म्यांमार की सेना को फेसबुक, लोकतंत्र से ज्यादा जरूरी लगता है
४ फ़रवरी २०२१
म्यांमार की ताकतवर सेना ने लोकतंत्र को एक साल के लिए निलंबित किया है, लेकिन फेसबुक को सिर्फ चार दिन के लिए. सेना को पता है कि फेसबुक पर ज्यादा रोक लगाई तो लोग भड़क सकते हैं.
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म्यांमार में लोकतांत्रिक सरकार का तख्ता पलट करने वाली सेना ने गुरुवार को फेसबुक ब्लॉक कर दिया. सैन्य अधिकारियों के शीर्ष समूह, जुंटा का कहना है कि चार दिन बाद फेसबुक पर लगी रोक हटा दी जाएगी. इसके विपरीत लोकतंत्र पर लगी रोक एक साल तक जारी रहेगी. तख्ता पलट करने वाली सेना को आशंका है कि फेसबुक के जरिए राजनीतिक पार्टियां और नागरिक अधिकार संगठन बड़े प्रदर्शन आयोजित कर सकते हैं.
5.4 करोड़ आबादी वाले म्यामांर में 50 फीसदी लोग फेसबुक इस्तेमाल करते हैं. फेसबुक वहां फ्री डाटा सर्विस के साथ चलता है. बीते सात-आठ साल में फेसबुक म्यामांर में सूचना शेयर करने का सबसे अहम प्लेटफॉर्म बन गया है. सेना जानती है कि फेसबुक पर लंबे समय तक रोक लगाकर वह बड़ी आबादी को नाराज कर सकती है. गुरुवार को एक बयान जारी कर म्यामांर के सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने कहा है कि फेसबुक पर रोक सात फरवरी तक है.
सूचना मंत्रालय के मुताबिक "फिलहाल, जो लोग देश की स्थिरता को तंग कर रहे हैं, वे फेक न्यूज और गलत जानकारी फैला रहे हैं, इसकी वजह से फेसबुक इस्तेमाल करने वाले लोग भ्रमित हो रहे हैं." फेसबुक ने म्यामांर में अपनी सर्विस प्रभावित होने की जानकारी दी है. फेसबुक के मुताबिक, उसकी व्हाट्सऐप और इंस्टाग्राम जैसी दूसरी सेवाएं भी प्रभावित हुई हैं.
सू ची खिलाफ कई तरह के मुकदमे
म्यामांर ने एक फरवरी की रात सेना ने तख्ता पलट कर स्टेट काउंसलर आन सान सू ची को हिरासत में ले लिया. सेना ने नेशलन लीग फॉर डेमोक्रेसी के दूसरे प्रमुख नेताओं को भी गिरफ्तार कर लिया. बुधवार को आंग सान सू ची के खिलाफ मुकदमे दर्ज किए गए. सू ची पर इजाजत के बगैर वॉकी-टॉकी और रेडियो उपकरण रखने के आरोप लगाए गए हैं. वॉकी-टॉकी सू ची के गार्डों के क्वार्टर से जब्त किए गए.
तख्तापलट के बाद सोशल मीडिया में बड़ी संख्या में लोगों ने सेना की तस्वीरें और वीडियो पोस्ट किए. कई यूजर्स ने अपनी नाराजगी का भी इजहार किया. सबसे बड़े शहर यांगोन में लोग गाड़ियों का हॉर्न बजाकर भी विरोध जता रहे हैं.
संयुक्त राष्ट्र ने की म्यांमार की सेना की आलोचना
यूएन महासचिव अंटोनियो गुटेरेश ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से म्यांमार के तख्ता पलट को नाकाम करने की अपील की है. प्रतिष्ठित अमेरिकी अखबार द वॉशिंगटन पोस्ट से बात करते हुए गुटेरेश ने कहा, "अंतरराष्ट्रीय समुदाय और अहम किरदारों को सक्रिय करने के लिए जो हो सकता है, हम वो करेंगे. हम म्यांमार पर दबाव डालेंगे और तय करेंगे कि ये तख्ता पलट नाकाम हो."
