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१५ मई २०१८Muqtada al-Sadr through the years
मोसुल अब शहर नहीं, सिर्फ मलबे का ढेर है
मोसुल अब शहर नहीं, सिर्फ मलबे का ढेर है
इराकी शहर मोसुल को आईएस से छुड़ाने के लिए भीषण लड़ाई हुई. इसी का नतीजा है कि शहर के पुराने हिस्से में प्रति एकड़ तीन हजार टन से भी ज्यादा का मलबा पड़ा है, जिसे हटाना और शहर को फिर से खड़ा करना एक बड़ी चुनौती है.
मलबे का ढेर
इराक का मोसुल शहर इस्लामिक स्टेट के आतंक से तो आजाद हो गया है. लेकिन अब हर तरफ वहां मलबे के ढेर नजर आते हैं. जहां कभी घर, मकान और दुकान होते थे, वहां आज सिर्फ मलबा दिखता है.
तबाही ही तबाही
शहर का जो इलाका इस्लामिक स्टेट का अंतिम ठिकाना था, वहां दजला नदी के पश्चिमी किनारे पर 4 किलोमीटर लंबी और डेढ़ किलोमीटर चौड़ी पट्टी में शायद ही कोई ऐसी जगह हो जहां मलबे का ढेर नहीं है.
जंग की त्रासदी
मोसुल में दजला नदी पर बने पांचों पुलों को हवाई हमलों में बहुत नुकसान हुआ है. शहर का ऐसा कोई कोना नहीं है जो तीन साल तक यहां लड़ी गई जंग की त्रासदी से अछूता हो.
जीत की कीमत
अमेरिकी गठबंधन और इराकी बलों ने आईएस को हरा दिया. लेकिन इस जीत के लिए जो कीमत चुकानी पड़ी है, उसका हिसाब लगाना मुश्किल है. इराकी सरकार को देश भर में पुनर्निर्माण को लिए 100 अरब डॉलर चाहिए.
कहां से आएगा पैसा
अब तक कोई इराक की मदद के लिए सामने नहीं आया है. अमेरिका ने साफ कह दिया है कि वह पुनर्निर्माण के लिए कोई पैसा नहीं देगा. ऐसे में इराक को सऊदी अरब, खाड़ी देशों और ईरान से भी मदद की उम्मीद है.
धन की किल्लत
संयुक्त राष्ट्र लगभग दो दर्जन शहरों और कस्बों में बुनियादी ढांचे की मरम्मत कर रहा है, लेकिन उसे धन की किल्लत से जूझना पड़ रहा है. ऐसे में, लोग अपनी निजी बचत से घरों को दोबारा बनाने और बसाने की कोशिश कर रहे हैं.
बड़ा काम
संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि मोसुल में 40 हजार घरों को मरम्मत या फिर दोबारा बनाने की जरूरत है. छह लाख लोग अपने घरों को लौट नहीं पा रहे हैं. वे शिविरों में रह रहे हैं. मोसुल की आबादी कभी 20 लाख हुआ करती थी.
बाधाएं
भ्रष्टाचार और शिया-सुन्नी तनाव देश के पुनर्निर्माण में बड़ी अड़चन हैं. जिस इलाके में सबसे ज्यादा तबाही हुई है, वह ज्यादातर सुन्नियों का इलाका है जबकि इराकी सरकार में शियाओं का दबदबा है.
चरमपंथ पनपने का खतरा
ऐसे में, इस बात का भी डर है कि अगर सुन्नी आबादी को लगा कि उनकी अनदेखी की जा रही है तो इससे उनमें असंतोष पैदा होगा जिससे बाद में चरमपंथियों की नई पीढ़ी तैयार हो सकती है.
हजारों जानें गईं
मोसुल पर 2014 में आईएस ने नियंत्रण किया था. लेकिन महीनों चली भीषण लड़ाई के बाद जुलाई 2017 में इसे मुक्त घोषित किया गया. मोसुल को दोबारा हासिल करने की इस लड़ाई में हजारों आम लोग मारे गए.
दूसरे शहर भी तबाह हुए
तबाही के ऐसे मंजर दूसरे इराकी शहरों में भी नजर आते हैं. अनबार प्रांत की राजधानी रमादी को 2015 में आईएस से मुक्त करा लिया गया लेकिन शहर का 70 फीसदी हिस्सा अब भी तबाह और बर्बाद पड़ा हुआ है.
किसने दी मदद
पुनर्निर्माण का ज्यादातर काम संयुक्त राष्ट्र की विकास एजेंसी यूएनडीपी की देखरेख में हो रहा है. लेकिन फंडिंग एक बड़ी समस्या है. अब तक अमेरिका ने जहां इसके लिए 11.5 करोड़ डॉलर दिए हैं वहीं जर्मनी ने 6.4 करोड़ डॉलर मुहैया कराए हैं.
"यह हमारा काम नहीं है"
इराक को उम्मीद थी कि आईएस को हरा देने के बाद अमेरिका की तरफ से और पैसा आएगा लेकिन अमेरिकी विदेश मंत्री रेक्स टिलरसन ने साफ कर दिया है, कि "देश को खड़ा करना" उनका काम नहीं है. मतलब इराक को इस चुनौती से अकेले ही निपटना है.