गुजरात के नरोदा गाम में 11 लोगों की हत्या के आरोप में 69 लोगों पर 13 साल मुकदमा चला और अंत में सब बरी हो गए. दंगों में बचे लोगों का कहना है कि 2002 में 11 लोगों की हत्या हुई थी और अब न्याय की हत्या हुई है.
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नरोदा गाम हत्याकांड 2002 में गुजरात में हुए दंगों के उन नौ मामलों में से एक है जिन में मुकदमा चल रहा है. नरोदा गाम अहमदाबाद का एक इलाका है जहां 28 फरवरी 2002 को मुस्लिम मोहल्ला नाम के मोहल्ले में भीड़ ने कई घरों को जला दिया था. मोहल्ले के 11 निवासियों की हत्या कर दी गई थी.
इन हत्याओं के लिए जिन लोगों पर आरोप लगाया गया था उनमें बीजेपी की पूर्व विधायक और मंत्री माया कोडनानी, बजरंग दल के पूर्व नेता बाबू बजरंगी, विश्व हिंदू परिषद के नेता जयदीप पटेल और नरोदा पुलिस स्टेशन में तत्कालीन इंस्पेक्टर वीएस गोहिल शामिल हैं.
शुरू में इस मुकदमे में सुनवाई ही शुरू नहीं हो पा रही थी. हत्याकांड के आठ साल बाद 2010 में सुनवाई शुरू हुई और अभी भी नतीजा एक विशेष अदालत का ही आया है. अगर याचिकाकर्ता फैसले के खिलाफ अपील करते हैं तो इसके बाद हाई कोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट तक जाने की एक लंबी कानूनी लड़ाई अभी उनके आगे है.
अमित शाह की भूमिका
मार्च 2017 में कोडनानी ने अदालत से अपील की थी कि उनके समर्थन में 14 और गवाहों से सवाल जवाब किए जाएं. दरअसल दंगों की जांच करने वाली एसआईटी ने कोडनानी को दोषी पाया था लेकिन उनका कहना था कि वो हत्याकांड के समय नरोदा गाम में थीं ही नहीं.
अपने बयान के समर्थन के लिए उन्होंने इन गवाहों को बुलवाने की अदालत से अपील की. इनमें केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी थे, जो उस समय बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे.
शाह ने अदालत में कोडनानी की अन्यत्रस्थिति या ऐलबाई की पुष्टि की थी और कहा था कि वारदात के समय उन्होंने कोडनानी को पहले गुजरात विधान सभा में और फिर सोला सिविल अस्पताल में देखा था.
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कोडनानी पर नरोदा गाम से भी ज्यादा वीभत्स नरोदा पाटिया हत्याकांड में भी शामिल होने के आरोप थे. नरोदा पाटिया दंगों में कम से कम 97 मुस्लिमों के मारे जाने की पुष्टि हुई थी. सुनवाई के दौरान 11 गवाहों ने कहा था कि उन्होंने वारदात के समय कोडनानी को वहां देखा था, लेकिन का दावा था कि वो उस समय विधान सभा में थीं.
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एक "काला दिन"
2012 में एक विशेष अदालत ने उन्हें, बाबू बजरंगी और 31 और लोगों को दोषी पाया था और उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. लेकिन अप्रैल 2018 में गुजरात हाई कोर्ट ने कोडनानी को बरी कर दिया था.
नरोदा गाम फैसले से मुकदमे में कोडनानी और दूसरों के खिलाफ गवाही देने वाले लोग मायूस हैं. उन्होंने इसे पीड़ितों के लिए एक "काला दिन" बताया.
17 मुल्जिमों के खिलाफ गवाही देने वाले इम्तियाज अहमद हुसैन कुरैशी ने इंडियन एक्सप्रेस अखबार को बताया कि उन्होंने अपनी आंखों से उन सब को भीड़ को उकसाते हुए, मस्जिद को जलाने का इशारा करते हुए, पूरे के पूरे परिवारों को जला कर मारते हुए देखा था और सब कुछ अदालत को बताया था.
