इस्लाम में शराब हराम है. और पाकिस्तान में शराब मुसलमानों के लिए बैन है. लेकिन खूब बिकती है और पी जाती है. सजा तो कभी किसी को नहीं हुई.
विज्ञापन
पाकिस्तान के रावलपिंडी में एक ब्रुअरी, यानी बीयर की फैक्ट्री. यहां लैगर बनती है. लैगर बीयर की एक किस्म होती है. सालभर में यहां एक करोड़ लीटर लैगर बन जाती है. वैसे, पाकिस्तान एक इस्लामी मुल्क है और इस्लाम में शराब हराम है. इसलिए मुसलमानों के लिए पाकिस्तान में अल्कोहल प्रतिबंधित है. लेकिन मरी ब्रूअरी तो है. और यहां लैगर ही नहीं टनों जिन और व्हिस्की यहां के सेलर्स में जमा करके रखी गई है. लेकिन यह तो मरी है, जिसके बारे में सबको पता है. इस तरह के छोटे छोटे हजारों सेलर्स हैं जो लोगों के घरों में मौजूद हैं. उनमें वाइन भी बनती है और देसी दारू भी. सौ का कुल जोड़ यह है कि पाकिस्तान में शराब की बिक्री पूरे शबाब पर है.
बाहर से आए लोग तो यह देखकर हैरान हो सकते हैं कि पाकिस्तान में कितने बड़े पैमाने पर शराब बनाई और बेची जा रही है. देश की 97 फीसदी आबादी के लिए शराब धर्म में हराम और कानून में प्रतिबंधित है. इसके बावजूद लाखों लीटर शराब बन रही है और बिक भी रही है. हालांकि शराब पीने वाले लोग इस बात का फायदा उठाते हैं कि देश की अल्पसंख्यक हिंदू और ईसाई आबादी के लिए शराब बनाई जा रही है. उनके लिए कोटा तय है और उस कोटे पर खूब हाथ साफ किया जाता है.
देखिए, दुनिया के सबसे मशहूर बाजार
सबसे मशहूर बाजार
गली वाले बाजार दुनियाभर में लगते हैं. जैसे भारत के हर शहर में होते हैं जैसे दिल्ली का चांदनी चौक. चलिए आज आपको दनियाभर के गली वाले बाजार दिखाते हैं.
तस्वीर: AP
ग्रैंड बजार, तुर्की
यह दुनिया के सबसे पुराने बाजारों में से एक है. यहां करीब 3000 दुकानें हैं जहां रोजाना ढाई से तीन लाख लोग आते हैं.
तस्वीर: Dan Kitwood/Getty Images
जेमा अल फना, मराकेश
जेमा अल फना मोरक्को का सबसे मशहूर बाजार है. यहां आज भी आपको सपेरे और मदारी मिल जाएंगे. जादूगर और किस्सागो भी होंगे.
तस्वीर: picture-alliance/Bildagentur Huber
क्वींस विक्टोरिया मार्केट, मेलबर्न
ऑस्ट्रेलिया में मेलबर्न शहर का यह बाजार 17 एकड़ में फैला है. दक्षिणी गोलार्ध का यह सबसे बड़ा खुला बाजार है.
लंदन यूं भी दुनिया भर के पर्यटकों की पसंद है. यहां का कैमडन लॉक मार्केट देखने हर वीकेंड एक लाख लोग आते हैं.
तस्वीर: picture-alliance/S.Stache
चांदनी चौक, दिल्ली
दिल्ली के चांदनी चौक बाजार को कौन नहीं जाना. मुगल काल का यह बाजार आज भी गुलजार है.
तस्वीर: Pushkar Vyas
टेंपल स्ट्रीट, हांगकांग
हांगकांग का टेंपल स्ट्रीट नाइट मार्केट शाम से शुरू होता है और यहां देर रात तक चहल पहल रहती है.
तस्वीर: picture-alliance/ANN/China Daily
शिलिन मार्केट, ताइपे
ताइवान के ताइपे में शिलिन नाइट मार्केट शहर का सबसे बड़ा बाजार है. यहां 600 से ज्यादा स्टॉल हैं.
तस्वीर: DW
रियल्टो बाजार, वेनिस
वेनिस का रियल्टो बाजार 11वीं सदी से लग रहा है. यह ग्रैंड कनाल के किनारे है जहां मशहूर पुलों में शुमार रियल्टो पुल भी है.
तस्वीर: Imago/OceanPhoto
थाइलैंड का तैरता बाजार
थाइलैंड का तैरता हुआ बाजार तो देश की पहचान बन चुका है. यह 14वीं सदी से लग रहा है.
