दिया. उन पर महज एक इंच की दूरी से तीन गोलियां चलाई गयी थीं. हमलावर की पहचान फलस्तीनी आप्रवासी सिरहन सिरहन के रूप में हुई.
तस्वीर: AP
शेख मुजीबुर रहमान
वे बांग्लादेश के पहले राष्ट्रपति थे और हत्या के वक्त देश के प्रधानमंत्री. 15 अगस्त 1975 को बांग्लादेशी सेना के कुछ अधिकारी प्रधानमंत्री निवास में घुस आए और उनके पूरे परिवार पर हमला कर दिया. इरादा देश में सैन्य शासन लागू करने का था. इस तख्तापलट में प्रधानमंत्री समेत उनकी पत्नी, बेटे, छोटे भाई और नौकरों की भी जान गयी.
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जनरल आंग सान
वे म्यांमार की नेता आंग सान सू ची के पिता थे. उन्हें बर्मा को अंग्रेजों से आजादी दिलाने का श्रेय जाता है. लेकिन आजादी की घोषणा से छह महीने पहले ही उनकी हत्या कर दी गयी. 19 जुलाई 1947 को रंगून में बैठक चल रही थी जिसमें ब्रिटिश सरकार द्वारा सत्ता के समर्पण पर चर्चा चल रही थी. इसी दौरान बंदूकधारियों ने जनरल आंग सान समेत उनके छह मंत्रियों, भाई और पिता की हत्या कर दी.