म्यांमार में नवंबर 2020 में आम चुनाव हुए थे. चुनावों में सेना की छद्म पार्टियां भी थीं. लेकिन उनकी करारी हार हुई. सू ची की नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी को जबरदस्त जीत मिली. इसके बाद म्यामांर के सेना प्रमुख मिन आंग लाई ने चुनावों में धांधली का आरोप लगाते हुए तख्ता पलट को जायज ठहराने की कोशिश की है.
गुटेरेश ने कहा, "मुझे भरोसा है कि चुनाव सामान्य तरीके से हुए और सत्ता बदलाव के इतने लंबे रास्ते के बाद, चुनावों के नतीजे और लोगों की इच्छा को उलटना पूरी तरह अस्वीकार्य है." संयुक्त राष्ट्र महासचिव को उम्मीद है ताकतवर देशों के साथ ही अन्य देश भी म्यांमार पर प्रतिबंध लगाने का समर्थन करेंगे. लेकिन चीन यूएन की ऐसी कोशिशों को रोक रहा है. म्यांमार आसियान का सदस्य है. इस बात की बहुत गुंजाइश है कि आसियान के बाकी देश इसे म्यांमार का अंदरूनी मामला करार देकर इसमें दखल नहीं देंगे.
21वीं सदी के तख्तापलट
म्यांमार फिर एक बार सैन्य तख्तापलट की वजह से सुर्खियों में है. 20वीं सदी का इतिहास तो सत्ता की खींचतान और तख्तापलट की घटनाओं से भरा हुआ है, लेकिन 21वीं सदी में भी कई देशों ने ताकत के दम पर रातों रात सत्ता बदलते देखी है.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/F. Vergara
म्यांमार
म्यांमार की सेना ने आंग सान सू ची को हिरासत में लेकर फिर एक बार देश की सत्ता की बाडगोर संभाली है. 2020 में हुए आम चुनावों में सू ची की एनएलडी पार्टी ने 83 प्रतिशत मतों के साथ भारी जीत हासिल की. लेकिन सेना ने चुनावों में धांधली का आरोप लगाया. देश में लोकतंत्र की उम्मीदें फिर दम तोड़ती दिख रही हैं.
तस्वीर: Sakchai Lalit/AP/picture alliance
माली
पश्चिमी अफ्रीकी देश माली में 18 अगस्त 2020 को सेना के कुछ गुटों ने बगावत कर दी. राष्ट्रपति इब्राहिम बोउबाखर कीटा समेत कई सरकारी अधिकारी हिरासत में ले लिए गए और सरकार को भंग कर दिया गया. 2020 के तख्तापलट के आठ साल पहले 2012 में माली ने एक और तख्तापलट झेला था.
तस्वीर: Reuters/M. Keita
मिस्र
2011 की क्रांति के बाद देश में हुए पहले स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों के बाद राष्ट्रपति के तौर पर मोहम्मद मुर्सी ने सत्ता संभाली थी. लेकिन 2013 में सरकार विरोधी प्रदर्शनों का फायदा उठाकर देश के सेना प्रमुख जनरल अब्देल फतह अल सिसी ने सरकार का तख्तापलट कर सत्ता हथिया ली. तब से वही मिस्र के राष्ट्रपति हैं.
तस्वीर: Reuters
मॉरिटानिया
पश्चिमी अफ्रीकी देश मॉरिटानिया में 6 अगस्त 2008 को सेना ने राष्ट्रपति सिदी उल्द चेख अब्दल्लाही (तस्वीर में) को सत्ता से बेदखल कर देश की कमान अपने हाथ में ले ली. इससे ठीक तीन साल पहले भी देश ने एक तख्तापलट देखा था जब लंबे समय से सत्ता में रहे तानाशाह मोओया उल्द सिदअहमद ताया को सेना ने हटा दिया.