तस्वीर: Sirsho Bandopadhyay
बैंकॉक वीकेंड मार्केट
थाइलैंड की राजधानी बैंकॉक की चातुचाक वीकेंड मार्केट दुनिया भर में मशहूर है. इसे देखने देश विदेश के पर्यटक आते हैं.
तस्वीर: picture-alliance/S. Reboredo
10 तस्वीरें1 | 10
आधिकारिक तौर पर तो देश में 30 लाख लोग ऐसे हैं जो शराब खरीद सकते हैं. लेकिन देश की तीन ब्रूअरी के पास मांग इससे कहीं ज्यादा है. इतनी ज्यादा कि उन्हें साल भर लगातार काम करना पड़ता है, तब जाकर वे इस मांग को पूरा करने के करीब पहुंच पाते हैं. मरी की ब्रूअरी में दो तरह की व्हिस्की बनती है और एक तरह की जिन. इस जिन की बोतल ठीक वैसी ही होती है जैसी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मशहूर जिन बॉम्बे सफायर की है.
मरी में ब्रूअरी अंग्रेजी राज से चल रही है. 1860 में एक ब्रिटिश ने इसकी स्थापना की थी. आजकल इसका मालिकाना हक एक पारसी के पास है. इस पर कई बार हमले हो चुके हैं. मुस्लिम लोगों की भीड़ इसे जला भी चुकी है. और 1970 के दशक से अल्कोहल पर बैन भी है. इसके बावजूद मरी की ब्रूअरी बदस्तूर चल रही है. बल्कि इसे चलना कहना तो इसकी तौहीन करना होगा. यह तो देश की सबसे सफल कंपनियों में से एक है. इसकी सालाना बढ़ोतरी 15 से 20 प्रतिशत है. इस्लामिक हिंसा के मारे देश में इस तरह की विकास दर बड़ी बड़ी कंपनियां भी हासिल नहीं कर पा रही हैं. ब्रूअरी के अधिकारी मेजर सबीह उर रहमान कहते हैं, "ऐसा तो कोई खतरा वतरा नहीं है. हम पूरी तरह वैध संस्थान हैं. और देश के सबसे ज्यादा टैक्स देने वालों में शुमार हैं. मरी ब्रूअरी फले-फूले और आगे बढ़े यह तो सबके हक में है."
लीजिए, आप भी बन सकते हैं जर्मनों जैसे
आप भी बन सकते हैं जर्मन
जर्मन लोग अलग होते हैं. हम सभी अलग होते हैं लेकिन जर्मन अलग में भी अलग होते हैं. आप भी जर्मन बन सकते हैं, इन 10 आदतों को अपना कर. ऐडम फ्लेचर ने अपनी किताब मेक मी जर्मन में ये आदतें बयान की हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/F.Leonhardt
घर वाले जूते
जर्मन लोग अपने घर वाले जूतों से बहुत प्यार करते हैं. इन्हें हाउसशुहे कहा जाता है. घर में घुसते ही इन्हें पहन लिया जाता है. मेहमानों के लिए भी हाउसशुहे रखे जाते हैं, ताकि आपका ड्रॉइंग रूम गंदा न हो.
तस्वीर: dpa
नॉर्मकोर
जर्मन फैशन है कि फैशन मत करो. कपड़े ऐसे पहनो जो स्टाइल नहीं प्रैक्टिकल हों. जितने सामान्य बन सको, बन जाओ. जितने घुलनशील हो सको, हो जाओ. नॉर्मल ही हार्डकोर है. यही नॉर्मकोर है.
तस्वीर: DW
ट्रैफिक लाइट का सम्मान
सड़क खाली है तो क्या हुआ. लाइट्स तो जल बुझ रही हैं ना. उनका सम्मान होना चाहिए. नियम हो तो है, और उसे माना भी जाना चाहिए. आप ट्रैफिक लाइट्स का सम्मान नहीं करेंगे तो जर्मन नहीं हो सकते.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
प्रकृति का सम्मान
शहर अच्छे होते हैं लेकिन वे कुदरत से दूर होते हैं. आप जर्मन बनना चाहते हैं तो कुदरत का सम्मान कीजिए. कुदरत के पास जाइए. उसमें रहिए. उससे बातें कीजिए. उसे अपना लीजिए. इसलिए जर्मन शहरों में और आसपास काफी हरियाली है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
पढ़ो, फिर करो
जर्मन लोग यूं ही किसी पर भरोसा नहीं करते. आप किसी भी मुद्दे पर तभी बोलें, जब आपने उसकी पढ़ाई की है. जैसे बिना मेडिसीन पढ़े कोई डॉक्टर नहीं हो सकता और डॉर्टरेट किए बिना डॉक्टर भी अपने नाम के आगे डॉक्टर नहीं लगा सकता. जर्मन स्पेशलाइजेशन का सम्मान करते हैं.