उनका कहना है, "उन सब को उम्र कैद की सजा मिलनी चाहिए थी. उन्हें बरी कर देने से हमारा न्यायपालिका पर से विश्वास उठ गया है...क्या उस दिन मारे गए सभी लोगों ने आत्महत्या कर ली थी? खुद को जला कर मार डाला था?...2002 में 11 लोगों की हत्या हुई थी और आज न्याय की हत्या हुई है."
हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि वो लड़ाई जारी रखेंगे और इस फैसले को गुजरात हाई कोर्ट में चुनौती देंगे.
तस्वीरों में कैद वो लम्हे जिन्हें भुलाना मुमकिन नहीं
तस्वीरों के सहारे हम इतिहास को जिंदा रखते हैं. देखिए ऐसी कुछ घटनाओं की तस्वीरें जिन्हें शायद ही कोई भारतीय भूल पाए.
तस्वीर: Getty Images/AFP/D. E. Curran
कन्हैया
जेएनयू छांत्र संघ अध्यक्ष कन्हैया को देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार करने के बाद अदालत ले जाया गया और वहां उन पर वकीलों ने हमला कर दिया. उसके बाद छपी इस तस्वीर ने पूरे भारत को दो हिस्सों में बांट दिया. एक हिस्सा कन्हैया के साथ था और दूसरा उसके खिलाफ.
तस्वीर: Reuters
अन्ना आंदोलन
साल 2011 में समाजसेवी अन्ना हजारे ने दिल्ली के रामलीला मैदान में यूपीए सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार के मुद्दे पर अनशन किया. अन्ना को लोगों का समर्थन मिला. रामलीला मैदान में उनका समर्थन करने एक लाख से ज्यादा लोग पहुंचे. इस अनशन को खत्म करवाने के लिए सरकार को खासी मशक्कत करनी पड़ी थी.
तस्वीर: AP
गुजरात का नरसंहार
2002 के गुजरात दंगों की यह तस्वीर बहुसंख्यकों की हिंसा का एक ऐसा प्रतीक बन गई कि इस तस्वीर में दिख रहे युवक की जिंदगी भी बदल गई. आज वह खुद अपनी इस तस्वीर पर शर्मिंदा है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/D'souza
छर्रों की पीड़ित
कश्मीर की 12 साल की यह बच्ची सुरक्षाकर्मियों के चलाए छर्रों में अपनी आंखें खो बैठी. अखबारों में जब इसकी तस्वीर छपी तो सब सहम गए. छर्रों पर बहस शुरू हो गई. अब सरकार नए उपाय तलाश रही है.
तस्वीर: Getty Images/AFP/T. Mustafa
पुलवामा हमला
14 फरवरी 2019 को जम्मू कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हमला हुआ था. इस हमले में 46 सीआरपीएफ जवान मारे गए थे. इस हमले के लिए भारत ने पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराया था. भारतीय वायुसेना ने 26 फरवरी को पाकिस्तान के बालाकोट में बम गिराए थे. इसके जवाब में पाकिस्तान ने कार्रवाई की और दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया.
तस्वीर: IANS
रेप की पीड़ा
निर्भया कांड के बाद जब आहत युवा दिल्ली में सड़कों पर उतरे तो इस तस्वीर ने वायरल होकर ऐसा आंदोलन खड़ा किया कि रेप के खिलाफ कानून तक को बदल जाना पड़ा.
तस्वीर: Getty Images/N. Seelam
बाबरी विध्वंस
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तस्वीर: AFP/Getty Images
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तस्वीर: AP
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तस्वीर: Getty Images/AFP
महात्मा गांधी की शव यात्रा
आजाद भारत की शायद यह पहली ऐसी तस्वीर थी जिसने हर भारतीय की आंख को भिगो दिया था.