तस्वीर: Issouf Sanogo/AFP
गिनी
पश्चिमी अफ्रीकी देश गिनी में लंबे समय तक राष्ट्रपति रहे लांसाना कोंते की 2008 में मौत के बाद सेना ने सत्ता अपने हाथ में ले ली. कैप्टन मूसा दादिस कामरा (फोटो में) ने कहा कि वह नए राष्ट्रपति चुनाव होने तक दो साल के लिए सत्ता संभाल रहे हैं. वह अपनी बात कायम भी रहे और 2010 के चुनाव में अल्फा कोंडे के जीतने के बाद सत्ता से हट गए.
तस्वीर: AP
थाईलैंड
थाईलैंड में सेना ने 19 सितंबर 2006 को थकसिन शिनावात्रा की सरकार का तख्तापलट किया. 23 दिसंबर 2007 को देश में आम चुनाव हुए लेकिन शिनावात्रा की पार्टी को चुनावों में हिस्सा नहीं लेने दिया गया. लेकिन जनता में उनके लिए समर्थन था. 2001 में उनकी बहन इंगलक शिनावात्रा थाईलैंड की प्रधानमंत्री बनी. 2014 में फिर थाईलैंड में सेना ने तख्तापलट किया.
तस्वीर: AP
फिजी
दक्षिणी प्रशांत महासागर में बसे छोटे से देश फिजी ने बीते दो दशकों में कई बार तख्तापलट झेला है. आखिरी बार 2006 में ऐसा हुआ था. फिजी में रहने वाले मूल निवासियों और वहां जाकर बसे भारतीय मूल के लोगों के बीच सत्ता की खींचतान रहती है. धर्म भी एक अहम भूमिका अदा करता है.
तस्वीर: Getty Images/P. Walter
हैती
कैरेबियन देश हैती में फरवरी 2004 को हुए तख्तापलट ने देश को ऐसे राजनीतिक संकट में धकेल दिया जो कई हफ्तों तक चला. इसका नतीजा यह निकला कि राष्ट्रपति जाँ बेत्रां एरिस्टीड अपना दूसरा कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए और फिर राष्ट्रपति के तौर पर बोनीफेस अलेक्सांद्रे ने सत्ता संभाली.
तस्वीर: Erika SatelicesAFP/Getty Images
गिनी बिसाऊ
पश्चिमी अफ्रीकी देश गिनी बिसाऊ में 14 सितंबर 2003 को रक्तहीन तख्तापलट हुआ, जब जनरल वासीमो कोरेया सीब्रा ने राष्ट्रपति कुंबा लाले को सत्ता से बेदखल कर दिया. सीब्रा ने कहा कि लाले की सरकार देश के सामने मौजूद आर्थिक संकट, राजनीतिक अस्थिरता और बकाया वेतन को लेकर सेना में मौजूद असंतोष से नहीं निपट सकती है, इसलिए वे सत्ता संभाल रहे हैं.
तस्वीर: AFP/Getty Images
सेंट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक
मार्च 2003 की बात है. मध्य अफ्रीकी देश सेंट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक के राष्ट्रपति एंगे फेलिक्स पाटासे नाइजर के दौरे पर थे. लेकिन जनरल फ्रांसुआ बोजिजे ने संविधान को निलंबित कर सत्ता की बाडगोर अपने हाथ में ले ली. वापस लौटते हुए जब बागियों ने राष्ट्रपति पाटासे के विमान पर गोलियां दागने की कोशिश की तो उन्होंने पड़ोसी देश कैमरून का रुख किया.
तस्वीर: Camille Laffont/AFP/Getty Images
इक्वाडोर
लैटिन अमेरिकी देश इक्वोडोर में 21 जनवरी 2000 को राष्ट्रपति जमील माहौद का तख्लापलट हुआ और उपराष्ट्रपति गुस्तावो नोबोआ ने उनका स्थान लिया. सेना और राजनेताओं के गठजोड़ ने इस कार्रवाई को अंजाम दिया. लेकिन आखिरकर यह गठबंधन नाकाम रहा. वरिष्ठ सैन्य नेताओं ने उपराष्ट्रपति को राष्ट्रपति बनाने का विरोध किया और तख्तापलट करने के वाले कई नेता जेल भेजे गए.