तस्वीर: Getty Images
गैस वाला पानी
आप जर्मन बनना चाहते हैं तो गैस वाला पानी पीजिए. हर चीज में गैस वाला पानी डालिए. यह सोडे जैसा होता है.
तस्वीर: picture-alliance/ dpa
आलू खाइए
जो भी हो, आलू तो आलू है. जैसे जर्मन तो जर्मन हैं. आलू के बिना जीवन नहीं. आलू के बिना जर्मन नहीं. आम तौर पर मीट खाने वाले जर्मन उसके साथ आलू जरूर खाते हैं.
तस्वीर: Screenshot DW-TV
वुर्स्ट और ब्रेड
डबलरोटी के दो स्लाइस लें. उनपर बटर लगाकर बीच में वुर्स्ट, सलामी या चीज रख दें. चखें. पसंद आया? तो आप जर्मन हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/C. Welz
बोल डाल
जर्मन बनना है तो इधर-उधर की बातें करना बंद कीजिए. जो दिल में है, साफ कहिए. सामने वाले को कड़वी लगती है तो लगे. बोल दो.
तस्वीर: Getty Images/S. Gallup
वक्त की पाबंदी
जर्मन बनने का आखिरी रूल है टाइम. टाइम पर आना है, टाइम पर जाना है. यहां आईएसटी नहीं चलेगा. 5 बजे बोला तो 5 बजे पहुंच जाओ. यही जर्मन होना है.
तस्वीर: Reuters
10 तस्वीरें1 | 10
मरी ब्रूअरी के सबसे बड़े ग्राहक अमीर मुसलमान हैं जो नियमों के साथ खेल सकते हैं. लेकिन नशा हद से ज्यादा हो तो समस्या बन जाता है. इसी बात की चिंता थेरेपिस्ट ताहिर अहमद को सताती रहती है. उन्हें फिक्र है कि शराबखोरी बढ़ रही है. वह बताते हैं, "लाइसेंसी दुकानें उन लोगों को शराब बेचती हैं जो शराब खरीद सकते हैं. और इतना पैसा तो मुसलमानों के ही पास है. मध्य वर्ग इस्लामिक नैतिकता के बोझ में जीता है लेकिन अमीर वर्ग और अमीर होता जा रहा है. अब तो यह आम है कि अगर आप किसी को अपने यहां खाने पर बुलाते हैं तो शराब जरूर पिलाएंगे. समाज में भी यह स्वीकार्य हो चला है."
बर्थडे पार्टियों, डिनर पार्टियों और शादियों में हर तरह की शराब से सजी बार से लेकर पार्किंग में कारों में चलती गुपचुप बार तक यह पूरा कारोबार दो नंबर पर चलता है. और इससे तस्करी को भी बढ़ावा मिल रहा है. एक कस्टम अधिकारी बताते हैं कि समुद्र के रास्ते दुबई से खूब शराब आती है. तस्कर अधिकारियों को रिश्वत देकर पूरे के पूरे कंटेनर भरकर शराब लाते हैं. कई बार राजनयिक भी अपने कोटे से मिलने वाली शराब को बाजार में बेच कर खूब मुनाफा कमाते हैं. दो नंबर से खरीदने पर दाम डबल चुकाने होते हैं. मरी जिन की एक बोतल की कीमत 10 डॉलर है लेकिन ब्लैक में यह 20 डॉलर की मिलती है. वाइन की बोतल के 40 डॉलर तक देने पड़ जाते हैं.
तस्वीरों में, एक मुलाकात जर्मन बीयर के साथ
एक मुलाकात जर्मन बीयर के साथ
जर्मनी में बीयर की गुणवत्ता को लेकर 1516 में शुद्धता कानून बना. पांच शताब्दियों बाद अब भी इन्हें दुनिया भर में बीयर की गुणवत्ता के लिए मुहर की तरह माना जाता है. जानिए बीयर से जुड़े कुछ अहम तथ्य.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/T. Hase
जर्मन बीयर
जर्मनी के मशहूर बीयर ब्रांड लंबे समय से अंतराष्ट्रीय महफिलों में दिखते रहे हैं. जर्मनी में 1350 से अधिक अलग अलग ब्रुअरी हैं और करीब 5500 बीयर के ब्रांड. जर्मनी यूरोप में सबसे अधिक बीयर उत्पादन करता है. हर साल यहां साढ़े नौ करोड़ हेक्टोलीटर बीयर का उत्पादन होता है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/T. Hase
10 बड़े बीयर ब्रांड
उत्पादन के लिहाज से पहले नंबर पर ओएटिंगर और क्रोमबाखर एक दूसरे को बराबर की टक्कर देते हैं. ये ग्राफिक डाटा 2014 के आंकड़ों के मुताबिक बनाया गया है. अभी हाल ही में आए शुरुआती आंकड़ों के मुताबिक क्रोमबाखर ने विदेशों में हुई भारी बिक्री के चलते बढ़त बना ली है.
ओएटिंगर
ओएटिंगर इसी नाम के एक फैमिली बिजनेस का हिस्सा है. इसका मुख्यालय ओएटिंगेन नाम के कस्बे में है और गोथा के अलावा मोएंशनग्लाडबाख और ब्राउनश्वाइग कस्बों की भट्टी में बीयर तैयार की जाती है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/P. Steffen
बीयर की खपत
पिछले कुछ दशकों में जर्मन लोगों के बीच बीयर की खपत गिरती गई है. 1980 में जब ये अपने चरम पर थी तब औसतन हर जर्मन साल में 146 लीटर बीयर पीता था. लेकिन 2015 में ये आंकड़ा नीचे लुड़क कर 106 लीटर तक आ पहुंचा है.
क्रोमबाखर
क्रोमबाखर कंपनी 1803 में बनी और 1922 से ये शाडेबर्ग परिवार से जुड़ी है. इसका नाम नॉर्थ राइन वेस्टफेलिया प्रांत के क्रॉयत्सटाल शहर के नाम पर रखा गया जहां इसकी भट्टी है. इसकी अल्कोहल फ्री बीयर भी काफी मशहूर है.
तस्वीर: picture alliance/dpa/C. Seidel
दुनिया भर में बीयर
बात जब दुनिया भर में बीयर की खपत की होती है तो बेशक एशिया ही शीर्ष पर खड़ा नजर आता है. इसकी वजह दरअसल इसकी आबादी है. औसत के लिहाज से एशिया में रहने वाला हर व्यक्ति यूरोप के एक व्यक्ति की तुलना में कम बीयर पीता है.
बिटबुर्गर
बिटबुर्गर को 1817 में जॉन पीटर वॉलेनबॉर्न ने बनाया. उन्हीं के वंशज अब भी इस कंपनी के मालिक हैं. ये बीयर अभी 60 देशों में बिक रही है और जर्मनी के बाजार में ये तीसरे नंबर पर है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/H. Tittel
दुनिया की सबसे बड़ी भट्टियां
ग्राफिक दर्शा रहा है कि जर्मन बीयर भट्टियां अंतराष्ट्रीय बीयर कंपनियों के सामने कुछ भी नहीं हैं. दुनिया भर में बीयर बाजार का नेतृत्व करने वाली अनहॉयजर बुश का 100 अरब डॉलर की एक डील के बाद अपनी नजदीकी प्रतिद्वंदी एसएबी मिलर में विलय हो गया है.
फेल्टिंस
फेल्टिंस की शुरूआत 1824 में हुई. 1994 मां के गुजरने के बाद से सुजाने फेल्टिंस कंपनी की इकलौती मालकिन हैं और कंपनी में नवीनताओं को बढ़ावा दे रही हैं. इस कंपनी का 'मिसेस' बीयर जर्मनी के बाजार में सबसे ज्यादा मशहूर है.
तस्वीर: picture-alliance/H.-J. Rech
9 तस्वीरें1 | 9
और गरीबों के लिए मूनशाइन जैसी सस्ती दारू है जो कई बार जानलेवा साबित होती है. पर अब कुछ लोग घर पर अपनी वाइन खुद बनाने लगे हैं. यह अंगूर से नहीं अंगूर के जूस से बनती है. ऐसे ही एक सज्जन हैं हसन जो कई लीटर अंगूर का जूस, चीनी और एंजाइम से वाइन बनाते हैं. उनकी वाइट वाइन संतरों से बनती है जिसे वह अपने गेस्ट बेडरूम में तैयार करते हैं. वह बताते हैं कि बनाना तो आसान है बस सफाई का पूरा ख्याल रखना होता है. उम्र के तीन दशक पार कर चुके हसन कहते हैं कि यह एक मजेदार हॉबी है, दोस्तों के साथ मिलकर शराब बनाना और फिर उसे पीना मजेदार होता है. पकड़े जाने पर इस हॉबी की कीमत 80 कोड़े तक हो सकती है. लेकिन पकड़े जाने की शर्त तो यह होगी कि पहला पत्थर वह मारेगा जिसने पाप ना किया हो, जो पापी ना हो. यही वजह है कि आज तक 80 कोड़ों की यह सजा कभी किसी को नहीं मिली है.